मंगलवार, 16 जुलाई 2019

दिन शुभ ,मन प्रसन्न रहेगा (मेष)

राशिफल 



मेष ----आज का दिन शुभ है। मन प्रसन्न रहेगा एवं सारे कार्य आत्म विश्वासपूर्वक संपन्न करेंगे। भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। माता ध्यान रखें। माता के आशीर्वाद से आपका भाग्य मजबूत होगा। संतान का व्यवहार अनुकूल होगा। आपके द्वारा कहीं गई बातों का संतान अनुसरण करेगी।



वृष ----आज का दिन शुभ नहीं है। मन में अस्थिरता रहेगी। कार्य करने में ऊर्जा की कमी महसूस करेंगे। उदासीनता रहेगी और मन में असमंजस रहेगा। छोटे भाइयों से किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है। पारिवारिक वातावरण सामान्य रहेगा। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।


मिथुन -----आज का दिन शुभ है। मन में भरपूर आत्मविश्वास रहेगा। आत्मविश्वास के साथ किसी भी कार्य को संपन्न कर सकेंगे। स्थायी संपत्ति से संबंधित अच्छे योग बनते है। जीवनसाथी से भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। किसी मामले को लेकर जीवनसाथी से सलाह ले सकते हैं। कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।


कर्क----- आज का दिन सामान्य है। मन में अस्थिरता रहेगी। किसी बात को लेकर परिवार में विवाद हो सकता है। मन में आज चिड़चिड़ापन रहेगा। किसी प्रकार की लंबे समय तक की बीमारी हो सकती है। संतान की शिक्षा को लेकर कोई महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।


सिंह ----आज का दिन बहुत शुभ है। मन में प्रसन्नता रहेगी। कार्य करने के लिए मन में उत्साह बना रहेगा। स्थायी संपत्ति के अच्छे योग बनते हैं। माता के आशीर्वाद से आपके कार्य सफल होंगे। संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जीवनसाथी की सही सलाह से कुछ महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध होंगे।



कन्या -----आज का दिन सामान्य है। मन में असमंजस रहेगा। कार्य करने में अस्थिरता स्थिति रहेगी। भाइयों से सहयोग प्राप्त होगा। अंजाना सा भय बना रहेगा। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी बात को लेकर दिनभर चिंता बनी रहेगी। कार्य क्षेत्र में अस्थिरता रहेगी।


तुला ----आज का दिन शुभ है। मन में आध्यात्मिक अनुभूति बनी रहेगी। धार्मिक कार्य करने से मन प्रसन्न रहेगा। बड़ों के प्रति मन में सम्मान स्थापित होगा। संतान का भाग्य अनुकूल रहेगा। संतान पक्ष से संबंधित कार्य होंगे। जीवनसाथी के ग्रह वर्तमान में प्रभावशाली हैं।


वृश्चिक---- आज का दिन सामान्य है। मन में शंकाएं बनी रहेंगी। मन अस्थिर रहेगा। इसके कारण से निर्णय लेने में कठिनाई आएगी। भाइयों एवं परिवार का अल्प सहयोग प्राप्त होगा। माता का स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। संतान पक्ष से संबंधित चिंता बनी रहेगी। शत्रु प्रभावशाली रहेंगे।


धनु ------आज का दिन शुभ है। मन प्रसन्न रहेगा एवं आत्मविश्वास बना रहेगा। कार्य करने की क्षमता बढ़ेगी। भाइयों से सहयोग प्राप्त होगा। माता के स्वास्थ्य में लाभ प्राप्त होगा। माता के भाग्य से आपके कार्य सिद्ध होंगे। जीवनसाथी का भाग्य प्रभावशाली है। परंतु उनसे सामंजस्य बनाकर रखें। अन्यथा विवाद हो सकता है।



मकर -----आज का दिन शुभ नहीं है। मन में अस्थिरता बनी रहेगी। निर्णय लेने में कठिनाई आएगी। शत्रु परेशान करेंगे। मन अशांत रहेगा। धन की हानि होगी। जीवनसाथी से विवाद हो सकता है। ससुराल पक्ष में किसी बात को लेकर चिंता रहेगी। कार्यक्षेत्र में अस्थिरता रहेगी।


कुंभ---- आज का दिन शुभ है। मन में एकाग्रता बनी रहेगी। संतान का दिमाग सक्रिय रहेगा एवं संतान को सफलता मिलेगी। रोग में आराम मिलेगा। पिता का आशीर्वाद लें, सफलता प्राप्त होगी। जीवनसाथी का भाग्य वर्तमान में अनुकुल है। जीवनसाथी के भाग्य से सफलता प्राप्त होगी।


मीन--- आज का दिन सामान्य है। मन में अस्थिरता रहेगी एवं आत्मविश्वास की कमी महसूस करेंगे। माता के स्वास्थ्य में कुछ कमी आएगी। संतान से सामंजस्य बनाकर रखें। संतान की समस्याओं को समझें एवं उनको हल करने की कोशिश करें। जीवनसाथी का झुकाव संतान की तरफ अधिक है।


गूढ़ रहस्यों को समझने वाला योगी (गुरु)

उपाध्याय संस्कृत मूल का एक हिन्दी शब्द है जो गुरुकुल के उन आचार्यों के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है,जो भारतवर्ष में अनादिकाल से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक गुरु-शिष्य परम्परा के तहत गुरुकुल में अपने विद्यार्थियों को पढ़ाया करते थे। भारत का सम्पूर्ण इतिहास,समयचक्र के आधार पर विभाजित किये गये चार कालखंड जिसे सनातन सभ्यता में सतयुग,द्वापर,त्रेता,कलयुग एवं चारों वेद,छह शास्त्र,18 पुराण,उपनिषद समेत सभी महान ग्रन्थों में गुरुकुल और उनके उपाध्यायों का विशेष और विस्तृत वर्णन है। "उपाध्याय" Upadhyay- (संस्कृत - उप + अधि + इण घं‌) इस शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की गई है- 'उपेत्य अधीयते अस्मात्‌' जिसके पास जाकर अध्ययन किया जाए,वह उपाध्याय कहलाता है। सरल शब्दों में यदि कहा जाय तो गुरुकुलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला गुरु जिसे वर्तमान में शिक्षक,आचार्य या अध्यापक कहा जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि प्राचीन काल के उपाध्याय की परिभाषा आज के शिक्षक से लाखों गुना बेहद ही विस्तृत है "वह गुरु जो अपने शिष्यों को बहुत ही सहजता से अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी रोशनी की तरफ लाकर उनके जीवन के सभी अमंगलों को मंगल में परिवर्तित-कर उनका सम्पूर्ण भौतिक और आध्यात्मिक विकास कर पाने की क्षमता रखता हो। यही नही अपितु "लोक कल्याण से परलोक कल्याण" के गूढ़ मार्ग के रहस्यों को समझा सके ऐसे योग्य योगी को ही ["उपाध्याय"] की पदवी (डिग्री) देकर गुरुकुल संभालने की जिम्मेदारी दी जाती थी। यह सर्वविदित है कि भारत की वैदिक सभ्यता विशुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित सँस्कृति रही है।सनातन सँस्कृति में समर्थगुरु की परिकल्पना शिष्य और समाज के लिए ईश्वर के समतुल्य और उसकी महिमा संसार सागर से पार करने वाली बताई गई है।इसीलिए गुरुकुल के अध्यापक की योग्यता भी श्रेष्ठतम दर्जे की हो भारत के बड़े विद्वानों ने इस पर अनादिकाल से ही सबसे ज्यादा बल दिया है। गुरुकुलों में योग्य अध्यापकों के निर्माण और आपूर्ति के लिए चिरकाल तक भारतवर्ष के गुरूकुलों में समय-समय पर बड़े-बड़े सिद्ध ऋषियों,महाउपाध्यायों,आचार्यों के द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी और कड़ी परीक्षाऐं आयोजित की जाती थी। इन परीक्षाओं में सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्वान ब्रह्मचारियों को ही केवल उपाध्याय की उपाधि देकर गुरुकुलों में अध्यापन की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। ऐ संयासी या गृहस्थ,स्त्री या पुरुष दोनों हो सकते थे। उपाध्याय या कुलपति का मर्म समझने के लिए हमें सनातन सभ्यता की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को समझना होगा। गुरुकुल का उपाध्याय बनने के लिये परीक्षार्थी को शास्त्र विद्या ही नही ब्लकि शस्त्र विधा समेत दुनिया की सभी ज्ञात विद्याओं में देशभर में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर आदर्श शिक्षक के हर पैमाने में खरा उतरना पड़ता था। यही कारण था कि भारत के गुरुकुल से पढ़ा बच्चा पूरी दुनियाँ में ज्ञान और विज्ञान की पताका फहराने में सफल हुआ करता था। उपाध्यायों के द्वारा समस्त आध्यात्मिक और भौतिक ज्ञान-विज्ञान जिसके अंतर्गत सभी प्रमुख विषयों,वेद,दर्शन,उपनिषद्, व्याकरण,गणित,भौतिक विज्ञान,रसायन विज्ञान,जीव विज्ञान,सामाजिक विज्ञान,चिकित्सा,भूगोल,खगोल,अन्तरिक्ष,गृह निर्माण,शिल्प,कला,संगीत,तकनीकी,राजनीति,अर्थशास्त्र,न्याय,विमान विद्या,युद्ध-आयुध निर्माण,योग,यज्ञ एवं कृषि विज्ञान,आध्यात्मिक विज्ञान आदि सभी विषयों की शिक्षा गुरुकुलों में शिष्यों को दी जाती थी। रामायण और महाभारत में स्पष्ट उल्लेख किया है कि ज्ञान-विज्ञान की समस्त शाखाओं,उपशाखाओं,वेद-ग्रँथ,शास्त्र के साथ शस्त्र अर्थात युद्ध विद्या समेत सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड की ज्ञात और अदृश्य विद्याओं को गुरुकुल में विद्यार्थियों को सहज पढ़ाने की योग्यता रखने वाले गुरु या शिक्षक को उपाध्याय,कुलपति या आचार्य की संज्ञा दी गई। ब्रिटिशकाल तक भारत में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली गुरुकुलों के उपाध्यायों के नेतृत्व में चलती रही। लेकिन लार्ड मैकॉले (Thomas Babington Macaulay)की सिफारिश पर गवर्नर जरनल "लार्ड विलियम बैंटिक"का English Education Act 1835 तत्पश्चात ब्रिटिश संसद ने स्थाई कानून Indian Education Act बनाकर भारत के सभी गुरुकुलों और उनमें पढ़ाने वाले सभी अध्यापकों की मान्यताएँ रद्द कर उन्हें बंद करने के आदेश जारी कर दिये और भारत मे गुरुकुलों के स्थान पर नये कान्वेंट और पब्लिक स्कूल खोले गए।


स्वास्थ के लिए लाभकारी है करौंदा

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है करौंदा


करौंदा जंगलों, खेत खलियानों के आस-पास कंटीली झाड़ियों के रूप में करौंदा प्रचुरता से उगता हुआ पाया जाता है, हालांकि करौंदा के पेड़ पहाड़ी भागों में अधिक पाए जाते है। इसके पेड़ कांटेदार और 6 से 7 फुट ऊंचे होते हैं। करौंदे के फलों में लौह तत्व और विटामिन सी प्रचुरता से पाए जाते है। आम घरों में करौंदा सब्जी, चटनी, मुरब्बे और अ़चार के लिए प्रचलित है। करौंदे का वानस्पतिक नाम कैरिस्सा कंजेस्टा है। पातालकोट में आदिवासी करौंदा की जड़ों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फलों का जूस तैयार कर पिलाया जाता है, तुरंत आराम मिलता है। फलों के चूर्ण के सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है।


करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है, प्यास रोकता है और दस्त को बंद करता है। सूखी खांसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस सेवन लाभकारी होता है। खट्टी डकार और अम्ल पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फलों का चूर्ण काफी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है। करौंदा के फल खाने से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दांत भी मजबूत होते हैं। फलों से सेवन रक्त अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है।


स्वाध्याय कैसे करें? ( आत्ममंथन)

स्वाध्याय कैसे करें ?
यदि आप भी स्वाध्याय का मन बना चुके है तो आपके सामने सबसे पहले यह प्रश्न आएगा कि स्वाध्याय कैसे करे ? चिंता मत कीजिये ! यह बहुत आसान है । स्वाध्याय के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है समय निकालना । तो इसके लिए अध्यात्म सागर की सलाह है कि आप जब सुबह नहा – धोकर ध्यानादि करते हो तो उसके बाद का समय स्वाध्याय के लिए निकाल सकते है । यदि आप ध्यानादि नहीं भी करते हो तो कोई बात नहीं । क्योंकि कुछ दिन स्वाध्याय करने के बाद आप स्वतः ध्यान करने लगेंगे । यदि नहीं करते है तो फिर आप अपनी सुविधा से कोई भी ऐसा समय निकाल सकते है जब आप शांतचित्त हो, कोई काम का टेंशन ना हो । स्वाध्याय सुबह, दोपहर, शाम या रात को भी किया जा सकता है । सुबह और शाम का स्वाध्याय उत्तम है, दोपहर का मध्यम है तथा रात का स्वाध्याय तीसरी श्रेणी में आता है । इसके बारे में लेखक का कोई अनुभव नहीं ।


स्वाध्याय हमेशा ध्यानपूर्वक और तन्मयता से करें । थोड़ा किन्तु गहन चिंतन के साथ किया गया स्वाध्याय बहुत लाभकारी होता है । स्वाध्याय के लिए जो भी पुस्तक निर्धारित की जाये, उसे क्रमबद्ध रूप से पढ़े । स्वाध्याय के समय अपने पास एक पेन और डायरी अवश्य रखे तथा जो भी बात आपको उपयोगी लगे उसे नोट कर ले । एकाग्रतापूर्वक स्वाध्याय करने से सभी बाते आपको लम्बे समय तक याद रहने लगेगी ।
स्वाध्याय के लिए समय की कोई सीमा नहीं है । आप यदि फ्री हो तो दिनभर कर सकते है किन्तु दिनभर का याद रहेगा नहीं । सामान्यतया हर कोई दिनभर फ्री नहीं हो सकता अतः स्वाध्याय के लिए आप कमसे – कम ३० – ६० मिनट का समय अवश्य दे । यदि इतना समय ना मिल सके तो किसी धार्मिक पुस्तक का एक पृष्ठ प्रतिदिन पढने का नियम बना ले । यदि कोई इतना भी नहीं करना चाहे तो प्रतिदिन किसी महापुरुष का एक सबसे अच्छा सद्वाक्य पढ़कर अपने ३ मित्रों को अवश्य सुनाएँ । इतना तो कर ही सकते है ।


स्वाध्याय के लिए इतना विशेष याद रखे कि किसी उपन्यास, कहानी और कथा को पढ़ना स्वाध्याय नहीं है । अधिकांश किताबे केवल मनोरंजन के लिए होती है ।अतः स्वाध्याय के लिए केवल शास्त्रोक्त किताबों का ही अध्ययन करे । इसके लिए गीता, योगवाशिष्ठ, योगदर्शन, उपनिषद, रामायण और वेद उत्तम है । किन्तु सभी संस्कृत में है तथा कोई हिंदी में होते हुए भी समझ से बाहर लगे तो आप स्वाध्याय के लिए निम्नलिखित लेखकों के पुस्तकों की सूचि देखे । प्रतिदिन स्वाध्याय के लिए आप अध्यात्म सागर का स्वाध्याय संग्रह भी पढ़ सकते है ।


सोमवार, 15 जुलाई 2019

आडवाणी,उमा,मुरली है आरोपी, फैसला सुनाए एससी

नई दिल्ली ! सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित ढांचा गिराने की साजिश के मामले में उत्‍तर प्रदेश सरकार को 19 जुलाई तक यह बताने के लिए कहा है कि केस की सुनवाई कर रहे जज के सेवानिवृत्त होने पर क्या नियम और कानून हैं। दरअसल, इस केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज एसके यादव को 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होना है। इसलिए उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए छह महीने का और समय मांगा है।इस पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह बेहद जरूरी है कि सीबीआई जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाएं। अदालत ने उत्‍तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा है कि वह 19 जुलाई तक बताए कि किसी केस की सुनवाई कर रहे जज के सेवानिवृत्त होने पर क्या नियम और कानून हैं। साथ ही यह भी पूछा कि राज्‍य सरकार बताए कि जज एसके यादव के कार्यकाल को कैसे बढ़ाया जा सकता है। साथ ही इसको लेकर कानूनी प्रावधान क्या हैं।


बता दें कि इस मामले में वरिष्‍ठ भाजपा नेता एलके आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी आरोपी है। इस मामले में ट्रायल 19 अप्रैल को खत्‍म होने वाला था। वहीं रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल के चेयरमैन जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्ला से गुरूवार तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। ज्ञात हो कि कोर्ट ने बातचीत से समाधान की संभावना तलाशने के लिए पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का गठन किया है। शीर्ष अदालत अब 25 जुलाई से मामले की रोजाना सुनवाई पर विचार करेगी।


कर्नाटक :अभी तक नहीं टला है संकट

 बेंगलुरु ! मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी विश्वास मत से पहले इस्तीफा देने वाले कुछ विधायकों को मनाने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से विधानसभा में बहुमत साबित करने या इस्तीफा देने की मांग की गई। उधर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने 10 असंतुष्ट विधायकों की याचिकाएं लेकर स्पीकर केआर रमेश को 16 जुलाई तक अपने इस्तीफे और अयोग्यता पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है।कर्नाटक के बागी विधायकों ने रविवार को एक बार फिर मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर जान के खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की है। इस पत्र में उन्‍होंने किसी भी कांग्रेसी नेता से मिलने से इनकार किया है।


कर्नाटक में कांग्रेस के बागी विधायक एम टी बी नागराज को मनाने की कोशिशें असफल रहने के बाद वह रविवार को मुंबई चले गए जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि त्यागपत्र वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को नागराज से बातचीत की थी ताकि कर्नाटक में एच।डी। कुमारस्वामी नेतृत्व वाली सरकार को बचाने के लिए उन्हें मनाया जा सके।


लोकसभा में गृह मंत्री और ओवैसी में तीखी बहस

नई दिल्ली! संसद के बजट सत्र में हंगामे और तीखी नोकझोंक के बाद सोमवार को लोकसभा में 'एनआईए संशोधन विधेयक 2019' को मंजूरी दे दी गई! इस विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी भी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है! गृह मंत्री अमित शाह ने 'एनआईए संशोधन विधेयक 2019' का समर्थन किया! वहीं, इस बिल पर चर्चा के दौरान शाह की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से तीखी बहस भी हुई!


गृह मंत्री ने ओवैसी से कहा, 'जब कोई और बोलता है तो आप चुप रहकर सुनते हैं लेकिन जब सत्यपाल सिंह बोल रहे हैं तो आप लगातार बीच में बोल रहे हैं! आपको सुनने की आदत डालनी होगी! इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनआईए तेजी से मामलों को खत्म करती है और एजेंसी ने अपने 90 फीसदी केस समाप्त किए हैं, जो दुनियाभर की एजेंसियों की तुलना में अच्छा है! शाह ने एनआईए की तारीफ करते हुए कहा कि मजबूत एनआईए के साथ भारत आतंकवाद को खत्म करेगा!


विपक्ष के द्वारा एजेंसी के गलत रूप से प्रयोग किए जाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार कानून के नियमों से चलती है और सभी जांच एजेंसियां कानून द्वार स्थापित प्रक्रिया का ही पालन करती है! इसके साथ ही उन्होंने सरकार की आतंकवाद को लेकर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति की सराहना की! गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को आतंकवाद के तौर पर ही देखा जाना चाहिए! आतंकवाद में राइट और लेफ्ट नहीं होता है! उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं के अपराधियों को दंडित करने की जरूरत है और उन्हें दंडित किया जाएगा!


न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...