बुधवार, 31 जुलाई 2019

झारखंड में चलेगी मुख्यमंत्री कैंटीन योजना

नाम में क्‍या रखा है...अम्‍मा नहीं यहां रघुवर कैंटीन में करिए ₹10 में 


रांची। तमिलनाडु में लोकप्रिय अम्‍मा कैंटीन की तर्ज पर अ‍ब झारखंड में भी मुख्‍यमंत्री कैंटीन योजना चलाई जा रही है। राजधानी रांची में अगले एक सप्‍ताह में इसकी शुरुआत होगी। मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा सरकार की इस महत्‍वाकांक्षी योजना को पहले पूर्वी सिंहभूम में लांच किया था। अब झारखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए रांची में कैंटीन शुरू करने को बड़ा दांव के रूप में देखा जा रहा है।


बताया गया है कि झारखंड सरकार द्वारा निर्मित मुख्‍यमंत्री कैंटीन, समाज के वंचित लोगों के लिए रेस्तरां की एक श्रृंखला के तौर पर विकसित की जाएगी, जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भरपेट भोजन की व्‍यवस्‍था करेगा। इस योजना में जो आर्थिक रूप से अशक्त हैं, वे अब बाजार मूल्य से बहुत सस्ती दर पर अपना पेट भर सकेंगे। घर-परिवार से दूर रह रहे लोगों को बढिय़ा भोजन कराने के लिए उद्देश्य से तैयार की गई मुख्यमंत्री कैंटीन योजना के तहत अब रांची में भी लोगों को साफ-सुथरा और पौष्टिक भोजन मिल सकेगा। पूर्वी सिंहभूम के बाद रांची दूसरा जिला होगा, जहां यह योजना लागू होगी और लोगों को 10 रुपये में भरपेट भोजन मिलेगा। इसके लिए 10 रुपये सरकार अपने मद से भी एजेंसी को देगी।


कैंसर मरीज पर चूहों का हमला,कुतरा अंग

पीएमसीएच के आइसीयू में कैंसर मरीज पर चूहों का हमला, कुतर खा गए अंग


धनबाद। पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भी मरीज सुरक्षित नहीं हैं। लापरवाही का अालम यह है कि यहां अस्पताल प्रबंधन के बजाय चूहों का राज चल रहा है। बेहोश मरीजों पर चूहे हमला करते हैं। उनके अंगों को कुतर खाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। कैंसर मरीज शमीम मल्लिक के अंगों को चूहों ने कुतर खाया है। 
झरिया के शमशेर नगर निवासी मो. शमीम मल्लिक (73 वर्ष) के शरीर पर सोमवार की रात चूहों ने कई बार हमला बोला। शरीर के कई अंगों को चूहों ने कुतर दिया। चूहों ने उनके निजी अंग व पैर को चार जगहों पर कुतर दिया। सुबह में जख्म के स्थान पर जब परिजनों ने खून देखा तो उन्हें इसका पता चला। परिजनों ने इसपर जमकर विरोध जताया। इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से भी की गयी। बता दें कि अब पीएमसीएच की आइसीयू में चूहों व तिलचïट्टे का होना आम बात हो गई है। अस्पताल की हालत हर दिन बदतर हो रही है।


28 को हुए थे भर्ती, अचेत अवस्था में था मरीज,मो. शमीम के पुत्र फहीम मल्लिक ने बताया कि वर्ष 2018 में उनमें कैंसर की पहचान हुई थी। गले व सीने में गांठ हो जा रही थी। कई जगहों पर इलाज कराया। फिलहाल घर पर ही रह रहे थे। रविवार को गंभीर होने के बाद पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। परिजनों के मुताबिक मरीज की स्थिति पहले से ही खराब है। अब अंग कुतरे जाने से वे और गंभीर हो चले हैं।


तीन वर्षीय मासूम की रेप के बाद हत्या

झारखंड: जमशेदपुर में बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद काट डाला, सिर कटा शव मिला


जमशेदपुर। टाटानगर रेलवे स्टेशन से 25 जुलाई की रात अपहृत तीन वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी गला रेत कर हत्या कर दी गई। मंगलवार रात पुलिस ने बच्ची का सिर विहीन शव टेल्को थाना क्षेत्र स्थित रामाधीन बागान धोबीघाट से सटी झाड़ी से बरामद कर लिया है। बच्ची का अपहरण 25 जुलाई की रात को हुआ था। एक हवलदार के पुत्र रिंकू साहू और उसके दोस्त कैलाश कुमार ने इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया है। पुलिस बच्ची के सिर की खोज में जुटी है। सिर नहीं मिला है। बुधवार को पुलिस पुन: सिर की तलाश करेगी।


मुख्य आरोपित की मां गिरिडीह में हवलदार
पुलिस के अनुसार, मुख्य आरोपित रिंकू साहू की मां तारा साहू गिरीडीह जिला पुलिस मुख्यालय में हवलदार है। रिंकू आपराधिक मामलों का आरोपित रहा है। तारा देवी ने पुलिस को बताया कि रिंकू साहू साइको है। रिंकू टेल्को के रामाधीन बागान और कैलाश साकची के काशीडीह का रहने वाला है। पुलिस ने सोमवार की रात इन दोनों की गिरफ्तारी सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की थी।बच्ची पश्चिम बंगाल के झालदा जिले की रहने वाली थी। 25 जुलाई की रात आरोपितों ने टाटानगर रेलवे स्टेशन से 11:30 बजे अपहरण कर लिया गया था। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर छानबीन करते हुए पांच दिन बाद पुलिस अपहरणकर्ता तक पहुंची। उधर, बच्ची बरामद नहीं होने पर मंगलवार सुबह मां पश्चिम बंगाल लौट गई। उसके मामा जमशेदपुर में काम करते हैं।


अचानक धन लाभ हो सकता है:मिथुन

राशिफल


वृषभ:कार्य व्यापार में उन्नति का दिन है। अचानक धन लाभ हो सकता है। किसी भी जगह की यात्रा मंगलमय रहेगी। कार्य पूरे होने के प्रबल आसार हैं। भाइयों के बीच में प्रेम बढ़ेगा। परिजनों के साथ समय आनंदपूर्वक समय बीतेगा। 


मिथुन:अचानक धन लाभ हो सकता है। आज कोई नया प्रोजेक्ट या योजना प्रारम्भ करना शुभ रहेगा। आज आपकी वाणी से निकले शब्द कल्याणकारी रहेंगे। पारिवारिक सदस्यों के साथ भोजन करने तथा आनंदपूर्वक समय व्यतीत करने का योग होगा। 


कर्क:सोचा हुआ कार्य आज पूरा होगा। यात्रा से लाभ होगा। आज जो भी कार्य करेंगे, आपको सिद्धि प्राप्त होगी। कुल मिलकार आज का दिन आपके लिए शुभ रहेगा। जीवनसाथी अथवा किसी प्रिय व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा, मन प्रसन्न रहेगा।


सिंह:आज किसी को उधार न दें। धन व्यय के योग बन रहे हैं। यात्रा में कष्ट एवं मानसिक तनाव हो सकता है। किसी भी कार्य के लिए घर से निकलने से पहले दान जरूर दें। परिवार में क्लेश का वातावरण हो सकता है। आंख में पीड़ा हो सकती है। 


कन्या:कार्यों में आने वाली बाधओं दूर होंगी। आज शुभ समाचार मिलेगा। मनोबल बढ़ेगा एवं सर्वव्यापी लाभ के प्रबल संकेत हैं। मित्रों, स्नेहीजनों से उपहार मिलेगा। व्यापार के क्षेत्र में नए संपर्कों से भविष्य में लाभ होने की संभावना है। 


तुला:आज कर्मक्षेत्र में सफलता मिलेगी और घर में सुख-सुविधा में वृद्धि होगी। नए संपर्क बनेंगे, जो आगे जाकर आपको शुभ फल प्रदान करेंगे। परिजनों और मित्रों के साथ आनंददायी क्षण बिताएंगे। 


वृश्चिक:आज भाग्य का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। धार्मिक स्थल और अपने इष्ट देवी-देवता के दर्शन से मनोकमाना पूर्ण होगी। यात्रा में लाभ होगा। भाइयों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यापारियों को मुनाफा वाले सौदे होंगे। उत्तम भोजन और वैवाहिक जीवन का सुख मिलेगा। 


धनु:आज यात्रा में सावधानी बरतें, चोट-चपेट और वाद-विवाद की आशंका बन रही है। वाहन सावधानी पूर्वक चलाऐं। व्यर्थ तनाव से दूर रहें। खर्च के योग बन रहे हैं, सोच-समझकर ही धन-निवेश करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 


मकर:जीवनसाथी के साथ सहयोग बना रहेगा। अविवाहितों के लिए विवाह के प्रस्ताव आएंगे। घर में कोई मांगलिक कार्य या उसकी तैयारी हो सकती है। आर्थिक लाभ के योग है। मित्रों, सगे-संबंधियों और बुजुर्गों से लाभ प्राप्ति का संकेत है। आय के स्रोत बढ़ेंगे। 


कुंभ:क्रोध पर नियंत्रण रखें तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। आज धन लाभ होगा। अचानक मिली किसी शुभ सूचना से मन प्रसन्न रहेगा। आमोद-प्रमोद में आपका दिन व्यतीत होगा। नौकरी-व्यवसाय में उन्नति और मान-सम्मान प्राप्त होगा। 


मीन:अपनी योग्यता के अनुसार समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। संतान सुख और यात्रा में सफलता मिलेगी। सार्वजनिक जीवन में प्रगति मिलेगी। उत्तम वैवाहिक सुख प्राप्त होगा। पति-पत्नी के बीच दांपत्य जीवन में निकटता का अनुभव होगा।


पाचन क्रिया में लाभकारी बेल

बिल्व, बेल या बेलपत्थर, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है। इसके अन्य नाम हैं-शाण्डिल्रू (पीड़ा निवारक), श्री फल, सदाफल इत्यादि। इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है तथा सूखा गूदा बेलगिरी। बेल के वृक्ष सारे भारत में, विशेषतः हिमालय की तराई में, सूखे पहाड़ी क्षेत्रों में ४००० फीट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं।मध्य व दक्षिण भारत में बेल जंगल के रूप में फैला पाया जाता है। इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं। इसके अलाव इसकी खेती पूरे भारत के साथ श्रीलंका, उत्तरी मलय प्रायद्वीप, जावा एवं फिलीपींस तथा फीजी द्वीपसमूह में की जाती है।


धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है व मान्यता है कि इसके मूल यानि जड़ में महादेव का वास है तथा इनके तीन पत्तों को जो एक साथ होते हैं, उन्हे त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं! परंतु पाँच पत्तों के समूह वाले को अधिक शुभ माना जाता है! अतः पूज्य होता है। धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इसके वृक्ष १५-३० फीट ऊँचे कँटीले एवं मौसम में फलों से लदे रहते हैं। इसके पत्ते संयुक्त विपत्रक व गंध युक्त होते हैं तथा स्वाद में तीखे होते हैं। गर्मियों में पत्ते गिर जाते हैं तथा मई में नए पुष्प आ जाते हैं। फल मार्च से मई के बीच आ जाते हैं। बेल के फूल हरी आभा लिए सफेद रंग के होते हैं व इनकी सुगंध भीनी व मनभावनी होती है।


पतित-पावनी राष्ट्रीय नदी गंगा

गंगा भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र नदी भी मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं!


गंगा नदी के मार्ग एवं उसकी विभिन्न उपनदियाँ
गंगा नदी के मार्ग एवं उसकी विभिन्न उपनदियाँ
इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी जाती ही हैं, तथा मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं[कृपया उद्धरण जोड़ें] कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा प्रयागराज (इलाहाबाद) और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है।


आकार और निराकार शिव (शिव-महापुराण)

सूत जी ने कहा, मुनीश्वरो तुम्हारा यह प्रश्‍न तो बड़ा ही पवित्र और अत्यंत अद्भुत है! इस विषय में महादेव जी ही वक्ता हो सकते हैं! दूसरा कोई पुरुष कभी और कहीं भी इसका प्रतिपादन नहीं कर सकता है! इस प्रश्न के समाधान के लिए भगवान शिव ने जो कुछ कहा है, उसे मैंने गुरु जी के मुख से जिस प्रकार सुना है! उसी तरह कर्मश: वर्णन करूंगा! एकमात्र भगवान शिव ही ब्रह्म स्वरूप होने के कारण सकल निराकार कहे गए हैं! रूपवान होने के कारण उन्हें सकल भी कहा गया है !इसलिए भी सकल और निष्कल दोनों हो शिव के सकल निराकर होने के कारण ही उनकी पूजा का आधारभूत लिंग भी निराकार ही प्राप्त हुआ है! अर्थात शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है ! इसी तरह शिव के सकल या साकार होने के कारण उनकी पूजा का आधारभूत विग्रह साकार प्राप्त होता है अर्थात शिव का साकार विग्रह साकार स्वरूप का प्रतीक होता है! सकल और अकल समस्त अंग आकार सहित साकार और अंग आकार से सर्वथा रहित निराकार रूप होने से ही वे ब्रह्म शब्द से कहे जाने वाले परमात्मा है! यही कारण है कि सब लोग लिंग निराकार और मूर्ति साकार दोनों रूपों में ही सदा भगवान शिव की पूजा करते हैं! शिव से भिन्न में जो दूसरे-दूसरे देवता हैं, वे साक्षात् ब्रह्म नहीं है! इसलिए कहीं भी उनके लिए निराकार लिंग नहीं उपलब्ध होता है! पूर्व काल में बुद्धिमान ब्रह्मपुत्र सनत कुमार मुनि ने मंदराचल पर नंदीकेश्वर से इसी प्रश्न का उत्तर प्राप्त किया! सनत कुमार बोले भगवान शिव से भिन्न जो देवता है! उन सब की पूजा के लिए सर्वत्र प्राय मूर्ति मात्र ही अधिक संख्या में देखा और सुना जाता है! केवल भगवान शिव की ही पूजा में लिंग और मूर्ति दोनों का उपयोग देखने में आता है! अतः कल्याणमय नंदीकेश्वर इस विषय में जो तत्व की बात हो उसे मुझे इस प्रकार बताइए, जिससे अच्छी तरह समझ में आ जाए! नंदीकेश्वर ने कहा निष्‍पाप ब्रह्म कुमार आपके इस प्रश्न का हम जैसे लोगों के द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया जा सकता है! क्योंकि यह गोपनीय विषय है और लिंग साक्षात ब्रह्मा का प्रतीक है! तथापि आप शिव भक्त है! इसलिए इस विषय में भगवान शिव ने जो कुछ बताया है! उसे ही आपके समक्ष कहता हूं! भगवान ब्रह्म स्वरूप और निष्फल निराकार है! इसलिए उन्हीं की पूजा में निष्कल लिगं का उपयोग होता है! संपूर्ण वेदों का यही मत है! संनत कुमार जी बोले, महाभाग योगेंद्र आपने भगवान शिव तथा दूसरे देवताओं के पूजन में लिंग और मूर्ति के प्रचार का जो रहस्य विभाग पूर्वक बताया है! वह यथार्थ है इसलिए लिंग और मूर्ति की उत्पत्ति का वृतांत है! उसी को मैं इस समय सुनना चाहता हूं! लिंग के प्रकाटय का रहस्य सूचित करने वाले इस को बताने का कष्‍ठ करे! उत्तर में भगवान महादेव के फल के अभाव का प्रसंग सुनाना आरंभ किया! उन्होंने ब्रह्मा विष्णु के विवाद, देवताओं की व्याकुलता एवं चिंता, देवताओं का दिव्य कैलाश शिखर पर गमन, उनके द्वारा चंद्रशेखर महादेव का स्तवन ,देवताओं से प्रेरित हुए महादेव जी का ब्रह्मा और विष्णु के विवाद स्थल में आगमन तथा दोनों के बीच में निष्‍कल आदि अंत रहित भीषण अग्निस्तंभ के रूप में इनका आविर्भाव आदि! प्रसंगों की कथा कही तदनंतर श्री ब्रह्मा और विष्णु दोनों के द्वारा इस ज्योतिर्मय स्तंभ की ऊंचाई और गहराई का थाह लेने की चेष्टा एवं केतकी पुष्प को साप, वरदान आदि के प्रसंग भी सुनाएं!


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...