बुधवार, 18 सितंबर 2019

विक्रम से संपर्क का सपना गुम हो जाएगा

नई दिल्ली। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब काली अंधेरी रात होने वाली है। इसके साथ ही इसरो का विक्रम लैंडर से संपर्क करने का सपना भी इसी अंधेरे में गुम हो जाएगा। क्योंकि, सिर्फ तीन घंटे बाद विक्रम लैंडर उस अंधेरे में खो जाएगा, जहां से उससे संपर्क करना तो दूर, उसकी तस्वीर भी नहीं ली जा सकेगी।इसरो ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनिया की कोई भी स्पेस एजेंसी विक्रम लैंडर की तस्वीर तक नहीं ले पाएगा। यही नहीं, 14 दिनों की इस खतरनाक रात में विक्रम लैंडर का सही सलामत रहना बेहद मुश्किल होगा।


अब विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद खत्म, चांद पर हो रही है शाम!


चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम लैंडर है। तापमान घटकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित नहीं रख पाएंगे। अगर, विक्रम लैंडर में रेडियोआइसोटोप हीटर यूनिट लगा होता तो वह खुद को बचा सकता था। क्योंकि, इस यूनिट के जरिए इसे रेडियोएक्टिविटी और ठंड से बचाया जा सकता था। यानी, अब विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की सारी उम्मीदें खत्म होती दिख रही है।


7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा। आज 18 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त। यानी, चांद पर शाम हो चुकी है। हमारे कैलेंडर में जब 20 और 21 सितंबर की तारीख होगी, तब चांद पर रात का अंधेरा छा चुका होगा।


8 लाख के इनामी नक्सली का आत्मसमर्पण

बीजापुर। जिले सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। यहा 8 लाख के इनामी माओवादी सुधीर कोरसा ने आत्मसमर्पण किया। सुधीर कोरसा पीएलजीए बटालियन नंबर 1 की कंपनी नंबर 2 का  प्लाटून कमांडर था। उक्त नक्सली सुकमा, बीजापुर और आडिसा के 9 बड़ी वारदातों शामिल में था। माओवादी सुधीर कोरसा ने एसपी दिव्यांग पटेल और सीआरपीएफ डीआईजी कोमल सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।


पीओके छोड़े,नहीं तो खंड-खंड होगा पाक

नई दिल्ली। दुनिया भर के सामने जम्मू-कश्मीर का मसला उठाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को भारत ने बड़ा झटका दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को भारत का रुख साफ कर दिया और कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और एक दिन ये भौगोलिक रूप से भी भारत में होगा। सिर्फ भारत ही नहीं अब पाकिस्तान में इस तरह की आवाज़ें उठने लगी हैं जो पाकिस्तान के लिए ही खतरा हैं।


सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला मोर्चा


पाकिस्तान लगातार बलूचिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में किए जा रहे अत्याचारों को लेकर घिर रहा है। पाकिस्तानी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट आरिफ अजाकिया का कहना है कि गिलगित-बालटिस्तान, पीओके जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है और जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। ऐसे में नरेंद्र मोदी को उस गलती को सुधारना चाहिए जो बरसों पहले हो गई थी। आरिफ अजाकिया लगातार पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं, सोशल मीडिया पर उनके वीडियो लगातार वायरल होते हैं।


विदेश मंत्री ने क्या कहा था?


दरअसल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर सवाल हुआ तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और एक दिन भौगोलिक रूप से भी यह भारत में शामिल होगा। इसी के बाद से ही एक नई बहस छिड़ गई है।पाकिस्तान के मसलों पर उन्होंने कहा कि हमारे एक पड़ोसी के साथ कुछ मुद्दे हैं, इसमें सबसे अहम क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म है। जब तक इस मुद्दे का हल नहीं होता और वह (पाकिस्तान) एक सामान्य पड़ोसी की तरह बर्ताव नहीं करता तो ये आगे नहीं बढ़ सकता है।


पाकिस्तान को मिल चुकी कई चेतावनी
सिर्फ विदेश मंत्री ही नहीं बल्कि मोदी सरकार की ओर से कई बड़े नेताओं ने पाकिस्तान को चेताया हुआ है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने ही मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को पीओके भारत को सौंप देना चाहिए। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पाकिस्तान को चेता चुके हैं। राजनाथ ने कहा था कि पाकिस्तान अगर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो वह खंड-खंड हो जाएगा।


गौरतलब है कि पाकिस्तान लगातार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर विवाद कर रहा है और इसे संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन बता रहा है। हालांकि, दुनिया के हर बड़े मंच पर भारत की ओर से दो टूक कहा जा चुका है कि ये भारत का आंतरिक मामला है।


अप्रिय दुर्घटना से हानि की आशंका:धनु

राशिफल


मेष-दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। किसी व्यक्ति से विवाद की आशंका है। पुराना रोग उभर सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। भागदौड़ रहेगी। अपेक्षित कार्यों में विलंब से तनाव रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। जोखिम न लें।


वृष-स्वास्थ्‍य अच्छा रहेगा। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ी समस्या का हल सहज ही प्राप्त होगा। शत्रु पस्त होंगे। सामाजिक प्रतिष्‍ठा में वृद्धि होगी। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। प्रमाद से बचें।


मिथुन-भूले-बिसरे साथियों व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। समय की अनुकूलता बनी रहेगी।


कर्क-अप्रत्याशित लाभ की संभावना है। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। विवाद से दूर रहें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। भाग्य का साथ बना रहेगा।


सिंह-कुसंगति से हानि होगी, बचें। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है।


कन्या-अपना काम प्रसन्नता व उत्साह से कर पाएंगे। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मित्रों तथा रिश्तेदारों का सहयोग करने का अवसर प्राप्त होगा। पारिवारिक चिंता में वृद्धि संभव है।


तुला-आर्थिक नीति में सुधार होगा। नई कार्यप्रणाली पर कार्य होगा। भविष्य में लाभ होगा। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्यों में गति आएगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नए काम मिलेंगे। कोई व्यापारिक समस्या उठ सकती है। धन प्राप्ति सुगम होगी।


वृश्चिक-धर्म-कर्म व पूजा-पाठ में रुचि बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। पारिवारिक जवाबदारी में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। अपेक्षाकृत सभी कार्य समय पर होने से प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ रहेगा।


 


धनु-चोट व दुर्घटना से हानि की आशंका है। कार्य करते हुए कोई लापरवाही न करें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। स्वास्थ्‍य पर व्यय होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। धनार्जन होगा।


मकर-जीवनसाथी के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। वाणी में हल्के शब्दों प्रयोग से बचें। कारोबार में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


कुंभ-भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त लाभदायक रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। आय बढ़ेगी। विवाद से बचें। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। प्रतिद्वंद्वी अपना रास्ता छोड़ेंगे।


मीन-किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग अपना कार्य उत्साह व लगन से कर पाएंगे। संगीत में रुचि जागृत हो सकती है। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।


विश्व में गेहूं उत्पादन (कृषि)

अच्छी फसल लेने के लिए गेहूं की किस्मों का सही चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न अनुकूल क्षेत्रों में समय पर, तथा प्रतिकूल जलवायु, व भूमि की परिस्थितियों में, पक कर तैयार होने वाली, अधिक उपज देने वाली व प्रकाश प्रभावहीन किस्में उपलब्ध हैं। उनमें से अनेक रतुआरोधी हैं। यद्यपि `कल्याण सोना' लगातार रोग ग्रहणशील बनता चला जा रहा है, लेकिन तब भी समय पर बुआई और सूखे वाले क्षेत्रों में जहां कि रतुआ नहीं लगता, अच्छी प्रकार उगाया जाता है। अब `सोनालिका' आमतौर पर रतुआ से मुक्त है और उन सभी क्षेत्रों के लिए उपयोगी है, जहां किसान अल्पकालिक (अगेती) किस्म उगाना पसन्द करते हैं। द्विगुणी बौनी किस्म `अर्जुन' सभी रतुओं की रोधी है और मध्यम उपजाऊ भूमि की परिस्थितियों में समय पर बुआई के लिए अत्यन्त उपयोगी है, परन्तु करनल बंटा की बीमारी को शीघ्र ग्रहण करने के कारण इसकी खेती, पहाड़ी पट्टियों पर नहीं की जा सकती। `जनक' ब्राऊन रतुआ रोधी किस्म है। इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में भी उगाने की सिफारिश की गई है। `प्रताप' पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम उपजाऊ भूमि की परिस्थितियों में अच्छी प्रकार उगाया जाता है। `शेरा' ने मध्य भारत व कोटा और राजस्थान के उदयपुर मंडल में पिछेती, अधिक उपजाऊ भूमि की परिस्थितियों में, उपज का अच्छा प्रदर्शन किया है।


`राज ९११' मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में सामान्य बुआई व सिंचित और अच्छी उपजाऊ भूमि की परिस्थिति में उगाना उचित है। `मालविका बसन्ती' बौनी किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश की अच्छी सिंचाई व उपजाऊ भूमि की परिस्थितियों के लिए अच्छी है। `यू पी २१५' महाराष्ट्र और दिल्ली में उगाई जा रही है। `मोती' भी लगातार प्रचलन में आ रही है। यद्यपि दूसरे स्थानों पर इसको भुलाया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से `डबल्यू जी-३५७' ने बहुत बड़े क्षेत्र में कल्याण सोना व पी वी-१८ का स्थान ले लिया है। भिन्न-भिन्न राज्यों में अपनी महत्वपूर्ण स्थानीय किस्में भी उपलब्ध हैं। अच्छी किस्मों की अब कमी नहीं हैं। किसान अपने अनुभव के आधार पर, स्थानीय प्रसार कार्यकर्ता की सहायता से, अच्छी व अधिक पैदावार वाली किस्में चुन लेता है। अच्छी पैदावार के लिए अच्छे बीज की आवश्यकता होती है और इस बारे में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।


भूमि का चुनाव: गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए मटियार दुमट भूमि सबसे अच्छी रहती है, किन्तु यदि पौधों को सन्तुलित मात्रा में खुराक देने वाली पर्याप्त खाद दी जाए व सिंचाई आदि की व्यवस्था अच्छी हो तो हलकी भूमि से भी पैदावार ली जा सकती है। क्षारीय एवं खारी भूमि गेहूं की खेती के लिए अच्छी नहीं होती है। जिस भूमि में पानी भर जाता हो, वहां भी गेहूं की खेती नहीं करनी चाहिए।


भूमि की तैयारी 
खेत की मिट्टी को बारीक और भुरभुरी करने के लिए गहरी जुताई करनी चाहिए। बुआई से पहले की जाने वाली परेट (सिंचाई) से पूर्व तवेदार हल (डिस्क हैरो) से जोतकर पटेला चला कर, मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। बुआई से पहले २५ कि। ग्रा। प्रति हेक्टेयर के हिसाब से १० प्रतिशत बी। एच। सी। मिला देने से फसल को दीमक और गुझई के आक्रमण से बचाया जा सकता है। यदि बुआई से पहले खेत में नमी नहीं है तो एक समान अंकुरण के लिए सिंचाई आवश्यक है।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (कर्तव्यवाद)

गतांक से...
 मेरे प्यारों, गुरुदेव ने बहुत कुछ वाक्य उच्चारण किया है। परंतु देखो इस संसार में यदि कोई राष्ट्र हुआ है और उसमें कोई राजा हुआ है तो भगवान मन हुआ है। उन्होंने जिस नगरी का निर्माण किया, उस नगरी का नाम अयोध्या है। क्योंकि अयोध्या अष्टचक्र और नौ द्वार वाली एकमात्र नगरी है। उसमें मनु महाराज के वंशजों के द्वारा लगभग 1,75,552 वंशजों ने राष्ट्र का पालन किया है। पालन इसी आधार पर किया गया है कि समाज को कर्तव्यवाद में स्थापित करना है। इससे माता का वियोग नहीं दृष्टिपात किया जाता, पिता का वियोग दृष्टिपात नहीं किया जाता। यह वियोग जब नहीं होगा तब मानव सार्थक बनेगा, पवित्र बनेगा। माता अपने कर्तव्य का पालन करेगी। राजा अपने कर्तव्य का पालन करें। समाज कर्तव्य का पालन करके राजा और प्रजा को कर्तव्यवाद में लाता रहे और वह प्रजा का सेवक स्वीकार करें तो राष्ट्रीयता कुछ नहीं रह पाती। राष्ट्रीय तो देखो आधुनिक काल का जो राष्ट्रवाद चल रहा है। यह कैसा राष्ट्रवाद है? वह समाज को, संपदा को अपना-अपना करके अपने में राजा बनना चाहते हैं। परंतु हे राजन, राष्ट्रीय वाद का निवारण करना होगा। तुम मुझे वैसा कर्तव्य करना होगा। जिससे समाज महान बन जाए, जिससे एक दूसरा प्राणी के रक्त का पीपासी न बन जाए। पिपासी अज्ञानता में बनता है। इसलिए तेरे द्वारा ज्ञान होना चाहिए कि पिपासी स्वार्थ में होता है कर्तव्य वाद का पालन करे तो मुनिवर यह राष्ट्रीयवाद का निवारण हो जाएगा। नाना प्रकार की संपदा में रमने वाला समाज कदापि महान नहीं बन सकता है। मैंने बहुत पुरातन काल से इस समाज को दृष्टिपात किया है। महाभारत काल के पश्चात स्वार्थवाद आया था और स्वार्थवाद क्या था? महाराजा शांतनु ने सबसे प्रथम स्वार्थवाद की भावनाएं ग्रहण की।उसने क्या स्वार्थवाद कििया, अपने पुत्र को कहा कि तू ब्रह्मचारी रहे और मेरा संस्कार होो। पुत्र ने ब्रह्मचर्य के वश में प्रतिज्ञा की और पिता का संस्कार हुआ। उसका परिणाम यह हुआ कि महाभारत काल में स्वार्थवाद आया और स्वार्थवाद में विधाता, विधाता रक्त के पीपासे ही बन गए। अज्ञानता में यदि शांतनु के हृदय में स्वार्थ की भावना ना होती तो यह अनुचित क्रियाकलाप नहीं होता है। तो यह समाज नष्ट नहीं हो सकता था। विद्वानों का ह्रास नहीं हो सकता था। परंतु देखो भाव प्रबल है जब मैं यह उदगीत गाता हूं तो यह मानवता का ह्रास हुआ। उसका परिणाम यहां मेरी पुत्रियों के सिंगार को हनन किया गया उसके पश्चात नाना प्रकार की अज्ञानता में संप्रदायों में संप्रदायिकता का जन्म हुआ वह संप्रदाय आधुनिक काल में जितनी पनप रही है राष्ट्र की है क्योंकि राजा इसलिए नहीं होता है एक ईश्वर बाद में कुछ कह रहा है एक धर्म की विवेचना कुछ कर रहा है धर्म केवल मानव इंद्रियों में समाहित रहता है वह इंद्र देखो इंद्रियों वाले धर्म को लाकर के राजा को उसकी व्याख्या करनी चाहिए जब राजा किसी भी मत से मटकी पूजा में जाता है वहां उस धर्म की प्रशंसा करने लगता है वह मार्ग में जाता है वहां वहां मार्ग की प्रशंसा करता है गुरु में जाता है वहां गुरुओं की प्रशंसा करता है यह राजा निर्णय हो जाता है ऐसे राजा नाना धर्म की जो चर्चा कर रहा है अरे धर्म तो ले प्राणी व्याकरण की दृष्टि से एक ही धर्म धर्म धर्म क्या है मानव का पूजन होगा। मुनिवरो, देखो नेत्र,दृष्टि बात करेंगे तो मानव का पूजन होगा और वह जो दृष्टिपात करेगा तो उसकी अंतरात्मा उसे निकालने लगती हैै। वह नेत्रों में धर्म समाहित रहता है वाणी सदैव सत्य उच्चारण करती है। तो उसका धर्म है। अशुद्ध उच्चारण करती है तो उसका धर्म बन जाता है। वाणी का धर्म सत्य ही उच्चारण करना है। सुगंधी में मानव प्रसन्न रहता है सुगंधी में अपने अंतर हृदय को रखता है। अरे, सुगंधी ही उसका जीवन है। देखो इसी प्रकार प्रथा है उसको प्रेम में मग्न होकर के ज्ञान के द्वारा स्पर्श करता है। मैं उसका धर्म है मेरे प्यारे स्रोतों में शब्द आते हैं। आज का हमारा विचार क्या कह रहा है कि हमें इस समाज को ऊंचा बनाना हैै। मानवता की रक्षा करनी है। मानव दर्शन को अग्रणी बनाना है और राष्ट्र के निवारण के लिए चर्चा की है कि प्रत्येक जो रूढ़िवादी आचार्य है। वह एकत्रित होकर के राजा के संविधान में मैं अपने-अपने विचारों की व्याख्या करें और जो विचार विज्ञान से मानवता से स्थिर हो जाए। वह विचार ,वही रहना चाहिए। आज का विचार यह कह रहा है। मैं अपने पूज्य पाद गुरुदेव को वर्णन करा रहा था। क्योंकि पूजा-पाठ गुरुदेव का वह विचार है। जब इस संसार में कोई भी रूढ़िवाद नहीं था। मानवता के यज्ञ की चर्चा करते हैं विज्ञान की चर्चा कर रहे हैं। आज का विज्ञान भी रूढ़िवादी बना हुआ हैै। परंतु उच्चारण करने के लिए तो बहुत कुछ है। परंतु अब मेरा विचार समाप्त होने वाला है। आज का विचार मैं उच्‍चारण कर रहा हूं कि पूज्‍यपाद गुरुदेव को परिचय करा रहा हूं कि काल एक वाम मार्ग का है जहाां राजा भी वाममार्गी है और मत-मतांतर भी  वाममार्गी हुए हैं। देखो कोई आचार्य गुरु जी कहे जाते हैं उनके मानने वाले रक्त को अपने में भक्षण कर जाते हैं। उससे अपने शरीर को बना रहे हैं। शरीरों का निर्माण केवल इसलिए कि जीवन स्तर बना रहे। यही मेरा कर्तव्य नहीं है। हे मााता, मुझे तो संसार को महान बनाना है। क्योंकि यह प्रभु की सृष्टि है और प्रभु की सृष्टि को महान बनाना हमारा कर्तव्य है। आज का विचार क्या है,तेरे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे। मेरा हृदय गदगद होता है जब यजमान देखो यह अद्भुत यज्ञ का आयोजन होता है। अहिंसा से रहित होता है और धर्म का सदुपयोग किया जाता है। जब प्रत्येक ग्रह में यज्ञ के द्वारा निर्माण का सदुपयोग होता है। वहां पर क्यों  ह्रास हो जाता है? यह आज का वाक्य हमारा समाप्त होने जा रहा है। मैं अपने पूज्य पाद गुरुदेव से आज्ञा पाऊंगा। मेरे प्यारे महानंद जी ने बहुत अच्छे से अपने वाक्य प्रकट किए। वाक्य में बड़ी सार्थकता मुझे प्रतिपादित हो रही हैै। परंतु यह उनकी जो वेदना है जो विडंबना है वह बड़ी विडंबित मेरे हृदय में समाहित हैै। इसलिए जब प्रभु की अनुपमता होगी तो प्राय ऐसे राजा भी होंगेे। ऐसा कोई वाक्य नहीं है परंतु संसार में अपने शब्दों में रत करते रहना चाहिए। अपने विचारों को महानता देनी चाहिए। वायुमंडल में जो विचार भ्रमण करते रहे। किसी न किसी काल में वह महान विचार मानवता के अंतरण को छूकर के पवित्र बना सकते हैं। यह आज का विचार अब समाप्त होने जा रहा है। अब वेदों का पठन-पाठन होगा।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 19, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1.अंक-47 (साल-01)
2.  बृहस्पतिवार,19 सितबंर 2019
3.शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि पंचमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:10,सूर्यास्त 6:10
5.न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

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