मंगलवार, 23 जुलाई 2019

नगर निगम की लापरवाही का दंश : गाजियाबाद

गाजियाबाद ! अर्थला चित्रकूट कॉलोनी में गंदगी के कारण लोगों को बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है! जिसमें नगर निगम की काफी लापरवाही होने के बावजूद भी यहां कोई सफाई करने नहीं आता और बारिश के कारण यहां नाला फुल होकर रोड पर पानी उतर आता है! और लोगों को मलेरिया जैसे डेंगू तक का सामना करना पड़ रहा है !औरत और नाला भी टूटा पड़ा है जिसे की नगर निगम की टीम कभी भी देखने नहीं !आती अगर आती भी है तो हफ्ते में एक या दो बार आगे तो आगे नहीं तो नहीं कहने के बावजूद भी नगर निगम टीम कभी नहीं आती काफी लोग इस गंदगी से काफी लोग परेशान काफी संख्या में भीड़ लोग इकट्ठे होकर अशोक ,रणवीर पंडित ,सचिन संदीप ,बीनू मेहरोलिया अमरीश ,सोनू ,हेमा, रोमा आदि लोग मौजूद रहे!


साजिशकर्ता का फोटो हार्डिंग पर:निर्भया कांड

पंजाब चुनाव आयोग के होर्डिंग में छपी निर्भया रेप कांड के दोषी की तस्वीर


नई दिल्ली ! 2012 में हुए निर्भया रेप कांड ने सबको झकझोर कर रख दिया था। इस रेप कांड में जिस तरह की क्रूरता हुई थी उसे आज भी देश नहीं भूल सका है। रेप के उन आरोपियों को लेकर लोगों का खून आज भी खौल जाता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फोटो चल पड़ी है जिसमें निर्भया के कातिल की फोटो पंजाब राज्य चुनाव आयोग के एक होर्डिंग में लगी हुई थी। इसको लेकर नाराज निर्भया की मां ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाती मालीवाल से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई।


निर्भया का मां का आरोप है कि जिस शख्स की फोटो पंजाब राज्य चुनाव आयोग ने अपने होर्डिंग में लगाई है उसका निर्भया के बलात्कार और हत्या में बड़ा हाथ रहा है। यहां तक कि वह कई बार यह भी कह चुका है कि महिलाएं तो खुद ही बलात्कार और बलात्कारी को आमंत्रित करती हैं।


इस सब को लेकर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि जिस तरीके से निर्भया के कातिलों की तस्वीर एक ब्रांड अम्‍बेसडर के रूप में उपयोग में लाई गई है इस बलात्कारी का महिमा मंडन करना माना जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे केवल पीड़िता के मां बाप नहीं बल्कि बलात्कार की पीड़ित अन्य महिलाओं को भी दुख पहुंचा है। महिला आयोग ने आशा देवी की शिकायत के बाद चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है।


अखिलेश से जेड प्लस सुरक्षा वापस लेगा केंद्र

 सपा अध्यक्ष अखिलेश से जेड प्लस सुरक्षा वापस लेगा केंद्र


नई दिल्ली ! केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से जेड प्लस (ब्लैक कैट कमांडो) सुरक्षा वापस लेने की तैयारी में है। सूत्रों ने बताया कि ऐसे कम से कम दो दर्जन अन्य वीआईपी की सुरक्षा भी या तो वापस ली जाएगी या उसमें कटौती की जाएगी। इस संबंध में जल्द ही आधिकारिक आदेश पारित किया जाएगा।


अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के तहत दी जाने वाली वीआईपी सुरक्षा की व्यापक समीक्षा के बाद अखिलेश यादव को मिली एनएसजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। फिलहाल यह साफ नहीं हो सका कि अखिलेश की केंद्रीय सुरक्षा में कटौती की जाएगी या यह पूरी तरह वापस ले ली जाएगी।


हालांकि सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव को मिली एनएसजी 'ब्लैक कैट' सुरक्षा जारी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खतरे को देखते हुए केंद्र और राज्य (उत्तर प्रदेश) की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार यह फैसला लिया है। अखिलेश को वीआईपी सुरक्षा 2012 में यूपीए सरकार के दौरान मिली थी। अभी अखिलेश की सुरक्षा में अत्याधुनिक हथियारों से लैस एनएसजी दस्ते के करीब 22 कमांडो तैनात हैं।


30 साल बाद,फेसबुक ने मिलाया

फेसबुक ने मिलाया बाल दोस्तों को


प्रयागराज। दिल में जब एक दूजे से मिलने की आरजू हो तो अब निराश होने की जरूरत नहीं। पहले जो असम्भव था, आज की सोसल मीडिया ने उसे सम्भव कर दिखाया है। 
कहा जाता है कि बचपन की दोस्ती बहुत साफ पाक एवं अनमोल होती है। दो वर्षों से साथ पढ़ रहे हाई स्कूल के दो सहपाठी अवधेश और नीति 1989 में अलग अलग कालेजों में चले गए थे और फिर एक दूसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं रही। एक प्रयाग तो दूजा मेघालय में ।उन्होंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन फिर वो एक दूसरे से जुड़ पाएँगे। फेसबुक पर घूमते हुए तीस साल बाद अवधेश ने नीति को देखा और झट से पहचान लिया। फिर मैसेज और सम्पर्क सूत्र ढूढ़ने की कवायद शुरु हुई। आज अन्तत: एक दूजे से आनलाइन मुलाकात हुई और तीस साल पहले ही तमाम खट्टी मीठी यादों के चलचित्र साझा हुए। दोनों ने सोसल मीडिया का आत्मीय आभार व्यक्त किया।


दिन शुभ ,मन-प्रसन्न रहेगा : मीन

राशिफल 


मेष :----आज का दिन शुभ नहीं है। मन में तनाव बना रहेगा तथा निर्णय लेने में अस्थिरता बनी रहेगी। परिवार के लोगों का झुकाव आपके अन्य भाइयों की तरफ रहेगा। जिसके कारण आपका मन दुखी रहेगा। माता का आप पर स्नेह बना रहेगा एवं माता के आशीर्वाद से आप के कार्य सिद्ध होंगे। संतान के आगे के भविष्य की सफलता को लेकर आप चिंता में मग्न रहेंगे। त्वचा संबंधी रोग हो सकता है।


वृष :------आज का दिन शुभ है। मन में प्रसन्नता बनी रहेगी तथा मन तनाव मुक्त रहेगा। दिमाग सक्रिय रहेगा एवं शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी। परिवार के लोगों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा एवं समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। माता को हृदय संबंधी रोग हो सकता है। संतान के कार्य सिद्ध होंगे। संतान की सफलता से मन प्रसन्न रहेगा। आपके शरीर में पौरुष शक्ति की कमी आ सकती है।


मिथुन:---- आज का दिन शुभ नहीं है। मन में अस्थिरता रहेगी। कार्य करने में रुचि उत्पन्न नहीं होगी। मन में चिंता रहने से किसी कार्य में मन एकाग्र नहीं हो पाएगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। अधिक क्रोध में किसी का अपमान ना करें, नहीं तो विवाद हो सकता है। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पुत्र संतान पक्ष से जुड़ा हुआ कोई कार्य संपन्न होगा। आपको पाचन तंत्र से संबंधित कोई रोग हो सकता है।


कर्क :-----आज का दिन शुभ है। आपका भाग्य पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। परिवार में सभी से पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। समाज में मान सम्मान बढ़ेगा। भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। माता के आशीर्वाद से कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। संतान के लिए शुभ समय है। संतान को पूर्ण सफलता प्राप्त होगी। जिससे आपका मन प्रसन्न रहेगा। आपको किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए संतान के द्वारा उचित सलाह प्रदान की जाएगी।


सिंह :------आज का दिन शुभ नहीं है। वाहन सावधानी से चलाएं, दुर्घटना हो सकती है। अधिक क्रोध से बचकर रहें नहीं तो ब्लड प्रेशर अधिक बढ़ने से नुकसान हो सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें नहीं तो परिवार में विवाद हो सकता है। माता का वर्तमान में क्रोध अधिक रहेगा। अतः विवाद ना करें। संतान के द्वारा किसी बात को लेकर जिद की जा सकती है। जिसको पूरा करने से आपके मन में चिंता रहेगी!


कन्या :-----आज का दिन शुभ है। मन में प्रसन्नता बनी रहेगी। भविष्य की सफलता के लिए योजनाएं बनाने में लग जाएंगे एवं योजनाओं को क्रियान्वयन करने के लिए प्रयास करना शुरू कर देंगे। भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। परिवार में मान-सम्मान बढ़ेगा। माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा एवं माता के आशीर्वाद से कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी। संतान के अंदर वर्तमान में तार्किक शक्ति अधिक होने से विवाद की बात कर सकते हैं।
तुला :-----आज का दिन सामान्य है। मन में अस्थिरता बनी रहेगी। तनाव बना रहेगा। निर्णय लेने में असमंजस पैदा होगा। परिवार में कोई धार्मिक कार्य हो सकता है। माता को हड्डी या जोड़ों से संबंधित भी तकलीफ हो सकती है। संतान के द्वारा किसी बात पर तर्क-कुतर्क करने से आपको तनाव हो सकता है। संतान के विचारों को सुनें, समझे एवं व्यावहारिक तौर पर सही सलाह दें।


वृश्चिक:------ आज का दिन शुभ है। मन में प्रसन्नता बनी रहेगी। कार्य करने में अधिक ऊर्जा की अनुभूति करेंगे। दिमाग सक्रिय रहेगा एवं शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी। मन में धार्मिक विचार उत्पन्न होंगे। भगवान की भक्ति करने से मन को शांति मिलेगी। परिवार में आनंदपूर्ण वातावरण बना रहेगा। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। माता के स्वास्थ्य में लाभ मिलेगा। माता के आशीर्वाद से आपको सफलता मिलेगी।


धनु :-----आज का दिन शुभ नहीं है। मन में अस्थिरता बनी रहेगी एवं तनाव पैदा होगा। मन में अनजाना सा भय बना रहेगा। परिवार में भाइयों से किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है। माता के प्रति लगाव बना रहेगा। माता के आशीर्वाद से आपको कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी। आपको शीत प्रकृति से संबंधित रोग हो सकता है। संतान से किसी बात को लेकर मतभेद हो सकता है। जीवनसाथी से सामंजस्य बना रहेगा।


मकर:---- आज का दिन शुभ है। मन में प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास बना रहेगा। दिमाग सक्रिय रहेगा एवं कार्य करने में स्फूर्ति बनी रहेगी। भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। परिवार में मान-सम्मान बढ़ेगा एवं समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। संतान के शिक्षा संबंधित कार्य पूर्ण होंगे। शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। जीवनसाथी का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी।


कुंभ :------आज का दिन सामान्य है। कार्य करने में ऊर्जा की कमी महसूस करेंगे। मन में असमंजस रहेगा। आत्मविश्वास की कमी महसूस करेंगे। परिवार में किसी सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहेगी। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। संतान पक्ष की तार्किक बुद्धि के कारण विवाद की स्थिति बन सकती है। संतान को अधिक व्यावहारिक तौर पर समझाएं।


मीन :-----आज का दिन शुभ रहेगा। मन में प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास बना रहेगा। भविष्य की सफलता को लेकर विशेष योजना बनाएंगे एवं उनके क्रियान्वयन के लिए प्रयास करेंगे। दिमाग सक्रिय रहेगा एवं कार्य करने में स्फूर्ति का अनुभव करेंगे। परिवार का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। समाज में कोई विशेष पद मिल सकता है। दूसरे के विवादों को अपनी बुद्धिमत्ता से हल कर सकेंगे। माता का आशीर्वाद आपको प्राप्त है।


पर्वत जलवायु को प्रभावित करते हैं

जलवायु विभाजक पर्वत मौसम संबंधी अनेक प्रकार की घटनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। वे तड़ित झंझा, विक्षोभ और पर्वत तरंग उत्पन्न कर सकते हैं, जेट प्रवाह को विभाजित अथवा त्वरित कर सकते हैं, बर्फ के संचयन में मदद दे सकते हैं और वायु के बहने के पैटर्न को 'विकृत' कर सकते हैं।


जलवायु की दृष्टि से किसी क्षेत्र में पर्वतों की स्थिति बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। उस क्षेत्र का पर्वत पर स्थित होना (सागर तल से ऊंचाई पर स्थित होना) तो मौसम को प्रभावित करता ही है साथ ही यह भी महत्त्वपूर्ण है कि यह पर्वत के किस ढाल-पवनाभिमुख (विंडवर्ड) ढाल अथवा प्रतिपवन (लीवर्ड) ढाल-पर स्थित है।


किसी स्थान की जलवायु को निर्धारित करने वाले कारकों की चर्चा करते समय मौसमवैज्ञानिक और भूगोलवेत्ता अक्सर ही क्विटो शहर का उदाहरण देते हैं। क्विटो दक्षिण अमेरिका के इक्वेडोर देश की राजधानी है और भूमध्यरेखा पर स्थित है। इसलिए उसकी जलवायु को सामान्यतः वर्ष भर गर्म और आर्द्र रहना चाहिए और वहां सर्दी की ऋतु होनी ही नहीं चाहिए। परंतु क्विटो एंडीज पर्वत की एक चोटी पर स्थित है जिसकी सागर तल से ऊंचाई काफी अधिक है। इसलिए सर्दी की ऋतु में वहां वायुमंडल का ताप इतना गिर जाता है कि पानी जमने लगता है।


इसी प्रकार हिमालय के अक्षांशों में ही स्थित मैदानी इलाकों में सर्दियों में ताप इतने नीचे नहीं गिरता कि पानी जम जाए। आप जानते ही हैं कि हिमालय की अधिकांश चोटियां सदैव बर्फ से ढंकी रहती हैं। इसका कारण हिमालय की ऊंचाई ही है।


ऊंचे पर्वत पर स्थित होने के फलस्वरूप किसी स्थान की जलवायु के अपेक्षाकृत अधिक ठंडी हो जाने का एक मुख्य कारण है धरती की सतह से परावर्तित होने वाली सौर ऊर्जा की काफी मात्रा का उस स्थान तक न पहुंच पाना। बादल और धूलकण जो वायुमंडल में अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर उपस्थित होते हैं, अंतरिक्ष की ओर परावर्तित होने वाली ऊर्जा की काफी मात्रा को पुनः धरती की ओर परावर्तित कर देते हैं। इसलिए ऊंचे क्षेत्र मैदानी क्षेत्र की अपेक्षा अधिक ठंडे रहते हैं। सर्दियों में अनेक ऊंचे क्षेत्रों में जलाशय जम कर बर्फ में परावर्तित हो जाते हैं। यह बर्फ उस क्षेत्र के ताप को और कम कर देती है क्योंकि बर्फ का ऐल्बिडो काफी अधिक, 70-90 प्रतिशत तक, होता है, अर्थात् बर्फ उस पर पड़ने वाली सौर ऊर्जा के 70-90 प्रतिशत भाग को परावर्तित कर देती है। इससे ऊंचे पर्वतों पर धरती की सतह बहुत कम गर्म हो पाती है। धरती की सतह के बहुत कम ऊष्मा प्राप्त करने के कारण उसके द्वारा परावर्तित की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है। फलस्वरूप धरती की सतह से परावर्तित होने वाली दीर्घ तरंगों से ऊंचे पर्वतों का वायुमंडल भी अपेक्षाकृत कम गर्म हो पाता है। ऊंचे पर्वतों पर वायुमंडल का दाब भी अपेक्षाकृत कम होता है।


किसी क्षेत्र की जलवायु पर उसके निकटवर्ती पर्वत की दिशा का भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। हमारे देश की उत्तरी सीमा बनाने वाला पर्वतराज, हिमालय, पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित है। अपनी स्थिति के फलस्वरूप ही वह गर्मी की मानसून पवन को तिब्बत में नहीं जाने देता तथा उनके संपूर्ण जलवाष्प भंडार को अपनी तलहटी में ही रिक्त करा देता है। इसी वर्षा के फलस्वरूप गंगा-यमुना के कछार में पर्याप्त वर्षा होती है और उत्तर की नदियों को पानी मिलता है। साथ ही उस बर्फ के लिए भी पानी मिलता है जो हिमालय की चोटियों पर सदा जमी रहती है। इस वर्षा की वजह से ही हिमनदियां बनती हैं। हिमालय की पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थिति यदि मानसून पवन को भारत से बाहर नहीं जाने देती तो वह साइबेरिया और मध्य एशिया की बर्फीली पवन को भारत में आने भी नहीं देती। हिमालय की विशेष स्थिति के फलस्वरूप ही भारत की जलवायु इतनी सुखद है और तिब्बत की इतनी विषम। मौसम- वैज्ञानिकों के अनुसार दक्षिण-पूर्वी एशिया में गर्मी में मानसून की प्रबलता का श्रेय मुख्य रूप से हिमालय की विशेष स्थिति को ही है।


हमारे देश के ही दो अन्य पर्वतों, पश्चिमी घाट और अरावली की स्थितियां भी अपने निकटवर्ती क्षेत्रों की जलवायु की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। पश्चिमी तट के एकदम निकट, उत्तर-दक्षिण दिशा में, लगभग 1000 किमी. तक फैले पश्चिमी घाट की ऊंचाई 1 से 1.5 किमी. तक है परंतु वह दक्षिण-पश्चिम से आने वाली गर्मी की मानसून के मार्ग में “बाधा” उत्पन्न कर देता है। उसे पार करने के लिए इस पवन को ऊपर उठना पड़ता है और इस कोशिश में वह अपने जलवाष्प भंडार के बड़े भाग को वर्षा के रूप में त्याग कर लगभग “सूखी” हो जाती हैं। पश्चिमी तट पर स्थित मुंबई को वर्ष भर में लगभग 190 सेमी. वर्षा मिलती है, खंडाला जो 540 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, 460 सेमी. और मुंबई से केवल 130 किमी. दूर परंतु पश्चिमी घाट के दूसरी ओर (प्रतिपवन ढाल पर) स्थित पुणे को मात्र 50 सेमी.।


यद्यपि अरब सागर से आने वाली गर्मी की मानसून राजस्थान के ऊपर से गुजरती हैं पर नमी के विशाल भंडार को संजोए रखने के बावजूद वह वहां बहुत कम वर्षा करती है। इस अल्प वर्षा के लिए बहुत हद तक अरावली पर्वत की स्थिति उत्तरदायी है। वह उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है और मानसून के मार्ग में बहुत कम “बाधा” डालता है। फिर भी अरावली का दक्षिणी भाग कुछ हद तक मानसून पवन को वर्षा करने के लिए मजबूर कर देता है। इसीलिए माउंट आबू पर वर्ष भर में 170 सेमी. वर्षा हो जाती है जबकि उसके आसपास के मैदानी इलाकों में वर्ष भर में केवल 60 से 80 सेमी. ही है।


नाग मंदिरो की स्‍थापना (आस्‍था)

नागराज एक संस्कृत शब्द है जो कि नाग तथा राज (राजा) से मिलकर बना है अर्थात नागों का राजा। यह मुख्य रूप से तीन देवताओं हेतु प्रयुक्त होता है - अनन्त (शेषनाग), तक्षक तथा वासुकि। अनन्त, तक्षक तथा वासुकि तीनों भाई महर्षि कश्यप, तथा उनकी पत्नी कद्रु के पुत्र थे जो कि सभी साँपों के जनक माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार नाग का वास पाताललोक में है।


सबसे बड़े भाई अनन्त भगवान विष्णु के भक्त हैं एवं साँपों का मित्रतापूर्ण पहलू प्रस्तुत करते हैं क्योंकि वे चूहे आदि जीवों से खाद्यान्न की रक्षा करते हैं। भगवान विष्णु जब क्षीरसागर में योगनिद्रा में होते हैं तो अनन्त उनका आसन बनते हैं तथा उनकी यह मुद्रा अनन्तशयनम् कहलाती है। अनन्त ने अपने सिर पर पृथ्वी को धारण किया हुआ है। उन्होंने भगवान विष्णु के साथ रामायण काल में राम के छोटे भाई लक्ष्मण तथा महाभारत काल में कृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतार लिया। इसके अतिरिक्त रामानुज तथा नित्यानन्द भी उनके अवतार कहे जाते हैं।


छोटे भाई वासुकि भगवान शिव के भक्त हैं, भगवान शिव हमेशा उन्हें गर्दन में पहने रहते हैं। तक्षक साँपों के खतरनाक पहलू को प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि उनके जहर के कारण सभी उनसे डरते हैं।


गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के थानगढ़ तहसील में नाग देवता वासुकि का एक प्राचीन मंदिर है। इस क्षेत्र में नाग वासुकि की पूजा ग्राम्य देवता के तौर पर की जाती है। यह भूमि सर्प भूमि भी कहलाती है। थानगढ़ के आस पास और भी अन्य नाग देवता के मंदिर मौजूद है।


देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकि नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकि नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है ।


तमिलनाडु के जिले के नागरकोइल में नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। इसके अतिरिक्त एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर मान्नारशाला मन्दिर केरल के अलीप्पी जिले में है। इस मन्दिर में अनन्त तथा वासुकि दोनों के सम्मिलित रूप में देवता हैं।


केरल के तिरुअनन्तपुरम् जिले के पूजाप्पुरा में एक नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। यह पूजाप्पुरा नगरुकावु मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इस मन्दिर की अद्वितीयता यह है कि इसमें यहाँ नागराज का परिवार जिनमें नागरम्मा, नागों की रानी तथा नागकन्या, नाग राजशाही की राजकुमारी शामिल है, एक ही मन्दिर में रखे गये हैं।


सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज।‌ उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष अंतर्गत जनपद ...