मंगलवार, 10 सितंबर 2019

कमलनाथ को जेल भेजने का पहला कदम

दिल्ली। सरकार ने कांग्रेस के उन नेताओं के खिलाफ शिकंजा कसना शुरु कर दिया है जो कभी न कभी उसके लिए मुसीबत का सबब बने हैं।


जांच एजेंसियों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, डी. के. शिवकुमार को जेल भेजकर अपने मंसूबे जाहिर कर दिये हैं। अब इस कड़ी में ताजा नाम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का जुड़ने वाला है। गृह मंत्रालय ने कमलनाथ के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले को दोबारा खोल दिया है। कमलनाथ पर सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है। कमलनाथ के खिलाफ ताजा सबूतों पर विचार करते हुए केस नंबर 601/84 को दोबारा खोलने का नोटिफिकेशन जारी किया है। माना जा रहा है ये कमलनाथ को जेल भेजने की तैय्यारियों का पहला कदम है।


रणनीति के तहत नक्सलवाद से लोहा लेंगे

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पहली बार मानसून में सुरक्षा बलों द्वारा हर साल की अपेक्षा इस बार सबसे ज्यादा आपरेशन चलाए गए। जिसमें जवानों को कई बड़ी सफलताएं मिली है। अब लगभग मानसून खत्म होने जा रहा है। इसके साथ ऑपरेशन मानसून भी खत्म हो गया है। अब आने वाले दिनों मे नया नाम देकर नक्सलियों के खिलाफ नई रणनीति के साथ सुरक्षा बल के जवान जंगल में उतरेंगे। इसको लेकर रणनीति तैयार कर ली गई है।
मानसून के इन तीन माह में सुकमा जिले में सुरक्षा बल के जवानों ने करीब 20 नक्सल ऑपरेशन किए हैं, जिसमें उन्हें काफी कामयाबी मिली है। जवानों की सर्तकता और सर्चिंग के कारण जवानों ने करीब 18 आईईडी रिकवर की है। जगरगुंडा मुख्य मार्ग हो या फिर एर्राबोर साप्ताहिक बाजार जहां पर जवानों को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से नक्सलियों ने आईईडी लगाई थी। जिसे जवानों ने डिफ्यूज कर दिया। यदि ये ब्लास्ट हो जाते तो जवानों को काफी नुकशान हो सकता था। नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन के कारण नक्सलियों पर काफी दबाव बना है। लिहाजा नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। इन मानसून के महिनों में करीब 55 नक्सलियों ने संगठन से मोहभंग कर पुलिस के समक्ष हथियार डाले है। इसके अलावा 45 नक्सलियों को जिले के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया गया। क्योंकि अंदरूनी इलाकों में सरेंडर नक्सलियों ने भी प्रचार-प्रसार किया था। साथ ही लगातार सर्चिंग व गश्त से भी नक्सलियों पर दबाव बना है। 


सुकमा के एसपी शलभ सिन्हा के मुताबिक इन 20 ऑपरेशन में सिर्फ नक्सलियों के साथ आमने-सामने 5 मुठभेड़ हुई है, जिसमें जवानों ने बिना किसी नुकशान के 4 नक्सलियों को मार गिराया है। जिनके शव भी बरामद कर दिए गए। हालांकि पुलिस ने दावा किया है कि कई नक्सली घायल हुए है और मारे भी गए हैं, लेकिन उनके शव या नक्सली नहीं मिले है। वही पुलिस ने इन मुठभेड़ों में 7 हथियार बरामद किया है। जिसमें एक इंसास रायफल शामिल है वही जवानों ने एक नक्सली कैम्प भी ध्वस्त किया था।


कैंसर का इलाज कराकर लौटे ऋषि कपूर

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर कैंसर का करीब एक वर्ष तक विदेश में इलाज कराने के बाद स्वदेश लौट आए हैं। ऋषि कपूर पिछले लगभग एक साल से न्यूयार्क में उपचार करा रहे थे। वह बीती देर रात पत्नी नीतू कपूर के साथ स्वदेश लौटे। नीतू कपूर इलाज के दौरान उनके साथ देश में ही रहीं।
उन्होंने स्वदेश लौटने की जानकारी स्वयं ट्विटर पर दी। उन्होंने लिखा, “11 माह 11 दिन बाद घर वापसी। सभी को धन्यवाद।” वह न्यूयार्क में इलाज के दौरान भी ट्विटर पर सक्रिय रहे और अपने प्रशंसकों को स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते रहते थे।
विदेश में रहने के दौरान उन्होंने अपने काम को मिस किया, लेकिन उनके परिवार और करीबियों ने उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। उनके बेटे रणबीर और बेटी रिद्धिमा अक्सर ही उनसे मिलने न्यूयॉर्क पहुंच जाया करते थे। इंडस्ट्री में उनके जानने वाले और करीबियों ने भी समय-समय पर वहां जाकर उनसे मुलाकात की। अब जब ऋषि सबके बीच वापस अपने देश में हैं तो ये सभी के लिए खुशी का पल होगा।


क्रिकेट टीम ने पाक जाने से किया मना

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीमों की मेजबानी करने के पाकिस्तानी प्रयास को श्रीलंका के खिलाड़ियों ने बड़ा झटका दिया है। श्रीलंका के दस प्लेयरों ने पाकिस्तान के आगामी दौरे पर जाने से मना कर दिया है। यह दौरा इसी महीने प्रस्तावित है। प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक दोनों टीमों के बीच तीन टी-20 और 3 वनडे मैच खेले जाने हैं। पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच यह सीरीज 27 सितंबर से शुरू होना है। लेकिन श्रीलंका के कप्तान दिमुथ करुणारत्ने, लसिथ मलिंगा और एंजेलो मैथ्यूज जैसे 10 प्रमुख खिलाड़ियों के पाकिस्तान दौरे पर जाने से इनकार कर दिया है।


यात्रा का आनंद प्राप्त होगा: धनु

राशिफल


मेष-अप्रत्याशित लाभ की संभावना है। किसी लंबी मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। मित्रों के साथ समय सुखद व्यतीत होगा। घर-बाहर से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। विवेक का प्रयोग करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम न लें।


वृष-अकारण विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। बनते काम बिगड़ सकते हैं। परिवार में तनाव रह सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। कार्य के प्रति जवाबदारी में वृद्धि होगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा।


मिथुन-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ में वृद्धि होगी। यश बढ़ेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। शारीरिक कष्ट की आशंका है। मित्रों के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। मनोरंजन के साधन उपलब्ध होंगे। लाभ होगा।


कर्क-सुख के साधनों पर व्यय होगा। मनोरंजन के लिए समय निकाल पाएंगे। परिवार के साथ सुखद अहसास होगा। आर्थिक उन्नति के लिए नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। लंबी यात्रा का मन बनेगा। प्रमाद न करें।


सिंह-किसी धार्मिक स्थल तथा पूजा-अनुष्ठान का कार्यक्रम बन सकता है। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। नए काम मिल सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्‍थ्य की चिंता रहेगी।


कन्या-दुश्मनों से सावधान रहें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक हानि की आशंका है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। आय में निश्चितता रहेगी।


तुला-वाणी में हल्के हंसी-मजाक से बचें। बात बिगड़ सकती है। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार पर व्यय हो सकता है। किसी विशिष्ट व्यक्ति का सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होने की संभावना है।


वृश्चिक-शारीरिक पीड़ा से बाधा संभव है। स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुओं का पराभव होगा। सुख के साधनों पर व्यय होगा। संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं, भरपूर प्रयास करें। रोजगार में वृद्धि के योग हैं।


धनु-धन प्राप्ति के लिए किए गए प्रयास सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति सहज ही होगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय सुखद व्यतीत होगा। रचनात्मक कार्यों में मन लगेगा। सफलता मिलेगी। प्रमाद न करें।


मकर-धन प्राप्ति के लिए किए गए प्रयास सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति सहज ही होगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय सुखद व्यतीत होगा। रचनात्मक कार्यों में मन लगेगा। सफलता मिलेगी। प्रमाद न करें।


कुंभ-यात्रा मनोरंजक रहेगी। नेत्र पीड़ा की आशंका है। लापरवाही न करें। सुख के साधन जुटेंगे। मनोरंजन के अवसर प्राप्त होंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। मेहनत का फल प्राप्त होगा। किसी विशिष्ट व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार अच्छा चलेगा।


मीन-किसी भी तरह के विवाद-बहस इत्यादि में न पड़ें। स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। शारीरिक कष्ट भी आशंका है। अत: लापरवाही न करें। दूर से सुखद समाचार की प्राप्ति होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। आत्मसम्मान में वृद्धि होगी। लाभ होगा।


छध्‍म वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति

होम्योपैथी एक छद्म-वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथिक तैयारी किसी भी स्थिति या बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी नहीं हैं; बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययनों में होमियोपैथी को प्लेसीबो से अधिक प्रभावी नहीं पाया गया है। होम्‍योपैथी चिकित्‍सा छद्म-विज्ञान के जन्‍मदाता सैमुएल हैनीमेन है। यह चिकित्सा के 'समरूपता के सिंद्धात' पर आधारित है जिसके अनुसार औषधियाँ उन रोगों से मिलते जुलते रोग दूर कर सकती हैं, जिन्हें वे उत्पन्न कर सकती हैं। औषधि की रोगहर शक्ति जिससे उत्पन्न हो सकने वाले लक्षणों पर निर्भर है। जिन्हें रोग के लक्षणों के समान किंतु उनसे प्रबल होना चाहिए। अत: रोग अत्यंत निश्चयपूर्वक, जड़ से, अविलंब और सदा के लिए नष्ट और समाप्त उसी औषधि से हो सकता है जो मानव शरीर में, रोग के लक्षणों से प्रबल और लक्षणों से अत्यंत मिलते जुलते सभी लक्षण उत्पन्न कर सके।


होमियोपैथी पद्धति में चिकित्सक का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए जीवन-इतिहास एवं रोगलक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करनेवाली औषधि का चुनाव करना है। रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। चिकित्सक का अनुभव उसका सबसे बड़ा सहायक होता है। पुराने और कठिन रोग की चिकित्सा के लिए रोगी और चिकित्सक दोनों के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। कुछ होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के समर्थकों का मत है कि रोग का कारण शरीर में शोराविष की वृद्धि है।


होमियोपैथी चिकित्सकों की धारणा है कि प्रत्येक जीवित प्राणी हमें इंद्रियों के क्रियाशील आदर्श को बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है औरे जब यह क्रियाशील आदर्श विकृत होता है, तब प्राणी में इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए अनेक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। प्राणी को औषधि द्वारा केवल उसके प्रयास में सहायता मिलती है। औषधि अल्प मात्रा में देनी चाहिए, क्योंकि बीमारी में रोगी अतिसंवेगी होता है। औषधि की अल्प मात्रा प्रभावकारी होती है जिससे केवल एक ही प्रभाव प्रकट होता है और कोई दुशपरिणाम नहीं होते। रुग्णावस्था में ऊतकों की रूपांतरित संग्राहकता के कारण यह एकावस्था प्रभाव स्वास्थ्य के पुन: स्थापन में विनियमित हो जाता है। विद्वान होम्योपैथी को छद्म विज्ञान मानते हैं।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (धर्मवाद)

गतांक से...


राजा जानवी ने बहुत पुरातन काल में कहा था मेरे यहां मेरे राष्ट्र में भोगवाद नहीं है। मेरे राज्‍य में तो केवल शिष्टाचार है। मेरे राष्ट्र में यज्ञ होते हैं और यह भी भिन्न-भिन्न प्रकार के, माता-पिता यह चाहते हैं कि हमें संतान को जन्म देना। हमें संतान को उत्पन्न करना है तो माता-पिता चिंतन करते हैं और चिंतन करने के पश्चात वह अपनी अपनी हवी को अपने अपने आसन पर परिणीत कर देते हैं। उससे सुसन्‍तान का जन्म होता है और वह जो संतान है वह ग्रह को ऊंचा बनाती है। और जो माता-पिता अपने बालक को ऊंचा नहीं बना सकते महान नहीं बना सकते ब्रह्मचारीष्‍यमी नहीं बना सकते। उन माताओं का जीवन न होने के तुल्य कहलाता है। वह माता सौभाग्य नहीं होती है। जो माता अपने गर्भ स्थल में माता मदालसा की भांति अपने प्यारे पुत्र को गर्भाशय में ब्रह्मा का उपदेश देने वाली है। वह ग्रह धन्य होते हैं वह राष्ट्रीय धन्य होता है। जिस राजा के राष्ट्रीय चिंतन होता है। प्रत्येक ग्रह अपने आश्रम में ब्रह्म का चिंतन करने वाले हो और उसके पश्चात वह देव पूजा करने वाले हो देव पूजा कौन करता है। देव पूजा में माता-पिता करते हैं जिनके ग्रह में सुगंधी होती है। बालक ऊंचे बनते हैं माता-पिता प्रातः कालीन देव पूजा करते हैं। देव पूजा किसे कहते हैं संमिधा को अग्‍न्‍यधान किया अग्नि प्रदीप्त हो गई और उसमें स्‍वाहा कहते हैं अपनी वाणी को अग्नि की तरंगों पर विश्राम करा करके वह दोनों को प्राप्त हो जाता है। वह दो लोक में प्रवेश कर जाती है वह देव पूजा कैसी स्वच्छ हृदय से होती है। परमात्मा की वाणी से कहता आचार्य अद्भुत स्‍वाहा, अग्नि मानव अद्भुत कहता है और स्‍वाहा कह रहा है। दग्‍ध होने वाली अग्नि अंतरिक्ष में रमण करने वाली है। लोको का प्राप्त होने वाली है। वह माता पिता धन्य है जो अपनी वाणी को ब्रह्मलोक में पहुंचा देते हैं। अंतरिक्ष में पहुंचा देते हैं अग्नि की धाराओं पर विद्यमान हो करके यह वाणी अपने स्वरूप को लेकर के 2 लोक प्राप्त कर लेती है। परिणाम क्या देवताओं का दूत कौन है वह देवताओं का दूत ही अग्नि कहलाती है अग्नि महान। तृतीय जो संमिधा है जो जीवन में प्रदीप्त होती है। वह अतिथि की सेवा है अतिथि की सेवा किसे कहते हैं। बुद्धिमान गृह में आता है और बुद्धिमान का स्वागत करते हैं और बुद्धिमान का जब स्वागत होता है तो बुद्धिमान प्रसन्न होता है। योगेश्वर प्रसन्न होता है और जब वह प्रसन्न में होता है तो देखो अपने ज्ञान को दे कर के वहां से प्रस्थान करता है। जो उसने अध्ययन किया है, शिक्षाओं का व्रत किया है। उस शिक्षा को ग्रह को देख कर के मैं अपने आसन को प्रस्थान करता है। तो मुनिवरो, उस समय महाराजा जानवी ने जब यह ब्रह्मवेताओं को कहा तो उन्होंने कहा धन्य है प्रभु। उन्होंने कहा प्रभु, हम तो आत्मा की समाधि को जानना चाहते हैं। जिससे आत्मकथा बनता है यह तो हमने साधारण उपदेश आपसे पाया है। परंतु हम यह जानना चाहते हैं कि आत्मा का उत्थान कौन सी अग्नि से कौन सी समिधा से होता है? जिससे हम आत्मत्‍व बने और आत्मा में प्रवेश करते हुए आत्मा को प्राप्त होते रहे। मेरे प्यारे महाराजा जानवी ने कहा कि आत्मा का उत्थान करना है। हे ब्रह्म, जिज्ञासा है आत्मा कि यदि आज तुम चाहते हो कि हर आत्मा का कल्याण चाहते हैं। आत्मा को उधरवागति में ले जाना चाहते हैं। तो बेरसिया में उत्तर बिरलोका आज मैं तुम्हें एक ही वाक्य प्रकट करा देता हूं। जहां यह जो ब्रह्मा की ॠचा है ॠचा जो हमारे शरीर में प्रवास है गति कर रहा है। इसको प्राण के द्वारा प्राण रूपी तरकश से तीर की भांति इसका संधान करा दो। उससे आत्माओं का एक ही लक्ष्य रहता है कि आत्मा को जानना है। जब उस धनुष पर तीर रख लिया जाता है तो उसका लक्ष्य ब्रह्म को प्राप्त करना, वह ब्रह्म का यह प्राणायाम करना और प्राण के द्वारा इस आत्मा को जानना। क्योंकि मन को आत्मा के आत्मा मन को पुराण रूपी तरकस के ऊपर तीर कि आप हमें अभ्यस्त करा देना चाहिए। जिससे आत्मा में प्रवेश कर जाए और आत्मात्‍व हो। यह आत्मा का ज्ञान ही संसार में एक मानवता को प्रवास प्रवेश करा देता है। आत्मज्ञान है तो राष्ट्र को ऊंचा बनाता है आत्मज्ञान है। जो मोक्ष ले जाता है। आत्मा का जो बलिष्ठ प्राणी होता है वह संतान से हीन नहीं होता है। वह अपने जीवन में ऊंचे कर्मों से हिनता को प्राप्त नहीं होता है। इसलिए मैंने बहुत पुरातन काल में अपने प्यारे महानंद जी के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा था कि मानव को अपनी आत्मा को उधरवा बनाना चाहिए। आत्मक जो पुरुष होता है उसके शरीर में वीर्य होता है और जो होता है वह देखो रचना करता है। जहां योग में सफलता को प्राप्त होता है। मैंने बहुत पुरातन काल में अपने वाक्यों को प्रकट करते हुए कहा था। इस संसार में मानव को अपने जीवन को ऊंचा बनाना है। अपने जीवन में आत्म तत्व को प्राप्त कराना है। आत्म लोको को प्राप्त करना है। आज का हमारा यह वाक्य कह रहा है। आज मैं महाराजा जानवी के वाक्यों को प्रकट कर रहा हूं। महाराजा जानवी जहां-जहां राष्ट्र में कुशल थे वह आत्म को जानते थे। वह भी कह जाते ब्रह्मा वाक प्रकट किया। तो उसने कहा महाराज आत्मा, संतान का क्या संग्रह हैं?


27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा

27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा  गणेश साहू  कौशाम्बी। सैनी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में खेत से लौट रही बालिका के साथ 27 वर्ष पहले स...