रविवार, 1 सितंबर 2019

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
september 02, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-30 (साल-01)
2. सोमवार,02सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष तीज ,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:53,सूर्यास्त 6:54
5.न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी, बरसात की संभावना।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275


शनिवार, 31 अगस्त 2019

दुल्हन बनाकर नेपाली युवतियों की तस्करी

काठमांडू। नेपाल पुलिस नें दुल्हन तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है और इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें चार चीन के नागरिक भी शामिल हैं।


चार चीनी नागरिकों को त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया गया है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनकी पहचान जेन शियेंगडॉन, झांग डोंगहुई, क्वांग झांग पेंग, क्विन लियांग के रूप में हुई है जो ह्यूबी प्रांत के निवासी हैं।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ईश्वर बाबू कार्की ने बताया कि अन्य नेपालियों की पहचान रीना तमांग बिबी रमानी, पर्बती गुरुंग, अमृता गुरुंग, उषा घिमिरे, रोज तमांग, भारत तमांग के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि ये लोग नेपाली महिलाओं और युवतियों की तस्करी कर उन्हें चीन में दुल्हन बनाकर भेजते थे। उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने दो चीनी नगरिको क्वैन और क्विन को दो नेपाली दुल्हनों के साथ बुधवार को त्रिभुवन राष्ट्रीय हवाईअड्डे से शक के आधार पर बुधवार को गिरफ्तार किया और उनसे हुई पूछताछ में रैकेट का पता लगा। इसके बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए आठ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया और पांच पीड़ितों को बचा लिया गया।उन्होंने बताया कि नेपाली तस्कर जो चीन के लिए काम करते हैं वो युवतियों और महिलाओं को चीन में नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर इनकी तस्करी करते हैं। ये महिलाएं दूरस्थ क्षेत्रों से आती है। यह दुल्हन खरीदने की प्रथा के अंतर्गत आता है और यह चलन चीन में प्रचलित है। नेपाल के लोग स्वयं अपनी पत्नी को कुछ पैसों के लिए चीनी लोगों को बेच देते हैं।


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि चीनी लोग दस लाख रुपये में नेपालियों से दुल्हन खरीदते हैं। यह लड़कियां अनपढ़ और गरीब परिवारों की होती हैं पर देखने में सुंदर होनी चाहिए। जिन युवतियों और महिलाओं की तस्करी की जाती है। उनमे अधिकाँश कास्की, चितवन, सुनसारी और लाम जंग जिलों से आती है। एक नेपाली ने तोखा में मकान किराये पर ले रखा है जहां इन लड़कियों को चीनी नागरिकों की सही दुल्हन बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। दूल्हे को नकली दुल्हन के दस्तावेज तैयार करने से पहले अपनी भावी दुल्हन से वीडियो चैट पर बात कराई जाती है। इस दौरान पुलिस ने 12 मोबाइल फोन, 22 लाख नेपाली रुपये और अन्य विदेशी मुद्राएं जब्त की हैं।


सार्वजनिक क्षेत्र में बैंक मुनाफे में सुधार

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार हुआ है।  बैंक का कुल फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर 2018 के अंत में 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर मार्च 2019 अंत में 7.9 लाख करोड़ रुपये रह गया।वित्त मंत्री ने कहा कि आंशिक ऋण गारंटी योजना के क्रियान्वयन से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों के लिए पूंजी आधार में सुधार आया है। 3,300 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है और अतिरिक्त 30,000 करोड़ रुपये देने की तैयारी है। 
सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को लेकर उठाए कदमों की घोषणा करने के लिए अपने दूसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि  सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरू किए गए सुधारों का परिणाम दिखने लगा है। 2019-20 की पहली तिमाही में उनमें से 14 बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों में नीरव मोदी जैसी धोखाधड़ी रोकने के लिये स्विफ्ट संदेशों को कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है।


पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार

परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान अब भारत से द्विपक्षीय वार्ता को तैयार। 
तो क्या इमरान खान पीओके देने को तैयार हैं?



जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं। 25 दिनों में पांच बार ऐसी धमकी दी जा चुकी है। इमरान के एक मंत्री ने तो अक्टूबर-नवम्बर में भारत पर हमले की बात भी कही। लेकिन 31 अगस्त को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी का बयान सामने आया है। कुरैशी का कहना है कि पाकिस्तान भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता को तैयार है। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी भारत के साथ वार्ता से इंकार नहीं किया है। अभी यह पता नहीं चला कि कुरैशी कश्मीर मुद्दे पर अब भारत के साथ किन बिन्दुओं पर वार्ता करेंगे। लेकिन विगत दिनों इमरान खान ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भारत के साथ वार्ता करने का कोई मतलब नहीं रहा है। इसके जवाब में भारत की ओर से कहा गया कि जब कभी पाकिस्तान के साथ वार्ता होगी तो पाक के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद को वापस लेने की होगी। सवाल उठता है कि अब जब पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता को तैयार है तो क्या इमरान खान पीओके को वापस भारत को देने के लिए तैयार हैं? 1947 में विभाजन के समय जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने सम्पूर्ण राज्य का विलय भारत में किया था। लेकिन धोखाधड़ी कर पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के मुजफ्फाराबाद पर कब्जा कर लिया। हालांकि विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को आजाद करने का हिमायती रहा है। भारत में बनने वाली सरकारों ने भी पाकिस्तान के दबाव में अनुच्छेद 370 के प्रावधान लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस अनुच्छेद के प्रावधानों की वजह से ही जम्मू कश्मीर में भारत के कानून लागू नहीं हो सके। अब जब अनुच्छेद 370 का प्रभाव खत्म हो गया है तो जम्मू कश्मीर में भी भारत के कानून लागू हो रहे हैं। अब लद्दाख को अलग राज्य बनाकर जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। यही वजह हेै कि पांच अगस्त के बाद से कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों को एक बार भी गोली नहीं चलानी पड़ी है। हालांकि घाटी में अभी भी अनेक पाबंदियां लगी हुई, लेकिन हालात धीरे धीरे सामान्य हो रहे हैं। पहले पाकिस्तान को घाटी में हिंसक घटनाओं का इंतजार था, लेकिन अब जब 25 दिन गुजर गए हैं, तो पाकिस्तान को भी अहसास हो गया है कि अब कश्मीर घाटी में भी भारत सरकार का पूरी तरह नियंत्रण हो गया है। यही वजह है कि अब पाकिस्तान की ओर से द्विपक्षीय वार्ता की बात कही जा रही है। 
एस.पी.मित्तल


अजमेर के नेता कुछ तो शर्म करें..

बीसलपुर बांध के पानी से भरा जाएगा आमेर का मावठा (तालाब)।
ताकि पर्यटक आकर्षित हो सकें। अजमेर के राजनेता कुछ तो शर्म महसूस करें। 

राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जयपुर के निकट आमेर किले के मावठा (तालाब) को बीसलपुर बांध के पानी से भरने के निर्देश जारी किए हैं। यानि कोई सवा सौ किलोमीटर दूर बीसलपुर बांध से पाइप लाइन के जरिए पानी खींच कर मावठा में डाला जाएगा। वैैसे तो आमेर के किले में बनी झील प्राकृतिक है और पूर्व में बरसात के पानी से भर जाती थी, लेकिन लोगों ने बरसात के पानी आने के रास्तों पर अवैध कब्जा कर लिया, इसलिए बरसात में भी झील में पानी नहीं आया है। इससे आमेर आने वाले पर्यटक भी मायूस होते हैं। चूंकि आमेर में पर्यटन ही रोजगार का मुख्य साधन है, इसलिए आमेर के जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बनाया और मावठा को बीसलपुर बांध के पानी से भरने का आदेश करवा लिया। चूंकि मावठा तक पाइप लाइन बिछी हुई है, इसलिए बीसलपुर का पानी आने में कोई परेशानी नहीं होगी। आमेर वाली पाइप लाइन को जयपुर शहर वाली लाइन से सिर्फ जोडऩा है। जब आमेर तक बीसलपुर का पानी आ ही जाएगा तो फिर घरों में भी सप्लाई हो जाएगी। यानि मावठा के बाद घरों में सप्लाई की मांग होगी। चूंकि आमेर के जनप्रतिनिधि जागरुक और एकजुट हैं, इसलिए सब संभव है। सरकार के फैसले के बाद आमेर में जश्र का माहौल है। 31 अगस्त को नागरिकों ने जनप्रतिनिधियों के साथ जश्न मनाया। मालूम हो कि इस बार बीसलपुर बांध में क्षमता के अनुरूप 315.50 मीटर पानी आ गया है। इन दिनों तो अतिरिक्त पानी को गेट खोलकर बांध से बाहर निकाला जा रहा है।
शर्म करें अजमेर के जनप्रतिनिधि : 
बीसलपुर बांध से ही अजमेर जिले में पेयजल की सप्लाई होती है। चूंकि जयपुर के मुकाबले में अजमेर के जनप्रतिनिधि राजनीतिक दृष्टि से कमजोर रहते हैं, इसलिए अजमेर को लेकर कोई योजना नहीं बनाई जाती। वर्ष 2016 में हिन्दुओं के तीर्थ पुष्कर के पवित्र सरोवर के कुंडों में बीसलपुर बांध के पानी को डालने की योजना बनाई थी, लेकिन श्रद्धालु कम से कम पूजा अर्चना तो कर सके, लेकिन यह योजना मुश्किल से एक माह में फेल हो गई। 2016 में पुष्कर मेले के दौरान तो पानी डाला गया, लेकिन इसके बाद आज तक भी सरोवर में बीसलपुर का पानी नहीं आया। यानि सरकार आमेर में पर्यटकों के लिए तो मावठा को भर सकती है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए पुष्कर सरोवर में पानी नहीं डाला जा सकता। जयपुर में अधिक से अधिक क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई की योजनाएं लगातार बन रही है। अब तो जयपुर के बाद दौसा में भी बीसलपुर का पानी पहुंच गया है, जबकि अजमेर शहरी क्षेत्रों में अभी भी दो दिन में एक बार सप्लाई की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है। 2014 से लेकर 2018 तक अजमेर से लेकर जयपुर और दिल्ली  तक भाजपा का एक छत्र राज था। जिले के 7 में से 4 भाजपा विधायक मंत्री स्तर की सुविधा भोग रहे थे। ओंकर सिंह लखावत, शिवशंकर हेड़ा जैसे भाजपा नेताओं का प्राधिकरण का अध्यक्ष होने के नाते राज्य मंत्री की सुविधा मिली हुई थीं, लेकिन इसके बावजूद भी पेयजल के विस्तार की कोई योजना नहीं बनी। जिले के सबसे बड़े उपखंड ब्यावर में भी पानी की त्राहि-त्राहि मची रही। असल में इन भाजपा नेताओं में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने अजमेर की मांग रख सके। कमोबेश अब यही स्थिति कांग्रेस के नेताओं की है। हालांकि केकड़ी के विधायक रघु शर्मा कांग्रेस सरकार में ताकतवर मंत्री हैं, लेकिन अजमेर जिले के विकास में शर्मा को रुचि कमजोर है। कांग्रेस के दूसरे विधायक राकेश पारीक सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते अपने निर्वाचन क्षेत्र मसूदा में ही ध्यान नहीं दे पाते हैं। किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक  सुरेश टाक सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन टाक उनकी सोच किशनगढ़ तक ही सीमित हैं। यूं तो भाजपा के पांच विधायक है, लेकिन अब ये विपक्ष में हैं। विधानसभा में चिल्लाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते हैं। विकास के मुद्दे पर अजमेर के कांग्रेस और भाजपा के विधायक सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि कभी भी एक नहीं  दिखें। 
एस.पी.मित्तल


राजस्थान कांग्रेस में असमंजस बरकरार

कांग्रेस के मौजूदा हालातों में क्या सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है? अविनाश पांडे की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अटकलें। 

राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद पांडे ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकायों और पंचायतीराज के चुनावों को लेकर विचार विमर्श हुआ। पांडे ने माना कि प्रदेशाध्यक्ष के पद को लेकर भी बात हुई है। सूत्रों की माने तो सोनिया गांधी ने प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पांडे के साथ लम्बी मंत्रणा की है। असल में मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट राज्य सरकार में डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर हार के बाद कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद की मांग उठने लगी। अब जब श्रीमती सोनिया गांधी फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गई है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्थिति को और मजबूत माना जा रहा है। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष के मुद्दे पर गहलोत ने सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। गहलोत ने सिर्फ इतना ही कहा है कि यह काम राष्ट्रीय नेतृत्व के देखने का है। सब जानते हैं कि गहलोत एक मजे हुए राजनीतिज्ञ हैं। विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में करना जानते हैं। सचिन पायलट और उनके समर्थकों के लाख दबाव के बाद भी राजनीतिक नियुक्तियां नहीं की गई है। गत 19 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समारोह में पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष की हैसियत से कार्यकर्ताओं की पीड़ा भी मुख्यमंत्री के सामने रखी। तब भी यही लगा कि दोनों के बीच मन मुटाव तो है ही। लेकिन सवाल उठता है कि क्या मौजूदा हालातों में पायलट को प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाया जा सकता है? प्रदेश में नवम्बर में कुछ स्थानीय निकायों तथा फिर जनवरी में पंचायतीराज के चुनाव होने हैं। पायलट गत पांच वर्ष से प्रदेशाध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं। यही वजह है कि पायलट ने सभी जिलाध्यक्षों के पद पर अपने चहेतों की नियुक्ति कर रखी हैं। यानि संगठन पर पूरी तरह पायलट का कब्जा है। लेकिन सब जानते हैं कि कार्यकर्ता की वफादारी सत्ता के साथ होती है। चूंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अशोक गहलोत बैठे हैं, इसलिए मानसिकता बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। वैसे भी गहलोत की मिलन सारिता का कोई मुकाबला नहीं है। गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि तीन बार प्रदेशाध्यक्ष और चार बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बननने का अवसर मिला था। अब गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। यदि सचिन पायलट से प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाया जाता है तो यह कांग्रेस के बड़ी बात होगी। सवाल यह भी है कि क्या पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेशाध्यक्ष के पदों में से एक पद चुनने की छूट दी जाएगी? सूत्रों की माने तो पायलट प्रदेशाध्यक्ष के पद का चयन करेंगे? क्योंकि भविष्य में प्रदेशाध्यक्ष ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंच सकता है। कांग्रेस के दिल्ली दरबार में एप्रोच रखने वालों का मानना है कि पायलट को ऐसी छूट नहीं मिलेगी। यानि पायलट सिर्फ डिप्टी सीएम ही बने रहेंगे। पायलट को अपनी राजनीति डिप्टी सीएम के पद से ही चलानी होगी। यह भविष्य ही बताएगा कि पंचायतीराज पीडब्ल्यूडी, आईटी आदि विभागों के मंत्री रह कर पायलट अपनी राजनीति को कितना चला पाएंगे। पर इतना जरूर है कि आने वाले दिनोंमें कांग्रेस की राजनीति में अशोक गहलोत की एक छत्र चलेगी। 
एस.पी.मित्तल


एनआरसी की जरूरत (संपादकीय)

एनआरसी की जरूरत तो अजमेर में भी है। कई बार पकड़े गए हैं बांग्लादेशी।


नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने असम में नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजंस की लिस्ट जारी की तो दिल्ली में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी ने भी दिल्ली में भारतीय नागरिकता की पहचान करवाने की मांग की। तिवारी ने कहा कि दिल्ली में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी  एवं अन्य विदेशी नागरिक रह रहे हैं। संभवत: भारत अकेला ऐसा मुल्क होगा, जहां किसी देश का नागरिक धड़ल्ले से रह सकता है। हमारे यहां वोट के खातिर रोहिंग्याओं के समर्थक भी बैठे हैं। मनोज तिवारी की मांग बताती है कि देश की राजधानी में घुसपैठिए मौजूद हैं। जहां तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर का सवाल है तो अजमेर के दरगाह क्षेत्र से कई बार बंग्लादेश के नागरिकों को पकड़ा गया है। माना जाता है कि दरगाह क्षेत्र के आवासीय इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी औरतें और पुरुष श्रमिक के तौर पर काम करते हैं। कई बार ऐसे श्रमिकों को पकड़ कर पुलिस सीमा पार भेजती भी है। अजमेर से कई कुख्यात अपराधी और ड्रग तस्कर भी पकड़े गए हैं। पुलिस प्रशासन अभियान चला कर ऐसे लोगों की धरपकड़ करता है, लेकिन वोट की राजनीति के चलते कई विदेशियों ने मतदाता पहचान पत्र, पेन कार्ड और आधार कार्ड तक बनवा लिए हैं। सस्ती दर पर गेंहू आदि सामग्री लेने के लिए भले ही मात्र गरीबों के पास बीपीएल कार्ड न हो, लेकिन बाहर से आए लोग ऐसे कार्ड हासिल करने में सफल हो गए। जहां तक प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए भामाशाह स्वास्थ्य कार्ड भी बनवा लिया है। कई विदेशी नागरिक तो धड़ल्ले से वृद्धावस्था पेंशन तक ले रहे हैं। राजनीतिक संरक्षण की वजह से अजमेर की पहाडिय़ों पर ऐसे लोगों ने पक्के मकान भी बना लिए हैं। गंभीर बात तो यह है कि इन अवैध मकानों में बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवा दी गई है। यानि भारतीय नागरिकता के लिए जो दस्तावेज चाहिए वो सब विदेशी नागरिकों ने हासिल कर लिए हैं। भाजपा जब विपक्ष में होती है तो अजमेर में बांग्लादेशी नागरिकों का मुद्दा उठाती है, लेकिन जब सत्ता में होती है तो भाजपा के नेता चुप हो जाते हैं। सवाल उठता है कि सत्ता में रहते हुए भाजपा नेता विदेशी नागरिकों का मामला क्यों नहीं उठाते हैं? जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस के नेता तो पहले ही एनआरसी जैसे कामों के खिलाफ हैं। 
एस.पी.मित्तल


विवाद: तीसरे अंपायर ने यशस्वी को आउट दिया

विवाद: तीसरे अंपायर ने यशस्वी को आउट दिया  अखिलेश पांडेय  मेलबर्न। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेले जा रहे चौथे टे...