रविवार, 15 सितंबर 2019

पूर्व सीएम को ले गई एसआईटी टीम

रायपुर। बहुचर्चित नान घोटाले में ईओडब्लू ने आज एकाउंट आफिसर चिंतामणि चंद्राकर को गिरफ्तार कर लिया। खबर है, ईओडब्लू ने कल दुर्ग से उन्हें हिरासत में लिया था। अभी राजधानी के किसी गुप्त ठिकाने में चिंतामणि से पूछताछ की जा रही है। संकेत हैं, शाम तक ईओडब्लू इसका खुलासा करेगा।
36 हजार करोड़ का नान घोटाला जब उजागर हुआ था, चिंतामणि नान के रायपुर आफिस में एकाउंट आफिसर थे। नान की चर्चित लाल डायरी में चिंतामणि का नाम कोड वर्ड में कई जगह सीएम साहब लिखा हुआ था। सीएम साहब को इस डेट में इतना पैसा दिया गया तो इस तारीख को इतना। नान के मुख्य आरोपी शिवशंकर भट्ट ने दो रोज पहिले जो शपथ पत्र दिया, उसमें भी चिंतामणि का जिक्र था।
नान मामले की एसआइटी गठित होने के बाद ईओडब्लू की टीम ने सबसे पहले चिंतामणि के ठिकानों पर दबिश देकर बड़े पैमाने पर अवैध संपति का पर्दाफाश किया था। रायपुर, दुर्ग, कांकेर से लेकर बंगलोर तक में चिंतामणि के नाम से प्लाट और मकान मिले थे।
हालांकि, मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से एसआइटी के अधिकारी इस चिंतामणि की गिरफ्तारी की पुष्टि करने से बच रहे हैं। मगर सीनियर आफिसर ने यह जरूर माना कि चिंतामणि को दुर्ग से रायपुर लाया गया है। और, उससे पूछताछ चल रही है। बताते हैं, एसआइटी के अफसर आज सुबह छह बजे चिंतामणि के दुर्ग स्थित घर पहुंचे थे। दरवाजा खटखटाने पर पहले तो चिंतामणि ने दरवाजा नहीं खोला। मगर बाद में जब काफी शोर होने लगा तो चिंतामणि की पत्नी ने दरवाजा खोला। चिंतामणि का लेकर एसआइटी रायपुर के लिए निकल आई।


नान घोटाले में शिवशंकर भट्ट ने शपथ पत्र देकर पूर्व सीएम रमन सिंह, खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले, नान के पूर्व एमडी और रिटायर आईएफएस अधिकारी कौशलेंद्र सिंह का नाम लेते हुए उन्हें नान कांड का मुख्य षडयंत्रकारी बताया था।


होम लोन पर मिलेगी 3:50 लाख की छूट

नई दिल्‍ली। मोदी सरकार ने सुस्त पड़े रियल एस्टेट में जान फूंकने के लिए कई कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को घर खरीदारों को 1.5 लाख रुपए की होम लोन के ब्याज पर अतिरिक्त छूट देने का एलान किया है। इसके तहत शहरों में 45 लाख तक का घर खरीदने पर लोगों को छूट मिलेगी। इसके तहत लोग अब होम लोन पर कुल 3.5 लाख रुपये की छूट पा सकेंगे। हालांकि इसका फायदा केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा जो 31 मार्च 2020 तक घर खरीदेंगे।


इसके अलावा सरकार गांवों में 1.95 करोड़ घर 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत बनाकर के देगी। इन घरों में शौचालय, बिजली और एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा। हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की सहायता करने के लिए सरकार अपनी तरफ से मदद देगी। वहीं लोग कम ब्याज पर घर, गाड़ी और व्हाईट गुड्स खरीद सकेंगे। इसके अलावा नेशनल हाउसिंग बोर्ड से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। क्रेडिट गांरटी योजना के तहत इन कंपनियों को एक लाख करोड़ की अतिरिक्त मदद बैंकों से दी जाएगी।


व्यापार-व्यवसाय अच्छा रहेगा: मिथुन

राशिफल


मेष-लाभ के अवसर अचानक बनेंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। पुराने किए गए प्रयासों का लाभ अब मिल सकता है। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। यश बढ़ेगा। आय में वृद्धि के योग हैं। चोट व रोग की तरफ से सावधानी रखें। भय रहेगा।


वृष-फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। चिंता रहेगी। घर में मेहमानों का आवागमन रहेगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड में लाभ होगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें।


मिथुन-लेन-देन में जल्दबाजी तथा कार्य करते समय लापरवाही न करें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा!


कर्क-शारीरिक कष्ट से कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। कुसंगति से हानि होगी। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार ठीक चलेगा।


सिंह-सुख के साधन जुटेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। पारिवारिक चिंता रहेगी। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। सावधान रहें।


कन्या-लाभ में वृद्धि होगी। नए कार्यकारी अनुबंध हो सकते हैं। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। समाजसेवा करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम न लें।


तुला-दुष्टजनों को पहचानना आवश्यक है। उनसे दूर रहने के प्रयास करें। किसी धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हो सकता है। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। कोर्ट-कचहरी व सरकारी कार्यालयों में काम अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।


वृश्चिक-कोई पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी इत्यादि के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक हानि की आशंका प्रबल है। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। विवाद की आशंका है। शत्रु सामना नहीं कर पाएंगे। लाभ होगा। नौकरी में तनाव रहेगा।


धनु-किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में अधीनस्थों का सहयोग प्राप्त होगा। उत्साह व प्रसन्नता बने रहेंगे!


मकर-पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग अनुकूल रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। लाभ में कमी हो सकती है। स्थायी संपत्ति की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। कारोबार अच्छा चलेगा। रोजगार में वृद्धि होगी। कोई बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। लापरवाही न करें।


कुंभ-किसी मनोरंजक आनंददायी यात्रा की योजना बनेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। रचनात्मक कार्यों में रुचि जागृत होगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। घर-बाहर जीवन सुखमय व्यतीत होगा।


मीन-कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। विवाद हो सकता है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा।


काला नमक की विशेषताएं

काला नमक (बंगला : बिट लबन (বিট লবণ); नेपाली: बिरे नुन ; काला नमक ; गुजराती: સંચળ संचल)


भारतीय उपमहाद्वीप में निर्मित और भारतीय भोजन में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाने वाला खाद्य नमक है। काले नमक का प्रयोग चाट, चटनी, रायता और कई अन्य भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। भारतीय चाट मसाला, अपनी खुशबू और स्वाद के लिए काले नमक पर निर्भर करता है।


काले नमक में मुख्यतः सोडियम क्लोराइड होता है। इसके अतिरिरिक्त इसमें सोडियम सल्फेट, आइरन सल्फाइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि की कुछ मात्रा भी मिश्रित होती है। सोडियम क्लोराइड के कारण ही यह नमकीन स्वाद देता है, आइरन सल्फाइड के कारण इसका गहरा बैंगनी रंग दिखता है और सभी सल्फर लवण इसके विशिष्ट स्वाद और गंध के लिये जिम्मेदार हैं। इनमें से हाइड्रोजन सल्फाइड मुख्यत: इसके गंध का कारण है।


कुछ स्रोतों में काला नमक बनाने की निम्नलिखित विधि बतायी गयी है-काला नमक को बनाने के लिए नमकीन पानी में हरड़ के बीज डाल कर उबाला जाता है, उबलने के बाद पानी तो भाप बन कर उड़ जाता है और शेष बचता है क्रिस्टलीय नमक, जिसका रंग काला होता है इसलिए इसका नाम काला नमक है। जब इसे पीसा जाता है तब इसका पाउडर गुलाबी हो जाता है। रासायनिक रूप से, काला नमक सोडियम सल्फाइड होता है जिसमे कुछ मात्रा मे, खनिज लवण भी होते हैं। इसका उत्पादन सोडियम थाओसल्फेट के निर्माण के दौरान एक बायप्रोडक्ट के तौर पर भी होता है।


उपयोग 
काले नमक को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति में एक ठंडी तासीर का मसाला माना जाता है और इसका प्रयोग एक रेचक और पाचन सहायक के रूप में किया जाता है। यह भी माना जाता है कि यह पेट की गैस (उदर वायु) और पेट की जलन में राहत प्रदान करता है। इसे कभी कभी उच्च रक्तचाप या कम नमक का आहार लेने वाले व्यक्ति भी प्रयोग करते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इसमे आम नमक की तुलना में कम सोडियम होता है और यह रक्त में सोडियम की मात्रा में वृद्धि नहीं करता है। हरड़ के बीजों को आयुर्वेदिक चिकित्सा में कामोत्तेजक माना जाता और यह रक्तचाप को कम करने और जलन में मदद करता है। इस आशय का कारण हरड़ के बीजों का सल्फ्यूरस यौगिक हैं जो निर्माण प्रक्रिया के दौरान काला नमक का हिस्सा बन जाते हैं।काले नमक को इसके अंडे जैसे स्वाद के चलते शाकाहारी लोगों द्वारा पसन्द किया जाता है, उदाहरण के लिए, इसका इस्तेमाल मसाला टोफू को अंडा सलाद जैसा स्वाद देने के लिए किया जाता है।


जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन

बाल विकास (या बच्चे का विकास), मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों को कहते हैं, जब वे धीरे-धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं। चूंकि ये विकासात्मक परिवर्तन काफी हद तक जन्म से पहले के जीवन के दौरान आनुवंशिक कारकों और घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए आनुवंशिकी और जन्म पूर्व विकास को आम तौर पर बच्चे के विकास के अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है। संबंधित शब्दों में जीवनकाल के दौरान होने वाले विकास को सन्दर्भित करने वाला विकासात्मक मनोविज्ञान और बच्चे की देखभाल से संबंधित चिकित्सा की शाखा बालरोगविज्ञान (पीडीऐट्रिक्स) शामिल हैं। विकासात्मक परिवर्तन, परिपक्वता के नाम से जानी जाने वाली आनुवंशिक रूप से नियंत्रित प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप या पर्यावरणीय कारकों और शिक्षण के परिणामस्वरूप हो सकता है लेकिन आम तौर पर ज्यादातर परिवर्तनों में दोनों के बीच का पारस्परिक संबंध शामिल होता है।


(बच्चे के विकास की अवधि के बारे में तरह-तरह की परिभाषाएँ दी जाती हैं क्योंकि प्रत्येक अवधि के शुरू और अंत के बारे में निरंतर व्यक्तिगत मतभेद रहा है।)बाल विकास में विकासात्मक अवधियों की रूपरेखा।कुछ आयु-संबंधी विकास अवधियों और निर्दिष्ट अंतरालों के उदाहरण इस प्रकार हैं: नवजात (उम्र 0 से 1 महीना); शिशु (उम्र 1 महीना से 1 वर्ष); नन्हा बच्चा (उम्र 1 से 3 वर्ष); प्रीस्कूली बच्चा (उम्र 4 से 6 वर्ष); स्कूली बच्चा (उम्र 6 से 13 वर्ष); किशोर-किशोरी (उम्र 13 से 20 वर्ष) हालाँकि, ज़ीरो टू थ्री और वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर इन्फैन्ट मेंटल हेल्थ जैसे संगठन शिशु शब्द का इस्तेमाल एक व्यापक श्रेणी के रूप में करते हैं जिसमें जन्म से तीन वर्ष तक की उम्र के बच्चे शामिल होते हैं; यह एक तार्किक निर्णय है क्योंकि शिशु शब्द की लैटिन व्युत्पत्ति उन बच्चों को सन्दर्भित करती है जो बोल नहीं पाते हैं।


बच्चों के इष्टतम विकास को समाज के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसलिए बच्चों के सामाजिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक और शैक्षिक विकास को समझना जरूरी है। इस क्षेत्र में बढ़ते शोध और रुचि के परिणामस्वरूप नए सिद्धांतों और रणनीतियों का निर्माण हुआ है और इसके साथ ही साथ स्कूल सिस्टम के अंदर बच्चे के विकास को बढ़ावा देने वाले अभ्यास को विशेष महत्व भी दिया जाने लगा है। इसके अलावा कुछ सिद्धांत बच्चे के विकास की रचना करने वाली अवस्थाओं के एक अनुक्रम का वर्णन करने की भी चेष्टा करते हैं।


राष्ट्र की महानता (कर्तव्यवाद)

गतांक से...
 परंतु वायुमंडल में अशुद्ध शब्दों का मिलान हो रहा है। उसके पश्चात भी मैं अपने यजमान का यह वाक्‌ उच्चारण करता रहता हूं। हे यजमान, तेरे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे। यह जो काल चल रहा है। वाममार्ग का काल चल रहा है। यहां उल्टे मार्ग पर जाने वाला समाज है। जब यह एकांत स्थली में विद्यमान होता है तो वह मांस और सुरा पान की ही चर्चा करता है। यह अपनी कृतियों की चर्चा करता है । परंतु मानवता की चर्चा इस के द्वार से नष्ट होती जा रही है। मैंने बहुत पुरातन काल में अपने पूज्य पाद गुरुदेव को यह वर्णन कराया था कि यह ऐसा विचित्र एक कर्म है जो सृष्टि के प्रारंभ से चला रहा है। सृष्टि के प्रारंभ से यह यज्ञ कर्म चला आ रहा है। सुगंधित होना चाहता है। वह किसी भी स्त्री-पुरुष पर रहता है, किसी भी रूप में रहता है। उसके हृदय में एक आकांक्षा है कि मैं सुगंधित हो जाऊं। सुगंधी की भी नाना अग्नियों का चयन करता रहता है । परंतु जब मैं यह विचारता हूं कि यह नाना प्रकार की जो अग्नि है। वह अपने में निहित हो करके हमें विचित्र बना सकती है। यदि हम उनको जानने का प्रयास करें। परंतु देखो जब यहां ब्रह्म-जगत में महाभारत के काल के पश्चात की वार्ता है। पूज्‍यपाद गुरुदेव तो इन वाक्यों को इतने विस्तृत रूप से जानते नहीं। परंतु मैं इनको परिचय कराता रहता हूं। हमारा यह परिचय रहता है कि महाभारत के काल के पश्चात यहां नाना प्रकार के विचार और वाम मार्ग संप्रदाय का यहां एक उधरवा में रूप धारण किया गया। उस वाम मार्ग में देखो यह और मेरी प्यारी माताओं का तिरस्कार प्रारंभ किया। दोनों का तिरस्कार जब महाभारत के काल के पश्चात हुआ। नाना प्रकार के मत मत-मतातंरो में यह समाज, यह मानव समाज का बंटवारा बन गया। नाना मत-मतंरो का सबसे प्रथम बौद्ध काल में यह कहा गया। जब बोदॄ का काल आया कि मैं ऐसे वेद को स्वीकार नहीं करता। जिस में हिंसा हो, उसका परिणाम यह हुआ कि वाम मार्ग का विस्‍तार हुआ,वह बौद्ध काल के मानव ने यह नहीं विचारा न महात्मा बुध में यह विचार आया कि इस वेद का अध्ययन तो करना चाहिए। जब एक-एक वेद के मंत्रों के जो भी अर्थ है, वैज्ञानिक अर्थ है, मानव के व्यवहारिक अर्थ है। उसको न मानना ही एक बुदॄ समाज का ह्रास हो गया। बुद्ध समाज में बौद्धिक ऋषियों ने उन्होंने भी मांस का आहार प्रारंभ किया। उसका परिणाम यह हुआ कि यहां नाना प्रकार की रूढ़ियों का प्रादुर्भाव हुआ। महात्मा बुध के कार्यकाल के पश्चात नाना प्रकार की रूढियां बनी और वह वाम मार्क का समाज था। उसने वेदों की अवहेलना की, यज्ञो में मांस की आहुतियां प्रदान करने लगे। तो यज्ञ का तिरस्कार हो गया। वैदिक साहित्य का ह्रास हो गया जब विचारा तो हम यहां जैन काल में भी ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि मैं तपस्या को प्रथम स्वीकार करता हूं। वेद के एक अंग को अपनाया है तपस्या का अंग। परंतु देखो सर्वांग अंग वह प्राणी होता है जो यज्ञ जो सुगंधी और विचार सुगंधी और इसका संबंध करके परिणत होता है। तो वह सर्वत्र, पूर्ण, देखो वह एक समिधा के रूप में उसका जीवन बन जाता है। जब मैं यह भी जानता हूं कि कितना तिरस्कार हुआ है? मेरी पुत्रियों को यहां, देवियों का तिरस्कार हुआ। तो देखो यहां दूरी तम, देखो संतान का जन्म होना आरंभ हुआ। परंतु देखो, उनके जन्म के पश्चात वैदिक सिद्धांतों की अवहेलना करने वाला समाज बन गया। जब मैंने विचारा की अश्व तम ब्रह्म महात्मा बुध का परिणाम यह बना कि बौद्ध काल के जानने वालों का राष्ट्र हुआ। महात्मा महावीर के मानने वालों का राष्ट्र हुआ। तो यहां जितना वैदिक साहित्य था वह कुछ को त्याग करके अग्नि के मुख में परिणित कर दिया था कि ऐसे वैदिक साहित्य को हम स्वीकार नहीं करें। इसमें हिंसा है। परंतु उन भोले प्राणियों ने अध्ययन नहीं किया। उसका अध्ययन कर लेते तो यह अज्ञानता या यज्ञ का तिरस्कार नहीं हो सकता था। यज्ञ का तिरस्कार जब होता है जब अज्ञान की प्रतिभा का जन्म होता है। अपनी सुगंधी को नष्ट कर देता है। इसी प्रकार जब देखो यहां वैदिक काल समाप्त हुआ तो इसमें इतनी हीनता को जैन और देखो बौद्ध समाज ने, इस समाज को इतना निर्दयी और ऋणी बना दिया कि उसमें ऐसी निर्लज्जता आ गई। कुरीतियां बन गई। वीरता का देखो स्थान समाप्त हो गया। उसका परिणाम यह हुआ कि नाना प्रकार के देखो या यमनो का कॉल आ गया। यमन के काल में यहां यमन आए। दूसरे राष्ट्रों से आए। परंतु देखो उन्होंने आकर के यहां वैदिकता को नष्ट करना प्रारंभ किया और प्यारी माताओं के श्रृंगार का हनन करने का प्रयास किया। नाना प्रकार के मंत्रों में नाना प्रकार की रूढ़ियों में यह समाज परिणत हो गया। यह संसार पृथ्वी का प्राणी नाना प्रकार की रूढ़ियों में महाभारत के काल के बाद हुआ है। महाभारत के पूर्व का काल साहित्य यह नहीं कहता कि यहां रूढिया जाती या नाना प्रकार के मंत्र वाला समाज था। कोई मंत्र नहीं था मुझे वह काल स्‍मरण है। मेरे पूज्य गुरुदेव के चरणों में रहा हूं। मैंने उस काल को भी दृष्टिपात किया है। उस काल में सर्वमेघ का यज्ञ करने वाले राजा अपने राष्ट्र में यह घोषणा करते रहते थे कि देखो यहां प्रत्येक प्राणी को याज्ञिक बनना चाहिए। प्रत्येक ग्रह में वेद महिमा होनी चाहिए। चाहे किसी का गृह हो,वेद की ध्‍वनि होनी चाहिए। तो वेदवेता होने वाला समाज बन जाएगा। राजाओं के पूर्व के काल में यह घोषणा होती रही है। महाराजा अश्वपति ने तो अपने राष्ट्र में यह घोषणा कराई थी कि मेरे राष्ट्र में प्रत्येक प्राणी याज्ञिक होना चाहिए। याज्ञिक होना यज्ञ में केवल अग्नि में ही आहुति देना नहीं है। यज्ञ का अभिप्राय यह है कि यज्ञ में आहुति होनी चाहिए। परंतु सदाचार और शिष्टाचार भी होना चाहिए। सदाचार और शिष्टाचार की वेदी वाला जो राष्ट्र होता है जो अपने राष्ट्र में वेद के प्रकाश को पनपाता रहता है। परंतु देखो, ऐसा जो विचित्र राष्ट्र है वही तो समाज को महान बना सकता है। जो राजा स्वत: यज्ञ में परिणत होने वाला हो, अपने गृह को सुगंधित बनाने वाला हो, वही तो महान बनेगा।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

दैनिक यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 16, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1.अंक-44 (साल-01)
2. रविवार,16सितबंर 2019
3.शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि दूज,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:10,सूर्यास्त 6:10
5.न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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