आदिवासियो के साथ प्रशासन का छलावा
प्रशासन का आदिवासियो के साथ पशुओ जैसा व्यवहार
छिंदवाड़ा -परासिया ! आजादी के 71 साल बाद भी आदिवासियो को प्रशासन ,सामानता का अधिकार दिलाने मे विफल रही है।जिससे कि उन्हे जो मौलिक अधिकार प्राप्त है ।अधिकारी-कर्मचारी द्बारा उनका भी हनन किया जा रहा है।जिसके चलते आज भी आदिवासियो का जीवन पशुओ के समान बीत रहा है। ये हम नही हालात बया कर रहे है।
जहां छिन्दवाडा़ जिले और मुख्यमंत्री के ग्रह जिले छिन्दवाडा़ के तामिया मे भरिया जनजाति समाज के विकास ,शिक्षा ,जाग्रुकता ,और अन्य योजनाओ के लिए सरकार द्बारा करोड़ो रूपये आये,लेकिन फिर भी किसी प्रकार की योजना का लाभ भरिया समाज को अभी तक नही मिल पाया है।यदि ,तामिया की ग्राम पंचायत गोरिया-पानी के अतर्गत आने बाले ग्राम राधना और जाम-ढाना की बात करे तो आजादी के बाद से आज तक यहां कोई विकास -कार्य नही किये गये है। न तो गांव मे पहुचने के लिए सड़क बनायी गई है और न ही आवास योजना के तहत किसी को लाभ दिया गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि आज तक सचिव-सरपंच द्बारा कोई भी सड़क निर्माण कार्य या कोई अन्य कार्य नही करवाया गया है जिसके कारण आज भी ग्रामीणजन पांच किलोमीटर पहाडी़ पर चढकर सोसायटी मे अनाज लेने जाने के लिए मजबूर है।
वही सोसायटी संचालक द्बारा मनमानी करते हुए मिट्टी का तेल दुकान के अंदर ही वितरित किया जा रहा है जिसके कारण ग्रामीणो को हमेशा घटना का अनदेशा बना रहता है ।जबकी ब्लाक हर्रई के ग्राम बारगी मे सोसायटी संचालक की लापरवाही के कारण मिट्टी के तेल वितरण के दौरान कई ग्रामवासियो बड़ी घटना के कारण जान गवाना पड़ा था ।
फिर भी सोसायटी संचालक आज भी मनमानी करने से वाज नही आ रहे है।वही आलाधिकारीयो द्बारा इस ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
दिनेश साहू परासिया