नई दिल्ली। लंबे समय से पैसों की कमी से जूझ रही और कर्ज के बोझ में दबी एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8 हजार 400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और फॉरेन एक्सचेंज लॉस के चलते कंपनी को भारी घाटा उठाना पड़ा है। एयर इंडिया को एक साल में जितना घाटा हुआ है उतने में तो एक नई एयरलाइंस शुरू की जा सकती है। गौरतलब है कि देश में सफलता से चल रही एयरलाइंस स्पाइसजेट का मार्केट कैपिटल महज 7,892 करोड़ रुपये ही है यानी 8,000 करोड़ रुपये से कम पूंजी में ही इस एयरलाइंस को खरीदा जा सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया की कुल आय 26,400 करोड़ रुपये रही। इस दौरान कंपनी को 4,600 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग लॉस उठाना पड़ा है। बढ़ते तेल के दाम और पाकिस्तान के भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद करने के बाद कंपनी को रोज 3 से 4 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जून की तिमाही में सिर्फ पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने की वजह से एयर इंडिया को 175 से 200 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग लॉस हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2 जुलाई तक एयर इंडिया को पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से 491 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
सोमवार, 16 सितंबर 2019
इंडेक्स सेंसेक्स में 180 प्वाइंट की गिरावट
नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी का असर घरेलू शेयर बाजार पर साफतौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि सऊदी अरामकों के दो बड़े ठिकानों पर हुए हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तूफानी तेजी जारी है। कच्चे तेल की कीमतों में दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट का माहौल है। सोमवार को BSE का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 180.43 प्वाइंट की गिरावट के साथ 37,204.56 के स्तर पर खुला। वहीं NSE का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 81.05 प्वाइंट की की कमजोरी के साथ 10,994.85 के स्तर पर खुला है।
घट सकती है क्रूड की सप्लाई
दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी सऊदी अरामको के दो बड़े ठिकानों पर शनिवार सुबह हुए ड्रोन हमले के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति में 5 फीसदी तक की कमी आ सकती है। हमलों की वजह से कंपनी के उत्पादन में 50 फीसद तक की कमी आई है. इस हमले के बाद फिर से पर्शिया की खाड़ी (Persian Gulf) समेत भारत के लिए चिंता बढ़ गई है। कच्चे तेल के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ आयातक देश है।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में गिरावट
शुरुआती कारोबार में (9:25 PM) सेंसेक्स-निफ्टी में लाल निशान में कारोबार होते हुए देखा गया। फिलहाल सेंसेक्स में करीब 200 प्वाइंट की कमजोरी के साथ 37,190 के करीब कारोबार हो रहा है। वहीं निफ्टी में 11,000 के नीचे कारोबार हो रहा है।
किन शेयरों में रही तेजी-मंदी
सोमवार को शुरुआती कारोबार में BPCL, IOC, एशियन पेंट्स, यस बैंक, रिलायंस, भारती इंफ्राटेल, UPL, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोटक महिंद्रा, मारूति सुजूकी, इंडसइंड बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील, HDFC, ICICI बैंक में गिरावट के साथ कारोबार दर्ज किया गया। दूसरी ओर कारोबार की शुरुआत में ONGC, टाइटन कंपनी, TCS, गेल, टेक महिंद्रा, हीरो मोटोकॉर्प, विप्रो, HUL, इंफोसिस में मजबूती के साथ कारोबार हुआ।
बुरी खबर प्राप्त हो सकती है:मीन
राशिफल
मेष-पहले की गई मेहनत का फल मिलेगा। मित्रों व रिश्तेदारों का सहयोग करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। जल्दबाजी से बचें। कठिन कार्य सहज ही सफल होंगे। चिंता रहेगी।
वृष-भूले-बिसरे संबंधी साथी मिलेंगे। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। व्यय होगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होगा।
मिथुन-भेंट व उपहार की प्राप्ति हो सकती है। यात्रा से लाभ होगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। आलस्य न कर भरपूर प्रयास करें। भाग्य का साथ बना है। समय का लाभ लें। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। किसी बड़े काम को करने की प्रबल इच्छा होगी। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।
कर्क-फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। किसी के उकसाने में आकर या भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। लेन-देन में जल्दबाजी से बचें। पुराना रोग उभर सकता है।
सिंह-रुका हुआ पैसा मिलने के योग हैं। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। किसी से कहासुनी हो सकती है। परिवार की चिंता रहेगी। प्रमाद न करें।
कन्या-नए काम मिलने के योग हैं। कोई नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बनेगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। नौकरी में चैन रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
तुला-किसी धर्मस्थल के दर्शन इत्यादि का कार्यक्रम बन सकता है। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। विवाद को टालें। कारोबार से लाभ होगा।
वृश्चिक-चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि हो सकती है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। शत्रु पस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। मित्रों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा।
धनु-प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार देना पड़ सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। कारोबार अच्छा चलेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। विवाद से बचें। समय सुखमय व्यतीत होगा। आय में वृद्धि होगी। अपेक्षाकृत सभी कार्य समय पर पूरे होंगे। प्रमाद न करें।
मकर-भूमि व भवन संबंधी सभी रुके कार्यों में गति आएगी। पार्टनरों से सहयोग प्राप्त होगा। प्रतिद्वंद्वी मैदान छोड़ेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। उन्नति होगी।
कुंभ-लेखन-पठन-पाठन आदि के काम उत्साह व लगन से कर पाएंगे। पार्टी व पिकनिक आदि की योजना बनेगी। मनोरंजन का अवसर प्राप्त होगा। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। जल्दबाजी न करें। समय की अनुकूलता का लाभ लें।
मीन-कोई बुरी खबर प्राप्त हो सकती है, धैर्य रखें। मेहनत अधिक होगी। समय पर काम न होने से खिन्नता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। नौकरी में उच्चाधिकारियों की अपेक्षा बढ़ेगी। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आय में निश्चितता रहेगी।
पपीता है अनेक लाभकारी
भारत में पपीता अब से लगभग ३०० वर्ष पूर्व आया। आरंभ में भारतवासियों ने फलों में हीक के कारण इसको कदाचित् अधिक पसंद नहीं किया, परंतु अब अच्छी और नई किस्मों के फलों में हीक नहीं होती। शीघ्र फलनेवाले फलों में पपीता अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं।
इसके पेड़ कोमल होते हैं और पाले से मर जाते हैं। ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, इसको नहीं लगाना चाहिए। यहाँ उपजाऊ, दुमट भूमि में अच्छा फलता है। ऐसे स्थानों में जहाँ पानी भरता हो, पपीता नहीं बढ़ता। पेड़ के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। पपीते के खेत में पानी का निकास अच्छा होना चाहिए। इसका बीज मार्च से जून तक बोना चाहिए। प्राय: अप्रैल मई में बीज बोते हैं और जुलाई अगस्त में पेड़ लगाते हैं। यदि सिंचाई का सुप्रबंध हो तो फरवरी मार्च में इसका पेड़ लगाना अति उत्तम होता है। पेड़ लगाने के लिये पहले आठ या दस फुट के फासले से डेढ़ या दो फुट गहरे गोल गड्ढे खोद लेने चाहिए। गड्ढे के केंद्र में पेड़ लगाना चाहिए। पेड़ों की सिंचाई के लिये उनमें छल्लेदार थाले बनाकर आवश्यकतानुसार पानी देते रहना चाहिए। पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा पेड़ अलग होते हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल आते हैं। इनमें फल नहीं लगते। जब पेड़ फलने लगते हैं तो केवल १० प्रतिशत नर पेड़ों को छोड़कर अन्य सब नर पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए।
पपीते के पेड़ में तीन या चार साल तक ही अच्छे फल लगते हैं। आवश्यकतानुसार यदि तीसरे चौथे साल पपीते के दो पेड़ों के बीच बीच में नए पेड़ लगते रहें तो चौथे पाँचवें साल नए फलनेवाले पेड़ तैयार होते जाते हैं। नए पेड़ तैयार हो जाने पर पुराने पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए। इसकी मुख्य किस्में हनीड्यू (मधुविंदु), सिलोन, राँची आदि हैं। पपीता खाने के अनेको लाभ है।
यमाचार्य नचिकेता वार्ता (धर्मवाद)
गतांक से...
मेरे पूज्यपाद गुरुदेव इससे पूर्व के काल में राजा रावण की चर्चा कर रहे थे। राजा रावण के राष्ट्र में भी यह घोषणा थी कि मेरे राष्ट्र में याज्ञिक होने चाहिए और वह स्वयं अश्वमेघ यज्ञ भी करते थे। प्रजा-राजा मिलकर के अश्वमेघ जब होता है। परंतु यहां महाभारत काल के पश्चात के विद्वानों ने, उनको मैं विद्वान तो नहीं कह सकता। परंतु अर्थ का अनर्थ नही करना चाहता,यागो में घोड़े के मांस की आहुति देना प्रारंभ किया। राजा उसे कहते हैं जो राजा है, प्रजा को ऊंचा बनाने वाला हो और अश्वमेध यज्ञ करने वाला हो । राजा और प्रजा में जो दोनों मिलकर के यज्ञ करते हैं उसको अश्वमेघ यज्ञ कहते हैं। परंतु देखो यहां अर्थों का अनर्थ हुआ है। राजा मे भी अब उसे कहते हैं जो द्वितीय को अपने हृदय को विजय करने वाला हो। राष्ट्र को विजय करने वाला हो। परंतु देखो आज यज्ञ का अभिप्राय, आधुनिक इस महाभारत काल के पश्चात रसवादन करने वालों ने वाममार्ग में यह अपनाया की बकरी के मांस की आ हुती देना प्रारंभ किया। परंतु देखो यह विद्वानों की सब रसना स्वान की चर्चाएं है।कोई मानव यह कहता है कि मेरी मांस उदर की पूर्ति होती है तो मैं कहता हूं कि यह तुम्हारी रसना है। अपने शरीर को एक मुर्दालय की एक स्थली बनाया है। जिसको तुम पान करते रहते हो और यज्ञो का तिरस्कार करने से, समाज ऐसा बन गया है। आज मैं संसार के भ्रमण करने के पश्चात उदगीत गाताचला आ रहा हूं । संसार का प्राणी इस समय वर्तमान काल में आवर्तीयों में 95% के लगभग देखो मांस और सुरापान का है। परंतु देखो इतना पुरातन संसार में रह रहा है। कितना अपने शरीर को नष्ट कर रहे हैं। आज हम यह कल्पना करने लगे कि राम राज्य आ जाए या कृष्ण की वह राजसभा आ जाए और ऋषि-मुनियों का वह काल जाए। तो मुझे बड़ा आश्चर्य में दृष्टिपात आता रहता है। मैं इसको स्वीकार किसी-किसी काल में करता रहता हूं। देखो बीज का अंकुरण रहा है। परंतु देखो जब हम यह भी चाहते हैं कि मैं अपने गुरुदेव से चर्चा करता रहता हूं। हे भगवान, इस प्रकार का जो यह समाज बन रहा है। यह जो समाज बन रहा है यह कहां जाएगा। प्रभु, परंतु आज मैं यही कहने आया हूं मेरा अंतर हृदय गदगद हो रहा है। ऐसे वामरगी काल में जिसने धर्म मुद्रा को विशेष मान लिया है। ऐसे काल में अपने धर्म का सदुपयोग कर रहा है। यह तेरे जीवन का सौभाग्य है। तेरी मानवता का सौभाग्य है। मेरे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे। जिससे तू अपने धर्म का सदुपयोग करता रहे। अपने गृह में हमारे यहां महाभारत के काल से पूर्व राम के काल में समाज की कथा देखो उनकी विचित्रता का वर्णन करता है। राम के काल में माता-पिता से प्रथम पुत्र का हनन नहीं होता था। मृत्यु नहीं होती थी। उसका मूल क्या है? उसके मूल में प्रत्येक ग्रह में यज्ञ होता था। माता-पिता संयमी बन करके और ओजस्वी संतान को जन्म देते थे। माता-पिता अपने गर्भ स्थल में ही बालक को बनाना प्रारंभ करते थे । वेद की ध्वनियों की ध्वनि में ध्वनित कर रही, अपने अंग-अंग को जब वेद की ध्वनि से ध्वनित कर रही है। तो माता के गर्भ में बालक का निर्माण हो रहा है। परंतु वह निर्माण इतने पूर्ण आयु की आत्मा अर्पित संस्कारों से निर्माण हो रहा है।माता-पिता से पूर्व उस बालक का हनन नहीं होता है। माता-पिता अपनी संतानों का उपार्जन करते है। अंत में देखो वह प्रसन्न होकर के संसार से जाते हैं। आज संसार नार्किक है क्योंकि देखो आहार और व्यवहार, तिरस्कार होने से यह होता है कि माता का पुत्र माता से प्रथम समाप्त हो जाता है। माता का अंतरण दुखी हो जाता है। वही वायुमंडल की धारा ग्रह में प्रवेश होती है। वायुमंडल में जाती है विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है। तो वह वायुमंडल दूषित हो रहा है वायुमंडल के दूषित होने का परिणाम यह है कि हमारे यहां देखो ध्वनी पवित्र नहीं रहती है। ध्वनि में ध्वनि बन गई है। क्योंकि संसार में एक वस्तु का मिलन हुआ है और उसका विच्छेद होता है तो वही अपार कष्ट है। परंतु जो वस्तुओं में प्राप्त हुई है वह जो कि त्यो बनी रहती है तो उसका कष्ट नहीं होता और वह उसमें रुग्णता नहीं आती। तो इसलिए मैंने भगवान राम के काल की चर्चा की है। प्रथम जब मांस का,सुरा पान जिस भी काल में मानव स्वार्थ में परिणत हो जाएगा। राष्ट्र में यज्ञ नहीं रहेगा तो वहां माता पिता और पुत्र का अभियोग सदैव अपने में ग्रहण करते रहेंगे और जब मानव निस्वार्थ हो जाता है। कर्म के आधार पर अपने जीवन को व्यतीत करता है कर्तव्यवाद की बेदी पर आता है। तो न विज्ञान का दुरुपयोग होता है ना देखो यह दूषित वायु मंडल बनता है। यह पवित्रता में रहने वाला ज्ञान और विज्ञान अपने में सार्थक बन करके रहता है। मैं अपने पूज्यपाद गुरुदेव से वर्णन कराने आया हूं कि आधुनिक काल का जो राष्ट्रवाद है। संसार का पृथ्वी मंडल पर कोई भी राष्ट्र नहीं रहा है। यह केवल रक्त भरी क्रांति की स्थली बनती चली जा रही है। यहां मत-मतान्तरो के कारण इस प्रति मंडल पर एक मानव, मानव को हनन करने के लिए तत्पर हो रहा है। उसके मूल में क्या है? राजा हिंसक बने हुए हैं, राजा हिंसा की वेदी पर परिणत हो रहा है। जब राजा हिसंक हो गया तो परिणाम क्या हो रहा है। उसका परिणाम है कि मानव का हृदय हिंसा मे तत्पर रहता है।
सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा
हिंदी भाषा विश्व की तीसरी और भारत में यह सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा को हम सभी समझते हैं, जानते हैं और बोलते हैं। बड़ी प्यारी सी सरल भाषा है हिंदी। किसी न किसी रूप में इसका हम उपयोग जरूर करते हैं। हम अपने विद्यालय में, अपने दोस्तों से खेल के मैदान पर हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। हम कोई वस्तु खरीदने जाते हैं जैसे फूल-सब्जी या अन्य कोई सामान तो हम दुकानदार से हिंदी में ही बात करते हैं।
हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वह आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है।
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है|
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
अर्थ –
निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति सम्भव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है, और मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण सम्भव नहीं है। हमे विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिए, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिए।
हिंदी भाषा का इतना अधिक महत्व है कि बिना हिंदी को इन्टरनेट से जोड़े लोगो को इन्टरनेट से नही जोड़ सकते है और जब कोई भी काम अपनी भाषा में हो तो यह लोगो को जल्दी समझ में आती है इसी कारण अब इन्टरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा के रूप में अपना लिया है जिससे हर भारतीय अब आसानी से इन्टरनेट से जुड़ सकता है।
सही अर्थो में कहा जाए तो अगर हम अपनी मूलभाषा हिंदी का प्रचार- प्रसार करे तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपनी हिंदी भाषा के माध्यम से एकता मे जोड़ा सकता है।
हिंदी के महत्व को देखते हुए प्रत्येक 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाधा जा सकता है।
मधुर,मधुर मनोहारी है।
हिंदी भाषा प्यारी है॥
अद्भुत शान हमारी है।
अपनी हिंदी प्यारी है॥
तो आईये हम सब लोगो को अधिक से अधिक हिंदी भाषा के महत्व को समझाए और पूरे विश्व में हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाये और खुद एक हिन्दीभाषी बने।
इंद्र सिंह
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
september 17, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-45 (साल-01)
2. मगंलवार,17 सितबंर 2019
3.शक-1941,अश्विन, कृष्णपक्ष,तिथि तीज,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 6:10,सूर्यास्त 6:10
5.न्यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्ंकरण) प्रकाशित।
8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102
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cont.935030275
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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