सुनील गौर जैसे निर्भिक और ईमानदार न्यायाधीश को ही ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज की थी।
केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील गौर को प्रिवेंशन ऑफमनी लोड्रिंग एक्ट ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त किया है। 23 अगस्त को हाईकोर्ट से रिटायर हुए न्यायाधीश गौर आगामी 23 सितम्बर को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं को न्यायाधीश गौर की नई नियुक्ति उचित नहीं लग रही है। असल में रिटायरमेंट से दो दिन पहले ही 21 अगस्त को न्यायाधीश गौर ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी, इसलिए सीबीआई चिदंरबम को 22 अगस्त की रात को गिरफ्तार कर सकी। कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि न्यायाधीश गौड ने पी चिदंबरम की जमानत खारिज की, इसलिए केन्द्र सरकार ने ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाकर उपकृत किया है। असल में कांग्रेस अपने 55 वर्ष के शासन में ऐसा ही करती आई थी, इसलिए अब उसी नजरिए से सोचा जा रहा है, जबकि न्यायाधीश गौर ने सभी सबूतों को देखते हुए संवैधानिक तरीके से जमानत खारिज की। यह संयोग ही है कि न्यायाधीश गौड दो दिन बाद रिटायर हो रहे थे। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाती है और इस समय सीजेआई के पद पर जस्टिस रंजन गोगोई बैठे हैं, जिनकी ईमानदारी पर कांग्रेस को भी शक नहीं है। जहां तक न्यायाधीश गौर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाए जाने का सवाल है तो ऐसे महत्वपूर्ण ट्रिब्यूनल में सुनील गौर जैसे ईमानदार न्यायाधीश की ही नियुक्ति होनी चाहिए। यदि न्यायाधीश गौड कानून के दायरे में चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज नहीं करते तो चिदंबरम कानून के शिकंजे में कैसे आते? राजनीति में से भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा, जब चिदंबरम जैसे राजनेता गिरफ्तार होकर जेल जाएंगे। एक तरफ आम धारणा है कि राजनेता कितना भी भ्रष्टाचार कर लें, लेकिन उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती। इस धारणा को तोडऩे का काम ही न्यायाधीश गौर ने किया है। चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई के पास भ्रष्टाचार के जो सबूत हैं उनसे अब सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल रही है। अब साफ हो गया है कि चिदंबरम ने केन्द्रीय वित्त मंत्री की हैसियत से जो निर्णय किए, उनकी एवज में आईएनएक्स मीडिया जैसी कंपनियों ने उनके पुत्र कार्ति चिदंरबम की कंपनियों में करोड़ों की राशि जमा करवाई।
एस.पी.मित्तल
गुरुवार, 29 अगस्त 2019
सुनील होने चाहिए ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष
आख़िर, डर किसका है? ( संपादकीय)
तो क्या पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षण से भारत डर जाएगा?
31 अगस्त तक बंद हैं एयर स्पेस।
28 अगस्त को जब पाकिस्तान ने सम्पूर्ण एयर स्पेस बंद करने की घोषणा की थी, तभी यह आशंका हो गई थी कि पाकिस्तान कुछ न कुछ हरकत करेगा। 29 अगस्त को दोपहर में मीडिया में खबरें आई कि पाकिस्तान ने 28 अगस्त की रात को बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। पाकिस्तान का दावा है कि 290 किलोमीटर तक जाने वाली यह मिसाइल अपने साथ 700 किलो विस्फोटक सामग्री ले जा सकती है। यानि यह मिसाइल जिस स्थान पर गिरेगी वहां 700 किलो विस्फोटक सामग्री का विस्फोट होगा। चूंकि मिसाइल का परीक्षण सफल रहा, इसलिए वैज्ञानिकों की टीम को पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ने बधाई दी है। साफ जाहिर है कि पाकिस्तान की ओर से यह कार्यवाही भारत को डराने और दुनिया खासकर मुस्लिम देशों पर दबाव बनाने के लिए की गई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के बाद से ही पाकिस्तान, भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। चूंकि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को किसी भी देश का समर्थन नहीं मिमला, इसलिए अब आए दिन युद्ध की धमकी दी जा रही है। पाकिस्तान को लगता है कि हमला कर जम्मू कश्मीर हासिल कर लिया जाएगा। हालांकि प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो परमाणु हमले की धमकी दी थी, लेकिन फिलहाल पाकिस्तान अपने ही देश में मिसाइल परीक्षण कर रहा है। यह बात अलग है कि भारत के पास 290 किलोमीटर से भी अधिक दूर तक जाने वाली मिसाइल तैयार है और भारत के पास एंटी मिसाइल तकनीक भी है। यानि पाकिस्तान की मिसाइल को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है। सवाल उठता है कि क्या भारत-पाकिस्तान से डर जाएगा? 370 को बेअसर करने से पहले ही भारत ने हर परिस्थितियों पर विचार कर लिया था। भारत को पाकिस्तान की बौखलाहट के बारे में भी पता था। भारत ने पूरी तैयारी से 370 को बेअसर किया है। इसे सरकार और हमारे सुरक्षा बलों की समझदारी ही कहा जाएगा कि पांच अगस्त से पहले पूरा जम्मू कश्मीर आतंक की चपेट में था, लेकिन अब सिर्फ कश्मीर घाटी के पांच सात जिले ही आतंक ग्रस्त माने जा रहे हैं। अब सम्पूर्ण जम्मू और लद्दाख में हालात सामान्य है। यानि सरकार ने कम से कम जम्मू और लद्दाख को तो आतंक मुक्त कर भारत का कानून लागू कर दिया है। जहां तक कश्मीर घाटी का सवाल है तो अभी मात्र 23 दिन गुजरे हैं। सरकार के पास एक साल की रणनीति है। पत्थर फेंकने वाले कश्मीरियों को जब रोजगार मिलेगा तो घाटी में भी हालात सामान्य हो जाएंगे। पाकिस्तान कश्मीर के हालातों को लेकर चाहेे जो प्रोपेगंडा करे, लेकिन पिछले 23 दिन में सुरक्षा बलों को घाटी में गोली चलाने की जरूरत नहीं हुई है। अब मस्जिदों से जेहाद के नारों के बजाए शांति और अमन की अपील होती है। असल में पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर में बैठे पाकिस्तान परस्त नेता महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला आदि को उम्मीद थी कि अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के बाद जम्मू कश्मीर में आग लग जाएगी, लेकिन दोनों के ही मंसूबे पूरे नहीं हुए। पाकिस्तान को अब उसके कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद के छीनने का भी डर हो गया है। इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान में लगातार आक्रोश बढ़ता जा हा है। चूंकि पाकिस्तान ने 31 अगस्त तक एयर स्पेस पर रोक लगाई है, इसलिए उम्मीद है कि और मिसाइलों का परीक्षण होगा। देखना है कि पाकिस्तान इन हरकतों का अमरीका, रूस, चीन जैसे देशों में क्या असर पड़ता है। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत मुस्लिम देशों का भारत के साथ खड़ा होना है। पाकिस्तान एक ओर कश्मीर से मुसलमानों की दुहाई दे रहा है तो दूसरी ओर एक भी मुस्लिम देश पाकिस्तान के साथ नहीं है। उल्टे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यूएई में सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल
'पायलट' किसको जिम्मेदार ठहरांगे ?
राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव में हार के लिए अब सचिन पायलट किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर की थी टिप्पणी। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के केकड़ी में भी हार।
लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की हार पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सरकार में डिप्टी सीएम रह कर सत्ता का सुख भोग रहे सचिन पायलट ने कहा था कि सरकार में बैठे लोगों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि विधानसभा में जीतने के बाद हम लोकसभा में क्यों हार गए? हमें हार के कारणों का पता लगाना चाहिए। पायलट की यह टिप्पणी अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही सरकार के कामकाज को लेकर थी। अब प्रदेश के अधिकांश कॉलेज और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव में भी कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयूआई के उम्मीदवार हार गए हैं तो सवाल उठता है कि इस हार के लिए पायलट किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? हालांकि पिछले 6 वर्षों में पायलट ने कांग्रेस संगठन का जो ढांचा खड़ा किया, उसी से जुड़े नेताओं ने ही छात्रसंघ चुनाव में उम्मीदवार तय किए। प्रदेश में नवम्बर माह में अनेक स्थानीय निकायों तथा अगले वर्ष जनवरी में पंचायतीराज के चुनाव होने हैं, तब अगस्त माह में प्रदेश के 11 विश्वविद्यालयों में से मात्र दो पर एनएसयूआई के उम्मीदवार जीते हैं। यानि 9 विश्वविद्यालयों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 11 में से 5 पर भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा 4 विश्वविद्यालयों में निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। कमोबेश यही स्थिति प्रदेश भर के कॉलेजों की रही हैं। इससे कांग्रेस का कार्यकर्ता भी मायूस हैं। असल में पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष रहते जिन लोगों को जिलाध्यक्ष बनाया, उनकी संगठन पर कोई पकड़ नहीं है। चूंकि ऐसे अध्यक्षों ने अपने समर्थक भरे, इसलिए कार्यकर्ताओं का जुड़ाव नहीं है। छात्र संघ में एनएसयूआई के उम्मीदवारों की हार के लिए कांगे्रस जिलाध्यक्षों को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। क्या छात्र संघ चुनाव में मिली हार के लिए भी सचिन पायलट सरकार की ओर इशारा करेंगे? लोकसभा चुनाव में हार पर जो सवाल पायलट ने उठाया था उसका जवाब अभी तक नहीं आया है। नवम्बर में जिन शहरी निकायों के चुनाव होने हैं, वहां नगर पालिका के अध्यक्ष और नगर परिषद के सभापति का चुनाव सीधे तौर पर होगा। यानि संबंधित शहर के सभी मतदाता अध्यक्ष या सभापति चुनेंगे। छात्रसंघ चुनाव की हार से स्थानीय निकायों के परिणाम का अंदाजा कांग्रेस को लगा लेना चाहिए। हालांकि सचिन पायलट स्वयं कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम की हैसियत से शामिल हैं, लेकिन पायलट कभी भी सरकार के कामकाज की जिम्मेदारी नहीं लेते। प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर पायलट हमेशा अपनी ही सरकार पर हमलावर रहते हैं। 19 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित सभा में भी पायलट ने सरकार पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस सभा में सीएम अशोक गहलोत भी उपस्थित थे।
मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में भी हार:
छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई के उम्मीदवारों को जीताने की अपील करने वाले मंत्रियों में केकड़ी के विधायक और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी शामिल थे। रघु ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को जीताने की अपील की थी, लेकिन एनएसयूआई का उम्मीदवार रघु के निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के गर्वमेंट कॉलेज में हार गया। जब रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र से ही एनएसयूआई के उम्मीदवार को नहीं जितवा सकते तो प्रदेशभर में रघु की अपील के असर का अंदाजा लगाया जा सकता है। गत लोकसभा चुनाव में भी केकड़ी से कांग्रेस उम्मीदवर रिजु झुनझुनवाला भी हजारों मतों से पिछड़ गए थे। केकड़ी कॉलेज के प्रमुख चारों पदों पर एनएसयूआई को हार मिली। एनएसयूआई के उम्मीदवार रघु की सहमति से ही तय हुए थे। चिकित्सा मंत्री बनने के बाद केकड़ी में वो ही होता है जो रघु चाहते हैं। मंत्री होने के नाते रघु ही अजमेर जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए 15 अगस्त को जिला स्तरीय समारोह में रघु ने ही झंडरोहण किया। लेकिन अजमेर जिले के मात्र दो कॉलेजों में एनएसयूआई के अध्यक्ष बन पाए हैं। ब्यावर में तो मात्र 3 मतों से जीत हो पाई है। एमडीएस यूनिवर्सिटी से लेकर पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय तक में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा है।
एस.पी.मित्तल
पानी भेदभाव का मामला पहुंचा एससी
बीसलपुर बांध के पानी के भेदभाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
अजमेर की एडवोकेट अल्पना शर्मा ने दायर की जनहित याचिका।
अजमेर। जिले के एक मात्र पेयजल के स्त्रोत बीसलपुर बांध के पानी में हो रहे भेदभाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अजमेर निवासी एडवोकेट अल्पना शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर जल्द सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए किया गया था, लेकिन अब अजमेर के बजाए जयपुर को प्राथमिकता दी जा रही है। अजमेर में दो-तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है जबकि बीलसुपर बांध से पानी लेकर जयपुर को रोजाना पेयजल की सप्लाई की जा रही है। इस भेदभाव की ओर कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया गया, लेकिन आज तक भी भेदभाव समाप्त नहीं हुआ है। याचिका में सवाल उठाया गया है कि जब बीसलपुर बांध से जयपुर को रोजाना सप्लाई की जा सकती है तो फिर अजमेर को क्यों नहीं? सरकार ने बांध से पानी को जयपुर ले जाने के लिए तो अनेक योजनाएं बना दी, जबकि अजमेर के लिए अतिरिक्त योजना नहीं बनाई गई। यही वजह है कि अजमेर में शहरी क्षेत्र में दो-तीन दिन में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में दस दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। याचिका में कहा गया है कि जयपुर को बांध से पानी सप्लाई पर ऐतराज नहीं है, लेकिन पहले अजमेर की मांग पूरी की जाए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि की मांग को अधूरा रख कर जयपुर में पेयजल की सप्लाई की जाए। याचिका के साथ आरटीआई में प्राप्त दस्तावेज भी संलग्न किए गए हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि बीसलपुर बांध के पानी को लेकर भेदभाव हो रहा है। याचिका में आग्रह किया गया कि अजमेर जिले में मांग के अनुरूप पेयजल की सप्लाई सुनिश्चित की जाए। अब जब बीसलपुर बांध इस बार क्षमता के अनुरूप भर गया है तो अभी से ही भेदभाव को समाप्त करवाया जाए। बीसलपुर बांध का जो पानी ओवरफ्लो हो रहा है उसे भी अजमेर के तालाबों में डालने की योजना बनाई जाए। जयपुर में पेयजल के कई विकल्प हैं, जबकि अजमेर जिले के लोग पूरी तरह बीसलपुर बांध पर ही निर्भर हैं। बीसलपुर बांध की दूरी 132 किलोमीटर है। पाइप लाइन के जरिए बांध से पानी को अजमेर तक लाया जाता है। याचिका के संबंध में और कोई जानकारी अथवा सुझाव देने के लिए मोबाइल नम्बर 7042767297 पर एडवोकेट अल्पना शर्मा से संवाद किया जा सकता है।
एस.पी.मित्तल
अफवाहों पर कतई ध्यान न दें:डीजीपी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इन दिनों बच्चा चोर समझकर भीड़ लोगों के साथ मारपीट कर रही है। एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे घटनाएं रोज सामने आ रही है। इस घटना में कई निर्दोष लोग घायल हैं, तो कुछ लोगों की जान भी चली गई है। रोज बढ़ रही घटनाओं से उत्तर प्रदेश पुलिस परेशान हो चुकी है।बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर कतई ध्यान न दें, किसी भी दशा में कानून अपने हाथ में न लें और न ही हिंसा के भागीदार बनें।
लगातार बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर उन्होंने पुलिस को भी सक्त निर्देश दिए हैं। डीजीपी ओपी सिंह ने अफवाह और हिंसा फैलाने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यूपी पुलिस द्वारा जारी एक ट्वीट वीडियो में ओपी सिंह ने कहा कि आज मैं आपका ध्यान एक गंभीर अफवाह की ओर दिलाना चाहता हूं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में असमाजिक तत्व बच्चा चोरी की अफवाह फैला रहे हैं, जिससे हिंसा की घटनायें बढ़ रही है। जांच में हिंसा की घटनाओं में बच्चा चोरी की बात प्रमाणित नहीं हुई है। मेरी आपसे अपील है कि अफवाहों पर कतई ध्यान न दें, किसी भी दशा में कानून अपने हाथ में न लें और न ही हिंसा के भागीदार बनें।
उन्होंने लोगों से अपील की कहा कि अगर आप को इस संबंध में कोई जानकारी मिलती है, तो तत्काल 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दें। अब तक बच्चा चोरी की अफवाह फैलाने और हिंसा करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करते हुये 82 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और ऐसे तत्वों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डीजीपी ने कहा कि सोशल मीडिया पर भी इस तरह की अफवाह पर ध्यान न दें और बच्चा चोरी के संबंध में भ्रामक सूचना,अफवाह पर विश्वास न करें और जिम्मेदार नागरिक की तरह यूपी पुलिस की सहायता लें।
डेढ़ क्विंटल गांजे के साथ तस्कर गिरफ्तार
जशपुर | छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के दुलदुला थाना क्षेत्र में पुलिस ने डेढ़ क्विंटल से ज्यादा की गांजे की खेप को जप्त किया है | पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि गांजा बेचने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है | छत्तीसगढ़ से लगे झारखडं और ओडिसा के सरहदी क्षेत्रो से तस्कर बड़ी बड़ी खेपो को छोटे छोटे रूप में राज्य में प्रवेश करा रहे है, जिसके चलते पुलिस काफी चौकस बरती और तीन तस्करो को धर दबोचा | जप्त किये गए गांजे की कुल कीमत लगभग 29 लाख 40 हजार रुपए बताई जा रही है | पुलिस ने दो आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया है | दोनों तस्कर बिहार के रहने वाले बताए जा रहे हैं |पूछताछ करने पर आरोपियों ने अपना नाम रवि कुमार यादव और मदन सिंह बताया है | पुलिस कल दोनों को कुनकुरी न्यायालय में पेश करेगी | छत्तीसगढ़ राज्य के सरहद से सटे उड़ीसा और झारखंड की सीमा पर सशस्त्र पुलिस बल दिन और रात एक कर आने जाने वाले गाड़ियों और लोगो पर कड़ी निगरानी रखे हुए है | पुलिस के हत्थे चढ़े तस्करो के मुताबिक गांजे का एक हिस्सा छत्तीसगढ़ में खपाया जाता है और बाकी का नागपुर से मुंबई पहुंचाई जाती है | फिर वहां से समुद्री मार्ग से गोवा भेजा जाता है |
पूर्व डीएम,3आईएएस भ्रष्टाचार में शामिल
बुलंदशहर के पूर्व डीएम अभय सिंह तीन आईएएस भ्रष्टाचार में शामिल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध खनन मामले में बुलंदशहर के पूर्व जिलाधिकारी अभय सिंह समेत तीन आईएएस भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि सीबीआई ने अपने जांच में आईएएस अभय सिंह, विवेक कुमार और डीएस उपाध्याय को प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार में शामिल पाया है। सीबीआई ने इस मामले में अपनी गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने अवैध खनन मामले में पिछले महीने 10 जुलाई को तीनों आईएएस अफसरों के यहां छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद शासन ने तीनों को इनके पदों से हटाते हुए प्रतीक्षारत कर दिया था। अब माना जा रहा है कि सीबीआई की गोपनीय रिपोर्ट के बाद अब तीनी अफसरों के खिलाफ अन्य कार्रवाई भी हो सकती है।बता दें 10 जुलाई को सीबीआई की टीम ने बुलंदशहर, लखनऊ, फतेहपुर, आजमगढ़, प्रयागराज, नोएडा, देवरिया समेत यूपी के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बुलंदशहर के डीएम रहे अभय सिंह के घर से सीबीआई ने 47 लाख रुपए कैश बरामद किये थे। आजमगढ़ के सीदो डीएस उपाध्याय के घर से भी सीबीआई को 10 लाख रुपए कैश बरामद हुए थे। वहीं लखनऊ में कौशल विकास निगम के एमडी विवेक कुमार के घर से भी सीबीआई ने अहम दस्तावेज बरामद किए थे। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक अभय सिंह और डीएस उपाध्याय घरों से मिले नकदी के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं। वहीं विवेक कुमार के जवाब से भी सीबीआई संतुष्ट नहीं है।
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