गुरुवार, 18 जुलाई 2019

प्राचीनतम सिंधु घाटी सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता (3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक,परिपक्व काल: 2550 ई.पू. से 1750 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान ,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है। प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता के साथ, यह प्राचीन दुनिया की सभ्यताओं के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित। सम्मानित पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है।


सिंधु घाटी सभ्यता अपने शुरुआती काल में, 3250-2750 ईसापूर्व
इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर २०१४ में भिरड़ाणा को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।


7वी शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रांत में ईटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहां से बनी बनाई इटे मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) (Archaeological Survey of India) का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व दयाराम साहनी को इसका खोजकर्ता माना गया। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से ९२५ केन्द्र भारत में है। ८० प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है।


बुधवार, 17 जुलाई 2019

इंस्पेक्टर बनने की राह हुई आसान

योगी सरकार की सौगात, दरोगा से इंस्पेक्टर बनने की राह हुई आसान



लखनऊ !  उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी कर रहे दारोगाओं के लिए सोमवार को हुई यूपी कैबिनट की बैठक एक अच्छी खबर लेकर आई है। इंस्पेक्टर बनने का सपना देख रहे दारोगाओं के ये सपने अब आसानी के साथ पूरे होंगे। उत्तर प्रदेश उप निरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा (छठवां संशोधन) नियमावली 2019 और उत्तर प्रदेश स्टांप अधिनियम 2008 को निरसित करने संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिली है। इससे पहले प्रमोशन के लिए होने वाली 400 नंबर की परीक्षा में 100-100 नंबर के पेपर होते थे। जिसमें पास होने के लिए 50 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होता था पर अब 35 प्रतिशत अंक होने पर भी उत्तीर्ण माने जाएंगे पर ओवरऑल 50 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा।


दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में उत्तर प्रदेश उप निरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा (छठवां संशोधन) नियमावली 2019 और उत्तर प्रदेश स्टांप अधिनियम 2008 को निरसित करने संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी दी गई है। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद अब इंस्पोक्टर बनने के लिए होने वाली परीक्षा में पासिंग मार्क 50 फीसदी की जगह 35 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि ओवरऑल 50 फीसदी अंक लाना अब भी अनिवार्य है।


विद्यालय परिसर में 25 पौधे लगाए

संवाददाता-विवेक चौबे


गढ़वा ! सोनभद्र आदर्श इंटर कॉलेज कांडी के परिसर में प्राचार्य-बीरेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में 25 पौधे लगाये गये। जानकारी देते हुए बिरेन्द्र तिवारी ने बताया कि परिसर को स्वच्छ व पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए महाविद्यालय परिवार द्वारा प्रतिवर्ष पौधे लगाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि हम सभी को अपने व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। मौके पर- शक्तिदेव द्विवेदी , अरविंद कुमार, सतिश कुमार , जंगबहादुर यादव सहित महाविद्यालय के अन्य कर्मी उपस्थित थे।


राजस्थान पुलिस की सक्‍ति (संपादकीय)

 मधुकर कहिन
आखिर मनीष मूलचंदानी हत्याकांड का पर्दाफाश करने में कामयाब रही पुलिस 
इस उपलब्धी हेतु बधाई के पात्र हैं अजमेर के पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप


जैसे ही अजमेर के नए पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप अजमेर आए। कुछ रोज बाद ही आगरा गेट के पास एक मनी एक्सचेंज की दुकान पर ,कुछ युवक फायरिंग करके दुकान मालिक की हत्या करके निकल लिए । कुछ दिन के लिए तो ऐसा लगा की अजमेर में अपराधियों का राज हो गया है। उस समय मीडिया ने भी पुलिस की जमकर क्लास लगाई थी।


लेकिन कुछ माह की कठिन मशक्कत और मेहनत के बाद पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप ने जिस काबिलियत से इस हत्याकांड पर बारीकी से काम किया है। उसके लिए अजमेर का पुलिस महकमा बधाई का पात्र है। आज सुबह कुंवर राष्ट्रदीप का स्वागत करने विभिन्न व्यापारिक संगठनों और सिंधी समाज के लोगों का , उनके कार्यालय के बाहर ताता लगा रहा । जो भी आ रहा था व पुलिस अधीक्षक के स्वागत हेतु मालाएं लेकर आया था। इसी बीच मनीष मूलचंदानी के परिजनों ने भी कुंवर राष्ट्रदीप से मिलकर उनको इस बात की बधाई दी । 
देखा जाए तो 13 लाख लोगों का शहर, और उस पर चंद पुलिस वाले । अपने आप में ही आंकड़ा बहुत गड़बड़ है। क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या के बीच हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करना , अपराध पर काबू रखना, उसके साथ साथ ही अजमेर जैसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाली जगह पर, आए दिन रोज वीआइपीज का आना जाना। इत्यादि काम वाकई बहुत चुनौतीपूर्ण है। अक्सर देखा गया है कि पत्रकार और शहर भर का मीडिया पुलिस की खामियों पर ही विश्लेषण करता हुआ दिखाई देता है। परंतु यदि वाकई पुलिस की कार्यशैली और उन पर चल रहे पूरे शहर को सुरक्षा प्रदान करने के दबाव को, ध्यान से देखा जाए और पल भर के लिए एक पुलिस वाला बन के सोचा जाए तो यह अपने आप में बहुत कठिन काम है।आखिर पुलिस वाले भी तो इंसान ही है भाई !उनके भी घर परिवार हैं , उनकी भी सामाजिक जिम्मेदारियां है, पर बावजूद उसके जब पुलिस की सर्विस कोई भी व्यक्ति जॉइन करता है। तो वह बखूबी जानता है कि उसे इन सब जिम्मेदारियों के साथ शहर भर के लोगों के दुख दर्द को समझ कर उनकी सुरक्षा के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व निभाना है। केवल पुलिस को गाली देने की मानसिकता से या पुलिस की कार्यशैली की निंदा पर चर्चा कर देना समस्या का हल नहीं है। अपितु सजग नागरिक की जिम्मेदारी निभाते हुए , पुलिस महकमे को मानवीय दृष्टिकोण से मदद करने की भी आवश्यकता है।हालांकि ... पुलिस ने आम लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करने हेतु हर थाने में सीएलजी कमेटी बना रखी है। परंतु वहां पर भी अधिकांश ऐसे लोग ही बैठे हैं , जो मात्र इस मीटिंग में बैठकर बाकी लोगों पर यह सिद्ध करने का प्रयास करते हैं की उनकी कितनी चलती है । जबकि सीएलजी कमेटी में जितने भी लोग हैं , उन्हें आम जनता को पुलिस के साथ जोड़कर शहर में एक ऐसा माहौल तैयार करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। जिसके चलते शहर में शांति और सुरक्षा का माहौल बना रहे । खैर !!! मनीष मूलचंदानी हत्याकांड के खुलने से कुंवर राष्ट्रदीप पर और अजमेर की पुलिस की कार्यशैली पर जो सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं थे, उन सभी पर अब विराम लग गया है। जिसके लिए पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप को एक बार पुनः हार्दिक बधाई।


नरेश राघानी


आभायें (संपादकीय)

आभायें       ( संपादकीय)
आज श्रावण मास का प्रथम दिन है! श्रावण मास के दोनों पक्षों के प्रत्येक दिन सृष्टि स्थापना का शुभ आरंभ है!ग्रहो-नवग्रहो और विभिन्न ग्रहों-उपग्रहो की गणना का आभास किया जा सकता है !यह मानव की आभा है! अर्धनारीश्वर स्वरूप इस संसार में व्याप्त है!हम उसकी आभा का स्थापित स्वरूप है! लेकिन मानव का भौतिक विकास तेज गति से होता है! स्थिर सजीवों में इसकी गति अति-सामान्य होती है! मानव समाज की नैतिकता स्थिर हो गई है! सामाजिक विपन्नता मनुष्य के भीतर आघात होता है! हम अपने कर्तव्य की सार्थकता का चितंन नहीं करते हैं! अपने मूल कर्तव्य के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं! जीवन की सार्थकता के महत्व को समझने का प्रयास नहीं करते हैं! सुख-सुविधाओं का दुरुपयोग करते रहते हैं! कर्म का वास्तविक ज्ञान हमें करना चाहिए, होना चाहिए! देश में कई राज्यों में भारी आभा परिवर्तन से जन जीवन तहस-नहस हो रहा है! उन लोगों को हेल्प की आवश्यकता है! मुझे लगता है हम सबको इसमें सहयोग करना चाहिए !जिस प्रकार उचित हो! परिवारों के जीवन संकट में है!सरकार प्रयासों की पहुंच बढ़ाने का प्रयास कर रही है!
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


एसएसपी ने बल के साथ किया पैदल मार्च


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुलन्दशहर द्वारा भारी पुलिस बल के साथ थाना बीबीनगर क्षेत्र मे की पैदल गश्त


बुलंदशहर ! वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुलन्दशहर द्वारा क्षेत्राधिकारी स्याना सहित थाना प्रभारी बीबीनगर एवं भारी पुलिस बल को साथ लेकर थानाक्षेत्र बीबीनगर मे पैदल गश्त की गयी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा बीबीनगर क्षेत्र के मुख्य चौराहों,मार्गों,भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में पैदल भ्रमण कर संदिग्ध वाहन,व्यक्तियो की सघन चैकिंग कराई गई। दुकानो के बाहर सडक मार्ग मे अवैध रूप से खडे वाहनो को हटवाया गया एवं पुनः अतिक्रमण करने वाले व्यक्तियो,वाहनो के विरूद्ध कार्यवाही करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त एंटी रोमियो स्क्वाड टीम को भी चेक किया गया। एंटी रोमियो स्क्वायड टीम को प्रतिदिन स्कूल,कॉलेजों एवं भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में प्रतिदिन चेकिंग,गश्त करने के निर्देश दिए।


मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा :अजमेर


औचक निरीक्षण में मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा।
645 के स्थान पर 216 श्रमिक ही मिले।
अजमेर की सिलोरा पंचातय समिति के बीडीओ को भी नोटिस।

अजमेर ! जिले में मनरेगा के कार्यों में कितना भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा हो रहा है इसका अंदाजा जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुरारीलाल वर्मा के औचक निरीक्षण से लगाया जा सकता है। गत दिनों जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजेन्द्र सिंह राठौड़ को शिकायत मिली थी, कि सिलोरा पंचायत समिति क्षेत्र में चल रहे मनरेगा के कार्यों में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। जिला परिषद ने जितने श्रमिक स्वीकृत किए हैं उतने काम नहीं करते हैं, लेकिन रोजाना का वेतन उठा लिया जाता है। इस शिकायत के मद्देनजर ही राठौड़ ने अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया। इसमें मनरेगा के एक्सईएन कबीर अख्तर, एईएन कौशल किशोर समारिया को शामिल किया। जांच दल ने 16 जुलाई को सिलोरा पंचायत समिति की थल ग्राम पंचायत के कार्यों का औचक निरीक्षण किया। गांव में चार कार्य मनरेगा के तहत स्वीकृत किए गए थे। इन सभी कार्यों पर 645 श्रमिकों की स्वीकृति जारी की गई, लेकिन जांच के दौरान मातृ 216 श्रमिक ही पाए गए। महत्वपूर्ण बात ये रही कि दस दिन कार्यशुरू हो जाने के बाद भी सभी मस्टरोल खाली पड़े थे। साफ जाहिर था कि मस्टरोल में श्रमिकों की फर्जी एंट्री की जा रही थी। मस्टरोल पर मेट के हस्ताक्षर तक नहीं थे। इतना ही नहीं पंचायत समिति, ग्राम पंचयत आदि के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी ने दस दिनों की अवधि में मौके पर आकर जांच पड़ताल भी नहीं की। यानि 645 श्रमिकों वाले कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा हो रहा था। जांच दल ने औचक निरीक्षण में पाया कि कार्यों की गुणवत्ता पर भी ध्यान नहीं दिया गया। जांच दल ने पाया कि एक ही कार्य स्थल पर दो कार्य स्वीकृत किए गए। इस संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में सिलोरा के विकास अधिकारी रामस्वरूप जाट, पंचायत समिति के एईएन अमित, ग्राम पंचायत थल के ग्राम विकास अधिकारी रामवीर मीणा, ग्राम पंचायत कासीर की विकास अधिकारी पायल चौधरी आदि को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। जांच दल ने अपनी रिपोर्ट मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। वहीं इस मामले में सरपंच उगमाराम जाट का कहना है कि 16 जुलाई को सुबह ही जांच दल मौके पर आ गया। हो सकता है कि तब महिला श्रमिक कार्यस्थल पर न आई हों।
एस.पी.मित्तल


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...