नई दिल्ली। सरकारी सूत्रों से जम्मू कश्मीर की स्थिति पर अहम जानकारी मिली है। 40 नेताओं और 1000 से ज्यादा पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है। बीते 24 दिनों में जम्मू कश्मीर के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर में नजरबंद किया गया है और उनके पास पहुंचने के लिए उनके परिवार के किसी सदस्य या केंद्र द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया। बीते हफ्ते के आखिर में आईबी के डायरेक्टर अरविंद कुमार और कई अधिकारी कश्मीर में थे। कुमार ने एजेंसियों की कई शाखाओं के साथ अंतरम बैठक की थी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार प्रतिक्रिया ली। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती, जिन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था, वह भी राज्य छोड़ चुकी हैं।
इस बीच लगभग चार सप्ताह तक विभिन्न स्थानों पर 40 से अधिक मुख्यधारा और राज्य के नेताओं को हिरासत में लिया गया है। 6 लोगों को जम्मू में हिरासत में लिया गया और बाकी को घाटी में हिरासत में लिया गया है। जम्मू में मोदी सरकार में मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई को भी घर में नजरबंद किया गया है।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार के 70 साल से कम उम्र के सभी कैबिनेट मंत्री भी अपने घरों में नजरबंद हैं। कई राजनेता सेंटौर होटल में रुके हैं। कुछ नेताओं के परिजन उनसे मिलने के लिए आए लेकिन उन्हें सभी जरूरी कागजात दिखाने के बाद ही मिलने दिया गया। लेकिन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार से कोई मिलने नहीं आया।
उमर अब्दुल्ला हरि निवास पैलेस में हैं और महबूबा मुफ्ती चश्मे शाही में हैं। लेकिन चिंता की बात ये है कि भारत सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है कि कैसे और कब इन नेताओं को रिहा किया जाएगा और उनकी नजरबंदी खत्म होगी। केंद्र ने इस मुद्दे को राज्य प्रशासन पर डाल दिया है। ग्राउंड पर मौजूद अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया है कि इन नेताओं की नजरबंदी खत्म होने में लंबा समय है।