बुधवार, 11 सितंबर 2019

नीले पीले सफेद लाल गुलाबी कमल

कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल का फूल सफेद या गुलाबी रंग का होता है और पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे, होते हैं। पत्तों की लंबी डंडियों और नसों से एक तरह का रेशा निकाला जाता है जिससे मंदिरों के दीपों की बत्तियाँ बनाई जाती हैं। कहते हैं, इस रेशे से तैयार किया हुआ कपड़ा पहनने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं तथा पानी के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैलते हैं। तनों की गाँठों पर से जड़ें निकलती हैं। 


विश्व में कमलों की दो प्रमुख प्रजातियाँ हैं। इनके अलावा कई जलीय कुमुदिनियों (वाटर लिलि) को भी कमल कहा जाता है, जो की वास्तविक नही है। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। ये दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग हमेशा गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल "कमल" असल में जल-पद्म होते हैं जिन्हें कमलिनी कहा गया हैं। यह उष्ण कटिबंधी क्षेत्र पौधा है जिसकी पत्‍तियां और फूल तैरते हैं, इनके तने लंबे होते हैं जिनमें वायु छिद्र होते हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्‍स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं।


कमल के पौधे के प्रत्येक भाग के अलग-अलग नाम हैं और उसका प्रत्येक भाग चिकित्सा में उपयोगी है-अनेक आयुर्वेदिक, एलोपैथिक और यूनानी औषधियाँ कमल के भिन्न-भिन्न भागों से बनाई जाती हैं। चीन और मलाया के निवासी भी कमल का औषधि के रूप में उपयोग करते हैं।कमल के फूलों का विशेष उपयोग पूजा और शृंगार में होता है। इसके पत्तों को पत्तल के स्थान पर काम में लाया जाता है। बीजों का उपयोग अनेक औषधियों में होता है और उन्हें भूनकर मखाने बनाए जाते हैं। तनों (मृणाल, बिस, मिस, मसींडा) से अत्यंत स्वादिष्ट शाक बनता है।


प्रकाश की चाल और इतिहास

प्रकाश की चाल (speed of light) (जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से. कह दिया जाता है। वस्तुत: सभी विद्युतचुम्बकीय तरंगों (जैसे रेडियो तरंगें, गामा किरणे, प्रकाश आदि) समेत, गुरुत्वीय-सूचना का वेग भी इतना ही है। चाहे प्रेक्षक का 'फ्रेम ऑफ रिफरेंस' कुछ भी हो या प्रकाश-उत्सर्जक स्रोत किसी भी वेग से किधर भी गति कर रहा हो, हर प्रेक्षक को प्रकाश का यही वेग मिलेगा। कोई भी वस्तु, दिक्-काल में प्रकाश के वेग से अधिक वेग पर गति नहीं कर सकती।


प्रकाश के वेग का सटीक मान निकालना एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह विद्युत्चुं-चुबकीय घटनाओं का एक अभिन्न अंग है। जितने भी ऊर्जा के संचार के कार्य हैं, उनमें इसका उपयोग होता है। प्रकाश के वेग समय यात्रा में सहायक है। आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार, यदि प्रकाश की गति की तुलनात्मक चाल पर गमन किया जाता है तो (गमन करने वाले पिंड के लिए) समय किसी स्थिर प्रेक्षक की तुलना में भिन्न हो जायेगा|


21 अक्टूबर 1983, से प्रकाश के वेग का मान मीटर सहित अन्य मापकों को 'कैलिब्रेट' करने के लिये किया जा रहा है। इसका मान निर्वात के विद्युत नियतांक {\displaystyle \varepsilon _{0}\,\!} {\displaystyle \varepsilon _{0}\,\!} तथा चुम्बकीय नियतांक (परमिएबिलिटी) (परमिटिविटी) {\displaystyle \mu _{0}\,\!} {\displaystyle \mu _{0}\,\!} से सम्बन्धित है जो निम्नवत है:


{\displaystyle c={\frac {1}{\sqrt {\mu _{0}\,\varepsilon _{0}}}}\,\!} {\displaystyle c={\frac {1}{\sqrt {\mu _{0}\,\varepsilon _{0}}}}\,\!}
इतिहास 
सत्राहवीं सदी के मध्य तक धारणा यह थी कि प्रकाश का वेग अनंत होता है, अर्थात् उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचने में कुछ भी समय नहीं लगता। गैलिलियो ने प्रकाश की चाल को मापने का प्रयास किया था, परन्तु उनके प्रयोग में मानव-प्रतिक्रिया-काल से होने वाली त्रुटी की वजह से वे प्रकाश की गति मापने में नाकामयाब रहे| सितंबर1676 में रोमर ने बताया कि प्रकाश का वेग तीव्र होने के बावजूद 'परिमित' है। बृहस्पति के एक उपग्रह, इओ, के ग्रहणों के अंतर काल में पृथ्वी से संबंधित दूरी के बदलने से होने वाले परिवर्तन का अध्ययन कर, रोमर ने प्रकाश को पृथ्वी की कक्षा के व्यास को पार करने में लगनेवाले काल को निकालाने का तरीका सुझाया| हालांकि, उस तरीके के आधार पर गणना करने वाले पहले व्यक्ति क्रिस्चियन हुय्गेंस थे, जो 2,14,300 किलोमीटर प्रति सेकंड के बराबर ज्ञात हुआ, फिर भी प्रकाश की गति निकालने वाले व्यक्ति के रूप में रोमर को ही श्री मिलता है । उन समय के वैज्ञानिक ज्ञान को देखते हुए यह अत्यंत प्रशंसनीय कार्य था।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (धर्मवाद)

गतांक से ...
आज जो आपने संतान को कहा है। आठवां पुत्र को कहा है। उस समय महाराजा जानवी कहता है कि यह मानव के जीवन में स्वभाविक प्रणाम की इच्छा होती है। एक मानव माता-पिता जो अपने गृह में कर्म करते हैं तो कर्म करने के पश्चात मानव को प्रणाम की इच्छा होती है। उस परिणाम में मानव का यह स्वभाव बन जाता है कि वह पितृ यज्ञ करता है और पिता बनने की उसे स्‍वत: एक आत्मा की कृपा जागृत होती है। इसलिए मैंने आप पुत्र की आभाचरण की है। महाराज जानवी के इन वाक्यों को सकाम करने वाले ऋषियों ने कहा कि प्रभु हम यह जान सकते हैं कि आत्मा से मोक्ष का, पुत्र का क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि मोक्ष का और पुत्र का विशेष कोई संबंध नहीं है। परंतु जो मानव त्याग पूर्वक रहता है इस संसार में त्याग से रहता है। क्योंकि पुत्र जो होता है वह माता-पिता का हृदय होता है। परंतु वह जो हृदय है वही तो हृदय वर्चसी से बना देता है और जो एक ह्रदय को त्याग करके एक ह्रदय देव गति को प्राप्त कराता हुआ वह मोक्ष की पगडंडी को प्राप्त कर लेता है। परंतु देखो मैंने बहुत पुरातन काल में अपने वाक्यों को निर्णय देते हुए कहा था। महाराजा जानवी ने जब यह वाक्य कहा तो ॠषिवर उनके वाक्य से संतुष्ट होने लगे। उन्होंने कहा कि महाराज मोक्ष क्या है? पुत्र की आभा तो समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि जैसे मानव आत्मा और परमात्मा का पुत्र है और मोक्ष में जाने के पश्चात वह परमात्मा को प्राप्त हो जाता है। परमात्मा में आधारित आनंद को प्राप्त हो जाता है। इसी प्रकार पुत्र बनने में ही मानव अपने ब्रह्मवेग, ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर सकता है। जैसे आचार्य कुल में प्रवेश करके शिष्य जब ज्ञान की आभा मे रमन करता है और ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के लिए उसकी उत्कृष्ट इच्छा होती है तो मुनिवरो, वह पुत्र बनकर के, शिष्य बनकर के उनके चरणों को छू कर के ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करता है। क्योंकि देखो वह उसका पुत्र है। क्योंकि पुत्र ही पिता के आंगन को प्राप्त हो जाता है पिता मन आंगन में प्रवेश करके जैसे मोक्ष में जाने वाला आत्मा प्रकृति की तरंगों को त्याग करके वह परमात्मा ब्रह्म रूपी पित्र के द्वार पर प्रवेश कर जाता है। इसी प्रकार शिष्य अपने गुरु के द्वार में प्रवेश कर जाता है। ब्रह्म ज्ञानी बन जाता है। ब्रह्मज्ञानी बन करके उसको क्रियाओं में लाता है। क्रिया मे ला करके वह रजोगुण तमोगुण को समाप्त कर देता है। वह उन में प्रवेश करके ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है। आज मैं विशेष चर्चा प्रकट करने नहीं आया हूं विचार देने आया हूं। आज मैं तुम्हें यह वाक्य प्रकट करने को आया हूं कि राजा जो ब्रह्म वेता होना चाहिए। जब राजा के राष्ट्र में राजा ब्रह्मवर्ता होता है तो उस समाज में उस प्रजा के वैभव को कोई भी मानव नष्ट नहीं कर सकता। क्योंकि उसका राजा ब्रह्म वेता है वह भव्यता बनकर के ब्राह्म लीन रहता है ब्रह्मा में समादिष्ट रहता है। अपने वैभव कि उसे चिंता नहीं होती वह अपने कर्तव्य का काम कर रहा है। प्रातकाल यज्ञ कर रहा है। मानव समय पर अपने अन्‍न का शोधन कर रहा है तो वह राजा ऊंचा है इसीलिए वेद का ॠषि कहता है कि राजा तो ब्रह्मवेता होना चाहिए। जो  राजा ब्रह्म वेता बन के परमाणुओं को जान लेता है। वह देव रूप हो जाता है वह प्रत्येक पर अपना अनुशासन कर लेता है और जो अनुशासन नहीं कर सकता वह प्राणी नहीं कहलाता। संसार में वह पामर कह लाया जाता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 12, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1.अंक-40 (साल-01)
2. बृहस्पतिवार,12सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष त्र्‍योदशी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 5:59,सूर्यास्त 6:41
5.न्‍यूनतम तापमान -27 डी.सै.,अधिकतम-36+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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एसपी मित्तल लिखते ही चैनल खुल गया

500 करोड़ रुपए कमाने, आयुक्त चिन्मयी गोपाल से टकराव, विधायक देवनानी से संबंध, पार्षदों का पटाए रखने आदि के सवालों पर अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के बेबाक जवाब। 
सोशल मीडिया पर मेरे ब्लॉगस की जबर्दस्त सफलता के बाद अब यू-ट्यूब चैनल की शुरुआत की गई है। इसे लाखों पाठकों का स्नेह की कहा जाएगा कि यू-ट्यूब पर एसपी मित्तल लिखते ही चैनल खुल जाएगा। वैसे नीचे लिंक भी दे रखा है। लिंक पर क्लिक करते ही अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का इंटरव्यू देखने को मिल जाएगा। पाठकों की व्यस्तता को ध्यान में रखते हुए कम समय में अधिक से अधिक सवालों के जवाब मेयर गहलोत से लिए हैं। अजमेर के लोगों के मन में मेयर को लेकर जो सवाल उठते रहे, उन सभी का उत्तर लिया गया है। मेयर के कार्यकाल मेें 500 करोड़ रुपए कमाने, आवासीय भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण करवाने, नगर निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल से टकराव, विकास में दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की उपेक्षा करने, उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी की मदद लेने, विधानसभा का चुनाव लडऩे, भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के पार्षदों को पटाए रखने, ओबीसी वर्ग के होते हुए भी सामान्य वर्ग की सीट पर मेयर बनने, अजमेर में मास्टर प्लान लागू न होने से लेकर पुत्र रोणित गहलोत के सवालों पर मेयर ने अपने अंदाज में जवाब दिए हैं। इस इंटरव्यू में मेरा प्रयास रहा कि अजमेर के नागरिकों के मन का हर सवाल पूछा जाए। यदि कोई सवाल रह गया तो वह समय की भेंट चढ़ा है। मैं उम्मीद करता हंू कि मेरे चैनल को लाइक कर इंटरव्यू को देखें। मेरा ऐसा प्रयास प्रतिदिन जारी रहेगा। उम्मीद है कि पाठकों का सहयोग और स्नेह मिलेगा। 
उपभोक्ता जागरुकता पर भी इंटरव्यू:
एक इंटरव्यू उपभोक्ता जागरुकता पर जाने माने एडवोकेट सूर्यप्रकाश गांधी से भी लिया गया है। गांधी ने केन्द्र सरकार के नए कानून और उपभोक्ताओं के हित में महत्वपूर्ण जानकारियां दी है। ऑन लाइन कंपनियों से माल मंगाने पर होने वाली परेशानी से लेकर सेलेब्रिटी के विज्ञापनों तक पर गांधी ने जानकारी दी है। इस संबंध में मोबाइल नम्बर 9829144425 पर गांधी से संवाद किया जा सकता है। 
एस.पी.मित्तल


मंगलवार, 10 सितंबर 2019

गलती से अकाउंट में आए पैसे, की मौज

दिल्ली। अगर किसी के अकाउंट में गलती से पैसे आ जाएं तो आदमी क्या क्या कर सकता है। इसका एक उदाहरण अमेरिका में देखने को मिला।


दरअसल यहां एक कपल के बैंक अकाउंट में गलती से करीब 1 लाख 20 हजार डॉलर यानी करीब 72 लाख रुपये आ गए। अकाउंट में इतने पैसे आने पर इस कपल ने जीभरकर पैसे उड़ाए और इतनी शाहखर्ची की कि मौज मस्ती में सारे पैसे फूंक डाले। अमेरिका के पेनन्सिलवानिया के कपल रॉबर्ट विलियम्स और टिफनी विलियम्स के खिलाफ अब पुलिस ने धोखाधड़ी, अवैध तरीके पैसे खर्च करने का मामला दर्ज कर गिरफ्तारी करने की तैयारी कर रही है।


कार्यपालिका,विधायिका की समझ नहीं

कृष्ण मोहन कुमार


अम्बिकापुर। प्रदेश से एकमात्र मोदी सरकार में मंत्री रेणुका सिह ने अब कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिह ने कांग्रेस आलाकमान पर तंज कसते हुए कहा है कि उन्होंने आदिवासी बाहुल्य इस प्रदेश को टी 20 मैच का ग्राउंड समझ लिया है और ढाई साल की पारी के बाद मुख्यमंत्री बदलने की घोषणा की है। वही केंद्रीय राज्य मंत्री ने प्रदेश के एक मंत्री पर भी निशाना साधा है। दरअसल सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से सांसद व मोदी सरकार में केंद्रीय अनुसूचित जाति, जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिह ने कांग्रेस आलाकमान के उस फैसले पर अपनी टिप्पणी दी है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ को क्रिकेट मैच का पिच समझ रही है। यही वजह है कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत पाने के बाद अब प्रदेश में टी 20 का मैच खेल रही है। ढाई साल भूपेश बघेल और ढाई साल टीएस सिंहदेव और कांग्रेस की इस राजनीति में प्रदेश की जनता पीस रही है। विकास तो ठप्प ही है। वही केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिह ने कवासी लखमा के उस पॉलिटिकल सीख पर भी कहा कि कांग्रेस की राजनीति की बुनियाद वही है।एक ऐसे अनपढ़ को मंत्री बनाया जिसे कार्यपालिका और विधायिका तक समझ मे नही आती हैं।बता दे कि रेणुका सिह इन दिनों छत्तीसगढ़ प्रवास पर है।उन्होंने दंतेवाड़ा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भी चुनाव भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया है।


'सीएम' आतिशी ने एलजी सक्सेना को पत्र लिखा

'सीएम' आतिशी ने एलजी सक्सेना को पत्र लिखा  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मंदिरों और बौद्ध संरचनाओं को ध...