एक माह में कश्मीर घाटी में न गोली चली, न पत्थर।
सरकार की यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल।
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे पूरा एक माह हो गया। इस एक माह में ईद का पर्व भी मना और चार शुक्रवार को जुमे की नमाज भी हुई। इस माह में सुरक्षा बलों को किसी भी स्थान पर गोली चलाने की जरुरत नहीं हुई और न ही किसी कश्मीरी ने जवानों पर पत्थर फेंके। 1980 के बाद से ही आए दिन आतंकी वारदातें तथा सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे थे। लेकिन पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात पूरी तरह बदल गए हैं। सरकार की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि कश्मीर घाटी पूरी तरह शांत हैं। पाकिस्तान परस्त कुछ लोग कह सकते हैं कि घाटी में पाबंदियां सख्त है, इसलिए शांंति है। पाकिस्तान परस्त लोगों का यह तर्क बेमानी है, क्योंकि चरमपंथ के समय घाटी के आतंकियों की हरकतों का खामियाजा जम्मू और लद्दाख के लोगों को बेवजह उठाना पड़ता था। 5 अगस्त के बाद से जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल है। यहां सरकार ने भी सारी पाबंदियां हटा ली है। कश्मीर घाटी के पांच सात जिलों में पाबंदियां लगी हुई है। यानि चरमपंथ सिर्फ पांच-सात जिलों में ही रह गया है। धीरे-धीरे इन जिलों में भी पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद और भारत में बैठे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का असर खत्म हो जाएगा, तब घाटी भी देश की मुख्य धारा से जुड़ जाएगी। चरमपंथ के समय जम्मू कश्मीर में चार चार माह तक कफ्र्यू के हालात रहे हैं, जबकि 370 हट तो मात्र एक माह हुआ है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि ऐसे हालातों के लिए फिलहाल एक वर्ष तक की व्यवस्था है। जो पाकिस्तान परस्त अभी भी घाटी में अशांति होने के इंतजार में बैठे हैं। उन्हें मौजूदा हालातों से सबक लेना चाहिए। 3 सितम्बर को ही सैकड़ों कश्मीरी युवकों ने सेना का प्रशिक्षण लेकर देश सेवा का संकल्प लिया है। अब ऐसे कश्मीरी युवक ही सीमा पर जाकर पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे। हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसी आतंकी पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीरी युवकों को हमारे सुरक्षा बलों के विरुद्ध इस्तेमाल करते थे, अब वो कश्मीरी युवक पाकिस्तान की सेना से मुकाबला करने को तैयार है। असल में अब कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान और उसके समर्थक अब्दुल्ला व मुफ्ती खानदान का खेल खत्म हो गया है। कश्मीर का अपना कानून होगा और अपना अलग झंडा होगा, यह बीते जाने की बात हो गई। जम्मू कश्मीर प्रांत से लद्दाख को अलग हो चुका है तथा जम्मू कश्मीर भी केन्द्र शासित प्रदेश है। यहां भी भारत का कानून लागू होता है। अब पाकिस्तान जिंदाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाना, राष्ट्रीय ध्वज जलाना आदि कृत्य देशद्रोह माना जाएगा। सरकार की यह भी उपलब्धि है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को किसी भी देश का साथ नहीं मिला है। उल्टे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान की फजीहत हो रही है।
एस.पी.मित्तल
बुधवार, 4 सितंबर 2019
कश्मीर में ना गोली चली ,ना पत्थर
राजस्थान में संघ का संपर्क
संघ प्रमुख मोहन भागवत और निम्बार्क पीठाधीश्वर श्यामशरण का मिलना, भक्ति और शक्ति का संगम है। पुष्कर में 11 सितम्बर तक रहेंगे भागवत।
राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत 3 सितम्बर को हिंदुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर पहुंच गए हैं। भागवत अब 11 सितम्बर तक पुष्कर स्थित माहेश्वरी सेवा सदन में ही प्रवास करेंगे। इस दौरान 7 से 9 सितम्बर के बीच संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों से भागवत का विचार विमर्श होगा। माना जा रहा है कि इन तीन दिनों की अवधि में एक दिन केन्द्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा भी भागवत से मुलाकात करेंगे। संघ के कामकाज में भागवत के पुष्कर प्रवास को सामान्य प्रक्रिया माना जा रहा है। संघ प्रमुख का वर्ष प्रवास रहता है। राष्ट्रीय बैठक भी पहले से तय रहती है। भागवत के साथ संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भी पुष्कर में मौजूद हैं। ऐसी बैठकों में संघ के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले कार्यों की समीक्षा भी होती है। संघ के लिए राजनीति शाखा भाजपा और स्वदेशी जागरण मंच में कोई फर्क नहीं होता है।
भक्ति और शक्ति का संगम:
तीन सितम्बर को पुष्कर पहुंचने पर भागवत ने वैष्णव सम्प्रदाय की निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्यामशरण महाराज से मुलाकात की। बाद में आचार्य के साथ ही पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना भी की। पुष्कर स्थित निम्बार्क पीठ के परिसर में आचार्य और भागवत के बीच बंद कमरे में लम्बी मंत्रणा हुई। हालांकि मंत्रणा की कोई जानकारी बाहर नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुलाकात भक्ति और शक्ति का संगम है। जहां देश भर के हिन्दू समुदाय की आस्था निम्बार्क पीठ से जुड़ी हुई है तो वहीं संघ की भूमिका को शक्ति के तौर पर देखा जाता है। जब भक्ति और शक्ति का संगम होता है तो फिर राष्ट्र को मजबूती मिलती है। संभवत: दोनों व्यक्तियों में राष्ट्र को मजबूत करने को लेकर ही मंथन हुआ है। निम्बार्क पीठ के मौजूदा आचार्य श्यामरण के पूर्ववर्ती आचार्य श्रीजी महाराज से भी संघ का जुड़ाव रहा है। श्रीजी भी कई मौकों पर संघ की कार्यप्रणाली की प्रशंसा कर चुके हैं। श्रीजी महाराज के देव लोक गमन के बाद श्याम शरण महाराज आचार्य की गद्दी पर आसीन हुए हैं। अब सम्पूर्ण निम्बार्क पीठ की कमान आचार्य श्यामशरण के पास है। ऐसे में संघ प्रमुख से उनकी मुलाकात बहुत मायने रखती है। आचार्य श्यामशरण भी संघ के कामकाज के प्रशंसक हैं और उन्होंने संघ को देशभक्त संस्था बताया है।
एस.पी.मित्तल
श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क (संपादकीय)
जियारत के लिए अजमेर आने वाले पाकिस्तानियों पर जब कोई शुल्क नहीं तो फिर करतारपुर साहब जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली क्यों? यही है भारत और पाकिस्तान की मानसिकता में फर्क।
करतारपुर स्थित गुरुद्वारे में जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से अब पाकिस्तान सेवा शुल्क लेने पर जोर देर रहा है। करतारपुर कोरिडोर के पूरा होने तथा भारत से करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को लेकर इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच उच्चाधिकारियों के मध्य वार्ता का दौर चल रहा है। पाकिस्तान की ओर से जो शर्तें बताई जा रही है उन्हीं में कहा गया है कि सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली भी पाकिस्तान के द्वारा की जाएगी। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने सेवा शुल्क वसूलने पर साफ इंकार कर दिया है। भारत सरकार का कहना है कि सिक्ख समुदाय के लोग धार्मिक दृष्टि से करतारपुर साहब जा रहे हैं ऐसे में शुल्क वसूली करना उचित नहीं है। हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद बना हुआ है। पाकिस्तान का प्रस्ताव है कि एक दिन में पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु न आए। इन श्रद्धालुओं में सरकारी अधिकारियों के आने पर भी रोक लगाई गई। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है। एक ओर पाकिस्तान सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क वसूलने की बात कर रहा है तो दूसरी ओर अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में आने वाले पाकिस्तान के जायरीन से किसी भी प्रकार कर शुल्क नहीं लिया जाता है। सरकारी स्तर पर सालाना उर्स में पाकिस्तान से आने वाले जायरीन को तो अजमेर के पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल में ठहराया जाता है। पांच सौ से भी अधिक जायरीन कोई पांच दिनों तक इस स्कूल में नि:शुल्क ठहरते हैं। यानि प्रशासन की ओर से पाक जायरीन से कोई किराया नहीं लिया जाता, यह बात अलग है कि करीब दस दिनों तक स्कूल को बंद करना पड़ता है। प्रशासन की ओर से पाक जायरीन को अनेक प्रकार की सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाती है। रेलवे स्टेशन से लाने ले जाने की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से नि:शुल्क की जाती है। पाक जायरीन दल पर प्रशासन के द्वारा लाखों रुपया खर्च किया जाता है। एक ओर भारत में पाक जायरीन को इतनी सुविधाएं दी जाती है तो दूसरी ओर करतारपुर साहब जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली की बात कही जा रही है। असल में भारत और पाकिस्तान की मानसिकता में यही फर्क है। भारत हमेशा पाकिस्तान के प्रति सद्भावना दिखाता है, जबकि पाकिस्तान भारत के श्रद्धालुओं के प्रति भी दुरभावना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। इसका ताजा उदाहरण करतारपुर साहब जाने वाले श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली का प्रस्ताव है।
एस.पी.मित्तल
मुख्यमंत्रियों को नहीं मिलेगी सुविधा:एचसी
जयपुर । राजस्थान से पूर्व मुख्यमंत्रियों के बुरी खबर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा दिये जाने के फैसले को हाईकोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया है। राजस्थान हाईकोर्ट का पूर्व मुख्यमंत्रियों का ये बड़ा झटका कहा जा सकता है। जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने आज राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को अवैध घोषित कर दिया है। इस अधिनियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को राजस्थान में कई सुविधाओं का प्रावधान था, जिसमें आजीवन बंगला, टेलीफोन समेत कई सुविधाएं शामिल हैं।
याचिकाओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा देने के राजस्थान सरकार के कानून को चुनौती दी गई थी। उत्तर प्रदेश में ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही विधेयक को अवैध ठहरा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी सुविधाओं को लेकर यूपी सरकार के विधेयक को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। राजस्थान में वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया इस तरह की सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। मिलापचंद डांडिया एवं अन्य की याचिकाओं में सरकार के इस अधिनियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा देने के प्रावधान को चुनौती दी गई थी। याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही यूपी के मामले में इस तरह के विधेयक को अवैध ठहराने का हवाला भी दिया गया। फिलहाल अभी राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले सरकारी सुविधाओं को लाभ वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया ले रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही आदेश दिया था। उस आदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला नहीं दिया जा सकने की बात थी। याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही उत्तर प्रदेश के मामले में इस तरह के विधेयक को अवैध ठहराने का हवाला भी दिया गया। वहीं कुछ दिन पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही आदेश दिया था। उस आदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला नहीं दिए जा सकने की बात थी।राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले सरकारी सुविधाओं का लाभ फिलहाल वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया ले रहे हैं। हालांकि याचिकाकर्ता की ओर से वकील विमल चौधरी और योगेश टेलर की पैरवी के बाद इन तमाम सुविधाओं पर पाबंदी लग गई है। जो राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिल रही थी।
सब्सिडी खाता धारको के लिए खुशखबरी
यदि आपके खाते में आती है सब्सिडी, तो आपके लिए आई बहुत बड़ी खुशखबरी, तुरंत क्लिक कर जाने।
नई दिल्ली। यदि आपके खाते में आती है सब्सिडी तो जरूर जाने यह बातें। यह बातें जानना सभी के लिए बेहद जरूरी है। दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं मोदी सरकार शुरुआत से ही नई-नई योजनाएं लेकर लोगों के समक्ष आ रही है। घरों में महिलाओं को धुएं वाले चूल्हों से छुटकारा दिलाने और पर्यावरण को बचाने के लिए गैस सिलेंडर योजना शुरू की थी। जिसके इस्तेमाल के लिए मोदी सरकार द्वारा कुछ अभियान भी चलाए गए हैं। इसके अलावा लोगों को गैस सिलेंडर के इस्तेमाल के प्रोत्साहन के लिए खाते में गैस सब्सिडी दी जा रही है।
आप बता दें कि गैस सब्सिडी वाले ऐसे बहुत से लोग हैं जो हर महीने गैस सिलेंडर खरीदते हैं।लेकिन उनके खाते में सब्सिडी नहीं आ पाती है।
ऐसे में उन्हें गैस दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। बावजूद इसके उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है।
इसलिए मोदी सरकार ने इसके लिए ऑनलाइन सर्विस शुरू की है। जिसमें सिलेंडर धारक ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से अपने गैस सिलेंडर की जानकारी और सब्सिडी की जानकारी हासिल कर पाएंगे। इसके लिए धारक के पास लॉग इन आईडी होनी आवश्यक है। जिसके माध्यम से धारक वेबसाइट पर जाकर अपने गैस सिलेंडर की सब्सिडी के स्टेटस को जान पाएंगे। साथ ही इसके एड्रेस में भी बदलाव कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए आपका मोबाइल नम्बर गैस एजेंसी में रजिस्टर कराना होगा।
अशोक सरकार ने बताया अव्यावहारिक कानून
आम जनता के लिए कल्याणकारी योजनाए चलाने वाली अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान में मोटर वाहन संशोधन अधिनियिम के नाम पर ,भारी जुर्माना वसूली का खौफ बताकर आम जनता को लूटने के मंसूबों पर पानी फेर दिया
कोटा। राजस्थान सरकार ने फ़िल्मी नौसिखिया स्टाइल में केंद्र सरकार द्वारा अव्यवाहारिक रूप से वाहन चालकों के खिलाफ जजियाकर वसूली को मानने से इंकार कर दिया है ,,केंद्र सरकार राजस्थान सरकार पर ऐसी अवैध कार्यवाही को लागू करने के लिए दबाव बना रही है ,, सभी को पता है डेशिंग चीफ मिनिस्टर ,दक्षिणी भारत की एक नौसिखिया फिल्म में ,मोटर वाहन चालकों से जुर्माना मनमाना वसूली का एक आदेश मुख्यमंत्री ने किया था ,बस वही नौसिखिया पन देश की केंद्र सरकार ने किया है ,,मोटर वाहन अधिनियम के संशोधन को 1 सितंबर से लागू होने के बारे में घोषणा के बाद ,सभी पुलिसकर्मियों ,, आर टी ओ के अधिकारीयों और इन सभी लोगों के साथ अखबारी ,मिडिया खबरे बनाकर माहौल बनाने की साज़िश में लगे लोगों की लूट योजनाओं पर पानी फिर गया है ,,, सड़कों पर कैमरे लगाना ,आसान है ,लेकिन क्राइम कंट्रोल करना उन केंद्रों असंभव तो नहीं ,मुश्किल होने के बाद भी नामुमकिन नहीं ,लेकिन हमारे यहाँ कैमरों से अपराधी नहीं पकड़े जाते ,सिर्फ हेलमेट और ओवर स्पीड के चालान बनाये जाते है ,,आम लोग खुद ही बताये क्या ,सड़को पर किसी ने केंद्र सरकार ,या राजस्थान सरकार की गति सीमा वाली अधिसूचना कहीं लिखी हुई देखी है ,सांकेतिक चिन्ह देखे है ,नहीं न तो फिर आम जनता को क्या पता की किस सड़क पर कितनी गति सीमा पर वाहन चलाना है ,फिर भी मनमानी चालांन बाज़ी नियम तो सभी जानते है ,अधिसूचना का उलंग्घन ही अपराध है ,और किसी भी अधिसूचना को साक्षर करने के लिए चिन्ह के रूप में भी लगाना ज़रूरी है ,, लेकिन ऐसा नहीं है किसी को गति सीमा की अधिसूचना ,ठहराव की अधिसूचना की जानकारी हो तो प्लीज़ बताना ज़रूर ,,यहाँ तो संकेतक चिन्हों पर ,नेताओं के स्वागत सत्कार , बधाईयों के पोस्टर रोज़ लगे मिलते है ,किसी भी यातायात अधिकारी ने ऐसे लोगों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं दिखाई , किसी भी पुलिस थानाधिकारी ,,यातायात अधिकारी ,पुलिस कर्मी ने यातायात व्यवस्था को छिन्नभिन्न कर सड़कों पर मोत बाँट रहे आवारा जानवरों को लेकर नगर निगम को पत्र नहीं लिखा ,, नगर निगम ज़िम्मेदार अधिकारीयों के खिलाफ विधि की अवज्ञा की एफ आई आर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार नहीं ,किया सड़को पर जानलेवा खड्डे ,, या यूँ कहिये सड़क ही नहीं ,सड़क गायब है ,ऐसे लापरवाह अधिकारीयों के खिलाफ यातायत व्यवस्था में लगे किसी भी पुलिस अधिकारी ने ज़िम्मेदार ठेकेदार या अधिकारी को मुक़दमा दर्ज करवाकर जेल में नहीं डाला ,,दृष्टिभ्रम ,विज्ञापन जो सड़को के आसपास ,वाहन चालकों को भर्मित कर दुर्घटना का कारण बनते है ,उन्हें सड़कों के आसपास दोनों किनारों ,सामने के विज्ञापन बोर्डों से हटवाने के लिए ,उनके खिलाफ फौजदारी कार्यवाही ,नेशनल ,स्टेट हाइवे एक्ट के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गयी है ,,, सड़को पर ट्रेक्टर ट्रॉलियां है , कोई जांच नहीं कर रहा ,, हीरो हौंडा ,स्कूटर की ठेला रिक्शा गाड़ियां सड़को पर दौड़ रही है ,खुद यातायात विभाग के नियंत्रण में दुपहिया वाहन उठाने वाली गाड़ियों का पंजीयन,उनकी बॉडी बदलाव को लेकर क्या अनुमति लेकर पंजीयन करवाय गया , है कोई देखने वाला नहीं है। बसों का ठहराव ,ऑटो चालकों ,मैजिक,मिनीबस ,टेम्पों ,का सड़कों पर मनमाना राज ,ओवर लोड वाहनों का संचालन ,, मंज़िली ठहराव की बसें ,कॉन्ट्रेक्ट केरीज परमिट होने पर भी टिकिट लेकर चलाने के खिलाफ इनका ध्यान नहीं है ,बस दोपहियां वाहन ,,, अधिकतम कर चालक कभी कभार ,ज़्यादातर दो पहिया वाहन चालकों की घोड़ी कसने ,, कभी हेलमेट के नामा पर ,कभी कागज़ात जांच के नाम पर उन पर गाज गिरती है ,अगर टूटी सड़क ,, खडडे में गिर जाने से मोटर साइकल स्लिप होती है ,तो खबर आती है। हेलमेट पहना होता तो बच जाता ,यह खबर नहीं आती के सड़क पर खड्डे अगर नहीं होते तो मोटर साइकल सवार बाच सकता था। गांय से टकराकर कोई गिरे तो खबर आती है। हेलमेट अगर होता तो, गांय के उत्पात गांय मालिकों के खिलाफ कार्यवाही की खबर गोण हो जाती है। आप सभी जानते है ,कोटा शहर में कई दर्जन लोग आवारा जानवरों के कारण मोत का शिकार हुए है ,कई सैकड़ों लोग गंभीर घायल हुए है ,लकिन कोई माई का लाल यातायात पुलिस अधिकारी जो दुपहिया वाहन चालकों को शिकारी की तरह दबोचने की कोशिश में लगा रहता है। ऐसा नहीं आया ,जिसने किसी लापरवाह अधिकारी के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करवाकर उसे गिरफ्तार करवाया हो ,किसी जानवर के मालिक के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करवाकर उसे गिरफ्तार करवाया हो ,अपने कर्तव्य तो निभाते नहीं और दुसरो के खिलाफ सुर्खियां बटोरने के लिए छोटे लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। खैर, वाहन व्यवस्थित होना चाहिए। क़ानून की पालना होना चाहिए , के मोटर वाहन अधिनियम में जुरमाना और वाहन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही के लिए हेलमेट चेकिंग के अलावा पवाली चास से भी अधिक ऐसी चाराये है ,जिन पर अगर ध्यान दिया जाए ,तो यातायात व्यवस्था में सुधार होगा ,,राजस्थान की कल्याणकारी सरकार ,वाहन पार्किंग सहित कई व्यवस्थाओं के लिए अतिरिक्त बजट दे रही है ,अगर यातायत पुलिसकर्मियों की संख्या कम कर उनसे क़ानून व्यवस्था का काम लिया जाए तो यक़ीनन वाहन चालकों खासकर दुपहिया वाहन चालकों से लूट की शिकायतें कम होंगी और अतिरिक्त पुलिस कर्मी होने से थाना क्षेत्रों में गश्त बढ़ेगी ,अपराधों में नियंत्रण व्यवस्थाएं लागू होंगी ,, अपराधियों की निगरानी ,उनकी धरपकड़ के लिए पूइसकर्मियों की कमी भी पूरी की जा सकेगी। केंद्र सरकार का दायित्व है के पहले वोह देश के हर राज्य,हर ज़िले,हर कस्बे ,गाँव की सड़के,अतिक्रमण मुक्त ,आवारा जानवर मुक्त दृष्टि भ्रम विज्ञापन मुक्त सड़कें साफ़ सुथरी , छोड़ी बिना खड्डे वाली आम जनता की आवाजाही के लिए सुरक्षित रहे। इसके लिए पहले अतिरिक्त बजट देकर व्यवस्थाएं करे ,फिर जुर्माने की लूट को लागू करे ,यह भारत देश है। यह देश की व्यवस्थाएं है यहाँ फिल्मों से नौसिखिया अव्यवहारिक सीख लेकर कार्यवाही अमल में लाना एक छोटी सोच से अधिक कुछ नहीं।
एडवोकेट अख्तर खान "अकेला"
भाजपा-कांग्रेस करेगी शक्ति-प्रदर्शन
जगदलपुर। दंतेवाड़ा उपचुनाव के नामांकन का आज अंतिम दिन है और दोनों ही मुख्य दल के प्रत्याशी आज अपने अपने बड़े नेताओं के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए नामंकन भरने पहुचेंगे। जिसकी तैयारी कोंग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों ने कर ली है। कोंग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बताया कि आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी पुनिया समेत मंत्री व बस्तर के सभी कोंग्रेसी विधायक व कार्यकर्ताओं के साथ प्रत्याशी देवती कर्मा का नामांकन भरने पहुचेंगे। वही देवती कर्मा के अनुसार पिछले चुनाव में मिली हार से हमने सिख ली है और सरकार रहने का फायदा भी इस उपचुनाव में मिलेगा। वही भाजपा की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंग संघटन मंत्री सौदान सिंह नेता प्रतिपक्ष समेत सभी बड़े नेता दंतेवाड़ा प्रत्याशी ओजस्वी मंडावी के नामांकन में शामिल होने पहुचेंगे। जो अपने कार्यकर्ताओ के साथ शक्ति प्रदर्शन कर रैली के रूप में नामांकन भरने पहुचेंगे।
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