रविवार, 30 जून 2019

नाटक अंधेर नगरी का हुआ मंचन

कार्यशाला समापन के बाद नाटक अंधेर नगरी का होगा मंचन
गोरखपुर । प्रेमचंद साहित्य संस्थान व अलख कला समूह द्वारा आयोजित निशुल्क ग्रीष्मकालीन 17 दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला का समापन हो रहा है! जिसमें भारतेंदु द्वारा लिखित व नाट्य प्रशिक्षक हर्षित मणि त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक 'अंधेर नगरी' का मंचन सांय 6:30 बजे से मुंशी प्रेमचंद पार्क में बने मुक्ताकाशी मंच पर होगा। विदित हो कि ए कार्यशाला विगत 17 दिन दिनांक -13 -06 -2019 से 29-06- 2019 तक स्थान- मुंशी प्रेमचंद साहित्य संस्थान ,मुंशी प्रेमचंद पार्क गोरखपुर में समय- सांय 4:30 बजे से 6:30 बजे तक लगातार चला।


जिसके प्रशिक्षक- हर्षित मणि त्रिपाठी (नाट्य प्रशिक्षणार्थी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र ) रहे जिसमें कुल 18 प्रतिभागी प्रतिभाग किए। इन्हें प्रतिभागियों को लेकर नाटक अंधेर नगरी तैयार हुआ जिसका मंचन रविवार को शाम 6:30 बजे से मुंशी प्रेमचंद पार्क में होगा। इस संपूर्ण कार्यक्रम में बेचन सिंह पटेल ,बैजनाथ मिश्र, विपिन कुमार सिंह ,सुजीत कुमार श्रीवास्तव का सहयोग सराहनीय रहा जनपद के सभी नाटक प्रेमी उक्त कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं ।


कर्क :लेन-देन के कार्यों में सावधानी बरतें!

दैनिक राशिफल 



मेष -----व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। भागदौड़ रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। मनोरंजन का कार्यक्रम बन सकता है।


वृष ----भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी लंबी यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। परिवार व मित्रों के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। चोट व रोग से बचें। मस्तिष्ट पीड़ा हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा।


मिथुन ----किसी से बड़े विवाद होने की आशंका है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी के भी कार्य में हस्तक्षेप न करें। चिंता बनी रहेगी। नेत्रों की समस्या हो सकती है। आय में निश्चितता रहेगी।



कर्क---- किसी पुराने रोग के उभरने की आशंका है। लेन-देन के कार्यों में सावधानी रखें। हानि होने की आशंका है। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। कार्यक्षेत्र में उन्नति होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा।


सिंह---- स्वास्थ्‍य का पाया कमजोर रह सकता है। लापरवाही न करें। आर्थिक उन्नति के लिए किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। प्रसन्नता रहेगी।



कन्या ----किसी धार्मिक स्थान की यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। आत्मशांति रहेगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से संपर्क बन सकता है। विवाद में विजय प्राप्त होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। व्यापार अच्‍छा चलेगा।


तुला----- व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। आय बनी रहेगी। चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि की आशंका है। दूसरों से अपेक्षा न करें। विवाद होने की आशंका है। थकान व कमजोरी रह सकती है। कुसंगति से बचें। धनार्जन होगा।



वृश्चिक---- स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी विवाद में अपना पक्ष मजबूती से रख पाएंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। आराम व मनोरंजन का अवसर प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। प्रसन्नता रहेगी।


धनु -----किसी कारण से मन में खिन्नता रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्थायी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। कोई बड़े लाभ की संभावना है। पार्टनरों तथा मित्रों के सहयोग से कार्य होंगे। जल्दबाजी न करें। जीवन सुखमय व्यतीत होगा।


मकर---- पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्व‍ादिष्ट व्यंजनों का लाभ प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। जीवन आनंद से व्यतीत होगा। किसी प्रबु‍द्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है।


कुंभ -----परिवार के छोटे सदस्यों के अध्ययन तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। कुसंगति से हानि होगी। व्यर्थ भागदौड़ होगी। शोक समाचार मिल सकता है। लाभ के अवसर टलेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें।


मीन---- किसी कार्य के लिए किए गए प्रयास सफल रहेंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। नई योजना बनेगी। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। मित्रों तथा परिवार के सदस्यों के साथ प्रसन्न रहेंगे।


शंका-समाधान ( अध्यात्मिक मंथन)

(शंका- समाधान)


वेद अपौरुषेय है । धर्म और ब्रह्म में वेद ही एकमात्र प्रमाण है । वेद में प्रत्येक मन्त्र के ऋषि, देवताच्छन्द और विनियोग सुनिश्चित हैं । इन्द्र, आदित्य, वरुण, आदि देवता लोकाधिपति होते हैं । अश्विनीकुमार आदि देवता यजनीय होने पर भी लोकाधिपति नहीं हैं । किन्तु ये सब प्रकाशमान हैं कर्म फल के दाता हैं और द्युलोक स्थानीय हैं यही मुख्य देवत्व है । माता, पिता, राजा आदि में भी देव बुद्धि करने का उपदेश प्राप्त होता है । वे तो मर्त्य हैं । मनुष्य लोक के रहने वाले है । उनका देवत्व कैसे ? वस्तुतः गुणवृत्ति का प्रचलन लोक और वेद सर्वत्र है । विशेष प्रयोजन वश कहीं गुणवृत्तितः अदिव्य विषयों में भी शब्दित देवत्व वैदिक होता है । वहां देववृत्तिसे समादर ही अर्थतया प्राप्त है । अन्यथा अभिधेयार्थ-विप्लव हो जायेगा । और ऐसे प्रसंग में लक्षणया देवत्व भी अनुसंधेय नहीं है क्यों कि यागोपयोगी घटपटादि किसी भी पदार्थ की लक्षणा से देवत्व का संधान करते ही रहो ; जो अनावश्यक है । यह कोई वेदार्थ निर्णय की परिपाटी नहीं है ।
वैदिक कर्म या उपासना की संज्ञा , स्वरूप, द्रव्य, देवता, अधिकार और इतिकर्तव्यता षडंग-सहित वेद से ही सुनिश्चित है उस में सामान्य व्यतिक्रम असह्य है । लौकिक पूजापाठ में अधिकार, द्रव्य, देवता और मंत्र प्रभृति का स्वरूप अनिश्चित है और वह अनाप्त विषय भी है । सुतरां वह वैदिक उपासना के उपयोगार्थ अन्यथात्वेन सिद्ध है । कदाचित् शब्द साम्य के कारण वैदिक और लौकिक देवताओं में समता का भ्रम अविद्वानों को हो सकता है । परमाप्त वाङ्मय वेद में क्रम संशोधन के अभाव के कारण लौकिक उपासना का अन्तर्भाव कभी नहीं हुआ है । जनजातियों की क्रम विकशित विचारधारा कुछ वैदिकमन्य असंप्रदायवित् लोगों की मति को विवेकशून्य कर दे यह कोई बड़ा चमत्कार नहीं है । जो मनो भावना की प्रधानता से अनुस्ठित है और जिसके अभाव या विपरीत करण से कोई भी प्रत्यावाय संभावित नहीं होता है वह मनोरंजक ही तो है ।
आगम शास्त्रों में कोई भौतिक विषय को देवत्व प्रदान नहीं किया गया । वहां देवता ईश्वर के शक्ति रूप सूक्ष्म और दिव्य ही तो हैं । स्थूल लिङ्ग ,विग्रह ,यंत्र ,आदि देवता के स्मारक हो कर उपासना में उपयोगी हैं । प्रत्येक सम्प्रदाय के समयमार्गी उपासना में ये भी निरर्थक होते हैं ।
पुराण के विषय सर्वत्र वेदार्थ के अनुवादक नहीं होते हैं । कुछ लोग पुराण के अनेक विषयों को प्रक्षिप्त मानते हैं और कुछ लोग इसे विलुप्तार्थक या रहस्यार्थक मानते है । तब पौराणिक उपासना भी अगाम और निगम के प्रमाणाधीन हो कर निश्चय पदावगति को प्राप्त होती है ।
लैकिक उपासना को वैदिक उपासना का विकल्प या समकक्ष मान लेने पर कोई भी व्यवस्था नहीं बन पायेगी । लौकिक उपासना और कर्म में प्रामाण्य शंका का उन्मूलन कैसे होगा ? अनुष्ठान को प्रमाण मान भी लें तथापि कर्त्तव्य और प्रतिषिध्य का प्रमापक क्या होगा ? तो धर्माधर्म संदर्भ में असम्प्रदायवित् लोगों का आग्रह अस्वीकार्य है ।


सनातनी संदीप गुप्ता


वार्ड में भर्ती मरीज गर्मी से बिलबिला उठे

सीएचसी में विद्युत फाल्ट से फुंके पंखे, हलकान रहे मरीज


प्रतापगढ़ ! पट्टी सीएचसी में विद्युत फाल्ट के चलते शुक्रवार की रात वार्डों में लगे सीलिंग फैन फुंक गए। सोलह घंटे बाद कुछ पंखे बदलवाए गए। लेकिन वह भी चालू नहीं हो सके थे। तीमारदार घर से फर्राटा पंखा ले आए तो जनरेटर ही चालू नहीं हुआ। इससे अस्पताल में भर्ती मरीज गर्मी से बेहाल हो गए। वार्डो में मरीज हाथ से पंखा झलने को मजबूर थे। मरीज अस्पताल प्रशासन को कोसते नजर आए।
शुक्रवार की रात करीब बारह बजे विद्युत फाल्ट के चलते सीएचसी के सर्जिकल वार्ड सहित अन्य वार्डों के सीलिंग फैन फुंक गए। इससे अस्पताल में हाहाकार मच गया। वार्डों में भर्ती मरीज गर्मी से बिलबिला उठे। इस दौरान जो मरीज चलने की हालत में थे वह गर्मी से बचने के लिए अपने बिस्तर से उठकर तीमारदारों के साथ अस्पताल परिसर में बाहर पेड़ की छांव के नीचे जाकर लेट गए। जो बेड से उठ नहीं पाए उन्हें परिजनों ने हाथ के पंखों से हवा करके जैसे-तैसे संभाला।
कुछ इस तरह तीमारदारों ने सुनाया दुखड़ा
धूती निवासी ललित तिवारी ने बताया कि उनकी पत्नी नीलम की ऑपरेशन से डिलीवरी हुई है। वह चलने फिरने में असमर्थ है। इसलिए अस्पताल का पंखा फुंक जाने के कारण वह शनिवार सुबह घर से फर्राटा पंखा ले आए। लेकिन अस्पताल की विद्युत लाइन में फाल्ट तथा जनरेटर बंद होने के कारण वह भी काम न आ सका। इसी तरह शेखपुर अठगवां के अभिषेक तिवारी ने बताया कि उनकी पत्नी भैरवी की भी ऑपरेशन से डिलीवरी हुई है। वह भी घर से फर्राटा पंखा ले आए थे। लेकिन विद्युत फाल्ट व जनरेटर चालू न होने के कारण वह भी बेकार पड़ा रहा। अस्पताल में भर्ती हीरावती का कहना है कि मरीजों का दर्द कोई समझने वाला नहीं है। विद्युत फाल्ट से अस्पताल में मरीज बेहाल हैं लेकिन कोई भी जिम्मेदार उनका दर्द समझने वाला नहीं है। जबकि स्टाफ नर्स के कमरे में पंखा चल रहा है।
इनका कहना है
शुक्रवार की रात फाल्ट के चलते पंखे खराब हो गए थे। कुछ पंखे बदलवा दिए गए हैं। जनरेटर खराब है। इंजीनियर डायनमो खोल कर ले गए हैं। शीघ्र ही फाल्ट दूर करा कर व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी।


रोहित जायसवाल


शनिवार, 29 जून 2019

रिश्वतखोर पटवारी पर कब होगी कार्रवाई

मुख्यमंत्री योगी जी रिश्वत लेने वाले पटवारी पर कब होगी कार्यवाही 


दबंग पटवारी कंवरपाल का रिश्वत लेते हुए वीडियो हुआ वायरल , अधिकारी मौन 


सफ़ेद पोश नेताओ का पटवारी के सिर पर हाथ


वसीम मंसूरी


सहारनपुर, देवबंद । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसान सम्मान निधि योजना के तहत अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने और योजना सफल बनाने के लिए शासन स्तर से हर संभव कोशिशें की जा रही हैं , लेकिन सरकारी कारिंदे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। योजना के तहत पात्रों की सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए किसानों को दौड़ाया ही नहीं जा रहा है, बल्कि इसके एवज में उनसे सुविधा शुल्क भी मांगा जा रहा है।


मिली जानकारी के अनुसार बीते दिन देवबंद क्षेत्र के लेखपाल कंवरपाल का गरीब किसानों से हस्ताक्षर करने के 100 - 100 रुपये वसूले का मामला सामने आ रहा हैं। गरीब किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए आपने आवेदन पर हस्ताक्षर करने के अवैध वसूली के रूप में लेखपाल द्वारा वसूले जा रहे हैं। गरीब किसानों के फर्मो पर लेखपाल द्वारा हस्ताक्षर करने का सुविधा शुल्क कब - तक गरीब किसानों की जेब मार झेलती रहेगी ।
देवबंद लेखपाल कंवरपाल तहसील में बैठने पर आपने आप को शर्म महसूस करते हैं और अपना निजी चेम्बर लेकर उसमें बैठ कर अपने कार्य करते हैं और वही पर गरीबो की जेबो पर डाका डालते हैं इतना ही नही कि लेखपाल अपने साथ मे एक प्राइवेट सहायक भी रखते हैं ।


आपको बता दे कि जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसान निधि को गरीब किसानों को लाभ देने के लिए चलाई गई वही दूसरी ओर क्षेत्र के ही सफ़ेदपोश नेता आपने निजी फायदों के लिए लेखपाल का सहयोग करते हैं । सफ़ेदपोश नेताओ को गरीब किसानों की कोई फिक्र नही हैं ।
एसडीएम देवबंद के संज्ञान लेने के बाद भी कोई कानूनी कार्यवाही अभी तक अमल में नही आती नज़र आ रही हैं । क्या उक्त लेखपाल के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो पाएगी ।


नेपाल में ₹100 से ऊपर की मुद्रा प्रतिबंध

नेपाल ने लगाया 200 रुपये के भारतीय मुद्रा पर प्रतिबन्ध,अब केवल ₹ 100 तक के नोट वैध! 



रक्सौल। नेपाल सरकार ने अब दो सौ रुपये की भारतीय मुद्रा के चलन पर भी रोक लगा दी है। नेपाल कैबिनेट ने तत्काल प्रभाव से इस आदेश को लागू करने को कहा है। सरकार ने नागरिकों से कहा है कि सौ रुपये से ऊपर की भारतीय करेंसी लाना, पास में रखना, खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल करना कानूनन अपराध माना जाएगा।
सूचना एवं संचार मंत्री गोकुल प्रसाद बास्कोटा ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि भारत में जब नोटबंदी हुई थी, तब नेपाल में बड़ी मात्रा में 500 और 1000 के पुराने नोट थे। वह मुद्रा वहीं फंस गई थी। नेपाल सरकार ने अभी तक भारत में नोटबंदी के बाद जारी हुई नई करेंसी को मान्यता नहीं दी थी पर उसे गैरकानूनी भी नहीं बताया था, लेकिन अब नेपाल सरकार ने नई भारतीय करेंसी को गैरकानूनी घोषित करते हुए इनका प्रचलन पूरी तरह बंद कराने का फैसला किया है। अब भारतीयों को नेपाल में 50-100 अन्य छोटे नोट ही ले जाने होंगे। या फिर उन्हें नेपाल सीमा पर भारतीय नोटों को नेपाल की करेंसी से बदलना होगा।
नेपाल सरकार के संचार मंत्री का कहना है कि उनके देश में आर्थिक अपराध ,स्वर्ण तस्करी और हवाला कारोबार पर रोक के लिए यह पहल की गई है।मंत्रिपरिषद के फ़ैसले के बाद शुक्रवार से पांच सौ और दो हजार रुपये के भारतीय नोट के अलावा दो सौ रुपये के नोट भी नेपाल में गैरकानूनी हो गए।गुरुवार यानी 27 जून 2019 को मंत्री परिषद की बैठक में उक्त निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव नेपाल के पर्यटन उद्योग पर जरूर पड़ेगा, लेकिन देशहित में यह फैसला जरूरी था।


हार को स्वीकार करना चाहिए

ऐसे इस्तीफे पटकवाने से भला क्या होगा ? राहुल गांधी के बाल हठ से बर्बाद हो रही है कांग्रेस
आखिर अब तक क्यूँ अपना वर्चस्व सिद्ध करने में लगे हैं


जब से पूरे देश में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की जबरदस्त हार हुई है । तब से राहुल गांधी मुंह फुलाए बैठे हैं।और अपना अध्यक्ष पद छोड़कर कोप भवन में विराजमान है । इस उम्मीद के साथ कि कोई फिर उनके पास जाए और मनुहार करते हुए कहे की - नहीं साहब ! मेहरबानी करके आप पुनः प्रधानमंत्री के उम्मीदवार .....( नहीं नहीं माफ कीजिएगा,वो तो कैसे बनेंगे यार ?? ) आप एक बार फिर बने रहिए । हम आपके बिना कैसे रहेंगे ?

बजाय अपनी कमी स्वीकार करने के राहुल गांधी ने भी अब तक अपना बाल हठ नहीं छोड़ा है। दो दिन पहले तो यूथ कांग्रेस की एक मीटिंग में यह तक कह दिया कि मुझे पद छोड़े हुए 1 महीना हो गया है , लेकिन लोग अभी भी अपनी कुर्सियों पर टिके हैं। कोई भी मेरे साथ इस्तीफा देकर अपनी कुर्सी खाली करने को तैयार नहीं है ।
अब बताओ यह भी कोई बात हुई भला ! कोई उनसे यह कहे कि ,क्यों राहुल जी आप तो पुश्तैनी राजा हैं। जो बेचारे गैर गांधी कार्यकर्ता हैं वह पूरा जीवन पार्टी की सेवा करते हुए अपने घर परिवार को ताक पर रखकर गली-गली गांव-गांव कांग्रेस का प्रचार करने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं । और बड़ी मुश्किल से पार्टी में अपना सम्मानजनक पद पाकर काम कर रहे हैं। वह भला इस बात से प्रभावित होकर पद क्यों छोड़े ? वह भी एकमात्र कारण से की उनके अध्यक्ष अपनी ज़िद्द पर सवार है । देखा जाए तो उसमें *गलती सबसे बड़ी राहुल गांधी की खुद की है । जब लोगों को लोकसभा के टिकट बांटे जा रहे थे , तब राहुल गांधी आंखें बंद कर अपने मुट्ठी अनुभवहीन नेताओं से घिरे रहे , जो की जैसा मन में आया वैसे ही पट्टी राहुल को पढ़ाते रहे । राहुल भी बिल्कुल अपनी अनुभवहीन युवा टीम के भरोसे सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर उल्टे सीधे फैसले लेते रहे।
देखा जाए तो कांग्रेस को पिछले 10 साल में जितना नुकसान राहुल गांधी के बाल हठ की वजह से हुआ है , उतना नुकसान शायद पिछले 70 साल में कभी नहीं हुआ है । परंतु अब तक भी राहुल गांधी इस बात को समझने को तैयार नहीं है कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की जिद सबसे बड़ी गलती थी। और इस गलती ने ही कांग्रेस को आज के इस कगार पर लाकर खड़ा किया है। जहां पर कांग्रेस एक प्रादेशिक दल की तरह अल्पमत में आ गई है। बजाय इसके की लोकसभा के टिकटों के बंटन के दौरान राहुल की टीम द्वारा की गई गलतियों को स्वीकार करने के, राहुल गांधी अब भी अपनी नाकारा युवा टीम को पूरे देश में कांग्रेस की कमान सौंपना चाहते हैं ।और हमेशा की तरह अब की बार भी उनका निशाना वरिष्ठ और अनुभवी लोग ही है । ताकि युवाओं के लिए रास्ता साफ हो सके। आम लोगों की भाषा में सुनने पर यह बहुत सुखद लगता है । परंतु यथार्थ का धरातल यह है कि यदि उन्होंने ऐसा कर दिया तो कांग्रेस का नामोनिशान मिट जाएगा। वैसे भी कांग्रेस में अब अनुभवी नेता अंतर्मन में राहुल के हठीले स्वभाव के सामने थकान महसूस कर रहे हैं।उनके लिए तो दोनों तरफ ही मरण है। एक तरफ राहुल गांधी जैसा अनुभवहीन नेतृत्व जिसको स्वीकार करने के लिए लिए आम जनता को समझाना बहुत मुश्किल दिखाई दे रहा है । और दूसरी तरफ राहुल गांधी का ज़िद्दी स्वभाव। जिसके चलते राहुल गांधी वरिष्ठ नेताओं के पीछे लठ लेकर घूम हैं। राहुल के इस चिड़चिड़े रवैये से यही लग रहा है कि वह अपनी गलती मानने की बजाय इसको दोष बाकी सब अनुभवी नेताओं पर मढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
राहुल को वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में हाशिए पर ले जाने का इतना ही शौंक है , तो इस से पहले यह भी मूल्यांकन करना होगा कि उनकी ताजा युवा टीम में क्या वाकई इतना दम है कि कांग्रेस की खोई हुई इज्जत वापस ला सके ? उत्तर है नहीं ... क्योंकि इतना ही दम होता तो लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रचार की कमान खुद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया,सचिन पायलट , जितिन प्रशाद,रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे उनके करीबियों में हाथ में ही थी।जो कि सब के सब फेल साबित हुए हैं। मजे की बात यह है कि इनमें से भी किसी ने अब तक अपना इस्तीफा राहुल की टेबल पर नहीं रखा है। *कायदे से तो पहले ये लोग ही इस्तीफा दें तब कोई बात है। वर्ना बाकी सब तो खेल तमाशा है .... परंतु राहुल को फिर भी आशा है !


नरेश राघानी


'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला

'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। संसद सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर...