आगरा। बच्चों को कृमि संक्रमण (पेट के कीड़े) से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग 29 अगस्त को कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन करेगा। इस दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के 1 से 19 साल तक के सभी बच्चों और किशोरों को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेण्डाजोल खिलायी जायेगी। दवा सभी सरकारी व निजी स्कूलों, सहायता प्राप्त विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर खिलायी जायेगी। इस दिन जो बच्चे दवा खाने से छूट जायेंगे उनके लिए माॅपअप सप्ताह के तहत 30 अगस्त से 4 सितम्बर तक दवा खिलाने का कार्य किया जायेगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य और किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डाॅ. आर के अग्निहोत्री ने बताया कि फरवरी माह में करीब 9.98 लाख बच्चों को दवा खिलायी गयी थी। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ऐसे बच्चों को चिन्हित करने का कार्य जारी है जो आंगनबाड़ी या किसी भी स्कूल में रजिस्टर्ड नहीं हैं । उनकों चिन्हित कर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दवा खिलायी जायेगी। डाॅ. अग्निहोत्री ने बताया कि पिछले 13 अगस्त को जिलाधिकारी एन जी रवि कुमार की अध्यक्षता में एक अंतर्विभागीय बैठक बुलायी गयी थी जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज व अल्पसंख्यक विभाग सहित निजी विद्यालयों को सहयोग करने के निर्देश दिये गये थे।
इन जगहों पर खिलायी जायेगी दवा
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सभी सरकारी विद्यालय, सहायता प्राप्त विद्यालय, मदरसे, कस्तूरबा गांधी विद्यालय और नवोदय विद्यालय के अलावा सभी निजी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एल्बेंडाजाॅल दवा खिलायी जायेगी।
दवा के फायदे
– बच्चों में एनीमिया की कमी एवं पोषण में वृद्धि
– बच्चों में शारीरिक वृद्धि और वजन बढ़ना
– मानसिक एवं शारीरिक विकास
– स्कूल में उपस्थिति बढ़ने में सहायक होना
– बच्चों की याददाश्त में वृद्धि और सक्रियता बढ़ना
कृमि संक्रमण के कारण
– नंगे पैर खेलना व घूमना
– हाथ धोये बिना खाना खाना
– शौच करने के बाद ठीक से हाथ नहीं धोना
– फल और सब्जियों को बिना धोये यानि बिना साफ किये खाना
– खाने को ढक कर न रखना
इस तरह खिलाये दवा
– 1 से 2 साल तक के बच्चों को आधी गोली खिलायेँ । गोली को बारीक पीस लें और पानी के साथ खिलायें।
– 2 से 3 साल तक के बच्चों को एक पूरी गोली का चूरा बनाकर पानी में मिलाकर खिलाये।
– 3 से 19 साल के बच्चों को हमेशा दवाई को चबाकर खाने की सलाह दें। चबाकर खायी गयी दवा का ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दवा उसी के सामने बच्चे को खिलाई जाये। दवा को घर न ले जाने दें।