मंगलवार, 3 सितंबर 2019

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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september 04, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-32 (साल-01)
2. बुधवार,04सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष षष्‍ठी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:55,सूर्यास्त 6:45
5.न्‍यूनतम तापमान -27 डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
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सोमवार, 2 सितंबर 2019

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने दी गणेश चतुर्थी की बधाई

नई दिल्ली।गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने इस पर्व को लेकर देशवासियों को बधाई दी है। अपने बधाई संदेश में राष्ट्रपति ने कामना की है कि सभी लोगों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त हो। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी देशवासियों को पावन पर्व गणेश चतुर्थी की ढेर सारी शुभकामनाएं। बप्पा के दर्शन के लिए मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में सुबह से ही भक्तो का तांता लगा हुआ है। सिद्धिविनायक मंदिर को 100 तरह के फूलों से सजाया गया है। लोगों में जश्न का माहौल है। लोग अपने-अपने घरों में भी गणपति की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।


बधाई संदेश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ”गणपति बप्पा मौर्या! गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि भगवान गणेश के आशीर्वाद से सभी को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त हो। उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने बधाई संदेश में कहा, ”विनायक चतुर्थी के पावन अवसर पर देशवासियों के जीवन में शुभता, समृद्धि,स्वास्थ्य और संतोष की कामना करता हूं। लोकमान्य तिलक ने इस पर्व को राष्ट्रीयता और सामाजिक एकता के सांस्कृतिक पर्व के रूप में स्थापित किया था। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।


विनायक चतुर्थी के पावन अवसर पर देशवासियों के जीवन में शुभता, समृद्धि,स्वास्थ्य और संतोष की कामना करता हूं। लोकमान्य तिलक ने इस पर्व को राष्ट्रीयता और सामाजिक एकता के सांस्कृतिक पर्व के रूप में स्थापित किया था। उस आदर्श के प्रति सत्यनिष्ठ रहें।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर देश के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा, ”सभी देशवासियों को पावन पर्व गणेश चतुर्थी की ढेर सारी शुभकामनाएं, गणपति बाप्पा मोरया। गणेश चतुर्थी के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दी। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा, ”गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की शुभकामनाएं भगवान गणेश सभी का मंगल करें और सबों के घरों में सुख शांति लाए यही श्री चरणों में प्रार्थना है। इस मौके पर बप्पा के दर्शन के लिए मंदिरों में भीड़ उमड़ रही है, लोग अपने हाथों में फूल-मालाएं और आरती की थाल लेकर मंदिर की ओर दर्शन के लिए जा रहे हैं। इस मौके पर मुंबई की छटा देखते बन रही है।


भागवत ने की मदनी से सामान्‍य मुलाकात

नई दिल्‍ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जमीयत उलेमा ए हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की और दोनों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में हिंदू और मुस्लिमों के बीच एकता को मजबूती प्रदान करने और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटनाएं जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। यह बैठक शुक्रवार को यहां संघ के यहां स्थित कार्यालय केशव कुंज में हुई और इसका आयोजन भाजपा के पूर्व महासचिव (संगठन) रामलाल ने किया था जो वापस आरएसएस में चले गए हैं।


मदनी ने कहा, ''बैठक 90 मिनट से अधिक समय तक चली और इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। भागवत इस बैठक के लिए हवाई मार्ग से नागपुर से यहां आये थे। यह बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।'' उन्होंने कहा कि संघ और जमीयत संभवत: देश में सबसे बड़े गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन हैं और वे देश के हित में काम करना चाहते हैं जो उन्हें बातचीत की एक मेज पर ले आया। मदनी ने कहा, ''हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच एकता को मजबूती प्रदान करना, भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार डालने और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) पर चर्चा हुई।'' दोनों नेताओं के बीच यह बैठक असम में एनआरसी की अंतिम सूची सार्वजनिक किये जाने से एक दिन पहले हुई।
मदनी ने बैठक में यह भी कहा कि जमीयत वीडी सावरकर और एमएस गोलवलकर के विचारों से सहमत नहीं है। सम्पर्क किये जाने पर संघ के प्रचार विभाग के पदाधिकारी राजीव तुली ने बैठक की पुष्टि की और कहा कि संघ प्रमुख होने के नाते भागवत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से संवाद करते हैं। तुली ने कहा, ''ऐसी ही एक बैठक के तहत भागवत शुक्रवार को मदनी से मिले। संघ देश में एकता और शांति के लिए काम करता है और जो भी इस प्रयास में शामिल होना चाहता है उसका स्वागत है।'' संघ के सूत्रों के अनुसार बैठक इस वर्ष के शुरू में होनी थी लेकिन इसे लोकसभा चुनाव के बाद के लिए टाल दिया गया ताकि बैठक का कोई राजनीतिक अर्थ न निकाला जाए।


पायलट की जद मे नही अध्यक्ष का पद

तो क्या अब अशोक गहलोत को कमजोर मुख्यमंत्री साबित करने की साजिश हो रही है? डिप्टी सीएम सचिन पायलट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छीनने से जुड़ा है मामला। 
जयपुर। राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्र भास्कर और पत्रिका में अलग अलग स्टोरी प्रकाशित हुई। दोनों स्टोरी से प्रतीत होता है कि अशोक गहलोत को कमजोर मुख्यमंत्री साबित करने की राजनीतिक साजिश हो रही है। भास्कर की स्टोरी में बताया है कि गत आठ माह में सरकार ने 85 बड़े फैसले किए, लेकिन मात्र 29 फैसले ही केबिनेट की बैठक में हुए। यानि 56 फैसले मंत्रिमंडल की बैठक के बगैर ही सर्कूलेशन पद्धति से हुए। सर्कूलेशन पद्धति में मुख्यमंत्री और एक अन्य मंत्री की मंजूरी के बाद ही मंत्रिमंडल की मंजूरी मान ली जाती है। कोई भी सरकार सर्कूलेशन पद्धति को तब अपनाती है, जब मंत्रिमंडल की बैठक संभव नहीं हो। यानि आपात स्थिति में राजस्थान में तो इन दिनों कोई आपात स्थिति नहीं है तो फिर सरकार के अधिकांश फैसले सर्र्कूलेशन पद्धति से क्यों मंजूर हो रहे हैं? क्या अशोक गहलोत अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने में भी समर्थ नहीं है? दूसरी खबर पत्रिका की है। इस खबर में बताया गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी मंत्रियों को अपने प्रचार वाले जिलों में दौरान करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 23 में से 16 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के आदेश  की परवाह नहीं की। यानि 16 मंत्री अपने प्रचार वाले जिलों में नहीं गए। इस खबर से भी प्रतीत होता है कि गहलोत की अपने मंत्रियों पर पकड़ नहीं है। राजनीति में सब जानते हैं कि ऐसी खबरें कब और किस उद्देश्य से प्लांट की जाती है। 30 अगस्त को राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद से ही सचिन पायलट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद छीनने की खबरें चल रही थी। खुद पांडे ने भी माना कि प्रदेशाध्यक्ष के पद को लेकर श्रीमती गांधी से बात हुई है। पायलट सरकार में डिप्टी सीएम भी हैं, ऐसे एक व्यक्ति एक पद की मांग उठाई गई। अब जब सचिन पायलट पर एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू किया जाएगा तो मीडिया में अशोक गहलोत कमजोर मुख्यमंत्री साबित करने वाली खबरें तो आएंगी ही। पायलट के समर्थक तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर लगाए बैठे हैं। यह तो अच्छी बात है कि पायलट ने गहलोत की सरकार में डिप्टी सीएम बनना स्वीकार कर लिया, नहीं तो राजस्थान में गहलोत का तीसरी बार सीएम बनना संभव नहीं था। सब जानते हैं कि सचिन पायलट के दखल की वजह से ही सरकार के फैसले सर्कूलेशन पद्धति से करवाए जा रहे हैं। यदि प्रस्तावों पर विचार हो तो केबिनेट की बैठक में विवाद हो सकता है। विवाद को टालने के लिए ही सीएम गहलोत सर्कूलेशन का सहारा ले रहे हैं। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी मंत्री यदि जिलों का दौरा नहीं कर रहे हैं तो इसका जवाब पायलट ही दे सकते हैं। गहलोत और पायलट सार्वजनिक मंचों से भले ही एकता दिखाएं, लेकिन दोनों के बीच मन मुटाव अब जगजाहिर है। खींचतान के चलते ही राजनीति नियुक्तियां भी नहीं हो रही है। 
एस.पी.मित्तल


कानून का दोगलापन (संपादकीय)

तो क्या आम आदमी को भी सुप्रीम कोर्ट से चिंदबरम की तरह राहत मिलेगी?


कानून का दोगलापन।
करोड़ों के घोटाले का आरोप है पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम पर। 

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बड़ी राहत देते हुए तिहाड़ जेल ले जाने पर पांच सितम्बर तक के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिल्ली की सीबीआई कोर्ट का निर्णय से पहले दिया है। संभवत: देश के न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब इस तरह सुप्रीम कोर्ट का रुख सामने आया है। आमतौर पर किसी आरोपी की रिमांड अवधि खत्म होने तथा निचली अदालत से जमानत न मिलने पर आरोपी को जेल भेज दिया जाता है। बाद में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेने की कार्यवाही की जाती है। लेकिन 2 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की सीबीआई अदालत से अंतरित जमानत न मिलने पर भी चिदंबरम को पांच सितम्बर तक जेल नहीं भेजा जाए। यानि अब चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में ही रहेंगे। सुनवाई से पहले चिदंबरम के वकीलों ने भी सुप्रीम कोर्ट में आग्रह किया था कि चिदंबरम के राजनीतिक महत्व को देखते हुए जेल भेजने पर रोक लगाई जाए। चिदंबरम को सीबीआई ने 22 अगस्त को गिरफ्तार किया था।  दिल्ली की सीबीआई अदालत दो बार चिदंबरम के रिमांड की अवधि बढ़ा चुकी है। 2 सितम्बर को रिमांड की अवधि समाप्त हो रही थी। ऐसे में चिदंबरम को दिल्ली की तिहाड़ जेल में भेजे जाने की संभावना थी, लेकिन सीबीआई कोर्ट अपना निर्णय देती इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने जेल भेजने पर अंतरिम रोक लगा दी। अब पांच सितम्बर को पता चलेगा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी रोक को आगे बढ़ाता है, या फिर चिदंबरम को तिहाड़ जेल जाना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने दो सितम्बर को जो निर्णय दिया, उससे सवाल उठता है कि क्या ऐसी राहत आम आदमी को भी मिल सकती है? आमतौर पर आम आदमी को तो रिमांड की अवधि समाप्त होने पर जेल जाना ही पड़ता है। मालूम हो कि चिदंबरम ने यूपीए सरकार में केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते हुए आईएनएक्स मीडिया और अन्य संस्थानों के पक्ष में विदेशी निवेश को लेकर जो निर्णय दिए उसकी एवज में लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों ने चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की कंपनियों में करोड़ों रुपया जमा करवाया है। सीबीआई अब इसी घोटाले की जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से ईडी की कार्यवाही पर भी रोक लग गई है। अब ईडी के अधिकारी भी चिदंबरम को पांच सितम्बर तक गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। 
एस.पी.मित्तल


जाधव से अकेले में मिले भारतीय कमिश्नर

कुलभूषण जाधव से भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर आहलूवालिया ने अकेले में मुलाकात की। पाकिस्तान के मंसूबों को समझना होगा। 

इस्लामाबाद। भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव आहलूवालिया ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से अकेले में मुलाकात की। भारत का आरोप है कि नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव को ईरान से जबरन पकड़ा गया। 2017 में गिरफ्तारी के 2 सितम्बर को पहला मौका रहा, जब जाधव को अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत कांसुलर एक्सेस की सुविधा दी है। जाधव को आतंकी गतिविधियों में लिप्त मानते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा दे रखी है। हालांकि भारत की पहल पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में फांसी की सजा पर रोक लगा दी। अब न्यायालय के आदेशों के अनुरूप ही जाधव को कांसुलर एक्सेस की सुविधा दी गई है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद जो पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमले की धमकी दे रहा था, वह अचानक जाधव के मुद्दे पर इतना नरम क्यों पड़ गया है, इसे भारत को समझना होगा। गत वर्ष तो पाकिस्तान ने जाधव की मां और पत्नी को भी अकेले में नहीं मिलने दिया था। चूंकि जाधव पाक सेना के कब्जे में है, इसलिए जाधव से कुछ भी बयान दिलवाया जा सकता है। पाकिस्तान ने कभी भारत के प्रति सकारात्मक रुख नहीं अपनाया है। हमेशा भारत को नुकसान करने वाले कार्य ही किए हैं। एक ओर जब पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है जब जाधव को कांसुलर एक्सेस देना मायने रखता है। भारत को पाकिस्तान के इन मंसूबों को समझना होगा। यह माना कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को दुनियाभर में कोई समर्थन नहीं मिल रहा हैं। यहां तक एक भी मुस्लिम देश पाकिस्तान के साथ नहीं है, लेकिन फिर पाकिस्तान की बदली हुई नियत को समझना होगा। हमारी सफलता तभी है, जब जाधव सकुशल भारत लौटे। इसके लिए अभी पाकिस्तान में न्यायिक प्रक्रिया का भी सामना करना होगा। प्रधानमंत्री इमरान खान में इतना दम नहीं है कि वह अपनी सेना से जाधव को छीन कर भारत को सौंप दें। वैसे ही इन दिनों पाकिस्तान में इमरान खान को बहुत कमजोर प्रधानमंत्री माना जा रहा है। पाकिस्तान में हिन्दू समुदाय पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। लड़कियों को जबरन उठाकर ले जाने, धर्म परिवर्तन करवाने आदि की घटनाएं बढ़ रही हैं। 
एस.पी.मित्तल


दूतावास के सामने,इमरान का पुतला फूंका

नई दिल्ली। पाकिस्तान में एक सिख लड़की के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद से सोमवार को राजधानी दिल्ली में सिखों का गुस्सा सड़क पर दिखा। नाराज सिख समुदाय के लोगों ने पाकिस्तान दूतावास के सामने प्रदर्शन कर घेराव किया। इस दौरान सिख समुदाय के लोग पाकिस्तान दूतावास को एक ज्ञापन देने जा रहे थे तभी दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया और सिख समुदाय ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की और इमरान खान का पुतला जलाया। बता दें की पाकिस्तान के ननकाना साहिब में एक सिख लड़की को जबरन अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल कराया गया, जिसके बाद ही इमरान सरकार सिख समुदाय के निशाने पर है। पाकिस्तान स्थित सिख समुदाय भी लगातार इस मामले को लेकर आक्रामक है। लगातार विरोध के बाद पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है।


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...