शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

यौन शोषण मामले में विधायक ने किया सरेंडर

यौन शोषण मामला: झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने किया सरेंडर, भेजे गए जेल


देवघर। अपनी ही पार्टी की एक नेत्री के साथ यौन उत्पीडऩ के आरोपित पोड़ैयाहाट से झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के विधायक प्रदीप यादव ने गुरुवार को प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी कमल रंजन की अदालत में सरेंडर कर दिया। उनके अधिवक्ता ने जमानत याचिका तत्काल दाखिल की। अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर प्रदीप को न्यायिक हिरासत में भेज दिया!


मालूम हो कि विधायक पर महिला नेत्री ने 3 मई 2019 को यौन उत्पीडऩ सहित कई संगीन आरोप लगा देवघर महिला थाने में कांड संख्या 13/19 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस ने धारा 354 ए, 354 बी, 354 डी, 376 /511 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। 14 मई 2019 को उनके अधिवक्ता रामदेव यादव ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की।


18 मई 2019 को यह मामला जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम मोहम्मद नसीरुद्दीन की अदालत में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया गया। इस दौरान मिली पांच तारीखों पर दोनों पक्षों ने बहस की। इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। अब जमानत याचिका प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में दाखिल होगी। इधर, विधायक के सरेंडर करने की सूचना से कचहरी परिसर में उनके समर्थकों की भीड़ जुट गई!


कारगिल शहीद दिवस : पूजा के योग्य पथ

 पूजे न गए शहीद तो यह पंथ कौन अपनाएगा


तोपों के मुंह से कौन छातियां अड़ाएगा



रांची। कारगिल युद्ध के बीस वर्ष पूरे हो गए। 26 जुलाई 1999 को जब इस युद्ध में भारत को विजय मिली, तो पूरे देश में हर्ष का माहौल था। अपनी जान का बलिदान देकर देश का झंडा बुलंद करने वाले शहीदों में कई झारखंड के भी थे। शहीदों के शव उनके घर तक सम्मानपूर्वक पहुंच जाएं इसका जिम्मा जिन्हें दिया गया था उनमें एक नाम मेदिनीनगर निवासी कर्नल संजय सिंह का था। बीस साल गुजर गए युद्ध के लेकिन आज भी वह दिन याद कर कर्नल सिंह भावुक हो जाते हैं।उन दिनों को याद करते हुए कर्नल ने बताया कि सेना में पांच वर्ष की सर्विस पूरी करने के बाद मैं दिल्ली की एक यूनिट में पोस्टेड था। तब दस चुनिंदे कैप्टन को लॉजिस्टिक मैनेजमेंट स्किल के आधार पर भारतीय सेना ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन मुंबई में छह महीने का ऑफिसर्स पेट्रोलियम मैनेजमेंट में दक्षता के लिए भेजा था, जिसमें मैं भी एक था। कोर्स समाप्त होने में तकरीबन पंद्रह दिन बचे थे तभी कैप्टन अमरजीत वासदेव ने टी ब्रेक में चाय की चुस्की लेते हुए कहा, लगता है हम सभी को जल्द ही यूनिट जाना होगा। पाक बॉर्डर पर कुछ टेंशन का माहौल है। आज कमांडर का फोन आया था। तभी टीवी पर रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडिस का बयान आ रहा था कि कुछ मुट्ठी भर घुसपैठिये हमारी पोस्ट में घुस गए हैं हम इन्हें एक सप्ताह में भगा देंगे।


 भागे-भागे पहुंचे अपनी यूनिट :शाम हुई और हमारे ऑफिसर्स मेस में चीफ इंस्ट्रक्टर कर्नल दीपक कपूर सभी को बुलाकर बोले, टूमॉरो मॉर्निंग यू आर गोइंग बैक टू योर यूनिट। दूसरे दिन सुबह जिसको जैसी सुविधा हुई हवाई जहाज या ट्रेन पकड़कर हमलोग अपनी यूनिट पहुंचे। मेरी यूनिट दिल्ली में थी, आने केसाथ हमारे कमाडर ब्रिगेडियर पीके मेहता ने मुझे बताया कि कल सुबह की स्पेशल फ्लाइट से मुझे लेह जाना है। युद्ध की स्थिति बन चुकी थी। अल सुबह जब पालम एयरपोर्ट पहुंचा तो शारीरिक रूप से स्वस्थ्य सभी पदाधिकारी कारगिल में अपनी यूनिटों में जाने को बेताब दिखे। तकरीबन एक बजे हम लेह पहुंचे। हमें वहा पर कारगिल के पास द्रास नामक सेना मुख्यालय में पहुंचना था, जहा पर आगे का दायित्व दिया जाना था। शहीदों के पार्थिव शरीर तेजी से आना प्रारंभ हो चुका था।


बड़ी चुनौती थी शहीदों को शवों को परिजनों तक पहुंचाना भारतीय सेना को शहीदों के पार्थिव शरीरों को उनके परिजनों तक पहुंचाना एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी थी। उन्हें एक ऐसे पदाधिकारी की तलाश थी जो दिल्ली में पोस्टेड रहा हो और शहीद के परिजनों तक उनके पार्थिव शरीर को सैनिक सम्मान के साथ भिजवा सके। सेना मुख्यालय से मेरी ड्यूटी दिल्ली में लगा दी गई। वहां मुझे कारगिल से दिल्ली पहुंचने वाले शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके परिजनों तक पूरे सम्मान के साथ भिजवाने की व्यवस्था करनी थी। हर दिन पूरे भारत वर्ष के हर राज्य, हर भाषा, हर धर्म के शहीद के पार्थिव शरीर देखकर रहा नहीं गया।अपने कमांडर ब्रिगेडियर मेहता को कहा, मुझे तत्काल युद्धभूमि में भेजिए। मैं अपने वीर सपूतों की शहादत का बदला लेना चाहता हूं। उन्होंने जवाब दिया- पूजे न गए शहीद तो यह पंथ कौन अपनाएगा तोपों के मुंह से कौन अकड़ अपनी छातियां अड़ाएगा चूमेगा फंदे कौन गोलियां कौन वक्ष पर खाएगा अपने हाथों अपना मस्तक फिर कौन आगे बढ़ाएगा। कहा, आपको जो काम सौंपा गया है वह बहुत महत्वपूर्ण है। अपने काम में पूरी तन्मयता से जुट गया। ज्यों ज्यों कारगिल विजय दिवस नजदीक आने लगता है तिरंगे में लिपटे शहीदों के पार्थिव शरीर आंखों के सामने घूमने लगते हैं। आंखें नम होकर बंद हो जाती हैं, श्रद्धा भाव से खुद ब खुद हाथ सैल्यूट करने को उठ जाते हैं।


बिल्‍व वृक्ष एवं पत्तों से जुड़ी कुछ रोचक बातें

कुछ मुख्य बातें बिल्व वृक्ष की


संवाददाता-विवेक चौबे


गढ़वा ! हिन्दू धर्म में आज भी पूजन-अर्चना का एक बड़ा महत्व है।सभी देवों के देव महादेव,जिनका नाम मात्र सुनने से दुःख,दरिद्रता,पाप,लोभ समाप्त हो जाता है।हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से हीं विधि-विधान व पवित्रता से पूजन-अर्चना करना व कराना पंडित(ब्राह्मण) का ही कार्य है।ब्राह्मणों के अध्यन व उनके कार्य शैली के अनुसार महादेव को प्रसन्न करने के कई तरीके हैं।अलग-अलग वर प्राप्त करने के अलग-अलग विधि हैं।विधि के अनुसार शुद्धता पूर्वक हृदय से पूजन-अर्चना करने से शीघ्र वर की प्राप्ति होती है व महादेव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।महादेव को कई नामों से जाना जाता है।जैसे- शिव,शंकर,भोले,महादेव,त्रिनेत्र धारी आदि।


काल की "दशा व दिशा" बदलने की क्षमता,जिस देव में हो,वे हैं "महादेव'


यकीन नहीं तो निम्न विधि के अनुसार पूजन-अर्चना करके आजमाएं! ध्यान रहे पूजा के दौरान मन भटके नहीं।मन तो चंचल होता ही है,उसे वश में करके ही पूजा करें।विल्वपत्र का भी एक अलग ही महत्व है,जानें खाश बात!


भगवान शंकर को बेलपत्र,जिसे संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहते हैं,वह अति प्रिय है।ऐसा माना जाता है की बेलपत्र व जल चढाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल हो जाता है।यह भी मान्यता है की शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से सभी पाप धूल जाते हैं।


बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते,अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है,वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है,चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली व शिव को अर्पण करने से अनंत गुणा फल मिलता है,बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है व बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है,सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश हो जाता है,बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है,बेल वृक्ष व सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।


बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे


आपको बता दें की जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है,बेल वृक्ष का रोपण, पोषण व संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।


बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये


बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं


शिव जी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें


शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन-सी चीज़ चढाने से
मिलता है "क्या फल"


किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक़्त उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग-अलग होता है। 


शिव पुराण में इस बात का वर्णन
मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है।आप भी जानिए,क्या फल मिलता है ?भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है,तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है,जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है,गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है,यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।


शिव पुराण के अनुसार


जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है ? ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है,सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है,नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे व ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है,तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं,सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है,शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है,शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है,मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।


शिव पुराण के अनुसार


जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाया जाए तथा उसका क्या फल मिलता है! लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर,भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है,चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है,अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है,शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है,बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है,जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती,कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं,हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है,धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है,लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है,दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है। 


मन में नए विचार आएंगे:कुंभ

जीवन सुखमय व्यतीत होगा। समाजसेवा करने का अवसर प्राप्त होगा। मेह‍नत का फल प्राप्त होगा। नए काम मिलेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें। भरपूर प्रयास करें। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्य अच्‍छा रहेगा। कारोबार में वृद्धि होगी।


वृष:भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। शुभ सूचना प्राप्त होगी। आय में वृद्धि होगी। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। आवश्यक वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।


मिथुन:किसी बड़ी समस्या का हल किसी बाहरी व्यक्ति के सहयोग से होगा। जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। बेचैनी रहेगी। किसी भी तरह की बहस में हिस्सा न लें। चोट व रोग से बचें। निवेश शुभ रहेगा।


कर्क:चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि की आशंका है। विवाद को बढ़ावा न दें। जल्दबाजी से लिए गए निर्णय पछतावे का कारण बन सकते हैं। लेन-देन में धोखा खा सकते हैं। आय में निश्चितता रहेगी। शत्रु परास्त होंगे। नौकरी में अधिकारी अधिक अपेक्षा करेंगे!


सिंह:फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। कर्ज लेना पड़ सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। आय में निश्चितता रहेगी। नौकरी में अधिकारी अधिक की अपेक्षा करेंगे। वाणी में हल्के शब्दों का प्रयोग न करें।


कन्या:डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। भरपूर प्रयास करें। जल्दबाजी न करें। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। शुभ समय।


तुला:कोई पहले बनाई गई योजना फलीभूत होगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। दूसरों की सहायता कर पाएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। भाग्य का साथ रहेगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। नए काम मिलेंगे। विरोधी सक्रिय रहेंगे। धनार्जन होगा।


वृश्चि:रोजगार प्राप्ति के लिए किसी विशिष्ट व्यक्ति का सहयोग लेना पड़ सकता है। सफलता प्राप्त होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। कोई बड़ा काम सहज ही होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यस्तता के चलते थकान व कमजोरी रह सकती है। समय का लाभ लें।


धनु:व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल लाभ देगी। लाभ के अवसर हाथ आए आएंगे। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होगी। अध्यात्म में रुचि रहेगी। किसी साधु-संत का आशीर्वाद मिल सकता है। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। जोखिम न लें।


मकर:उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रतिद्वंद्वी रास्ता छोड़ देंगे। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। कारोबार में वृद्धि होगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। भरपूर प्रयास करें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। प्रसन्नता रहेगी।


कुंभ:पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। मनपसंद व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। मन में नए विचार आएंगे। विवेक से कार्य करें। कुसंगति से बचें। व्यापार अच्छा चलेगा।


मीन:पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दौड़धूप अधिक होगी। बुरी सूचना मिल सकती है। दूसरों की बातों में न आएं। जीवनसाथी और मित्रों के सहयोग से बाधा दूर होगी। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। जल्दबाजी बिलकुल न करें।


सूरजमुखी का प्राकृतिक प्रभाव

यह फूल अमरीका का देशज है पर रूस, अमरीका, ब्रिटेन, मिस्र, डेनमार्क, स्वीडन और भारत आदि अनेक देशों में आज उगाया जाता है। इसका नाम सूरजमुखी इस कारण पड़ा कि यह सूर्य और ओर झुकता रहता है, हालाँकि प्राय: सभी पेड़ पौधे सूर्य प्रकाश के लिए सूर्य की ओर कुछ न कुछ झुकते हैं। सूरजमुखी का सूर्य की ओर झुकना आँखों से देखा जा सकता है। बागों में उगाए जाने वाले सूरजमुखी की उपर्युक्त प्रथम दो जातियाँ ही हैं। इसके पेड़ 1 मी. से 5 मी. तक ऊँचे होते हैं। इनके डंठल बड़े तुनुक होते हैं, हवा के झोंके से टूट जा सकते हैं अत: इनमें टेक लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसकी पत्तियाँ 7 सेमी से 30 सेमी लंबी होती है। कुछ सूरजमुखी एकवर्षी होते हैं और कुछ बहुवर्षी ; कुछ बड़े कद के होते हैं और कुछ छोटे कद के।


इसके पीले फूल बाग के फूलों में सबसे बड़े होते हैं। सिर 7 सेमी से 15 सेमी चौड़े और कर्षण से उगाने पर 30 सेमी या इससे भी चौड़े हो सकते हैं। ये शोभा के लिए बागं में उगाए जाते हैं। अच्छे कर्षण और खाद से भिन्न-भिन्न रंग, कांति और आभा के फूल प्राप्त हो सकते हैं। फूल की पंखुड़ियाँ पीले रंग की होतीं हैं और मध्य में भूरे, पीत या नीलोहित या किसी किसी वर्णसंकर पौधे में काला चक्र रहता है। चक्र में ही चिपटे काले बीज रहते हैं। बीज से उत्कृष्ट कोटि का खाद्य तेल प्राप्त होता है और खली मुर्गी को खिलाई जाती है। सूरजमुखी के पेड़ में रितुआ रोग भी कभी-कभी लग जाता है जिससे पत्तियों के पिछले भाग में पीतभूरे रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं। इससे रक्षा के लिए गंधक की धूल छिड़की जा सकती है।


पीने योग्य पानी (निष्कर्ष)

पीने का पानी या पीने योग्य पानी, समुचित रूप से उच्च गुणवत्ता वाला पानी होता है जिसका तत्काल या दीर्घकालिक नुकसान के न्यूनतम खतरे के साथ सेवन या उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश विकसित देशों में घरों, व्यवसायों और उद्योगों में जिस पानी की आपूर्ति की जाती है वह पूरी तरह से पीने के पानी के स्तर का होता है, लेकिन वास्तविकता में इसके एक बहुत ही छोटे अनुपात का उपयोग सेवन या खाद्य सामग्री तैयार करने में किया जाता है।


दुनिया के ज्यादातर बड़े हिस्सों में पीने योग्य पानी तक लोगों की पहुंच अपर्याप्त होती है और वे बीमारी के कारकों, रोगाणुओं या विषैले तत्वों के अस्वीकार्य स्तर या मिले हुए ठोस पदार्थों से संदूषित स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह का पानी पीने योग्य नहीं होता है और पीने या भोजन तैयार करने में इस तरह के पानी का उपयोग बड़े पैमाने पर त्वरित और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही कई देशों में यह मौत और विपत्ति का एक प्रमुख कारण है। विकासशील देशों में जलजनित रोगों को कम करना सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक प्रमुख लक्ष्य है।


सामान्य जल आपूर्ति नेटवर्क पीने योग्य पानी नल से उपलब्ध कराते हैं, चाहे इसका उपयोग पीने के लिए या कपड़े धोने के लिए या जमीन की सिंचाई के लिए किया जाना हो. इसके बिल्कुल विपरित चीन के शहरों में पीने का पानी वैकल्पिक रूप से एक अलग नल के द्वारा (अक्सर आसुत जल के रूप में), या अन्यथा नियमित नल के पानी के रूप में उपलब्ध कराया जाता है जिसे उबालने की जरूरत होती है।


संपूर्ण फल प्राप्ति का माध्यम (आस्‍था)

अब मैं तुम्हें संपूर्ण फल की प्राप्ति के लिए शिव पुराण के श्रवण की विधि बताता हूं!पहले किसी ज्योतिषी को बुलाकर दान-मान से संतुष्ट करके अपने सहयोगी लोगों के साथ बैठकर बिना किसी विघ्न-बाधा के कथा की समाप्त होने के उद्देश्य से शुभ मुहूर्त का अनुसंधान कराएं! प्रयतन पूर्वक देश-देश में, स्थान-स्थान पर यह संदेश भेजें कि हमारे यहां शिव महापुराण की कथा होने वाली है! अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले लोगों को उसे सुनने के लिए अवश्य पधारिए! कुछ लोग भगवान श्री हरि की कथा से बहुत दूर पड़ गए! कितने ही स्त्री-शूद्र आदि भगवान शंकर की कथा कीर्तन से वंचित रहते हैं! उन सब को भी सूचना हो जाए, ऐसा प्रबंध करना चाहिए! देश-देश में जो भगवान शिव के भक्तों तथा शिव कथा के कीर्तन और उनके लिए उत्सुक हो! उन सब को आदर पूर्वक आमंत्रण भेजना चाहिए! आए हुए लोगों का सब प्रकार से आदर-सत्कार करना चाहिए! शिव मंदिर में, वनप्रांत में अथवा घर में शिव पुराण की कथा सुनने के लिए उत्तम स्थान का निर्माण करना चाहिए! केले के खंभों से सुशोभित पूजा का मंडप तैयार कराया जाए! फल-पुष्प आदि से अलंकृत करें !ध्‍वजा-पताका लगा दे ,भगवान शिव के प्रति सत्कार से उत्तम भक्ति करनी चाहिए! वही सब तरह से आनंद का विधान करने वाले है! परमात्मा भगवान शंकर के लिए दिव्‍य योगासन का निर्माण करना चाहिए तथा कथावाचक के लिए भी एक ऐसा ही आसन होना चाहिए! श्रदालुओ के लिए भी यथा योग्य स्थानों की व्यवस्था करनी चाहिए !अन्य लोगों के लिए साधारण स्थान रखना चाहिए! जिसके मुख से निकले शब्‍द देहधारियों के लिए कामधेनु के समान अभिष्‍ट फल देने वाली होती है! उस पुराण वक्ता विद्वान के प्रति तुच्‍छ बुद्धि कभी नहीं करनी चाहिए! संसार में जन्म तथा गुणों के कारण कई गुरू होते हैं ! परंतु उनमें पुराणों का ज्ञाता हीपरम विद्वान माना गया है! पुराण वेता पवित्र घृणा पर विजय पाने वाला साधु और दयालु होना चाहिए ! ऐसा प्रवचन कुशल विद्वान कथा को कहे! सूर्य उदय से आरंभ करके साढे तीन पहर तक उत्तम बुद्धि वाले विद्वान पुरुष को शिवपुराण की कथा संवाद रीति से बाचनी चाहिए !मध्‍यकाल में दो घड़ी तक कथा बंद रखनी चाहिए! जिससे कथा कीर्तन से अवकाश पाकर लोग मल-मूत्र का त्‍याग कर सके ! जो वक्ता और श्रोता अनेक प्रकार के कर्मों में भटक रहे हो, काम के वश में हो,विकारों से युक्त हो, स्त्री में आसक्‍ती रखते हो और पाखंड पूर्ण बात कहते हो!वह पुन्‍य के  भागी नहीं होते! आलौकिक चिंता तथा गृह एवं पुत्र की चिंता को छोड़कर कथा में मन लगाए रहते हैं! उन सद्बुद्धि को पुरुषोत्तम फल की प्राप्ति होती है!


नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं

नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिला अधिकारी उमेश मिश्रा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक ...