नई दिल्ली। धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट है। एक तरफा कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने कूटनीतिक रिश्तों, व्यापारिक संबंधों के साथ साथ समझौता एक्सप्रेस के संचालन को बंद कर दिया है। इसके साथ ही उसने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने का भी फैसला किया है। लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर वो अपनी पुरानी नीति पर कायम है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मॉर्गन आर्टगस ने कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए निगाह लगाए हुए है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही सुलझाना चाहिए। यह अमेरिका के उस बयान से उलट है जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की थी। मार्गन आर्टगस का कहना है कि बैंकॉक में आसियान देशों के सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से कई दफा बातचीत हुई। वो अमेरिकी विदेश मंत्री के संपर्क में लगातार थे। उन्होंने कहा कि जुलाई के महीने में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अमेरिका में थे। लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत के एजेंडे में कश्मीर नहीं था। अमेरिका का मानना है दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति की स्थापना में दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका का मानना रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी विवादित विषय पर बातचीत करने का आधारशिला शिमला समझौता ही है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद पाकिस्तान की सियासत में गुस्से का आलम ये है कि उसकी तरफ से जंग छेड़ने तक की धमकी आ गई। हालांकि भारत ने साफ कर दिया कि धारा 370 का हटाया जाना उसका आंतरिक मामला है। भारतीय संविधान में प्रदत्त शक्तियों के जरिए ही 370 को हटाया गया। अगर पाकिस्तान को लगता है कि वो इस धारा 370 को यूएन में उठाकर कामयाबी हासिल कर लेगा तो वो उसकी भूल है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कोई भी संप्रभु राष्ट्र अपने संविधान के तहत फैसला ले सकता है।