रविवार, 25 अगस्त 2019

दनकौर में द्रोण मेले का हुआ उद्घाटन

शफ़ी मोहम्मद सैफ़ी


गौतमबुध नगर। 96वें दनकौर के द्रोण मेले का हुआ उदघाटन, द्रोण गौशाला के प्रबंधक रजनीकांत अग्रवाल ने फीता काटकर किया उदघाटन।


दनकौर कस्बे में लगने वाला ऐतिहासिक प्राचीन 96 मेले का श्री गणेश रजनीकांत अग्रवाल  द्रोण गौशाला प्रबंधक के द्वारा फीता काटकर किया गया। 10 दिन चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले में दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े बूढ़े बुजुर्ग व महिलाएं इस मेले को देखने के लिए आते हैं। इस मेले की सुरक्षा व्यवस्था पूरी सीसीटीवी कैमरे में कवरेज की जाती है। कल जन्माष्टमी के मौके पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही नगर पंचायत द्वारा सफाई व्यवस्था भी अच्छी प्रकार रही। श्री द्रोणाचार्य मंदिर पर जन्माष्टमी के मौके पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। सुंदरकांड पाठ का आयोजन दनकौर की निश्वार्थ सुन्दरकाण्ड समिति करती है। जिसकी अगुवाई अतुल मित्तल द्वारा की जाती है ! दनकौर क्षेत्र में सभी मंदिरों पर पूर्णतः सजावट की गई थी। शनिदेव मंदिर, देवी मंदिर, मनी वाले मंदिर, व एक बर्फानी गुफा भी दनकौर कस्बे में लगाई गई थी। सभी मंदिरों पर अपार भीड़ रही पुलिस व्यवस्था काफी अच्छी रही। 10 दिन चलने वाले मेले का विधिवत उद्घाटन होने के बाद 3 दिन बड़े पर्दे पर कृष्ण लीला चलेगी उसके बाद द्रोण नाट्य मंडल पर नाटक का मंचन किया जाएगा। 26 तारीख से 28 तारीख तक दंगल होगा, जिसमें बड़ी कुश्ती 28 अगस्त को द्रोण अखाड़े में होगी! कवि सम्मेलन के साथ ही 3 सितंबर को विधिवत इस मेले का समापन किया जाएगा।
श्री द्रोणाचार्य मंदिर, हरद्वारी चौकड़ात का मंदिर, मनी वाला मंदिर, अमरनाथ वाली बर्फानी गुफा, देवी मंदिर शनि देव मंदिर व थाना प्रांगण मंदिर आदि जगहों पर भक्त जनों की अपार भीड़ रही ! इस मौके पर 10 दिन चलने वाले मेले के कार्यक्रम को सफल बनाने में क्षेत्र के सभी लोगों का सहयोग रहता है इस मेले में  रजनीकांत अग्रवाल प्रबंधक श्री द्रोण गौशाला समिति दनकौर, राकेश गर्ग अध्यक्ष श्री द्रोण गौशाला समिति दनकौर, महिपाल गर्ग संचालक श्री द्रोणाचार्य मंदिर, संदीप जैन मीडिया प्रभारी द्रोण मेला कमेटी, मनोज त्यागी, सुशील बाबा, संदीप गर्ग, राजीव सिंघल, मुकेश जैन, व मेले की पूरी कमेटी के साथ -साथ पुलिस प्रशासन व नगर पंचायत आदि सभी लोगों का सहयोग रहता है !


शासन-प्रशासन की उदारता ने बढ़ाई पीड़ा

नरकीय जीवन जीने को मजबूर रामपुर के लोग।


रामपुर। विकास खंड अमांपुर का रामपुर प्रधान और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से ग्रस्त गांव है। बरसात आते ही नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाते है ग्रामीण। अमांपुर से पांच किलोमीटर रामपुर गांव राजस्व गांव होने के ववाजूद बदहाली का शिकार है। पानी के लिए ग्रामीणों को हेडपंपों के सहारे की निर्भर रहना पड़ता है। ग्राम पंचायत के द्वारा । गांव में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। गंदगी से निकलने वाली दुर्गंध से लोगों को भारी परेशानियां हो रही है। चार सौ परिवार की आबादी वाले इस गांव में प्रधान और जनप्रतिनिधि समस्याओं से अनजान है। गांव को जाने वाले ऊबड़ खाबड़ मुख्य मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे में बरसात के दिनों में जलभराव और कीचड से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में आना जाना दूभर हो जाता है। वही छोटे छोटे छात्र छात्राओं का स्कूल जाना भी मुश्किल हो गया है। वे इस जलभराव और कीचड में गिरकर कपड़े खराब कर घर लौट जाते है। अफसरों की अनदेखी के कारण अमांपुर विकास खंड के गांव  रामपुर के ग्रामीण नरकीय जीवन जी रहे हैं। गांव में खडंजे का निर्माण नहीं होने से रास्ते तालाब में तब्दील हो गये हैं। ग्रामीणों ने अफसरों के साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर व्यवस्थाएं सुधारने की मांग की है। ग्राम प्रधान व अधिकारी विकास कार्यों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ग्राम प्रधान व अफसरों की अनदेखी के चलते बरसात के मौसम में गांव के हालात दयनीय बन गए हैं। गांव में जल निकासी के लिए नही तो नाली बनाई गई हैं और न ही खडंजे का निर्माण किया गया है। नाली व खडंजे का निर्माण नहीं होने के कारण गांव से जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। लगातार बरसात से सड़कें तालाब में तब्दील हो गई हैं। कीचड़ व जलभराव के कारण लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो गया है। सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों व महिलाओं को झेलनी पड़ रही है। महिलाएं कीचड़ से होकर खेतों पर पहुंचती हैं वहीं स्कूल जाते समय बच्चों के कपड़े बेकार हो जाते हैं। गांव में आने जाने के लिए कोई भी उपयुक्त रास्ता नही है। मुन्नी देवी ने कहा कि चुनाव बाद तो दिखते भी नही नेता जी। चुनाव के समय बड़े बड़े वादे किए जाते है।और चुनाव जीतने के बाद आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि ने मुड़कर नही देखा है। भूरेलाल ने बताया कि पूर्व में जिलाधिकारी महोदय और क्षेत्रीय विधायक को गांव के लोगों ने गांव की जनसमस्यों को लेकर ज्ञापन सौंपा था। लेकिन आज तक कोई भी समस्या का समाधान नही हुआ। जिसके चलते प्रशासन के खिलाफ लोगों में भारी रोष व्याप्त है। नरेंद्र ने बताया कि गांव जलभराव और कीचड व गंदगी से दुर्गंध निकल रही है। जिससे लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे है। गांव के अमर सिंह, अतर सिंह, राम अवतार, नरेश, मुन्नी देवी, सहित आदि लोगों ने जिला अधिकारी महोदय से समाधान मांग की है। 
रिपोर्ट-अंकुल कुमार पटियाली


जालंधर में हिंदू-सिख आए आमने-सामने

जसकीरत राजा/जसविंदर बल्ल


जालंधर। श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला प्रबंधक कमेटी और गुरुद्वारा सोढल के प्रबंधकों के बीच शुक्रवार को माहौल गर्मा गया। विवाद टूटकर गिरी दीवार को बनाने से शुरू हुआ। इस दौरान कुछ सिखों ने श्री देवी तालाब प्रबंधक कमेटी के प्रधान और श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर के चेयरमैन शीतल विज से हाथापाई कर दी,जिससे माहौल बिगड़ गया। दरअसल कुछ दिन पहले बरसात के कारण श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर की दीवार गिर गई थी। मेला नजदीक होने के चलते शुक्रवार को ट्रस्ट की ओर से मजदूर लगाकर दीवार बनानी शुरू कर दी दीवार बनती देख सिखों ने भी एक और दीवार बनानी शुरू कर दी। मेले में उक्त दीवार से दिक्कत आनी थी तो मंदिर प्रबंधकों ने गुरुद्वारा प्रबंधकों से बात करके दीवार बनानी रोक दी। इसके बाद करीब आधा दर्जन सिख युवकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। माहौल बिगड़ता देख चेयरमैन शीतल विज ने उनसे बात की। लेकिन मामला और गर्मा गया इसके बाद दोनों तरफ से गालीगलौज हुई और सिख युवक शीतल विज से हाथापाई पर उतर आए। यह देखकर दोनों पक्षों ने तलवारें निकाल लीं। इस दौरान मौके पर एडीसीपी सुडवविजी,एसीपी नार्थ,थाना-8 और थाना-3 के एसएचओ बड़ी गिनती में पुलिस मुलाजिमों के साथ मौके पर मौजूद थे। उन्होंने किसी तरह हमलावरों को रोका। शाम करीब 4 बजे हिंदू संगठन पुलिस कमिश्नर के पास पहुंच गए। जबकि एसजीपीसी मेंबर एवं जिला अकाली दल प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण गुरुद्वारा साहिब में समर्थकों के साथ पहुंच गए। इस दौरान सिखों ने चेतावनी दी कि अगर मामला नहीं सुलझा तो वे मेला नहीं होने देंगे। इस बात से हिंदू संगठनों में भी रोष व्याप्त है। जिक्रयोग है कि मंदिर और गुरुद्वारा कमेटी का विवाद कई दशक पुराना है। जुलाई, 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधक कमेटी की फेवर में फैसला दे दिया। ट्रस्ट ने रजामंदी से गुरुद्वारा साहिब की चाबियां नहीं लीं।


श्रीनगर सचिवालय पर लहराया तिरंगा

 नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद श्रीनगर सचिवालय से राज्य का झंडा हटा दिया गया है। अब वहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहरा रहा है। पिछले हफ्ते तक दोनों झंडे एक साथ लगे हुए थे। इंडिया टुडे से खास बातचीत में अधिकारियों ने बताया कि अब सभी सरकारी दफ्तरों में तिरंगा ही लगाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर से संसद ने अनुच्छेद 370 को हटा दिया है। इसके तहत राज्य को जो विशेषाधिकार मिलते थे, वह खत्म कर दिए गए हैं।


जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान, झंडा और दंड संहिता होता था। लेकिन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अब वहां भारतीय संविधान लागू होगा। सरकारी इमारतों पर तिरंगा लहराएगा और भारतीय दंड संहिता का पालन होगा। राज्य में पहले किसी बाहरी शख्स के जमीन खरीदने पर भी पाबंदी थी. यह नियम भी हटा लिया गया है। इसके अलावा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए हैं।अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। मौजूदा जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल अब केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख के उपराज्यपाल होंगे।


अनुच्छेद 370 को हटाना केंद्र सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए घाटी में 35 हजार से ज्यादा सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। हालांकि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 3 हफ्ते बाद कई इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी गई है। लोगों की आवाजाही सड़कों पर पहले की तरह शुरू हो गई है। छात्र-छात्राएं स्कूल और कॉलेज जा रहे हैं। सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज शुरू हो गया है।


आज का दिन व्यर्थ व्यतीत होगा:मेष

राशिफल


मेष-मेष राशि के जो लोगों का दिन आज घूमने फिरने में बीत सकता है। परिवार के समय बिताएं और कहीं ट्रिप प्लान करें। कारोबारियों को अचानक धन लाभ हो सकता है। अपने काम से अपने जीवनसाथी को प्रसन्न करने में सफलता मिलेगी।


वृषभ-वृषभ राशि के लोग अपनी बातों से सामने वाले व्यक्ति को सहमत कर लेंगे। आज आपको किसी काम को पूरा करने में किस्मत का पूरा साथ मिलेगा। ऑफिस में सीनियर्स आपके काम की तारीफ करेंगे। इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए आज का दिन शुभ रहेगा।


मिथुन-मिथुन राशि वाले लोगों को काफ दिन से अटके काम आज पूरे हो सकते हैं। किसी काम में मिली सफलता को दोस्तों के साथ शेयर करें। वहीं ऑफिस के काम के संबंध में बाहर जाने का प्लान बन सकता है। आज किसी खास व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है।


कर्क-कर्क राशि के लोग आज अपने व्यवहार पर ध्यान देने की कोशिश करें। किसी काम को पूरा करने में आज आपको ज्यादा समय लग सकता है। सड़क पर गाड़ी की स्पीड नियंत्रण में रखें। पैसों के लेन दने को लेकर किसी अपने से बहस हो सकती है।


सिंह-आज सिंह राशि वाले लोग आज अपने मन को शांत रखने की कोशिश करें, जिससे आपके काम पूरे होंगे। पैसों के लेनदेन से जुड़े फैसलों को जल्दबाजी में ना लें। कोई पुरानी बात आज आपको दुखी कर सकती है। ऐसे में घर वालों के साथ बाहर घूमने की कोशिश करें।


कन्या-कन्या राशि वाले लोगों के लिए आज का दिन अच्छा बीतने वाला है। आज आपको किसी काम में उम्मीद से ज्यादा अच्छा परिणाम मिलेगा। किसी काम को पूरा करने में घर के बुजुर्गों की सहायता आपको बड़ा लाभ पहुंचा सकती है। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को आज सफलता मिल सकती है।


तुला-तुला राशि वालों के घर में आज अचानक रिश्तेदार आ सकते हैं! आज आप किसी भी बहस में पड़ने से कई बार सोचें। किसी से बातचीत करते समय अपने शब्दों पर ध्यान दें। अपनी मेहनत पर विश्वास रखें। अपने गुस्से पर काबू करने की कोशिश करें।


वृश्चिक-वृश्चिक राशि के छात्रों के लिए आज का दिन अच्छा बीतने वाला आज आप अपनी बात खुलकर लोगों के सामने रख सकते हैं। जिस कंपनी में जॉब करना चाहते हैं, वहां से इंटरव्यू के लिए बुलाया जा सकता है। धार्मिक कार्यों में आज आपकी रुचि बढ़ सकती है।


धनु-धनु राशि वाले लोगों को आज साथ काम करने वाले लोगों से आपको पूरी मदद मिलेगी। आपके सभी कामों की प्लानिंग भी आज सफल होगी। आज का दिन आपको कम मेहनत में ज्यादा फल मिल सकता है। ऑफिस में रुके हुये काम आज आसानी से पूरा होंगे।


मकर-मकर राशि वालों के लोगों के लिए आज कोई फैसला करना कठिन साबित हो सकता है। अपने जीवनसाथी के साथ कहीं घूमने का प्लान बनायेंगे, जिससे आपके रिश्ते मजबूत होंगे। ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा हो सकता है, जिससे थकान महसूस हो सकती है।


कुंभ-कुंभ राशि वाले लोग सेहत के मामले में आप खुद को स्वस्थ महसूस करेंगे। रचनात्मक कार्य से समाज में आपकी चर्चा होगी! आपको आर्थिक मामलों में लाभ मिलेगा। आज आपको अपनी मेहनत का फल जरूर मिलेगा।


मीन-मीन राशि वालों को आज किसी समारोह में शामिल होने का मौका मिल सकता है। इस राशि के छात्र नई गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।आज बिना किसी अड़चन के सरकारी कामों का निपटारा हो सकता है।


अतीत और यथार्थ में गोरखनाथ

मत्स्येंद्रनाथ और गोरखनाथ के समय के बारे में भारत में अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार की बातें कही हैं। वस्तुतः इनके और इनके समसामयिक सिद्ध जालन्धरनाथ और कृष्णपाद के सम्बन्ध में अनेक दन्तकथाएँ प्रचलित हैं।


गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ-विषयक समस्त कहानियों के अनुशीलन से कई बातें स्पष्ट रूप से जानी जा सकती हैं। प्रथम यह कि मत्स्येंद्रनाथ और जालंधरनाथ समसायिक थे। दूसरी यह कि मत्स्येंद्रनाथ गोरखनाथ के गुरु थे और जालांधरनाथ कानुपा या कृष्णपाद के गुरु थे। तीसरी यह की मत्स्येंद्रनाथ योग-मार्ग के प्रवर्तक थे। फिर संयोगवश ऐसे एक आचार में सम्मिलित हो गए थे जिसमें स्त्रियों के साथ अबाध संसर्ग मुख्य बात थी। संभवतः यह वामाचारी साधना थी। चौथी यह कि शुरू से ही जालांधरनाथ और कानिपा की साधना-पद्धति मत्स्येंद्रनाथ और गोरखनाथ की साधना-पद्धति से भिन्न थी। यह स्पष्ट है कि किसी एक का समय भी मालूम हो तो बाकी सिद्धों के समय का पता असानी से लग जाएगा। समय मालूम करने के लिए कई युक्तियाँ दी जा सकती हैं। एक-एक करके हम उन पर विचार करें।


(1) सबसे प्रथम तो मत्स्येंद्रनाथ द्वारा लिखित 'कौल ज्ञान निर्णय' ग्रंथ (कलकत्ता संस्कृत सीरीज़ में डॉ॰ प्रबोधचंद्र वागची द्वारा 1934 ई० में संपादित) का लिपिकाल निश्चित रूप से सिद्घ कर देता है कि मत्स्येंद्रनाथ ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्ववर्ती हैं।
(2) सुप्रसिद्ध कश्मीरी आचार्य अभिनव गुप्त ने अपने तंत्रालोक में मच्छंद विभु को नमस्कार किया है। ये 'मच्छंद विभु' मत्स्येंद्रनाथ ही हैं, यह भी निश्चचित है। अभिनव गुप्त का समय निश्चित रूप से ज्ञात है। उन्होंने ईश्वर प्रत्याभिज्ञा की बृहती वृत्ति सन् 1015 ई० में लिखी थी और क्रम स्रोत की रचना सन् 991 ई० में की थी। इस प्रकार अभिनव गुप्त सन् ईसवी की दसवीं शताब्दी के अंत में और ग्यारहवीं शताब्दी के आरंभ में वर्तमान थे। मत्स्येंद्रनाथ इससे पूर्व ही आविभूर्त हुए होंगे। जिस आदर और गौरव के साथ आचार्य अभिनव गुप्तपाद ने उनका स्मरण किया है उससे अनुमान किया जा सकता है कि उनके पर्याप्त पूर्ववर्ती होंगे।
(3) पंडित राहुल सांकृत्यायन ने गंगा के पुरातत्त्वांक में 84 वज्रयानी सिद्धों की सूची प्रकाशित कराई है। इसके देखने से मालूम होता है कि मीनपा नामक सिद्ध, जिन्हें तिब्बती परंपरा में मत्स्येंद्रनाथ का पिता कहा गया है पर वे वस्तुतः मत्स्येंद्रनाथ से अभिन्न हैं, राजा देवपाल के राज्यकाल में हुए थे। राजा देवपाल 809-49 ई० तक राज करते रहे (चतुराशीत सिद्ध प्रवृत्ति, तन्जूर 86,  कार्डियर, पृ० 247)। इससे यह सिद्ध होता है कि मत्स्येंद्रनाथ नवीं शताब्दी के मध्य के भाग में और अधिक से अधिक अंत्य भाग तक वर्तमान थे।
(4) गोविंदचंद्र या गोपीचंद्र का संबंध जालंधरपाद से बताया जाता है। वे कानिफा के शिष्य होने से जालंधरपाद की तीसरी पुश्त में पड़ते हैं। इधर तिरुमलय की शैललिपि से यह तथ्य उदधृत किया जा सका है कि दक्षिण के राजा राजेंद्र चोल ने मणिकचंद्र को पराजित किया था। बंगला में 'गोविन्द चंजेंद्र चोल ने मणिकचंद्र के पुत्र गोविंदचंद्र को पराजित किया था। बंगला में 'गोविंद चंद्रेर गान' नाम से जो पोथी उपलब्ध हुई है, उसके अनुसार भी गोविंदचंद्र का किसी दाक्षिणात्य राजा का युद्ध वर्णित है। राजेंद्र चोल का समय 1063 ई० -1112 ई० है। इससे अनुमान किया जा सकता है कि गोविंदचंद्र ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य भाग में वर्तमान थे। यदि जालंधर उनसे सौ वर्ष पूर्ववर्ती हो तो भी उनका समय दसवीं शताब्दी के मध्य भाग में निश्चित होता है। मत्स्येंद्रनाथ का समय और भी पहले निश्चित हो चुका है। जालंधरपाद उनके समसामयिक थे। इस प्रकार अनेक कष्ट-कल्पना के बाद भी इस बात से पूर्ववर्ती प्रमाणों की अच्छी संगति नहीं बैठती है।
(5) वज्रयानी सिद्ध कण्हपा (कानिपा, कानिफा, कान्हूपा) ने स्वयं अपने गानों पर जालंधरपाद का नाम लिया है। तिब्बती परंपरा के अनुसार ये भी राजा देवपाल (809-849 ई०) के समकालीन थे। इस प्रकार जालंधरपाद का समय इनसे कुछ पूर्व ठहरता है।
(6) कंथड़ी नामक एक सिद्ध के साथ गोरखनाथ का संबंध बताया जाता है। 'प्रबंध चिंतामणि' में एक कथा आती है कि चौलुक्य राजा मूलराज ने एक मूलेश्वर नाम का शिवमंदिर बनवाया था। सोमनाथ ने राजा के नित्य नियत वंदन-पूजन से संतुष्ट होकर अणहिल्लपुर में अवतीर्ण होने की इच्छा प्रकट की। फलस्वरूप राजा ने वहाँ त्रिपुरुष-प्रासाद नामक मंदिर बनवाया। उसका प्रबंधक होने के लिए राजा ने कंथड़ी नामक शैवसिद्ध से प्रर्थना की। जिस समय राजा उस सिद्ध से मिलने गया उस समय सिद्ध को बुखार था, पर अपने बुखार को उसने कंथा में संक्रामित कर दिया। कंथा काँपने लगी। राजा ने पूछा तो उसने बताया कि उसी ने कंथा में ज्वर संक्रमित कर दिया है। बड़े छल-बल से उस निःस्पृह तपस्वी को राजा ने मंदिर का प्रबंधक बनवाया। कहानी में सिद्ध के सभी लक्षण नागपंथी योगी के हैं, इसलिए यह कंथड़ी निश्चय ही गोरखनाथ के शिष्य ही होंगे। 'प्रबंध चिंतामणि' की सभी प्रतियों में लिखा है कि मूलराज ने संवत् 993 की आषाढ़ी पूर्णिमा को राज्यभार ग्रहण किया था। केवल एक प्रति में 998 संवत् है। इस हिसाब से जो काल अनुमान किया जा सकता है, वह पूर्ववर्ती प्रमाणों से निर्धारित तिथि के अनुकूल ही है। ये ही गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ का काल-निर्णय करने के ऐतिहासिक या अर्द्ध-ऐतिहासिक अधार हैं। परंतु प्रायः दंतकथाओं और सांप्रदायिक परंमपराओं के आधार पर भी काल-निर्णय का प्रयत्न किया जाता है।


सैकड़ों वर्ष मृतअवस्था में रहना

विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती हैं।


विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन 1796 में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन 1886 में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी 1892 में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा।


विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं।


"वायरस कोशिका के बाहर तो मरे हुए ऱहते है लेकिन जब ये कोशिका मैंं प्रवेश करते है तो इनका जीवन चक्र प्रारम्भ होने लगता है विषाणु के प्रकार :- परपोषी प्रकति के अनुसार विषाणु तीन प्रकार के होते हैं। 1.पादप विषाणु (plant virus) 2.जन्तु विषाणु (animal virus) 3.जीवाणुभोजी(bacteriophage)


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...