मंगलवार, 17 सितंबर 2019

आरपीएफ का सोशल मीडिया प्रयोग बंद

नई दिल्ली। रेलवे सुरक्षा बल के जवानों को सोशल मीडिया के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है। इसी तरह उन्हें धार्मिक कार्यक्रमों से दूरी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। खासतौर पर कहा गया है कि वे वर्दी में अपनी फोटो अपलोड नहीं करें। यह निर्देश रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक (डीजी) अरुण कुमार ने देशभर में जारी किए हैं। पालन नहीं करने वालों को कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। आदेश के बाद सोशल मीडिया में सक्रिय रहने वाले आरपीएफ के जवानों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है। डीजी ने आरपीएफ के अधिकारियों व जवानों के लिए डायरेक्टिव-54 के तहत निर्देश दिए हैं। इस आदेश में डीजी ने सभी को समझाइश दी है और सोशल मीडिया के उपयोग के लिए गाइडलाइन भी जारी की है।
व्यक्तिगत अकाउंट के उपयोग के 33 दिशा-निर्देशों में मुख्य बातों में सबसे अहम बात यह है कि व्यक्तिगत एकाउंट के उपयोग में न आरपीएफ की वर्दी में फोटो, न ही आरपीएफ लोगो या ऐसे जगह का बैकग्राउंड नहीं होना चाहिए, जो कार्यस्थल के महत्वपूर्ण जगहों से संबंधित हो।


आरपीएफ कर्मी के व्यक्तिगत अकाउंट से पोस्ट करने पर जवानों की ही जिम्मेदारी होगी। भले ही उसे परिवार के सदस्यों ने किया हो। सेवा से संबंधित व्यक्तिगत समस्या को सोशल मीडिया से उठाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी तरह धार्मिक संगठनों से जुड़ने व सहभागी बनाने पर पाबंदी लगाई गई है। त्योहारों के दिनों में किसी कार्यक्रम में शामिल होने पर भी रोक लगी है। उन्हें इस दौरान सोशल मीडिया पर भी सक्रिय नहीं रहने की हिदायत दी गई है। इस आदेश का पालन कराने के लिए जोनल व मंडल स्तर पर आरपीएफ के अधिकारियों को निर्देश जारी किया जा चुका है। पोस्ट प्रभारियों को भी डीजी के निर्देशों को कड़ाई से पालन करने कहा गया है। बताया जाता है कि आरपीएफ के जवान आए दिन डीजी को सोशल मीडिया पर अपनी समस्या बता रहे थे और कुछ जवान अपनी समस्या के साथ धार्मिक फोटो भी भेज रहे थे।


जानिए क्या है आदेश में


सोशल मीडिया पर किसी भी त्वरित के सवालों का जवाब नहीं देना। साथ ही अपनी पहचान को गोपनीय बनाए रखना है। रेलवे से जुड़े सीसीटीवी फुटेज को किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा। ऑन ड्यूटी होने विभागीय कार्य व सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं करना है। अनुशासन में रहना है। यह आदेश आरपीएफ के नियमों को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। सभी जवानों को अनिवार्य रूप से नियम व गाइडलाइन का पालन करना होगा। जवान विभागीय कार्य के दौरान सोशल मीडिया पर खुद की फोटो नहीं डालेगा सिर्फ आरपीएफ लोगो का ही प्रयोग करना होगा।


अनुशासन के लिए गाइडलाइन जारी करना जरूरी :रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने मीडिया को बताया कि आरपीएफ में अनुशासन जरूरी है। सोशल मीडिया में कुछ जवान अपनी फोटो डाल रहे थे, जिसमें बैक ग्राउंड साफ नजर आ रहा था। इससे सुरक्षा के लिहाज से गोपनीयता भंग हो रही थी। सोशल मीडिया से दूर रहने के बारे में गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें नियमानुसार कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।


मोदी को जन्मदिन की बधाईयो का तांता लगा

पीएम मोदी को अमित शाह सहित कई नेताओं ने दी जन्मदिन की शुभकामनाएं


मनोज सिंह


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 69 वर्ष के हो गए और इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। नायडू ने अपने संदेश में कहा कि मोदी के सक्षम नेतृत्व में देश लगातार प्रगति कर रहा है। अमित शाह ने मोदी को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि आपके नेतृत्व में उभरते नए भारत ने विश्व में एक मजबूत, सुरक्षित और विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई है।


उन्होंने कहा कि हर भारतीय के जीवन को सुगम बनाने के लिए आपका परिश्रम एवं संकल्प भाव हमारे लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। एक जनप्रतिनिधि, एक कार्यकर्ता और एक देशवासी के रूप में आपके साथ राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में भागीदार बनना सौभाग्य की बात है। ईश्वर से आपके स्वस्थ जीवन एवं दीर्घायु की कामना करता हूं।
पीएम नरेन्द्र मोदी का 69वां जन्मदिन आज, मां से लेंगे आशीर्वाद। शाह ने ट्वीट किया कि विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को और अधिक समृद्ध करने में मोदीजी का अभूतपूर्ण योगदान है। मोदी ने एक सुधारक के रूप में न सिर्फ राजनीति को नई दिशा प्रदान की बल्कि आर्थिक सुधारों के साथ-साथ दशकों से चली आ रही समस्याओं का स्थायी समाधान निकालकर सभी को गौरवान्वित किया।


उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति, निर्णायक नेतृत्व और अथक परिश्रम के प्रतीक एवं देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री मोदीजी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत को प्रतिष्ठा की नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद की। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की कामना करता हूं।


दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें:कुंभ

राशिफल


मेष-बेवजह झगड़े की संभावना है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। बुरी खबर प्राप्त हो सकती है। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न हो सकती है। रोजमर्रा के कामों में रुकावट हो सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। धनार्जन होगा।


वृष-शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थता महसूस करेंगे। व्यावसायिक तथा सामाजिक क्षेत्र में यश प्राप्त होने की संभावना है। प्रतिस्पर्धी पर विजय प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। बाहर घूमने-फिरने जाने का कार्यक्रम बन सकता है। प्रसन्नता बनी रहेगी।


मिथुन-दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे। कोई बड़ा कार्य करने का मन बनेगा। परिवार तथा मित्रों के साथ मनोरंजक समय व्यतीत होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी।


कर्क-नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति हो सकती है। समय मनोरंजक व्यतीत होगा। घर से बाहर यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। समय अनुकूल है। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि हो सकती है। हल्के हंसी-मजाक से बचें। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी।


सिंह-किसी पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की अपेक्षाएं बढ़ेंगी। तनाव रहेगा। कोई बड़ा खर्च सामने आ सकता है।


कन्या-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। स्वास्थ्य साधारणतया अच्छा रहेगा। किसी मनोरंजक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। परिवार के साथ जीवन सुखमय व्यतीत होगा। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।


तुला-परिवार के सदस्यों तथा पार्टनरों के साथ किसी कार्य के बारे में योजना बनेगी। किसी प्रबुद्ध व प्रभावशाली व्यक्ति से सहायता तथा मार्गदर्शन प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। आय बनी रहेगी। आराम का अवसर प्राप्त होगा। विवाद न करें।


वृश्चिक-किसी तीर्थदर्शन का कार्यक्रम बन सकता है। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार के सदस्यों के बारे में चिंता हो सकती है। नौकरी में चैन रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। समय अनुकूल है। कारोबार में वृद्धि होगी।


धनु-स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यर्थ समय व्यतीत होगा। वाहन व मशीनरी आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। बेवजह विवाद से बचें। किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आय बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।


मकर-प्रेम-प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेंगे। घर से बाहर जाने का कार्यक्रम बन सकता है। किसी बड़े व वरिष्ठ व्यक्ति की सहायता से रुके काम बनेंगे। आय में वृद्धि होगी। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। विवाद से बचें।


कुंभ-किसी स्थायी संपत्ति के बड़े सौदे से बड़ा लाभ होने के योग हैं। प्रयास भरपूर करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। पारिवारिक सहयोग से प्रसन्नता में वृद्धि होगी। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। आय में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।


मीन-जल्दबाजी से हानि की संभावना है। किसी भी प्रकार के विवाद में न पड़ें। कोई बड़ी समस्या हो सकती है। पार्टी व पिकनिक का आनंद मनपसंद भोजन के साथ प्राप्त होगा। बौद्धिक तथा रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रमाद न करें।


अमरबेल एकसाकीय परजीवी

अमरबेल एक प्रकार की लता है जो बबूल, कीकर, बेर पर एक पीले जाल के रूप में लिपटी रहती है। इसको आकाशबेल, अमरबेल, अमरबल्लरी भी कहते हैं। प्राय: यह खेतों में भी मिलती है, पौधा एकशाकीय परजीवी है जिसमें पत्तियों और पर्णहरिम का पूर्णत: अभाव होता है। इसीलिए इसका रंग पीतमिश्रित सुनहरा या हल्का लाल होता है। इसका तना लंबा, पतला, शाखायुक्त और चिकना होता है। तने से अनेक मजबूत पतली-पतली और मांसल शाखाएँ निकलती हैं जो आश्रयी पौधे (होस्ट) को अपने भार से झुका देती हैं।इसके फूल छोटे, सफेद या गुलाबी, घंटाकार, अवृत्त या संवृत्त और हल्की सुगंध से युक्त होते हैं।


यह बहुत विनाशकारी लता है जो अपने पोषक पौधे को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। इसमें पुष्पागमन वसंत में और फलागम ग्रीष्म ऋतु में होता है। इसकी लता और बीज का उपयोग औषधि के रूप में होता है। इसके रस में कस्कुटीन (Cuscutien) नामक ऐल्केलायड, अमरबेलीन, तथा पीताभ हरित वर्ण का तेल पाया जाता है। इसका स्वाद तिक्त और काषाय होता है। इसका रस रक्तशोधक, कटुपौष्टिक तथा पित्त कफ को नष्ट करनेवाला होता है। फोड़े-फुंसियों और खुजली पर भी इसका प्रयोग किया जाता है। पंजाब में दाइयाँ इसका क्वाथ गर्भपात कराने के लिए देती हैं। आश्रयी वृक्ष के अनुसार इसके गुणों में भी परिवर्तन आ जाता हैं।


प्रबंधन का महत्व और अध्ययन

प्रबन्ध का महत्त्व 
प्रबंध एक सार्वभौमिक क्रिया है जो किसी भी संगठन का अभिन्न अंग है। अब हम उन कुछ कारणों का अध्ययन करेंगे जिसके कारण प्रबन्ध इतना महत्त्वपूर्ण हो गया है-


(क) प्रबन्ध सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है- प्रबंध की आवश्यकता प्रबंध के लिए नहीं बल्कि संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए होती है। प्रबंध का कार्य संगठन के कुल उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत प्रयत्न को समान दिशा देना है।
(ख) प्रबन्ध क्षमता में वृद्धि करता है- प्रबंधक का लक्ष्य संगठन की क्रियाओं के श्रेष्ठ नियोजन, संगठन, निदेशन, नियुक्तिकरण एवं नियंत्रण के माध्यम से लागत को कम करना एवं उत्पादकता को बढ़ाना है।
(ग) प्रबन्ध गतिशील संगठन का निर्माण करता है- प्रत्येक संगठन का प्रबंध निरंतर बदल रहे पर्यावरण के अंतर्गत करना होता है। सामान्यतः देखा गया है कि किसी भी संगठन में कार्यरत लोग परिवर्तन का विरोध करते हैं क्योंकि इसका अर्थ होता है परिचित, सुरक्षित पर्यावरण से नवीन एवं अधिक चुनौतीपूर्ण पर्यावरण की ओर जाना। प्रबंध लोगों को इन परिवर्तनों को अपनाने में सहायक होता है जिससे कि संगठन अपनी प्रतियोगी श्रेष्ठता को बनाए रखने में सफल रहता है।
(घ) प्रबन्ध व्यक्तिगत उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होता है- प्रबंधक अपनी टीम को इस प्रकार से प्रोत्साहित करता है एवं उसका नेतृत्व करता है कि प्रत्येक सदस्य संगठन के कुल उद्देश्यों में योगदान देते हुए व्यक्तिगत उद्देश्यों को प्राप्त करता है। अभिप्रेरणा एवं नेतृत्व के माध्यम से प्रबंध व्यक्तियों को टीम-भावना, सहयोग एवं सामूहिक सफलता के प्रति प्रतिबद्धता के विकास में सहायता प्रदान करता है।
(ङ) संगठन बहुउद्देश्यीय होता है जो इसके विभिन्न घटकों के उद्देश्यों को पूरा करता है। इन सबको पूरा करने की प्रक्रिया में प्रबन्ध, संगठन के विकास में सहायक होता है तथा इसके माध्यम से समाज के विकास में सहायक होता है। यह श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वस्तु एवं सेवाओं को उपलब्ध कराने, रोजगार के अवसरों को पैदा करने, लोगों के भले के लिए नयी तकनीकों को अपनाने, बुद्धि एवं विकास के रास्ते पर चलने में सहायक होता है।
प्रबंध की प्रकृति 
प्रबंध इतना ही पुराना है जितनी की सभ्यता। यद्यपि आधुनिक संगठन का उद्गम नया ही है लेकिन संगठित कार्य तो सभ्यता के प्राचीन समय से ही होते रहे हैं। वास्तव में संगठन को विशिष्ट लक्षण माना जा सकता है जो सभ्य समाज को असभ्य समाज से अलग करता है। प्रबंध के प्रारंभ के व्यवहार वे नियम एवं कानून थे जो सरकारी एवं वाणिज्यिक क्रियाओं के अनुभव से पनपे। व्यापार एवं वाणिज्य के विकास से क्रमशः प्रबंध के सिद्धांत एवं व्यवहारों का विकास हुआ।


'प्रबंध' शब्द आज कई अर्थों में प्रयुक्त होता है जो इसकी प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं। प्रबंध के अध्ययन का विकास बीते समय में आधुनिक संगठनों के साथ-साथ हुआ है। यह प्रबंधकों के अनुभव एवं आचरण तथा सिद्धांतों के संबध समूह दोनों पर आधारित रहा है। बीते समय में इसका एक गतिशील विषय के रूप में विकास हुआ है। जिसकी अपनी विशिष्ट विशेषताएँ हैं। लेकिन प्रबंध की प्रकृति से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देना आवश्यक है कि प्रबंध विज्ञान है या कला है या फिर दोनों है? इसका उत्तर देने के लिए आइए विज्ञान एवं कला दोनों की विशेषताओं का अध्ययन करें तथा देखें कि प्रबंध कहाँ तक इनकी पूर्ति करता है।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (कर्तव्यवाद)

गतांक से...
 मैं यह विचारता हूं कि जब यह प्रश्‍न्न किया जाए कि राजा इसका निवारण क्या है? इन वाक्यों का, तो निवारण मै उच्चारण किए देता हूं। मैंने कई काल में राष्ट्रीय निवारणओं की चर्चाएं प्रकट की है । संसार के सब राजा एकत्रित हो,अपनी संपदा के आचार्य, अथवा रूढियो के जो संप्रदाय के आचार्य हैं। उनके पक्‍ंती लगाई जाए और उसका शास्त्रार्थ होना चाहिए। जो ज्ञान, यज्ञ और मानव दर्शन पर घटित हो जाए। उसी सिद्धांत को राजा को अपनाना चाहिए। उस सिद्धांत को अपनाकर के अहिंसा परमो धर्म की विधि को अपनाकर के जब राजा  कर्तव्य करेगा तो वह राम राज्य, राष्ट्र का पुन: परिवर्तन हो जाएगा। परंतु देखो जब यहां नाना प्रकार के मत-मतांतर केवल अपनी राष्ट्रीय सत्ता के लिए, इनमें विचार नहीं किया जाता है। वाक्य संबंध नहीं किया जाता है। तो राजा और प्रजा दोनों हिंसक बनते चले जाते हैं। मैं विचारता हूं कि मौलिक सिद्धांत को लिया जाए। विज्ञान के ऊपर जो तत्पर हो धर्म और मानवता के ऊपर जो तपस्या में परिणत हो जाए। उसी को तो हमें स्वीकार करना चाहिए। परंतु वेद को ले लेते हैं वेद के विचारों को देते हैं तो उसमें विज्ञान है। उसमें मानवता है उसमें मानव दर्शन का निर्माण होता है। तो उस धर्म को हमें अपनाना चाहिए। परंतु राष्ट्रीयता का निवारण केवल यही है कि हम उसके निवारण रूपों में कर सकते हैं। चाहे जितने मतांतर हैं उन को समाप्त किया जा सकता है। उनको एक वेदी पर लाया जाए और एक वेदी पर लाकर के जब एक वेदि का प्राणी हो जाता है एक विचार हो जाता है। वायुमंडल में उनके शुद्ध विचार प्रवेश करेंगे तो वायुमंडल भी पवित्र हो जाएगा। राष्ट्र पवित्र बन जाएगा। मानव में से विचारों की सुगंध आना प्रारंभ हो जाएगा। तो इसलिए मैंने बहुत पुरातन काल में कहा कि राष्ट्रीयता का एक ही निवारण होता है। क्योंकि इस राष्ट्र का निर्माण सबसे प्रथम भगवान मनु ने किया था। तो मनु से एक समय एक ऋषि ने प्रश्न किया। हे भगवन, हे मनु, तुमने राष्ट्र का निर्माण क्यों किया है? तो भगवान मनु ने यह कहा कि राजा के राष्ट्र में मछली से लेकर के प्राणी तक किसी का भी हनन नहीं होना चाहिए। क्योंकि राष्ट्र का निर्माण इसलिए होता है कि आज संभव है मानवता को कर्तव्यवाद के लिए मानव को शिक्षा दी जाए। राष्ट्रीय क्या है, राष्ट्र अपने में महान नहीं है परंतु देखो राष्ट्र का पालन इसलिए निर्माण होता है। कि वह अपने मानव कर्तव्य की वेदी पर स्वयं को ला सकें। इसलिए महापुरुषों का निर्वाचन होता है और राजाओं को चुनौती। वशिष्ठ की चुनौती प्रदान करके कहा जाता है कि तू अपने राष्ट्र को ऊंचा बना। मानव समाज को कर्तव्यवाद में लाने के लिए तत्पर हो। परंतु देखो मनु जी का यह सिद्धांत, मनु जी का राष्ट्र का निर्माण किया हुआ, दिखाया मार्ग अपनाओ। मेरे पूज्यपाद गुरुदेव कहा करते हैं कि देखो जब वह समुद्र के तट पर तपस्या करने पहुंचे। कमंडल में जब तर्पण करने लगे तो जल को जब कमांडलो में लिया तो उसमें एक मछली आ गई। वह जब उसको समुद्र में रिक्त करने लगे तो मछली अपने विचार व्यक्त करती है। क्योंकि वह राजा होता है राजा प्रत्येक प्राणी के विचारों को अपने में अनुमान के द्वारा, मंथन के द्वारा समझ सकता है। भगवान ने उस मछली को दृष्टिपात किया तो मछली कहती है। हे भगवान, हे राजन, मैं इसलिए तेरी शरण आई हूं। समुंदरों का यह सिद्धांत है। बड़ी मछली छोटी मछली को अपना आहार बना लेती है और वह प्रबल बनती जाती है। मेरी इच्छा है मैं आपकी शरण में आई हूं, आपके मन में आई हूं आप मेरी रक्षा करो। भक्तिभाव से मनु ने, उन्होंने कमडलं मे प्रवेश कराया। उसमें मछली पनपती रही, प्रबल हो गई विशाल, बन गई और अपने समुंद्र को चली गई। और उसने चलते समय यह कहा हे मनु, कुछ काल के पश्चात वह भविष्यवाणी करने लगी है। मनु कुछ काल के पश्चात समुद्रों में जल प्लावन आएगा और मेरा मिलन समुंदरों से होगा और तुम एक नौका बनवा लेना वह नौका मेरे सिंह से मेरी अनुभूतियों को उसको जकड़ देना मैं तेरी नौका की रक्षा करूंगी। वही तो तुम्‍हारा रक्षक होता है जिसकी तुम रक्षा करो। जिसकी तुम रक्षा करोगे वह तुम्हारी रक्षा करेगा। शरीर के लिए तुम महान बनोगे तो शरीर तुम्हें महान बना देगा।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 18, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1.अंक-46 (साल-01)
2. बुधवार,18 सितबंर 2019
3.शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि चतुर्थी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:10,सूर्यास्त 6:10
5.न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज।‌ उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष अंतर्गत जनपद ...