गुरुवार, 8 अगस्त 2019

तीन राष्ट्रभक्त विभूतियों का सम्मान

संवाददाता -अभय कुमार मिश्रा


सीतापुर। राज्य सभा के बाद लोकसभा से भी धारा 370 को हटाने का संकल्प पारित होने के बाद आज सीतापुर नगर में तीन विभूतियों का सम्मान किया गया, पूर्व विधायक भरत त्रिपाठी द्वारा पूर्व सांसद जनार्दन प्रसाद मिश्र, उमाकान्त मिश्रा, संतोष पाण्डेय का माल्यार्पण व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मान व अभिनंदन किया गया। बताते चले कि धारा 370 के विरोध में तत्कालीन भाजपा के वरिष्ठ राष्टीय नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में एकता यात्रा निकाली गई थी जिसके अन्तर्गत 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी द्वारा श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर यात्रा का समापन करना था, तब उस यात्रा में शामिल होने के लिए सीतापुर जिले से भी एक बस में सवार होकर लोग गए थे, वैसे तो सीतापुर से उस यात्रा में भाग लेने वाले अन्य भी कई लोग थे लेकिन सीतापुर नगर से मात्र 5 लोग ही उस बस में सवार होकर जम्मू पहुँचे थे जिनमें जनार्दन प्रसाद मिश्र , उमाकान्त मिश्र , प्रकाश नाथ मेहरोत्रा, श्याम जीत जायसवाल एवं सन्तोष पाण्डेय सीतापुर नगर से थे। सीतापुर नगर के भाजपा व विचार परिवार के लिए ये दुर्भाग्य की बात है कि आज धारा 370 के हटने की खुशी देखने व सुनने के लिए इन पांच नामों में श्यामजीत व प्रकाश मेहरोत्रा अब दिवंगत हो चुके हैं काश वे अगर जीवित होते तो वे भी ये शुभ दिन जरूर देखते!और गर्व महसूस करते खैर आज वे दोनों भले ही हमारे बीच मे नहीं हैं लेकिन स्वर्ग में उनकी आत्मा जरूर प्रसन्न हुई होगी। सीतापुर नगर के ये तीन राष्ट्रभक्त आज धारा 370 के हटने बाद गर्व की अनुभूति कर रहें हैं सरकार के इस ऐतिहासिक कदम का एक ओर सभी स्वागत कर रहे हैं,तो दूसरी ओर पूर्व विधायक भरत त्रिपाठी ने इन तीनो का अभिनंदन व सम्मानित किया। बातचीत में श्री जनार्दन मिश्र धारा 370 को हटाने के पल को ऐतिहासिक व अपने जीवन का सुखद दिन बताते है वे कहते है कि ये मुद्दा मेरे लिए राममन्दिर से भी बड़ा है मोदी और अमित शाह ने वो करके दिखा दिया जिसका लोग 50 साल से इंतजार कर रहे थे। एकता यात्रा में शामिल होने गए उमाकान्त मिश्र पुराने क्षणों को याद कर बताते हैं कि हम 5 लोग सीतापुर से एक बस में सवार होकर जम्मू गए थे जिसका 400 रुपया एक यात्री का शुल्क भी निर्धारित था वे कहते है कि जब हम लोगों की बस लुधियाना बार्डर क्रॉस कर रही थी तब हम लोगों की बस के आगे मुरादाबाद जिले की एक बस चल रही थी उस पर आतंक वादियों ने गोलियां बरसा दी थी जिसमें 1 कार्यकर्ता की मौत व दो गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, पार्टी इस धारा को हटाने के लिए काफी लम्बे समय से संघर्ष कर रही थी आज मोदी जी ने ये शुभ दिन देश के सामने दिया है जिसका मुझे भी बहुत गर्व है। फिलहाल ये तीनों विचारनिष्ठ अपने आप को भाजपा से जुड़े होने को लेकर बहुत ही गौरवान्वित महूसस कर रहें है।


एसएसपी ने निकाला समाधान:बकरीद

मुरादाबाद । बर्तन बज़ार में शाही मस्जिद में इस बार ईद की नमाज़ पढ़ने आने वाले मुस्लिम भाइयों से गुज़ारिश है।इस बार सावन का आख़री सोमवार वाले दिन ही ईद उल ज़ुहा की नमाज़ है।


सोमवार में हिन्दू भाई बहन अपने मज़हब के मुताबिक़ अपने धार्मिक स्थलों में जाकर जल चढ़ायेंगे।इस लियें इस बार पुलिस प्रशासन के अनुरोध पर शाही मस्जिद में ईद की नमाज़ पढ़ने आने वाले भाई अपनी-अपनी दो पहिया गाड़िया भट्टी स्ट्रीट में पार्क करें, इस बार अगर मौसम साफ़ रहा तो आधी सड़क पर ही नमाज़ी ज़्यादा होने की शक़्ल में नमाज़ अदा करेंगे, आधी सड़क पर हिन्दू भाई बहन अपने कांवड़ की गाड़ियों के साथ आसानी से गुज़रेंगें।हिंदु भाइयों से भी गुज़ारिश है कि वो बस नमाज़ के कुछ वक़्त के दौरान अपने DJ मस्जिद के आगे से बंद कर के निकाल लें।दोनों पक्षों ने बहुत प्यार से इस इस मसले का हल निकाल लिया है। एसएसपी, एसपी सिटी, एडीएम सिटी सहित सभी पुलिस प्रशसन के अधिकारी बर्तन बज़ार में मौजूद थे, कावड़ पक्ष की तरफ़ से संजय कट्टा सहित काफ़ी लोग मौजूद थे, तो मुस्लिम पक्ष से सलीम बाबरी, रईस खां, शुएब हसन पाशा, सलीम बाबरी सहित काफ़ी लोग मौजूद थे।


बकरा ईद पर पता लगेगा:पब्लिक मूड

श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार की नमाज और 12 अगस्त को पड़ने वाली ईद-उल-अजहा के मौके पर कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ये ऐसा पहला मौका होगा जब केंद्र सरकार लोगों की प्रतिक्रिया को भांपेगी। इस दौरान सरकार ये जानने की कोशिश करेगी कि इस कदम से कश्मीरियों का क्या मूड है। हालांकि अभी केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन मिलकर घाटी के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी घाटी की जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां का दौरा किया। उन्होंने यहां के राज्यपाल सत्यापल मलिक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी की।फिलहाल घाटी में सुरक्षा तैनाती में ढील को निर्धारित करने के लिए किसी समय सीमा का अंदाजा नहीं लगाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जुमे की नमाज में धारा 144 के तहत कुछ ढील दी जा सकती है।


जम्मू संभाग में दुकानें तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान खुलने शुरू 


बुधवार को घाटी से कई वीडियो वायरल हुए जिनमें तेजी से सुधर रहे हालात दिख रहे हैं। श्रीनगर में कुछ दुकानें खुलीं। सड़कों पर पाबंदियों के बाद भी आम लोग सड़कों पर निकले। दो पहिया वाहनों के साथ कार भी सड़कों पर दिखीं। प्रशासन की ओर से जिन परिवारों में शादियां हैं, उनके लिए अतिरिक्त प्रबंध किए जाने की खबर है। पिछले तीन दिनों से पूरे केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति लगभग शांतिपूर्ण है। मंगलवार को पुंछ के बफलियाज इलाके में फैसले के विरोध में लोग सड़क पर उतर आए थे। उन्होंने इस दौरान पहुंची पुलिस पर पथराव कर दिया था। इसमें डीएसपी आपरेशन समेत तीन लोग घायल हो गए थे।


घाटी में पाबंदियों के साथ सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा


अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उत्पन्न हालात से निपटने के लिए महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी समेत विभिन्न दलों के 550 से अधिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को अब तक हिरासत में रखा गया है। सुरक्षा बलों की ओर से शांति के लिए खतरा का हवाला देते हुए इन्हें हिरासत में लेकर श्रीनगर के एसकेआईसीसी तथा बारामुला व गुरेज में बनाए गए केंद्रों में इन्हें रखा गया है। हालांकि, प्रशासन की ओर से हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है।


 


क्षेत्रीय विद्यार्थी मुख्यधारा से पिछड़े

पथरी । छत्तीसगढ़ के देहाती क्षेत्र अभी भी मुख्यधारा से पिछड़े हुए हैं। नगर और महानगरों में होने वाले आयोजनों में उनकी अपेक्षा की जाती है। जिसकी वजह से प्रतिभावान  छात्र एवं युवक सिमट कर रह जाते हैं। ठीक इसी प्रकार गांव-देहात के शिक्षकों को कोई महत्व नहीं जाता है। जब भी ब्लॉक स्तर पर या जिला स्तर पर कोई भी आयोजन रखा जाता हैं, तो शहरी क्षेत्रो के स्कूल-विधालयो को आयोजन का निमंत्रण और दायित्व देते हैं। गाँव के बच्चे और शिक्षक अपना समान लेकर, अपनी स्वयं की व्यवस्था पर आते है। प्रदर्शन करते हैं,उनके बच्चे यदि प्रथम या द्वितीय नहीं आते तो उन्हें सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जाता है। अपना रुपय खर्च करके माडल बनाते हैं। दिन भर आयोजन स्थल पर प्रदर्शन करते हैं। उसके बाद भी बच्चों की मेहनत पर ध्यान नही दिया जाता है। कम से कम सर्टिफिकेट का हक तो मिलना चाहिए। बच्चों के लिए शहरों में बडे़-बडे़ आॅडिटोरियम बनाये गये है।गाँव के स्कूल में कन्ही भी आडिटोरियम नहीं है। फिर भी बाहर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। गाँव के स्कूल के बच्चे, गाँव की तीन बालिकाओं ने पंजाब में करामतशोगी डो कराते में छग को तिसरा स्थान दिलवाया हैं। पथरी की तीन बालिकाओं को सिल्वर मैडल प्राप्त हुआ है।


3827आवेदन मांगे:शिक्षक-भर्ती

चंडीगढ़ । हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSE ) ने विभिन्न विषयों के अध्यापकों के 3827 पदों के आवेदन मांगे हैं l इच्छुक व् योग्य 20 अगस्त से 5 सितंबर 2019 आनलाईन आवेदन कर सकते हैं l


कुल पद : 3827
कंप्युटर साईंस : 1373
अंग्रेजी ः 530
मैथ : 522
इतिहास : 329
कोमर्स : 304
फिजीकल एजुकेशन : 241
हिंदी : 194
कैमिसट्री : 131
बायोलोजी : 127
म्युजिक: 35
फाईन आर्ट : 35
उर्दु : 6


शैक्षणिक योग्यता:
संबंधित विषय में एमए व बीएड
मैट्रिक या हायर में विषय के रूप में हिंदी / संस्कृत।
(ii) हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र
(HTET) / संबंधित विषय के स्कूल शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET)।
(iii) “अच्छा अकादमिक रिकॉर्ड” लेने के बाद 5O% अंक पाने वाले उम्मीदवार
lOth / 12th / ग्रेजुएशन / पोस्ट से किसी भी तीन परीक्षाओं का औसत
मामले के रूप में स्नातक हो सकता है। हालांकि उम्मीदवार के पास होना चाहिए
पीजीटी कंप्यूटर साइंस को छोड़कर पोस्ट-ग्रेजुएशन में कम से कम 50% अंक
और पीजीटी कंप्यूटर विज्ञान के मामले में, उम्मीदवार को कम से कम होना चाहिए
पोस्ट ग्रेजुएशन / ग्रेजुएशन में 55% अंक हो।
आयु सीमा : 18-42 वर्ष
आनलाईन आवेदन की तिथि : 20 अगस्त से 5 सितंबर 2019
आनलाईन फीस भरने की तिथि: 9 सितंबर 2019
यहां करें आनलाईन आवेदन : www.hssc.gov.in
वेतनमान: पे मैट्रिक्स लेवल -8 में (रु। 47,600-1,51,100)


मानसिक उपचार की आवश्यकता:न्यायमूर्ति

नई दिल्ली । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री एच.एल.दत्तू ने कहा है कि देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को सुधारने के प्रयास किए गए हैं लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में आवश्यक सुविधा और उपलब्धता के बीच खाई बनी हुई है। यह बात उन्होंने आज नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर में मानसिक स्वास्थ्य पर एनएचआरसी की राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक का उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र की निगरानी नीति के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल नियम 2017 के लागू होने के बाद की जमीनी वास्तविकताओं का मूल्यांकन करना आवश्यक है। न्यायमूर्ति श्री दत्तू ने कहा कि देश में 13500 मनोरोग चिकित्सकों की आवश्कता है लेकिन 3827 ही उपलब्ध हैं। 20250 क्लीनिकल मनोरोग चिकित्सकों की आवश्कता है जबकि केवल 898 उपलब्ध हैं। इसी तरह पैरामैडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है।


मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बंदियों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि ऐसे बंदियों के अधिकारों की रक्षा करना मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के खंड 103 के अंतर्गत राज्य का दायित्व है और उच्चतम न्यायालय ने भी हाल के अपने एक निर्णय में इस पर बल दिया है।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव श्री संजीव कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार की दिशा में सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए सभी हितधारकों की अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 19 राज्यों ने अब तक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम को लागू किया है। उन्होंने बताया कि देश की 10.6 प्रतिशत युवा आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। यह बहुत बड़ी संख्या है और इसके लिए सुरक्षा कवच, कानूनी रूपरेखा तथा चिकित्सा सुविधाओं वाली समग्र सोच की जरूरत है। उन्होंने इस विषय पर विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने और सहयोग भावना से स्थिति सुधारने के लिए मानवाधिकार आयोग की प्रशंसा की।इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव श्री जयदीप गोविंद ने मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में आयोग के कार्यों की जानकारी दी और कहा कि यह सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य पर बल देने वाले विकास लक्ष्य-3 का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने अच्छे व्यवहारों को अपनाया है और दूसरे राज्यों को इन व्यवहारों को अपनाना चाहिए।बैठक में मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री पी.सी.पंत, महासचिव श्री जयदीप गोविंद और संयुक्त सचिव श्री दिलीप कुमार और अन्य अधिकारियों के अतिरिक्त केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री प्रीति सूदन, संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, राज्यों के मानवाधिकार आयोगों, भारतीय चिकित्सा परिषद, भारतीय नर्सिंग परिषद, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के निदेशक, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, एनजीओ तथा सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।


सुविधाएं-उपलब्धता के बीच खाई:एनएचआरसी

नई दिल्ली । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की राष्ट्रीय स्तर की बैठक मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कानून और उसको लागू करने के बीच की खाई पर भी चर्चा की गई। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री एच.एल.दत्तू ने बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को सुधारने के प्रयास किए गए हैं। लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में आवश्यक सुविधा और उपलब्धता के बीच खाई बनी हुई है।


उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र की निगरानी नीति के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल नियम 2017 के लागू होने के बाद की जमीनी वास्तविकताओं का मूल्यांकन करना आवश्यक है। न्यायमूर्ति श्री दत्तू ने कहा कि देश में 13500 मनोरोग चिकित्सकों की आवश्कता है लेकिन 3827 ही उपलब्ध हैं। 20250 क्लीनिकल मनोरोग चिकित्सकों की आवश्कता है जबकि केवल 898 उपलब्ध हैं। इसी तरह पैरामैडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है।


मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बंदियों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि ऐसे बंदियों के अधिकारों की रक्षा करना मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के खंड 103 के अंतर्गत राज्य का दायित्व है और उच्चतम न्यायालय ने भी हाल के अपने एक निर्णय में इस पर बल दिया है।स्वास्थ्य परिवार और कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूदन ने कहा कि देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुधारने के काम में केंद्र सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धन की कोई कमी नहीं है लेकिन राज्यों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को लागू करने के प्रस्ताव के साथ आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों को खर्च के बारे में समय से रिपोर्ट देनी होगी।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव श्री संजीव कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार की दिशा में सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए सभी हितधारकों की अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 19 राज्यों ने अब तक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम को लागू किया है। उन्होंने बताया कि देश की 10.6 प्रतिशत युवा आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। यह बहुत बड़ी संख्या है और इसके लिए सुरक्षा कवच, कानूनी रूपरेखा तथा चिकित्सा सुविधाओं वाली समग्र सोच की जरूरत है। उन्होंने इस विषय पर विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने और सहयोग भावना से स्थिति सुधारने के लिए मानवाधिकार आयोग की प्रशंसा की।


इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव श्री जयदीप गोविंद ने मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में आयोग के कार्यों की जानकारी दी और कहा कि यह सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य पर बल देने वाले विकास लक्ष्य-3 का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने अच्छे व्यवहारों को अपनाया है और दूसरे राज्यों को इन व्यवहारों को अपनाना चाहिए।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री पी.सी.पंत ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में दिए गए सुझाव कानून और उसको लागू करने की बीच की खाई को पाटने में सहायक होंगे।बैठक में मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री पी.सी.पंत, महासचिव श्री जयदीप गोविंद और संयुक्त सचिव श्री दिलीप कुमार और अन्य अधिकारियों के अतिरिक्त केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री प्रीति सूदन, संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, राज्यों के मानवाधिकार आयोगों, भारतीय चिकित्सा परिषद, भारतीय नर्सिंग परिषद, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के निदेशक, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, एनजीओ तथा सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।


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