बुधवार, 11 सितंबर 2019

राष्ट्र विरोधियों को कीमत चुकानी होगी

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो देश विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है, उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। जितेंद्र जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक पर निशाना साध रहे थे।


जितेंद्र ने यह भी कहा कि बीते 30 साल से देश विरोधी गतिविधियों में लगे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब उन पर एक्शन लेने का वक्त आ गया है। वायुसेना अफसरों को मारने के कथित आरोपी यासीन को क्या राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है, इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, अफसरों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हम उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अत्याचारों की गवाह रही। हमारी सरकार अब भी बातचीत को तरजीह देती है। लेकिन कोई भारत में रहते हुए देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहेगा तो उसे जवाब देना पड़ेगा। सिंह ने एक बार फिर कहा, ''सरकार का अगला एजेंडा जम्मू-कश्मीर के बाकी हिस्सेको भारत में शामिल करना है। ये केवल मेरी या पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है। यह रेजोल्यूशन तो 1994 में संसद में पीवी नरसिम्हाराव की सरकार के वक्त पास किया गया था।''


''मोदी सरकार ने अपने 100 दिन के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हमारा सबसे बड़ा अचीवमेंट है। कश्मीर न तो बंद है और न ही वहां पर अब कर्फ्यू है। वहां जिंदगी तेजी से पटरी पर लौट रही है। अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला हमने इसलिए लिया क्योंकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार की स्थिति बेहतर हो सके।


हिंदू भावना दबाने का नतीजा:कल्याण

कल्याण सिंह बोले- बाबरी मस्जिद गिराना साजिश नहीं, यह करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं दबाने का नतीजा


 लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने लखनऊ में कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की घटना किसी षडयंत्र का हिस्सा नहीं, बल्कि सदियों से करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को दबाए जाने का परिणाम था। दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सीबीआई को कल्याण सिंह के मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इस पर सीबीआई ने एक आवेदन दायर किया था, जिस पर आज सुनवाई होगी।


कल्याण ने कहा, “अभी तक मैं राजस्थान का राज्यपाल था और मुझे समन नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब मुझसे पूछताछ की जाएगी। इसके लिए मैं कोर्ट में पेश होऊंगा। मैं वहां पर सभी सवालों का जवाब दूंगा।”पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं। यदि सीबीआई मुझसे पूछताछ करना चाहती है तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। वे इसके लिए जब भी तारीख तय करते हैं तो मैं उस दौरान हाजिर रहूंगा। यह मुद्दा अदालत में है और 12-13 लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। मैं कोर्ट को बताऊंगा कि इसमें कोई षडयंत्र नहीं हुआ।”


कल्याण ने कहा, “अयोध्या करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्रबिंदु है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो इससे करोड़ों भारतीयों की इच्छा पूरी होगी। मैं राम मंदिर निर्माण का समर्थन करता हूं। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हम लोग कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। फैसले आने के बाद केंद्र सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। मेरा पक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह स्पष्ट है।”


उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए कि वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं या नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि मुस्लिम पक्ष को इस मामले में अपने दावे को वापस लेने के पक्ष में सोचना चाहिए। इससे देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित होगी।


गुजरात में 90 फ़ीसदी कम किया जुर्माना

अहमदाबाद । केंद्र सरकार द्वारा मोटर वीइकल्स ऐक्ट में संशोधन के महज 10 दिन बाद गुजरात सरकार ने मंगलवार को कई जुर्माने घटा दिए। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर केंद्र के बढ़ाए जुर्माने को राज्य सरकार ने 25% से 90% तक कम कर दिया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इसके लिए मानवीय आधार को कारण बताया है। माना जा रहा है कि इसे देखने के बाद अब दूसरे राज्य भी जुर्माना घटा सकते हैं। बता दें कि नए मोटर वीइकल ऐक्ट में राज्यों को कुछ जुर्माने घटाने का अधिकार दिया गया है।
कई और राज्य घटाएंगे जुर्माना?


गुजरात में नए जुर्माने 16 सितंबर से लागू होंगे। हालांकि, सरकार ने शराब पीकर गाड़ी चलाने और ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने का जुर्माना नहीं बदला है क्योंकि इनमें बदलाव का प्रावधान नहीं दिया गया है। बता दें कि अभी तक यह ऐक्ट कांग्रेस शासित राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब के अलावा गुजरात में लागू नहीं हुआ था। कर्नाटक सरकार का भी कहना है कि अगर दूसरे राज्य जुर्माना कम करते हैं, तो वहां भी विचार किया जाएगा।
कई राज्य पहले से नाराज


गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के शासन वाले पश्चिम बंगाल और कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश एवं राजस्थान जैसे गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने पहले ही जुर्माने की रकम में इतने बड़े इजाफे पर सवाल उठा चुके हैं। राजस्थान सरकार ने नया कानून तो लागू कर दिया, लेकिन जुर्माने की बढ़ी रकम पर विचार करने की बात कही। बता दें, एमपी और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, जबकि पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रेस शासित है।


'जान गई, तो नरमी नहीं'


इस बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा है कि उनकी सरकार का लक्ष्य ज्यादा जुर्माना लेना या लोगों के खिलाफ केस दर्ज करना नहीं था। रुपाणी ने कहा, 'नए कानून को बिना कड़ी सजा दिए लागू करना मुमकिन नहीं है। हमने मानवीय रुख अपनाया है और जुर्माना कम किया है। ऐसे मामलों में नरमी नहीं बरती जाएगी जहां लोगों की जान चली गई हो। जो लोग बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।'
मिडिल क्लास का ध्यान


बता दें कि नए मोटर वीइकल ऐक्ट के तहत राज्य नाबालिगों के गाड़ी चलाने, शराब पीकर गाड़ी चलाने और सिग्नल तोड़ने पर लगने वाले जुर्माने को बदल नहीं सकते और इसलिए, गुजरात में भी इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, सरकार ने सड़क के गलत साइड पर गाड़ी चलाने पर जुर्माना कम कर दिया है। यह मामला कोर्ट में सुलझाए जाने वाले मामलों में आता है। इसके अलावा दोपहिया पर पीछे बैठे व्यक्ति के हेल्मेट नहीं पहनने पर जुर्माना हटा दिया गया है। रुपाणी ने बताया कि अक्सर मिडिल क्लास परिवार में पत्नी और बच्चे दोपहिया पर चलते हैं, इसलिए इस नियम में नरमी बरती गई है।


यह होंगे नए फाइन


माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद से चल रहे विरोध प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए लोगों का गुस्सा शांत कराने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। नए नियमों के तहत हेलमेट या सीट बेल्ट पर 1000 रुपये का जुर्माना दिया जाना है, जबकि गुजरात में इसे 500 रुपये कर दिया गया है। दमकल की गाड़ी या ऐम्बुलेंस का रास्ता रोकने पर 10,000 रुपये की जगह 1,000 रुपये, दोपहिया पर ट्रिपलिंग के लिए 1,000 की जगह 100 रुपये जुर्माना कर दिया गया है।


शारीरिक कष्ट की आशंका है: सिंह

राशिफल


मेष-अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। जुए-सट्टे से दूर रहें। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। कारोबार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी बड़ी समस्या का हल होगा। भाग्य का साथ रहेगा विवाद से बचें। भय रहेगा। राजमान मिल सकता है। प्रमाद न करें।


वृष-चिंता तथा तनाव में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। कोई अप्रत्याशित खर्च सामने आएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। विवेक का प्रयोग करें।


मिथुन-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। नए काम मिलेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें। आय में वृद्धि होगी। कारोबार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रतिद्वंद्विता बढ़ सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है।


कर्क-शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। लापरवाही न करें। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। घर-बाहर सभी ओर से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। जल्दबाजी न करें।


सिंह-जीवनसाथी की तरफ से चिंता का वातावरण बनेगा। शारीरिक कष्ट की आशंका है। यात्रा सफल रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। कोर्ट-कचहरी व सरकारी कार्यालयों में रुके कार्यों में गति आएगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम बिलकुल न लें।


कन्या-कुसंगति से हानि होगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी व्यक्ति से बड़े विवाद की आशंका है। वाणी पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें।


तुला-लेन-देन में जल्दबाजी से बचें। चोट व रोग से हानि की आशंका है। कानूनी अड़चन दूर होकर स्‍थिति अनुकूल बनेगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। स्त्री पक्ष से लाभदायक सूचना मिल सकती है। प्रसन्नता रहेगी।


वृश्चिक-किसी अनहोनी की आशंका रहेगी। शत्रु नतमस्तक रहेंगे। भूमि व भवन संबंधी लाभदायक योजना बनेगी। कारोबार से बड़ा मुनाफा हो सकता है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा।


धनु-पार्टी व पिकनिक का आनंद मिल सकता है। विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य लगन से कर पाएगा। अध्ययन में मन लगेगा। संगीत व चित्रकारी आदि रचनात्मक कार्यों में रुचि रहेगी। आय में वृद्धि होगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।


मकर-लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी से अकारण विवाद हो सकता है। हृदय को ठेस पहुंच सकती है। दु:खद समाचार मिलने की आशंका है। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ रहेगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।


कुंभ-व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। मेहनत का फल प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों तथा रिश्तेदारों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे।


मीन-राजभय रहेगा। जल्दबाजी तथा विवाद करने से बचें। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आवागमन रहेगा। किसी मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। प्रसन्नता रहेगी।


नीले पीले सफेद लाल गुलाबी कमल

कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल का फूल सफेद या गुलाबी रंग का होता है और पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे, होते हैं। पत्तों की लंबी डंडियों और नसों से एक तरह का रेशा निकाला जाता है जिससे मंदिरों के दीपों की बत्तियाँ बनाई जाती हैं। कहते हैं, इस रेशे से तैयार किया हुआ कपड़ा पहनने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं तथा पानी के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैलते हैं। तनों की गाँठों पर से जड़ें निकलती हैं। 


विश्व में कमलों की दो प्रमुख प्रजातियाँ हैं। इनके अलावा कई जलीय कुमुदिनियों (वाटर लिलि) को भी कमल कहा जाता है, जो की वास्तविक नही है। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। ये दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग हमेशा गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल "कमल" असल में जल-पद्म होते हैं जिन्हें कमलिनी कहा गया हैं। यह उष्ण कटिबंधी क्षेत्र पौधा है जिसकी पत्‍तियां और फूल तैरते हैं, इनके तने लंबे होते हैं जिनमें वायु छिद्र होते हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्‍स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं।


कमल के पौधे के प्रत्येक भाग के अलग-अलग नाम हैं और उसका प्रत्येक भाग चिकित्सा में उपयोगी है-अनेक आयुर्वेदिक, एलोपैथिक और यूनानी औषधियाँ कमल के भिन्न-भिन्न भागों से बनाई जाती हैं। चीन और मलाया के निवासी भी कमल का औषधि के रूप में उपयोग करते हैं।कमल के फूलों का विशेष उपयोग पूजा और शृंगार में होता है। इसके पत्तों को पत्तल के स्थान पर काम में लाया जाता है। बीजों का उपयोग अनेक औषधियों में होता है और उन्हें भूनकर मखाने बनाए जाते हैं। तनों (मृणाल, बिस, मिस, मसींडा) से अत्यंत स्वादिष्ट शाक बनता है।


प्रकाश की चाल और इतिहास

प्रकाश की चाल (speed of light) (जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से. कह दिया जाता है। वस्तुत: सभी विद्युतचुम्बकीय तरंगों (जैसे रेडियो तरंगें, गामा किरणे, प्रकाश आदि) समेत, गुरुत्वीय-सूचना का वेग भी इतना ही है। चाहे प्रेक्षक का 'फ्रेम ऑफ रिफरेंस' कुछ भी हो या प्रकाश-उत्सर्जक स्रोत किसी भी वेग से किधर भी गति कर रहा हो, हर प्रेक्षक को प्रकाश का यही वेग मिलेगा। कोई भी वस्तु, दिक्-काल में प्रकाश के वेग से अधिक वेग पर गति नहीं कर सकती।


प्रकाश के वेग का सटीक मान निकालना एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह विद्युत्चुं-चुबकीय घटनाओं का एक अभिन्न अंग है। जितने भी ऊर्जा के संचार के कार्य हैं, उनमें इसका उपयोग होता है। प्रकाश के वेग समय यात्रा में सहायक है। आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार, यदि प्रकाश की गति की तुलनात्मक चाल पर गमन किया जाता है तो (गमन करने वाले पिंड के लिए) समय किसी स्थिर प्रेक्षक की तुलना में भिन्न हो जायेगा|


21 अक्टूबर 1983, से प्रकाश के वेग का मान मीटर सहित अन्य मापकों को 'कैलिब्रेट' करने के लिये किया जा रहा है। इसका मान निर्वात के विद्युत नियतांक {\displaystyle \varepsilon _{0}\,\!} {\displaystyle \varepsilon _{0}\,\!} तथा चुम्बकीय नियतांक (परमिएबिलिटी) (परमिटिविटी) {\displaystyle \mu _{0}\,\!} {\displaystyle \mu _{0}\,\!} से सम्बन्धित है जो निम्नवत है:


{\displaystyle c={\frac {1}{\sqrt {\mu _{0}\,\varepsilon _{0}}}}\,\!} {\displaystyle c={\frac {1}{\sqrt {\mu _{0}\,\varepsilon _{0}}}}\,\!}
इतिहास 
सत्राहवीं सदी के मध्य तक धारणा यह थी कि प्रकाश का वेग अनंत होता है, अर्थात् उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचने में कुछ भी समय नहीं लगता। गैलिलियो ने प्रकाश की चाल को मापने का प्रयास किया था, परन्तु उनके प्रयोग में मानव-प्रतिक्रिया-काल से होने वाली त्रुटी की वजह से वे प्रकाश की गति मापने में नाकामयाब रहे| सितंबर1676 में रोमर ने बताया कि प्रकाश का वेग तीव्र होने के बावजूद 'परिमित' है। बृहस्पति के एक उपग्रह, इओ, के ग्रहणों के अंतर काल में पृथ्वी से संबंधित दूरी के बदलने से होने वाले परिवर्तन का अध्ययन कर, रोमर ने प्रकाश को पृथ्वी की कक्षा के व्यास को पार करने में लगनेवाले काल को निकालाने का तरीका सुझाया| हालांकि, उस तरीके के आधार पर गणना करने वाले पहले व्यक्ति क्रिस्चियन हुय्गेंस थे, जो 2,14,300 किलोमीटर प्रति सेकंड के बराबर ज्ञात हुआ, फिर भी प्रकाश की गति निकालने वाले व्यक्ति के रूप में रोमर को ही श्री मिलता है । उन समय के वैज्ञानिक ज्ञान को देखते हुए यह अत्यंत प्रशंसनीय कार्य था।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (धर्मवाद)

गतांक से ...
आज जो आपने संतान को कहा है। आठवां पुत्र को कहा है। उस समय महाराजा जानवी कहता है कि यह मानव के जीवन में स्वभाविक प्रणाम की इच्छा होती है। एक मानव माता-पिता जो अपने गृह में कर्म करते हैं तो कर्म करने के पश्चात मानव को प्रणाम की इच्छा होती है। उस परिणाम में मानव का यह स्वभाव बन जाता है कि वह पितृ यज्ञ करता है और पिता बनने की उसे स्‍वत: एक आत्मा की कृपा जागृत होती है। इसलिए मैंने आप पुत्र की आभाचरण की है। महाराज जानवी के इन वाक्यों को सकाम करने वाले ऋषियों ने कहा कि प्रभु हम यह जान सकते हैं कि आत्मा से मोक्ष का, पुत्र का क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि मोक्ष का और पुत्र का विशेष कोई संबंध नहीं है। परंतु जो मानव त्याग पूर्वक रहता है इस संसार में त्याग से रहता है। क्योंकि पुत्र जो होता है वह माता-पिता का हृदय होता है। परंतु वह जो हृदय है वही तो हृदय वर्चसी से बना देता है और जो एक ह्रदय को त्याग करके एक ह्रदय देव गति को प्राप्त कराता हुआ वह मोक्ष की पगडंडी को प्राप्त कर लेता है। परंतु देखो मैंने बहुत पुरातन काल में अपने वाक्यों को निर्णय देते हुए कहा था। महाराजा जानवी ने जब यह वाक्य कहा तो ॠषिवर उनके वाक्य से संतुष्ट होने लगे। उन्होंने कहा कि महाराज मोक्ष क्या है? पुत्र की आभा तो समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि जैसे मानव आत्मा और परमात्मा का पुत्र है और मोक्ष में जाने के पश्चात वह परमात्मा को प्राप्त हो जाता है। परमात्मा में आधारित आनंद को प्राप्त हो जाता है। इसी प्रकार पुत्र बनने में ही मानव अपने ब्रह्मवेग, ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर सकता है। जैसे आचार्य कुल में प्रवेश करके शिष्य जब ज्ञान की आभा मे रमन करता है और ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के लिए उसकी उत्कृष्ट इच्छा होती है तो मुनिवरो, वह पुत्र बनकर के, शिष्य बनकर के उनके चरणों को छू कर के ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करता है। क्योंकि देखो वह उसका पुत्र है। क्योंकि पुत्र ही पिता के आंगन को प्राप्त हो जाता है पिता मन आंगन में प्रवेश करके जैसे मोक्ष में जाने वाला आत्मा प्रकृति की तरंगों को त्याग करके वह परमात्मा ब्रह्म रूपी पित्र के द्वार पर प्रवेश कर जाता है। इसी प्रकार शिष्य अपने गुरु के द्वार में प्रवेश कर जाता है। ब्रह्म ज्ञानी बन जाता है। ब्रह्मज्ञानी बन करके उसको क्रियाओं में लाता है। क्रिया मे ला करके वह रजोगुण तमोगुण को समाप्त कर देता है। वह उन में प्रवेश करके ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है। आज मैं विशेष चर्चा प्रकट करने नहीं आया हूं विचार देने आया हूं। आज मैं तुम्हें यह वाक्य प्रकट करने को आया हूं कि राजा जो ब्रह्म वेता होना चाहिए। जब राजा के राष्ट्र में राजा ब्रह्मवर्ता होता है तो उस समाज में उस प्रजा के वैभव को कोई भी मानव नष्ट नहीं कर सकता। क्योंकि उसका राजा ब्रह्म वेता है वह भव्यता बनकर के ब्राह्म लीन रहता है ब्रह्मा में समादिष्ट रहता है। अपने वैभव कि उसे चिंता नहीं होती वह अपने कर्तव्य का काम कर रहा है। प्रातकाल यज्ञ कर रहा है। मानव समय पर अपने अन्‍न का शोधन कर रहा है तो वह राजा ऊंचा है इसीलिए वेद का ॠषि कहता है कि राजा तो ब्रह्मवेता होना चाहिए। जो  राजा ब्रह्म वेता बन के परमाणुओं को जान लेता है। वह देव रूप हो जाता है वह प्रत्येक पर अपना अनुशासन कर लेता है और जो अनुशासन नहीं कर सकता वह प्राणी नहीं कहलाता। संसार में वह पामर कह लाया जाता है।


सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...