शनिवार, 17 अगस्त 2019

शाकाहार के लाभ और क्षमताएं

शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है।


पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है।


नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन।


अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।


अभावग्रस्त आधुनिक शिक्षा पद्धति

आयोग की सिफारिशों से भारतीय शिक्षा में उन्नति हुई। विद्यालयों की संख्या बढ़ी। नगरों में नगरपालिका और गाँवों में जिला परिषद् का निर्माण हुआ और शिक्षा आयोग ने प्राथमिक शिक्षा को इनपर छोड़ दिया परंतु इससे विशेष लाभ न हो पाया। प्राथमिक शिक्षा की दशा सुधर न पाई। सरकारी शिक्षा विभाग माध्यमिक शिक्षा की सहायता करता रहा। शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ही रही। मातृभाषा की उपेक्षा होती गई। शिक्षा संस्थाओं और शिक्षितों की संख्या बढ़ी, परंतु शिक्षा का स्तर गिरता गया। देश की उन्नति चाहनेवाले भारतीयों में व्यापक और स्वतंत्र राष्ट्रीय शिक्षा की आवश्यकता का बोध होने लगा। स्वतंत्रताप्रेमी भारतीयों और भारतप्रेमियों ने सुधार का काम उठा लिया। 1870 में बाल गंगाधर तिलक और उनके सहयोगियों द्वारा पूना में फर्ग्यूसन कालेज, 1886 में आर्यसमाज द्वारा लाहौर में दयानंद ऐंग्लो वैदिक कालेज और 1898 में काशी में श्रीमती एनी बेसेंट द्वारा सेंट्रल हिंदू कालेज स्थापित किए गए।


[1] 1894 में कोल्हापुर रियासत के राजा छत्रपति साहूजी महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। 1894 से 1922 तक पिछड़ी जातियों समेत समाज के सभी वर्गों के लिए अलग-अलग सरकारी संस्थाएं खोलने की पहल की। यह अनूठी पहल थी उन जातियों को शिक्षित करने के लिए, जो सदियों से उपेक्षित थीं, इस पहल में दलित-पिछड़ी जातियों के बच्चों की शिक्षा के लिए ख़ास प्रयास किये गए थे। वंचित और गरीब घरों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। 1920 को नासिक में छात्रावास की नींव रखी। साहू महाराज के प्रयासों का परिणाम उनके शासन में ही दिखने लग गया था। साहू जी महाराज ने जब देखा कि अछूत-पिछड़ी जाति के छात्रों की राज्य के स्कूल-कॉलेजों में पर्याप्त संख्या हैं, तब उन्होंने वंचितों के लिए खुलवाये गए पृथक स्कूल और छात्रावासों को बंद करवा दिया और उन्हें सामान्य छात्रों के साथ ही पढ़ने की सुविधा प्रदान की। डा० भीमराव अम्बेडकर बड़ौदा नरेश की छात्रवृति पर पढ़ने के लिए विदेश गए लेकिन छात्रवृत्ति बीच में ही रोक दिए जाने के कारण उन्हे वापस भारत आना पड़ा। इसकी जानकारी जब साहू जी महाराज को हुई तो महाराज ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें सहयोग दिया।


1901 में लार्ड कर्ज़न ने शिमला में एक गुप्त शिक्षा सम्मेलन किया था जिसमे 152 प्रस्ताव स्वीकृत हुए थे। इसमें कोई भारतीय नहीं बुलाया गया था और न सम्मेलन के निर्णयों का प्रकाशन ही हुआ। इसको भारतीयों ने अपने विरुद्ध रचा हुआ षड्यंत्र समझा। कर्ज़न को भारतीयों का सहयोग न मिल सका। प्राथमिक शिक्षा की उन्नति के लिए कर्ज़न ने उचित रकम की स्वीकृति दी, शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की तथा शिक्षा अनुदान पद्धति और पाठ्यक्रम में सुधार किया। कर्ज़न का मत था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से ही दी जानी चाहिए। माध्यमिक स्कूलों पर सरकारी शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय दोनों का नियंत्रण आवश्यक मान लिया गया। आर्थिक सहायता बढ़ा दी गई। पाठ्यक्रम में सुधार किया गया। कर्जन माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का हटना उचित नहीं समझता था, प्रत्युत सरकारी प्रभाव का बढ़ाना आवश्यक मानता था। इसलिए वह सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ाना चाहता था। लार्ड कर्जन ने विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा की उन्नति के लिए 1902 में भारतीय विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया। पाठ्यक्रम, परीक्षा, शिक्षण, कालेजों की शिक्षा, विश्वविद्यालयों का पुनर्गठन इत्यादि विषयों पर विचार करते हुए आयोग ने सुझाव उपस्थित किए। इस आयोग में भी कोई भारतीय न था। इसपर भारतीयों में क्षोभ बढ़ा। उन्होंने विरोध किया। 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय कानून बना। पुरातत्व विभाग की स्थापना से प्राचीन भारत के इतिहास की सामग्रियों का संरक्षण होने लगा। 1905 के स्वदेशी आंदोलन के समय कलकत्ते में जातीय शिक्षा परिषद् की स्थापना हुई और नैशनल कालेज स्थापित हुआ जिसके प्रथम प्राचार्य अरविंद घोष थे। बंगाल टेकनिकल इन्स्टिट्यूट की स्थापना भी हुई।


1911 में गोपाल कृष्ण गोखले ने प्राथमिक शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य करने का प्रयास किया। अंग्रेज़ सरकार और उसके समर्थकों के विरोध के कारण वे सफल न हो सके। 1913 में भारत सरकार ने शिक्षानीति में अनेक परिवर्तनों की कल्पना की। परंतु प्रथम विश्वयुद्ध के कारण कुछ हो न पाया। प्रथम महायुद्ध के समाप्त होने पर कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त हुआ। आयोग ने शिक्षकों का प्रशिक्षण, इंटरमीडिएट कालेजों की स्थापना, हाई स्कूल और इंटरमीडिएट बोर्डों का संगठन, शिक्षा का माध्यम, ढाका में विश्वविद्यालय की स्थापना, कलकत्ते में कालेजों की व्यवस्था, वैतनिक उपकुलपति, परीक्षा, मुस्लिम शिक्षा, स्त्रीशिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक शिक्षा आदि विषयों पर सिफारिशें की। बंबई, बंगाल, बिहार, आसाम आदि प्रांतों में प्राथमिक शिक्षा कानून बनाये जाने लगे। माध्यमिक क्षेत्र में भी उन्नति होती गई। छात्रों की संख्या बढ़ी। माध्यमिक पाठ्य में वाणिज्य और व्यवसाय रखे दिए गए। स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट परीक्षा चली। अंग्रेजी का महत्व बढ़ता गया। अधिक संख्या में शिक्षकों का प्रशिक्षण होने लगा।


1916 तक भारत में पाँच विश्वविद्यालय थे। अब सात नए विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय 1916 में, पटना विश्वविद्यालय 1917 में, ओसमानिया विश्वविद्यालय 1918 में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 1920 में और लखनऊ और ढाका विश्वविद्यालय 1921 में स्थापित हुए। असहयोग आंदोलन से राष्ट्रीय शिक्षा की प्रगति में बल और वेग आए। बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ, गौड़ीय सर्वविद्यायतन, तिलक विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, जामिया मिल्लिया इस्लामिया आदि राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना हुई। शिक्षा में व्यावहारिकता लाने की चेष्टा की गई। 1921 से नए शासनसुधार कानून के अनुसार सभी प्रांतों में शिक्षा भारतीय मंत्रियों के अधिकार में आ गई। परंतु सरकारी सहयोग के अभाव के कारण उपयोगी योजनाओं का कार्यान्वित करना संभव न हुआ। प्राय: सभी प्रांतों में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य करने की कोशिश व्यर्थ हुई। माध्यमिक शिक्षा में विस्तार होता गया परंतु उचित संगठन के अभाव से उसकी समस्याएँ हल न हो पाईं। शिक्षा समाप्त कर विद्यार्थी कुछ करने के योग्य न बन पाते। दिल्ली (1922), नागपुर (1923) आगरा (1927), आंध्र (1926) और अन्नामलाई (1926) में विश्वविद्यालय स्थापित हुए। बंबई, पटना, कलकत्ता, पंजाब, मद्रास और इलाहबाद विश्वविद्यालयों का पुनर्गठन हुआ। कालेजों की संख्या में वृद्धि होती गई। व्यावसायिक शिक्षा, स्त्रीशिक्षा, मुसलमानों की शिक्षा, हरिजनों की शिक्षा, तथा अपराधी जातियों की शिक्षा में उन्नति होती गई।


अगले शासनसुधार के लिए साइमन आयोग की नियुक्ति हुई। हर्टाग समिति इस आयोग का एक आवश्यक अंग थी। इसका काम था भारतीय शिक्षा की समस्याओं की सागोपांग जाँच करना। समिति ने रिपोर्ट में 1918 से 1927 क प्रचलित शिक्षा के गुण और दोष का विवेचन किया और सुधार के लिए निर्देश दिया।


1930-1935 के बीच संयुक्त प्रदेश में बेकारी की समस्या के समाधान के लिए समिति बनी। व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया गया। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दो वर्षों में से एक वर्ष स्कूल के साथ कर दिया जाए, जिससे पढ़ाई 11 वर्ष की हो। बाकी एक वर्ष बी.ए. के साथ जोड़कर बी.ए. पाठ्यक्रम तीन वर्ष का कर दिया जाए। माध्यमिक छह वर्ष के दो भाग हों - तीन वर्ष का निम्न माध्यमिक और तीन वर्ष का उच्च माध्यमिक। अंतिम तीन वर्षों में साधारण पढ़ाई के साथ साथ कृषि, शिल्प, व्यवसाय सिखाए जायँ। समिति की ये सिफारिशें कार्यान्वित नहीं हुई।


शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

राजधानी दिल्‍ली पर बाढ का खतरा

खतरनाक हुई यमुना, जल स्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा


संवाददाता अरविन्द मिश्रा


नई दिल्‍ली। हथनी कुंड बैराज से एक लाख 43 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद जल स्तर में वृद्धि हो रही है. पुरानी दिल्ली लोहे के पुल पर यमुना का जल स्तर गुरुवार को 202.86 मीटर रिकॉर्ड किया गया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यमुना नदी के बढ़ते जल स्तर के बीच हथनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना का जल स्तर चेतावनी लेवल के करीब पहुंच गया है। दो दिन पहले हथनी कुंड बैराज से एक लाख 43 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद जल स्तर में वृद्धि हो रही है। पुरानी दिल्ली लोहे के पुल पर यमुना का जल स्तर गुरुवार को 202.86 मीटर रिकॉर्ड किया गया।


दिल्लीः खतरनाक हुई यमुना, जल स्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा। हथनी कुंड बैराज से एक लाख 43 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद जल स्तर में वृद्धि हो रही है। पुरानी दिल्ली लोहे के पुल पर यमुना का जल स्तर गुरुवार को 202.86 मीटर रिकॉर्ड किया गया।


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यमुना नदी के बढ़ते जल स्तर के बीच हथनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना का जल स्तर चेतावनी लेवल के करीब पहुंच गया है। दो दिन पहले हथनी कुंड बैराज से एक लाख 43 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद जल स्तर में वृद्धि हो रही है। पुरानी दिल्ली लोहे के पुल पर यमुना का जल स्तर गुरुवार को 202.86 मीटर रिकॉर्ड किया गया।


204.5 मीटर है चेतावनी स्तर---फ्लड डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के मुताबिक यमुना नदी में चेतावनी के लिए जल स्तर 204.5 मीटर है। खतरे का निशान 205.33 मीटर है.गौरतलब है कि हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी के अगले 72 घंटों में दिल्ली पहुंचने की संभावना जताई गई थी। तब दिल्ली पर बाढ़ के खतरे की संभावना व्यक्त की गई थी।


निचले इलाकों में चेतावनी जारी----सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने हरियाणा और दिल्ली को अलर्ट भी भेज दिया है। निचले इलाकों में प्रशासन ने यमुना से दूर रहने की चेतावनी भी जारी कर दी है। यमुनानगर के कैचमेंट एरिया में लगातार हो रही बारिश से भी यमुना नदी में उफान आया है। बता दें कि देश के कई राज्य इस समय बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं। पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक नदियों की विकराल लहरें तांडव मचा रही हैं। देश में बाढ़ के कारण अब तक दो सौ से अधिक लोग काल के गाल में समा चुके हैं।


क्षेत्र अधिकारी-इंस्पेक्टर के खिलाफ तहरीर

महिला दरोगा के जहर खाने के मामले में 
सीओ व इंस्पेक्टर के खिलाफ भाई ने दी
तहरीर, जांच शुरू


लखनऊ। मुजफ्फरनगर में महिला थाने में तैनात दरोगा के जहर खाने के मामले में थाना प्रभारी सहित पूरे महिला थाने को लाइन हाजिर कर दिया गया है।बताते चलें कि मंगलवार कोर्ट सिविल लाइन स्थित थाना परिसर में सब इंस्पेक्टर सीमा यादव ने जहरीला पदार्थ खा लिया था जिसके बाद पहले उसे जिला अस्पताल और फिर मेरठ मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।महिला दरोगा द्वारा जहर खाते जाने से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया तथा तरह तरह की चर्चा शुरू हो गई। सीमा यादव के भाई लोकेश ने एसएसपी को तहरीर देकर आरोप लगाया है कि उसकी बहन का थाना प्रभारी व सीओ सिटी हरीश भदौरिया उत्पीड़न कर रहे थे, ये लोग नियम विरुद्ध कार्य न करने पर उसकी बहन को झूठे मामले में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दे रहे थे। लोकेश ने दोनों पर सीमा यादव का उत्पीड़न करने के मामले में लाखों की रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया है।
लोकेश की शिकायत के बाद एसएसपी ने महिला थाने की प्रभारी प्रीति रानी सहित 8 सब इंस्पेक्टर व 30 सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया। मामले की जांच एसपी (सिटी) को सौंपी गई है।


बल्ले से बोल सीधे घुस गई हेलमेट में..

बल्ले से निकल बाल सीधे घुस गई हेलमेट में


श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट सीरीज चल रही है, जिसमें कुछ ऐसा हुआ जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। कुछ लोग इस मोमेंट पर खूब हंस रहे हैं। कीवी गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने स्वीप करते हुए बॉल को खेला। लेकिन बॉल बल्ले का एज लेते हुए हेलमेंट के अंदर चली गई।


गेंद को पकडऩे के लिए फील्डर उनके पीछे दौड़ पड़े। बोल्ट दूर भागे और बॉल निकालने की कोशिश करने लगे, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सके. श्रीलंका के खिलाड़ी देखते हंसते रहे और फिर खुद ही बॉल को निकाल लिया और माहौल मजाक-मस्ती में बदल गया। स्पिनर लसिथ एमबुलदेनिया ने बॉल डाली, जिस पर ट्रेंट बोल्ट बड़ा शॉट खेलने में कामयाब नहीं हो पाए और बॉल हलमेट के अंदर चली गई। ये घटना 82वें ओवर में हुई. बोल्ट ने 18 रन की पारी खेली और सुरंगा लकमल की गेंद पर आउट हो गए।


राजनाथ ने अंत में दी श्रद्धांजलि (स्मरण)

जैसलमे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राजस्थान के जैसलमेर पहुंचे जहां उनका स्वागत सेनाप्रमुख जनरल बिपिन रावत ने किया। वहीं, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह मिलिट्री स्टेशन में इंटरनेश्नल आर्म स्काउट मास्टर प्रतियोगिता के समापन समारोह में शामलि हुए। उन्होंने सभी प्रतियोगियों को बधाई दी है।
राजनाथ सिंह ने यहां संबोधन के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया। उन्होंने कहा अलट बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर पोखरण की धरती से श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला है। सिंह ने प्रतियोगिता पूरी होने पर सभी आठ टीमों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इंटरनेश्नल आर्म स्काउट मास्टर प्रतियोगिता में सभी को एक दूसरे से सीखने और काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस प्रकार के आयोजन से हमारे रिश्ते परसपर अच्छे होंगे। वैसे पहले से ही सभी देशों के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं 


सिंह ने कहा रूस के साथ हमारे लंबे समय से गहरे और स्ट्रेटजिक रिलेशन रहे हैं। चीन के साथ बाइलिट्रल एक्सरसाइज में भाग लेते हैं। जिससे एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ बनाने में सहयोग मिलता है। सेंट्रल एशिया के सभी देशों के साथ हमारे हिस्टोरिकल रिलेशन रहे हैं। जिसमें सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते भी रहे हैं। हम आपसी सहयोग बढ़ाकर विश्व की कठिन चुनौतियों एवं खतरों का सामना करने में सक्षम बनेंगे। साथ ही भविष्य में संबंध बढ़ाने में और भी मौके मिलेंगे।


सड़क दुर्घटना में 5 की मौत 2 घायल

सिमडेगा । झारखंड के सिमडेगा में आज एक सड़क बाइक दुर्घटना में 5 लोगों की मौत हो गई। वही 2 लोग दुर्घटना में बुरी तरह से घायल बताए जा रहे हैं। सदर थाना क्षेत्र के जोकबहार पुरनाडीह के पास यह दो बाइकों में जबर्दस्‍त टक्‍कर हुई, जिसमे 5 लोगों की  मौत घटना स्थल पर ही हो गई। जानकारी के मुताबिक सदर थाना क्षेत्र के जोकबहार पुरनाडीह के पास दो बाइकों की टक्‍कर में 5 लोगों की मौत हो गई, वहीं 2 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में गौतम बेसरा सलडेगा अहीर टोली, मार्शल डांग लम्बोई जलडेगा, दामोदर खेरवार, राफेल राम सलडेगा तथा डिब्रु खेरवार सरंगापानी गमहारटोली शामिल हैं। इस हादसे में निरोध बुढ़ सलडेगा और सूरज खेरवार कोलेबिरा घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक एक मोटरसाइकिल पर चार लोग तथा दूसरे पर 3 लोग सवार थे। किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था। तेज गति में जा रही दाेनों बाइकों में टक्‍कर से एक साथ चार जानें चली गईं। प्राप्त जानकारी के अनुसार दामोदर, डिब्रु व सूरज तीनों एक बाइक पर थे। वहीं मार्शल, दामोदर, गौतम व निरोध दूसरे मोटरसाइकिल पर थे। सभी की उम्र 15 से 20 वर्ष के बीच की है। सभी स्वतंत्रता दिवस व रक्षाबंधन के मौके पर घूमने व मौज मस्ती के लिए निकले थे। इसी दौरान भीषण हादसा हुआ। जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। वहीं 2 लोग घायल हो गए।


'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी

'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात...