वित्त मंत्रालय की मंसा (संपादकीय)
भारत गणराज्य में लिए गए निर्णय के लिए सरकार उत्तरदायी है ! सरकार का प्रत्येक फैसला न्याय उचित एवं संविधान- संगत होना चाहिए! जनता को समृद्ध सूचनाएं प्राप्त होनी चाहिए! राष्ट्रीय विकास और निर्माण की सामान्य जानकारी जनता को समय-समय पर मिलती रहनी चाहिए !
लोकतंत्र की स्वायत्तता के लिए यह जरूरी है! लेकिन वित्त मंत्रालय की मंशा कुछ ठीक नहीं है! वित्त मंत्रालय को किससे और क्यों पर्दा चाहिए ? पारदर्शिता को खत्म करने की साजिश क्यों रची जा रही है? बजट से आम जनता खफा है! जनता भी आपकी है और बजट भी आपकी ही सरकार का है! यदि बजट में जनता कहीं विरोध कर रही है, तो सरकार को जनता या विरोधियों की समस्या का समाधान तलाशना चाहिए! पत्रकारों को वित्त मंत्रालय से दूर रखने से कोई हल होने वाला नहीं है ! जो पत्रकार इसके विरोध में कार्य कर रहे हैं! जो जनता के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं !वे पीछे नहीं हटते हैं ,वह वास्तव में लड़ते रहेंगे और वास्तविकता की तह तक जाएंगे! आखिर वित्त मंत्रालय को वह कौन सी समस्या है? जो पत्रकारों पर खींज रहा है ! पत्रकारों को रात्रि भोज में जाकर वित्त मंत्रालय की मंसा को भापने का प्रयास करना था! बहिष्कार केवल तिरस्कारी गई नीतियों का करना चाहिए ! यह संबंध की खाई को चोडी करने के समान है ! जो हमारे कर्तव्य के विरुद्ध हो सकता है! इसमें हमारे स्वार्थ जुड़े हो,लेकिन हमें अपने कर्तव्य की सार्थकता का अनुसरण करना ही होगा! इसके विपरीत वित्त मंत्रालय की मंशा और अवस्था को जानना और समझना होगा! वित्त मंत्रालय में ऐसा क्या अनैतिक हो रहा है, जो छुपाया जा रहा है! ऐसी कौन सी सूचना है, जिसके सार्वजनिक हो जाने का भय वित्त मंत्रालय को सता रहा है ! जनता से क्या छुपाना चाहता है वित्त मंत्रालय !यह सभी के लिए जाना आवश्यक बनता जा रहा है ! वित्त मंत्रालय को इसका जवाब देना ही होगा!
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'