बुधवार, 4 सितंबर 2019

निर्धन जनता का प्रमुख फल

अमरुद


भारत की जलवायु में अमरूद इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है। पता चलता है कि 17वीं शताब्दी में यह भारतवर्ष में लाया गया। अधिक सहिष्ण होने के कारण इसकी सफल खेती अनेक प्रकार की मिट्टी तथा जलवायु में की जा सकती है। जाड़े की ऋतु में यह इतना अधिक तथा सस्ता प्राप्त होता है कि लोग इसे निर्धन जनता का एक प्रमुख फल कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनाई जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है।


अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त है। यह गरमी तथा पाला दोनों सहन कर सकता है। केवल छोटे पौधे ही पाले से प्रभावित होते हैं। यह हर प्रकार की मिट्टी में उपजाया जा सकता है, परंतु बलुई दोमट इसके लिए आदर्श मिट्टी है। भारत में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं।


अमरूद का प्रसारण अधिकतर बीज द्वारा किया जाता है, परंतु अच्छी जातियों के गुणों को सुरक्षित रखने के लिए आम की भाँति भेटकलम (इनाचिंग) द्वारा नए पौधे तेयार करना सबसे अच्छी रीति हैं। बीज मार्च या जुलाई में बो देना चाहिए। वानस्पातिक प्रसारण के लिए सबसे उतम समय जुलाई अगस्त है। पौधे 20 फुट की दूरी पर लगाए जाते हैं। अच्छी उपज के लिए दो सिंचाई जाड़े में तथा तीन सिंचाई गर्मी के दिनों में करनी चाहिए। गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट, 15 गाड़ी प्रति एकड़ देने से अत्यंत लाभ होता है। स्वस्थ तथा सुंदर आकर का पेड़ प्राप्त करने के लिए आरंभ से ही डालियों की उचित छँटाई (प्रूनिग) करनी चाहिए। पुरानी डालियों में जो नई डालियाँ निकलती हैं उन्हीं पर फूल और फल आते हैं। वर्षा ऋतु में अमरूद के पेड़ फूलते हैं और जाड़े में फल प्राप्त होते हैं। एक पेड़ लगभग 30 वर्ष तक भली भाँति फल देता है और प्रति पेड़ 500 से अधिक फल प्राप्त होते हैं। कीड़े तथा रोग से वृक्ष को साधारणात: कोई विशेष हानि नहीं होती।


अमरूद के अद्भुत गुण 
अमरूद मीठा और स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। सर्दियों में अमरूद खाने के फायदे ही फायदे हैं। दंत रोगों के लिए अमरूद रामबाण साबित होता है। अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा भी ये कई औषधीय गुणो के लिए जाना जाता है।


राजनीतिक सिद्धांत और दर्शन

राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है और राजनीतिक सिद्धान्त उसका एक उप -क्षेत्र भर है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। कुछ चिंतकों ने राजनीति विज्ञान के विज्ञान पक्ष पर बल दिया है। उनका कहना है कि जब राजनीति विज्ञान का अध्ययन एक विज्ञान के रूप में वैज्ञानिक पद्धतियों से किया जाता है तब राजनीतिक सिद्धान्त जिस हद तक राजनीतिक दर्शन का हिस्सा है उस हद तक वह राजनीति विज्ञान नहीं माना जा सकता, क्योंकि राजनीति विज्ञान में तो अमूर्त्त और अंतःप्रेरणा से उद्भूत निष्कर्षों या चिंतनों के लिए कोई स्थान नहीं है लेकिन राजनीतिक दर्शन ठीक इन्हीं अयथार्थ पद्धतियों पर भरोसा करके चलता है। राजनीतिक सिद्धान्त न तो शुद्ध चिंतन है, न शुद्ध दर्शन और न शुद्ध विज्ञान।


राजनीतिक सिद्धान्त की आधारभूत विशेषताएँ 
कोई राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः किसी एक व्यक्ति की सृष्टि होता है, जो उसके नैतिक और बौद्धिक रुख पर आधारित होता है और जब वह अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन कर रहा होता है तब वह सामान्यतः मानव जाति के राजनीतिक जीवन की घटनाओं, संघटनाओं और रहस्यों की व्याख्या करने की कोशिश कर रहा होता है। उस सिद्धान्त को सच माना या न माना जा सकता है, लेकिन उसे एक सिद्धान्त के रूप में हमेशा मान्य किया जा सकता है। आमतौर पर हम देखते हैं कि किसी चिंतक का राजनीतिक सिद्धान्त किसी-किसी मानक कृति में प्रस्तुत किया जाता है, जैसे अफलातून ने रिपब्लिकमें या रॉल ने ए थिओरी ऑफ़ जस्टिसमें प्रस्तुत किया।
राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है। वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है और कभी-कभी क्रांतियों की हिमायत करता है। बहुधा भविष्य के बारे में पूर्वानुमान भी दिए जाते हैं।
राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः विद्या की किसी-न-किसी शाखा पर आधारित होता है और यद्यपि अध्ययन का विषय वही रहता है, तथापि सिद्धान्तकार कोई दार्शनिक, अर्थशास्त्री, धर्मतत्वज्ञ या समाजशास्त्री आदि हो सकता है।
इस प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त केवल व्याख्याएँ एवं पूर्वानुमान ही नहीं प्रस्तुत करता है बल्कि कभी-कभी वह ऐतिहासिक घटनाओं को प्रभावित और उनमें भागीदारी भी करता है, खास कर तब जब वह किसी खास ढंग की राजनीतिक कार्यवाही प्रस्तावित करता है और जिस ढंग की कार्यवाई वह सुझाता है उसे व्यापक स्वीकृति प्राप्त होती है। महान सकारात्मक उदारवादी चिंतक हेरॉल्ड लास्की ने कहा था कि राजनीतिक सिद्धान्तकार का काम केवल वर्णनकरना नहीं बल्कि जो होना चाहिए उसका सुझाव देना भी है।
राजनीतिक सिद्धान्त बहुधा पूरी विचारधारा का आधार भी होता है। उदारवादी सिद्धान्त उदारवाद का आधार बन गए और मार्क्स का सिद्धान्त मार्क्स की छाप की समाजवादी विचारधारा का किसी चिंतक द्वारा प्रस्तावित कोई राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः हमेशा उस चिंतक की राजनीतिक विचारधारा को प्रतिबिंबित कर रहा होता है। यही कारण है कि जब विचारधाराओं के बीच विभेद होते हैं तो उसके फलस्वरूप विचारधाराओं में अंतर्निहित सिद्धान्तों के बारे में बहस चलती है।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता-कर्तव्यवाद

गतांक से ....
एक समय ऋषि साक्‍लय मुनि महाराज कात्‍यागं के गृह में भ्रमण करते हुए जा पहुंचे। ग्रह में वह उनकी कन्या थी, उस कन्या ने कहा, प्रभु! मुझे कुछ उपदेश दीजिए। उन्होंने कहा कि उन्हें क्या उपदेश दूं? कन्या ने कहा, भगवान! आप तो बड़े महान तपस्वी है वैद्ज्ञ है। दर्शनों के गर्भ को जानते हैं। उन्होंने कहा कि देखो मैंने तो यह पाया है। अब तक मुझे जो भी शिक्षा प्राप्त हुई है। उसी के अनुसार में तुमसे कहता हूं किसी से भी हिंनता के वाक्यों का उच्चारण मत करो। तुम कन्या हो कात्यागं के ग्रह में तुम्हारा जन्म हुआ है। अपने कुल का तुम्हारा परिवर्तन हो। तुम अपने हृदय में इच्छा प्रकट मत करो कि मेरी जो माता है या पित्र है। मेरे पालन-पोषण के लिए कुछ प्रदान करें। क्योंकि इच्छा करना तुम्हारे लिए हीनता है । मेरे पूज्य पिता जी ने,माता का उपदेश और आचार्यों का मुझे यह उपदेश रहा है। यदि कन्या की इच्छा रहती है। कोई परिवर्तन होने पर पति को, पति को न प्रवेश होने पर,क्या मेरे लिए कोई इच्छा होनी चाहिए । यह मेरी आत्मा उससे मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी। ऐसा ऋषि साक्‍लय ने देखो कात्‍यांग की कन्या को उपदेश दिया। कात्यागं की कन्या स्वाति ने यह कहा हे भगवान, बहुत प्रियतम उपदेश मुझे शिरोमणि है। क्योंकि वाक्यों में यह इच्छा प्रकट नहीं करनी चाहिए। मानव को अपने क्रियाकलापों में, तपस्या में रहना चाहिए। जब उन्होंने कहा प्रभु मुझे कोई उपदेश दीजिए। मेरा उपदेश तो केवल यही है मानव को वेद का अध्ययन करना चाहिए। वेद में रत रहना चाहिए। वेद: अमृता ब्रह्मलोकम यह जो वेद है यह अमृत है ।यह परम पिता परमात्मा ने हमारे लिए जो वेद का निर्माण किया है। सृष्टि का सृष्टि को उत्पन्न करने वाला जो निर्माणवेता है। सृष्टि के प्रारंभ में मानव के ज्ञान और विज्ञान को और अपने संस्कारों को उपलब्ध करने के लिए ज्ञान और विज्ञान की धाराओं में रत होने के लिए उन्होंने पवित्र वेद का ज्ञान हमें दिया है। इस वैदिक ज्ञान को वैदिक प्रकाश को अपना करके हम अपने मानत्व को देखो उधरवा में ले जाए और मोक्ष की पगडंडी ग्रहण करें। देखो कात्यागं की पत्नी ने कहा प्रभु आप उपदेश दे रहे हैं मेरी कन्या को यह तो बड़ा प्रिय है। परंतु मोह के संबंध में आपका क्या विचार है? मोह होना चाहिए अथवा नहीं होना चाहिए। कात्यागं की पत्नी ने ऋषि से कहा कि मेरा एक प्रसंग हैं । मैं हूं नहीं होना चाहिए।मुनी ने कहा,परंतु कर्तव्य का पालन होना चाहिए कर्तव्य में मानव की प्रवृत्तियां नहीं रहती है। एक माता के गर्भ में बालक है परंतु माता जानती है कि निर्माण करने वाला प्रभु है। यह परमपिता परमात्मा की संपदा है। यह मेरी संपदा नहीं है। यह मेरी संपदा नहीं है यह संपदा प्रभु की है। मेरे गर्भ से उत्पन्न होने वाला बालक मानव प्रभु की आज्ञा है। उसके नियमों का पालन करने वाला हो। मेरा यह जीवन सार्थक बन जाएगा ।जब माता के हृदय में यह विचार रहते हैं तो मानो माता अपने बालक को जन्म दे करके स्वयं में प्रसन्न है कि मेरा बालक पूर्ण आयु होगा। क्योंकि माता यह जानती है मेरे विचारों में एक निष्ठा रहेगी तो मेरे गर्भ से उत्पन्न होने वाला बालक भी पूर्ण आयु को प्राप्त होगा और जब पूर्ण आयु में होगा तो माता-पिता को उसका शौक नहीं होगा। शौक उस काल में प्राणी होता है जब प्राणी का मिलन हो करके, विच्छेद हो जाता है। हमारे यहां उस काल में मुनिवर माता-पिता से पूर्व बालक का विच्छेद नहीं होता है। क्योंकि माता अपने कर्तव्य का पालन करती है और मृत्यु के रूप को जान लेती है। अपने बालक को माता कहती है। हे बालक! यह जो संसार है जिस संसार में हम और तुम सब विधमान है। यह निसार है इसमें कोई सार नहीं है। यह तो केवल विडंबना का क्षेत्र बना हुआ है। मुनिवरो, माता कहती है हे बालक इस संसार से उपराम होना। इस संसार को अपने उपांगों से जानना ही हमारा कर्तव्य है। हे बालक तू मुझे जानू मैं तुझे जानू। संसार में देखो मृत्यु का अभाव हो जाता है। माताजी अपने बालक को बाल्यकाल में शिक्षा-संस्कारों को उपलब्ध करा देती है। तो मुनिवरो, माता ब्रह्म कहलाती है। बालक तेरा अज्ञान होना ही मृत्यु है। शोकाकुल होना ही मृत्यु है। हे बालक संसार में निराशा ही तेरी मृत्यु है। मेरे प्यारे बालक देखो गौरव के जो वाक्य प्रकट करती है। माता कर्तव्य का पालन करती है और कर्तव्य का उपदेश है। वह माता को महान और पवित्र बना देता है। उसी आभा में नियुक्त हो जाता है। मुनिवर के गृह में जब साक्‍लय मुनि महाराज ने उपदेश दिया तो मुनिवर कात्यागं की पत्नी चरणों को स्पर्श करके बोली, धन्य है प्रभु। परंतु मेरा एक प्रसंग और है। बालक जब गृह स्वामी बन जाए बन जाए और वह ग्रह स्वामी वादी बन जाए तो माता-पिता को क्या करना चाहिए। मेरे प्यारों उस समय ऋषि ने कहा कि माता-पिता को मानो प्रभु की गोद में चला जाना चाहिए। याग में रत हो जाए और ब्रह्मा बन जाए। ब्रह्मा भी प्राणी होते हैं। जो ब्रह्मा का चिंतन करते रहते हैं और ब्रह्म ज्ञान जो प्रकृति के गर्भ में ब्रह्मा की आभा निहित हो रही है उस आधा में माता-पिता जागृत हो जाते हैं। तो वह उसके ग्रह में बालक बालिका माता-पिताओ उस ब्रह्म ज्ञान के ब्रह्मा ज्ञान का देवत्व जानने का बालक प्रयास करता है। अनुसरण करता है तो गृह में मानो स्वर्ग की स्थापना हो जाती है। स्वर्ग आ जाता है। वायुमंडल दूषित नहीं होता। वायुमंडल जब दूषित होता है जब ग्रह स्वामी और ग्रह स्वामीनी ग्रह में निहित रहते हैं। देखो बालक ग्रह स्वामी हो जाता है गृह स्वामी रत हो जाता है। उस समय देखो वे माता-पिता उसकी आभा में उसके क्रियाकलाप में जब बालक बनते हैं। उस समय गृह प्रवेश सत्यवादी विचार में रह करके कलह हमें गृह हो जाते हैं। और वह ग्रह नर्क बन जाते हैं। वहीं नारकिक विचार वायुमंडल में प्रवेश होते हैं तो वायुमंडल भी दूषित हो जाता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
september 05, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-33 (साल-01)
2.  बृहस्पतिवार,05सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष सप्‍तमी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:56,सूर्यास्त 6:44
5.न्‍यूनतम तापमान -27 डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


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मंगलवार, 3 सितंबर 2019

मनी लॉन्ड्रिंग में शिवकुमार को किया गिरफ्तार

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को किया गिरफ्तार


बेंगलुरु। कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ये गिरफ्तारी हुई है। वे ईडी के रडार पर चल रहे थे। ईडी ने पिछले साल सितंबर में शिवकुमार और दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के एक कर्मचारी और अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी का मामला आयकर विभाग द्वारा पिछले साल बेंगलुरु की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर एक आरोपपत्र पर आधारित है जिसमें करोड़ों रुपये की कर चोरी और हवाला लेनदेन का आरोप लगाया गया था। बता दें कि डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी चल रहा है। साल 2017 में इनकम टैक्स ने डीके शिवकुमार के 64 ठिकानों पर छापेमारी की थी।


उनके खिलाफ टैक्स चोरी की शिकायतों पर कार्रवाई हुई थी। उस दौरान डीके शिवकुमार और बाकी कांग्रेस नेताओं ने राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का बीजेपी पर आरोप लगाया था। डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के सबसे अमीर नेताओं में से एक हैं। 2013 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 250 करोड़ बताई थी, जो अब बढ़कर 600 करोड़ रुपये हो गई है।


बिजली दरों में 51 फ़ीसदी बढ़ोतरी

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के करीब पौने तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है। पावर कारपोरेशन को घाटे से उबारने की कवायद के तहत काफी जद्दोजहद के बाद सरकार ने मंगलवार को बिजली की कीमतों में 15 फीसदी तक की बढोत्तरी कर दी है। अधिकृत सूत्रों ने बताया कि उप्र विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव में मामूली फेरबदल कर आज शाम बिजली के दामों में 12 से 15 प्रतिशत की बढोत्तरी की है। इससे पहले पॉवर कारपोरेशन ने करीब 25 फीसदी बढ़ोतरी की मांग की थी। नियामक आयोग के फैसले के अनुसार शहरी क्षेत्र में बिजली दरों में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गयी है, वहीं औद्योगिक क्षेत्र में यह इजाफा 10 फीसदी का है। इसके अलावा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है।


विद्युत उपभोक्ताओं को अब तक लगने वाला रेगुलेटरी सरचार्ज 4.8 प्रतिशत को समाप्त कर दिया गया है, वहीं रेगुलेटरी असेट 11852 करोड़ का उपभोक्ताओं को फौरी तौर पर लाभ नहीं दिया गया है। उन्होने बताया कि ग्रामीण अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ता जो पहले एक किलोवाट पर 400 रूपया देते थे अब उन्हें 500 रूपया देना पड़ेगा, जो फिक्स्ड चार्ज में 25 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों का अनमीटर्ड किसान जो 150 प्रति हार्सपावर अब उसे 170 प्रति हार्सपावर देना होगा यानी कि उसकी दरों में लगभग 14 प्रतिशत की बढोत्तरी की गयी है।सूत्रों ने बताया कि शहरी क्षेत्र के गरीबों को भी बिजली का तगडा झटका दिया गया है। शहरी बीपीएल अब तक एक किलोवाट तक 100 यूनिट तक तीन रूपये प्रति यूनिट का भुगतान करना था अब उसे सीमित कर एक किलोवाट तक 50 यूनिट तक 3 रूपया सीमित कर दिया गया है यानी कि शहरी बीपीएल यदि 100 यूनिट खर्च करेगा तो उसकी दरों में लगभग 36 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि कर दी गयी है।


हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रही आबादी के लिये फिलहाल 100 यूनिट तक तीन रूपये की दर रखी गयी है। इसी प्रकार प्रदेश के शहरी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में लगभग स्लैबवाइज लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। उद्योगो की दरों 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है।  उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के दवाब में लिया गया फैसला महंगाई से जूझ रही गरीब जनता की परेशानियो में इजाफा करेगा। परिषद पूरे टैरिफ का अध्ययन कर रहा है बहुत जल्द ही नियामक आयोग में एक रिव्यू याचिका दाखिल करेगा।


कांग्रेस से मिली 'आप' की अलका लांबा

सोनिया गांधी से मिलीं 'आप' की अलका, ये हो सकता है अगला दांव


नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. अलका लांबा ने कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. आज हुई इस मुलाकात के बाद चर्चा का दौर फिर से शुरू हो गया है कि क्या अलका फिर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में वापसी की तैयारी कर रही हैं. इस बात से अब इनकार की संभावनाएं कम ही नजर आ रही हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अलका लांबा पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी आलाकमान से नाराज चल रही हैं. यही नहीं उन्होंने कई बार अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस में जाने की ओर इशारा भी किया है. हालांकि, ये देखना दिलचस्प होगा आखिर अलका लांबा कांग्रेस में वापसी कब करेंगी?


'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ  गणेश साहू  कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को जिल...