बुधवार, 11 सितंबर 2019

धोखेबाज मोदी परिवार को फांसी क्यों

सवाल आदर्श क्रेडिट सोसायटी के ग्राहकों के 14 हजार 800 करोड़ रुपए की वसूली का है। धोखेबाज मोदी परिवार को फांसी देने से कुछ नहीं होगा।
जांच एजेंसियों ने सहकारिता क्षेत्र के सबसे महाघोटाले में आदर्श क्रेडिट सोसायटी के खिलाफ 40 हजार पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है। सोसायटी के कर्ताधर्ता मुकेश मोदी, भरत मोदी और वीरेन्द्र मोदी के साथ-साथ उनके पुत्र, पुत्रियों, दामाद आदि को भी पकड़ लिया है। सब जानते हैं कि मोदी परिवार ने राजस्थान सहित कई राज्यों में सोसायटी की 806 शाखाएं खोली और अधिक ब्याज का लालच देकर 14 हजार 800 करोड़ रुपए 20 लाख ग्राहकों से एकत्रित कर लिए। जमा राशि में 12 हजार करोड़ रुपए अपने रिश्तेदारों की फर्जी कंपनियों में इनवेस्ट कर दिए। अब अधिकांश राशि खुर्दबुर्द हो चुकी है। भले ही मोदी परिवार जेल में हो और कोर्ट से फांसी की सजा भी हो जाए, लेकिन ग्राहकों को जमा राशि का क्या होगा? गरीब लोगों ने बड़ी मात्रा में सोसायटी में पैसा जमा करवाया। अपनी जिंदगी भर की मेहनत की कमाई से अधिक ब्याज के लालाच में मोदी परिवार को दे दी। इसे सरकार के कानून का लचीलापन ही कहा जाएगा कि सहकारिता के नियमों को ताक में रख जमा राशि खुर्दबुर्द की गई। सरकार को अब ऐसा तारीका निकालना चाहिए कि ग्राहकों को जमा राशि का भुगतान हो सके। सरकार यह अच्छी तरह समझ लें कि यदि ग्राहकों को भुगतान नहीं हुआ तो अनेक ग्राहक आत्महत्या कर लेंगे। सरकार को आदर्श क्रेडिट सोसायटी के ग्राहकों के दर्द को समझना चाहिए। 14 हजार 800 करोड़ रुपए की राशि बहुत होती है। सरकार आरोपी मोदी परिवार की सभी सम्पत्तियों को जब्त कर और ग्राहकों को पैसा लौटाए। धोखेबाज मोदी परिवार के लोगों को गिरफ्तार कर लेने से ग्राहकों का भला नहीं होने वाला। मोदी परिवार की धोखेबाजी का सबसे ज्यादा शिकार राजस्थानी हुए हैं। पाली, सिरोली, जालौर, बाड़मेर, जोधपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, नागौर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई सोसायटी में जमा करवाई है। सजा तो उन अधिकारियों को भी मिलनी चाहिए, जिनकी मिलीभगत से सोसायटी की राशि फर्जी कंपनियों को दी गई। सोसायटी के ग्राहकों को राहत दिलवाने की जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है। गहलोत को केन्द्र सरकार से संवाद कर ग्राहकों का पैसा वापस करवाना चाहिए। जांच में यह भी पता लगाया जाए कि मुकेश मोदी जैसे धोखेबाज को किन किन राजनेताओं का संरक्षण था। राजनेताओं के संरक्षण के बगैर मोदी परिवार इतना बड़ा घोटाला नहीं कर सकता है। 
एस.पी.मित्तल


ओला-उबर के कारण बिक्री घटी,बेतुक

ओला-उबर के कारण कारों की बिक्री घटी, यह बेतूका तर्क है।
मोदी सरकार के मंत्री जले पर नमक छिड़कने वाले बयान नहीं दें। 
बाजार में मंदी का दौर। 

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार माने या नहीं, लेकिन बाजार में लगातार मंदी का दौर चल रहा है। छोटे दुकानदारों को अपने खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा है। जिन लोगों ने किराए का परिसर लेकर कारोबार शुरू किया है ऐसे लोग किराया तक नहीं चुका पा रहे हैं। बैंकों की किश्त समय पर नहीं चुकाई जा रही है। यदि अक्टूबर में दीपावली पर बाजारों में अच्छी खरीददारी नहीं हुई तो हालात और बिगड़ेंगे। रियल स्टेट पहले ही मरा पड़ा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास योजना के सस्ते मकान और फ्लेट भी नहीं बिक रहे हैं। कर्मचारियों को तो प्रतिमाह मोटी तनख्वाह मिल जाती है। लेकिन व्यापारी वर्ग श्रमिक वर्ग आदि मंदी की वजह से परेशान है। इतनी परेशानी के बाद भी तीन माह पहले देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को ही दोबारा से प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट दिया। वोट देने के अन्य कारण भी हो सकते हैं, लेकिन अब मोदी सरकार के मंत्रियों को लोगों के जले पर नमक छिड़कने वाले बयान नहीं देने चाहिए। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का कहना है कि ओला-उबर ऑन लाइन टैक्सी सेवा के कारण लोग अब कार नहीं खरीद रहे हैं। इसलिए ऑटो मोबाइल सेक्टर में मंदी का दौर चल रहा है। वित्त मंत्री का यह बेतूका तर्क है। जिस व्यक्ति को कार खरीदनी है वो खरीदेगा ही । ऐसे तो मकान किराए पर भी मिलते हैं तथा लोग अपना घर खरीदना बंद कर देंगे। घर खरीदना और कार खरीदना लोगों का सपना होता है। अपने सपने को ओला उबर के कारण कोई भी व्यक्ति अधूरा नहीं छोड़ेगा। जिन लोगों के पास कार है वो ही कई बार विशेष परिस्थितियों में ऑन लाइन टैक्सी सेवा का उपयोग करते हैं। यह हो सकता है कि धनाढ्य लोग पहले दो तीन साल में पुरानी कार बेच कर नई खरीदते थे, वो लोग अब ऐसा नहीं कर रहे। यानि पुरानी कार से काम चलाया जा रहा है। इसकी वजह से आर्थिक मंदी ही है। यदि कारोबार अच्छा होता तो दो तीन साल नई कार खरीद ली जाती। यह भी सही है कि बेईमानी करने वालों पर अंकुश लगा है, इसलिए बाजार में पैसा नहीं आ रहा। जमीनों की खरीद फरोख्त भी नहीं हो रही है। पहले एग्रीमेंट पर ही लाखों रुपया कमाया जा रहा था। अब ऐसे काम बंद हो गए हैं। मंदी के लिए सरकार के मंत्री ठोस तर्क भी दे सकते हैं। लेकिन यदि ऐसे ही बेतूके तर्क दिए जाएंगे तो फिर सरकार की छवि खराब होगी। एक ओर जब ईधन बचाने के लिए सरकार खुद पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर बल दे रही है तब मंदी के लिए ओला उबर को दोषी क्यों ठहराया जा रहा है। 
एस.पी.मित्तल


अवैध औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध अभियान

गाजियाबाद। लोनी क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित कारखानों की वजह से जल और वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जिससे स्थानीय निवासी बहुत बड़ी तादाद में इसका दंश झेल रहे हैं। एनजीटी इसके प्रति बहुत सतर्क और सख्त है। इसके बावजूद भी लोनी क्षेत्र में हजारों की संख्या में डाई केमिकल्स और प्रदूषण फैलाने वाली हजारों औद्योगिक इकाइयां बेरोक टोक संचालित की जा रही है। हो सकता है इसमें किसी ना किसी प्रकार का राजनीतिक संरक्षण हो।  लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस प्रकार के संरक्षण को दरकिनार कर देना चाहिए। हालांकि उपजिला अधिकारी के द्वारा जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, निरंतर इसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है। जिसके चलते लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र अंतर्गत अमित बिहार में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर,लगभग दो दर्जन प्रदूषण फैलाने वाली  इकाइयों को ध्वस्त किया गया। तहसीलदार प्रकाश सिंह ने बताया कि यह कार्यवाही प्रतिदिन जारी रहेगी। लोनी उपजिलाधिकारी के निर्देश पर कार्रवाई की गई है। मौके पर तहसीलदार, प्रदूषण विभाग, नगर पालिका, विद्युत विभाग की टीम मौजूद रही।


प्रमोद गर्ग


जेब में एटीएम, उड़ाए 10 हजार रूपये

गाजियाबाद। मुरादनगर के एक युवक के खाते से 10 हजार रुपए निकालने का मामला प्रकाश में आया हैl पीड़ित ने इसकी सूचना पुलिस को दी lथाना क्षेत्र के गांव सुठारी निवासी अनिल ने थाने में दी गई तहरीर में बताया कि उसका एटीएम उसकी जेब में रखा हुआ था lवह एटीएम बूथ पर पैसे निकालने गया थाl लेकिन रुपए नहीं निकले तो वह वापस घर आ गयाl थोड़ी देर बाद मैसेज आया कि उसके खाते से 10 हजार रुपए निकल गए हैं l पीड़ित ने इसकी सूचना पुलिस व बैंक अधिकारी को दी है lपुलिस मामले की जांच कर रही है।


आइसलैंड-भारत की कई विषयों पर चर्चा

आइसलैंड। भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की अपनी यात्रा के पहले चरण में 9 सितंबर को आइसलैंड के रेकजाविक पहुंचे। यह 2005 में डॉ. कलाम की यात्रा के बाद किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की पहला आइसलैंड दौरा है। वही, मंगलवार यानी 10 सितम्बर को राष्ट्रपति ने बेस्सतादिर राष्ट्रपति निवास की यात्रा के साथ अपने दिन की शुरुआत की, जहां आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री गुदनी जोहान्सन ने उनकी अगवानी और स्वागत किया।


राष्ट्रपति जोहान्सन के साथ मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने शानदार स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और महासागरों को बचाने के प्रबंधन करने में आइसलैंड के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों में भारत द्वारा हमेशा समर्थन देने का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति ने आईसलैंड के मई 2019 में आर्कटिक काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक पर्यवेक्षक के रूप में भारत सक्रिय रूप से भाग लेगा और विचार-विमर्श में योगदान देगा। इसके बाद राष्ट्रपति ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता का नेतृत्व किया।


दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद मानवता के लिए गंभीर खतरा है और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। राष्ट्रपति कोविंद ने भारत की गंभीर चिंताओं को समझने के लिए राष्ट्रपति जोहानसन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत कई दशकों से सीमापार आतंकवाद का शिकार रहा है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद बुनियादी मानवाधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है और यह जिस भी रूप में हो, इससे दृढ़ता से निपटने की जरूरत है।


आर्थिक दृष्टिकोण में, आइसलैंड- भारत में साझेदारी को मजबूत करने की पूरी क्षमता है। दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोगों के तरीकों और साधनों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि कैसे भारत के 2025 तक पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखने के साथ, भारत की परिवर्तनकारी वृद्धि और आइसलैंड की तकनीक से एक-दूसरे के अपार मूल्यों को जोड़ा जा सकता है।


भारत ने जलवायु परिवर्तन, समुद्री कचरे और पर्यावरण संबंधी अन्य मुद्दों पर आइसलैंड के साथ पूर्ण रूप से सहयोग करने पर सहमत जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी आर्थिक प्रगति को स्वच्छ तकनीक के साथ जोड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत सतत मत्स्य, समुद्री अर्थव्यवस्था, जहाजरानी, ​​हरित विकास, ऊर्जा, निर्माण और कृषि क्षेत्रों में आइसलैंड की क्षमता का लाभ उठाने का इच्छुक है। वहीं भारतीय कंपनियां फार्मा, हाई-एंड आईटी सर्विसेज, बायोटेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, इनोवेशन और स्टार्ट-अप के क्षेत्र में आइसलैंड को अवसर प्रदान कर सकती हैं।


भारत और आइसलैंड ने राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए मत्स्य पालन सहयोग, सांस्कृतिक सहयोग और वीजा माफी के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए और आदान-प्रदान किया। राष्ट्रपति कोविंद ने घोषणा की कि जल्द ही आइसलैंड विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा की पढ़ाई शुरू होगी और इसके लिए कि आइसलैंड विश्वविद्यालय में भारत समर्थित हिंदी चेयर की स्थापना की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।


बच्चों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराएं: डीएम

मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत बुधवार को स्कूली बच्चों को जिला अधिकारी कार्यालय पर बुलाकर उनके साथ एक बैठक की गई। बैठक में सभी छात्र-छात्राओं को जिला अधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने सुपोषण संबधी जानकारी दी और स्वच्छ एवं स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, बच्चे देश का भविष्य होते हैं, इसलिए सभी बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। सभी के सहयोग से देश से कुपोषण संबंधी समस्या को जड़ से खत्म करना जरूरी है। इस दौरान स्कूली बच्चों ने कुपोषण संबंधी जागकरूता रैली निकाली और लोगों को कुपोषण से बचने के लिए शपथ दिलाई।


इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा, स्वस्थ शरीर के लिए पोषक तत्वों का होना बहुत जरूरी है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की कल्पना तभी साकार होगी, जब देश का हर व्यक्ति स्वस्थ होगा। यदि हमारे देश के बच्चे ही कुपोषित होंगे तो देश की नींव ही कमजोर हो जाएगी। शरीर में पोषक तत्व नहीं होंगे तो हम कुपोषण के शिकार ही होंगे। शरीर को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए पानी भी सबसे अच्छा पोषक तत्व है। इसलिए पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने देश में कुपोषित बच्चों, किशोरियों व गर्भवती माताओं को ध्यान में रखकर पोषण अभियान चलाया हैं। जो एक माह तक देश भर में चलेगा। उन्होंने कहा, इस अभियान के दौरान हर गांव में जाकर कुपोषण से संबंधित प्रभात फेरी, साईकिल रैली, जागरूकता कैंप के अलावा घर-घर जाकर लोगों को कुपोषण के प्रति जागरूक किया जा रहा। देश में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत 2022 तक कुपोषण को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। गर्भावस्था के समय से ही गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण का ध्यान रखा जाना चाहिए। बच्चों में समय से कुपोषण की पहचान कर उसका प्रभावी ढंग से निराकरण किया जाए। उन्होंने कहा, अभियान में स्वास्थ्य, बाल विकास एवं पुष्टाहार, पंचायतीराज, ग्राम्य विकास,  खाद्य एवं रसद और शिक्षा विभाग के अधिकारी समन्वित रूप से बच्चों एवं महिलाओं को पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करें।


रखें साफ-सफाई- बीमारियों को दूर भगाएं


गंदगी के कारण कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। बच्चों में एनीमिया की बीमारी का बड़ा कारण भी गंदगी है। इसकी वजह से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होती है। डॉक्टरों का कहना है, यदि गंदगी पर काबू पा लिया जाए तो कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। मौजूदा समय में मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू व मलेरिया ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं। डेंगू से हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। इसका कारण भी साफ-सफाई की कमी है। मलेरिया के मच्छर गंदगी के कारण पनपते हैं। इसके अलावा गंदगी से हैजा,  कालरा, निमोनिया, पीलिया, हेपेटाइटिस आदि बीमारियां होती हैं।


मेरठ में बनेगा लावारिस नवजात शिशु केंद्र

मेरठ। अब लावारिस नवजात शिशुओं के पालन-पोषण के लिए जिले के अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में नवजात शिशु केन्द्र बनाए जाएंगे। इललीगल चाइल्ड कार्यक्रम 'पालना' कार्यक्रम के तहत यहां पर तीन माह तक नवजात शिशुओं का लालन पालन किया जाएगा। इसके बाद उन्हें बालगृह भेज दिया जाएगा। इसके बाद बच्चों को गोद लेने को इच्छुक दंपति जरूरी कागजी कार्यवाही कर इन शिशुओं को अपना सकेंगे।


जिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डा. मनीषा वर्मा ने बताया, इसके लिए शासन की ओर से पत्र आ चुका है। योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया, इन केन्द्रों को ऐसे स्थानों पर बनाया जाएगा, जहां पर कोई भी पुरूष व महिला या दंपति जो अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहता है, वह नवजात को पालना में सुरक्षित रख कर लौट सके। इसके लिये जमीन की तलाश की जा रही है।


24 घंटे लगायी जाएगी ड्यूटी
नवजात शिशु केन्द्र पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की 8-8 घंटे की ड्यूटी लगायी जाएगी, जिससे नवजात के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी होगी, उनके मोबाइल नम्बर व नाम डिस्प्ले बोर्ड पर लिखे जाएंगे।


अस्पताल महफूज जगह
महिला अस्पताल व जिला अस्पताल 24 घंटे खुले रहते हैं। यहां पर हर समय चहल पहल रहती है। यहां सुनसान सुरक्षित जगह पर पालना लगाया जाएगा, ताकि लावारिस नवजात को पालने में रखने में आसानी हो। पालने के अंदर एक घंटी लगायी जाएगी। नवजात बच्चे को रखने के बाद वह दो मिनट बाद अपने आप बजने लगेगी। घंटी की आवाज सुनकर कर्मचारी तुरंत बच्चे को वहां से उठा लेंगे। शहर में आये दिन नवजात बच्चों के मिलने की खबर आती रहती हैं। कोई लोक लाज के कारण तो कोई घरेलू विवाद के कारण नवजात को अज्ञात स्थान पर छोड़ जाता है। ऐसे में ये पालने बच्चों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे।


'शासन की योजना के तहत पालना केन्द्र पर कार्य चल रहा है। इसके लिए स्थान का चुनाव किया जा रहा है। सरकार का यह अच्छा प्रयास है। इससे लावारिस नवजात को बचाया जा सकेगा।'


फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी क...