रविवार, 16 जून 2019

रोहित शर्मा के नाम हुआ खास रिकॉर्ड

मैनचेस्‍टर ! टीम इंडिया के ओपनर रोहित शर्मा ने पाकिस्‍तान के खिलाफ हाईवोल्‍टेज मैच में बेहतरीन पारी खेलते हुए! दो दिग्‍गजों महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली के रिकॉर्ड तोड़ दिए। मैनचेस्‍टर के ओल्‍ड ट्रेफर्ड में खेले जा रहे मुकाबले में 'हिटमैन' अपने रंग में नजर आए और पाकिस्‍तानी गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए 113 गेंदों में 14 चौके और तीन छक्‍के की मदद से 140 रन की आक्रामक पारी खेली। विश्‍व कप 2019 के 22वें मैच में रोहित शर्मा ने एक खास रिकॉर्ड अपने नाम किया। रोहित ने भारत को शानदार शुरुआत दिलाई और नए ओपनिंग पार्टनर केएल राहुल (57) के साथ 136 रन की साझेदारी


बहरहाल, रोहित शर्मा ने अपनी पारी के दौरान जैसे ही पहला छक्‍का जमाया, तो एक खास रिकॉर्ड कायम किया। वह अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्‍यादा छक्‍के लगाने वाले भारतीय बल्‍लेबाज बन गए हैं। रोहित ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों (अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट) में सबसे ज्‍यादा छक्‍के लगाने के मामले में पूर्व कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी को पीछे छोड़ा। धोनी के 355 छक्‍के हैं जबकि रोहित के 358 छक्‍के हो चुके हैं।
बता दें कि रोहित शर्मा ने वनडे में 224, टेस्‍ट में 31 और टी20 अंतरराष्‍ट्रीय में 102 छक्‍के जड़े हैं। वहीं एमएस धोनी ने वनडे में अब तक 225, टेस्‍ट में 78 और टी20 अंतरराष्‍ट्रीय में 52 छक्‍के जमाए हैं। धोनी के छक्‍के की संख्‍या में इजाफा हो सकता है क्‍योंकि उनका बल्‍लेबाजी करना अभी शेष है।


धोनी का 341वा अंतरराष्ट्रीय वनडे

मैनचेस्टर ! भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने रविवार को अपने नाम एक और उपलब्धि दर्ज कर ली। भारत के लिए सबसे ज्यादा एकदिवसीय मुकाबले खेलने के मामले में वह राहुल द्रविड़ से आगे निकल गए। यह उनका भारत के लिए उनका 341वां ODI था। रविवार (16 जून) को पाकिस्तान के खिलाफ मैनचेस्टर, ओल्ड ट्रेफर्ड में उन्होंने द्रविड़ को पीछे छोड़ा। वह अब सिर्फ सचिन तेंडुलकर से पीछे हैं।


यह धोनी का भारतीय जर्सी में 341वां मैच था वहीं द्रविड़ ने 340 मुकाबले खेले हैं। सचिन इस लिस्ट में टॉप पर हैं उन्होंने 463 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।


कुल मिलाकर देखें तो यह धोनी का 344वां वनडे इंटरनैशनल मैच था। और इस सूची में वह दुनिया में द्रविड़ के साथ संयुक्त रूप से 10वें स्थान पर हैं। भारत के लिए खेलने के साथ ही धोनी ने तीन मैच एशिया एकदाश के लिए खेले हैं।


भारत के लिए सबसे ज्यादा एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ियों मे मोहम्मद अजहरुद्दीन चौथे पायदान पर हैं। उन्होंने भारत के लिए 334 वनडे खेले हैं। वहीं पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने 308 ODI खेले हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले युवराज सिंह ने 301 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।


मैच की बात करें तो धोनी का पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। पूर्व भारतीय कप्तान ने 30 पारियों में 55.90 के औसत से 1230 रन बनाए हैं।


भारत के लिए सबसे ज्यादा ODI मैच खेलने वाले खिलाड़ी


सचिन तेंडुलकर 463
महेंद्र सिंह धोनी 341
राहुल द्रविड़ 340
मोहम्मद अजहरुद्दीन 334
सौरभ गांगुली 308
युवराज सिंह 301


डॉक्टर्स-ममता के बीच सुलह होना जरूरी


रस्सी जल गई, पर बल नहीं गया की कहावत को चरितार्थ कर रही है ममता बनर्जी।

 कोलकाता ! उम्मीद की जानी चाहिए कि पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच सुलह हो जाए। यदि सुलह नहीं होती है तो 17 जून से देशभर के एम्स अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे देश के मरीजों को भारी परेशानी होगी। एम्स में डॉक्टरों को दिखाने के लिए मरीजों को 6 माह से लेकर 12 माह तक का इंतजार करना पड़ता है। एक सप्ताह पहले कोलकाता के अस्पताल में जिस तरीके से जूनियर डॉक्टरों की पिटाई की उससे बंगाल के साथ-साथ देश के प्रमुख शहरों की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई। लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री का काम हालात को सुधारना होता है, लेकिन ममता के बयानों से हालात और बिगाड़ गए। हड़ताल में जो ममता डॉक्टरों पर मुस्लिम मरीजों के इलाज नहीं करने का इल्जाम लगा रही थीं, वहीं ममता अब हड़ताली डॉक्टरों की मांग पर माफी मांगने को तैयार नहीं है। ममता का कहना है कि जब डॉक्टरों की मांगे मान ली गई है तो माफी किस बात की? डॉक्टरों को भी ममता के व्यवहार के बारे में पता है इसलिए माफी को मुद्दा नहीं बनाया जा रहा है। असल में ममता बनर्जी रस्सी जल गई, लेकिन बल नहीं गया की कहावत को चरितार्थ कर रही है। लोकसभा चुनाव में बंगाल में मात्र 22 सीटें मिलने के बाद भी ममता राजनीतिक सबक नहीं ले रही हैं। 2014 में जिस भाजपा के पास दो सीटें थीं वहां 2019 में भाजपा को बगाल में 18 सीटें मिली हैं। असल में बंगाल के मूल बंगाली भी समझ गए हैं कि ममता बनर्जी मोह की खातिर पश्चिम बंगाल को किस दिशा में ले जा रही है। लेकिन ममता बनर्जी अभी स्वयं को बंगाल का सबसे बड़ा नेता समझ रही हैं। जबकि मौजूदा हालातों में ममता की पकड़ ढीली होती जा रही है। यदि मूल बंगालियों पर पकड़ होती तो बंगाल के डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जाते। ममता बार बार कह रही है कि भाजपा के इशारे पर हड़ताल हो रही है। यानि बंगाल के डॉक्टर ममता का नहीं बल्कि भाजपा का कहना मानते हैं। देखा जाए तो ममता स्वयं भाजपा का राजनीतिक कद बढ़ा रही है। आठ वर्ष पहले बंंगाल में वामपंथी सरकार को उखाडऩे पर ममता को परिपक्व नेता माना गया, लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद तो ममता बनर्जी बचकानी हरकतें कर रही हैं।
एस.पी.मित्तल


भाजपा को मिले 80 लाख वोट ज्यादा


राजस्थान में लोकसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से 80 लाख वोट ज्यादा मिले। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को डेढ़ लाख वोट ज्यादा मिले थे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की दर्शनीय उपस्थिति।



 जयपुर! राजस्थान भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक जयपुर में तोतुका भवन में सम्पन्न हुई। इस बैठक में भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद भी उपस्थित रहे। केन्द्रीय संसदीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल दिल्ली में व्यस्त रहने की वजह से नहीं आए, लेकिन केबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और राज्यमंत्री कैलाश चौधरी पूरे उत्साह और उमंग के साथ उपस्थित रहे। बैठक की कमान प्रदेश संगठन मंत्री चन्द्रशेखर के हाथों में थी। लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटों पर जीत से चन्द्रशेखर भी उत्साहित थे। बैठक में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि लोकसभा का यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आजादी के बाद यह पहला अवसर रहा जब राजस्थान में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले में 80 लाख वोट ज्याद मिले हैं। इसका श्रेय कार्यकर्ताओं की मेहनत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा है। 80 लाख वोटों की जीत बताती है कि राजस्थान में भाजपा कितनी मजबूती के साथ खड़ी है। आंकड़े बताते हैं कि भाजपा को 200 में से 150 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली है। कटारिया जब पूरे उत्साह के साथ लोकसभा चुनाव के आंकड़े बता रहे थे, तब बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी उपस्थित थीं, लेकिन उनके चेहरे पर खुशी का कोईभाव नहीं था। सब जानते हैं कि पांच माह पहले विधानसभा का चुनाव भाजपा ने राजे के नेतृत्व में ही लड़ा था और भाजपा को हार का समना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले कांगे्रस को मात्र डेढ़ लाख मत ज्यादा मिले थे। विधानसभा चुनाव में डेढ़ लाख मतों की हार और लोकसभा चुनाव में 80 लाख मतों की जीत राजस्थान की राजनीति को बयां करती है। सवाल उठता है कि पांच माह में ऐसा क्या हो गया जो हार और जीत का इतना बड़ा अंतर रहा। असल में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वसुंधरा राजे का और लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने रखा। यदि विधानसभा चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने रखा। यदि विधानसभा चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने रखा जाता वो आज राजस्थान में भाजपा की सरकार होती। भाजपा के नेता माने या नहीं लेकिन विधानसभा चुनाव में सिर्फ वसुंधरा राजे की वजह से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश की जनता ने तो जनवरी 2018 में हुए अजमेर और अलवर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में ही इशारा कर दिया था, लेकिन वसुंधरा राजे और भाजपा के नेताओं के बुरी तरह हारने के बाद भी मतदाताओं का इशारा नहीं समझा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा को दोनों संसदीय क्षेत्रों के सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था।
राजे की दर्शनीय उपस्थिति:
इसे राजनीति और समय का चक्र ही कहा जाएगा कि जिन वसुंधरा राजे के बगैर राजस्थान में सरकार और संगठन में पत्ता भी नहीं हिलता था, उन्हीं वसुंधरा राजे की 16 जून को भाजपा को प्रदेश कार्य समिति की बैठक में दर्शनीय उपस्थिति रही। हालांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था, लेकिन राजे को मोह अभी भी प्रदेश की राजनीति से कम नहीं हुआ है। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव में राजे की कोई प्रभावी भूमिका नहीं थी। कुछ स्थानों को छोड़ कर राजे ने प्रदेशव्यापी दौरा भी नहीं किया। यदि 16 जून जैसे ही हालात रहे तो भाजपा की बैठकों में भी राजे की कोई प्रांसगिता नहीं रहेगी। जोधपुर से गजेन्द्र सिंह शेखावत, बाड़मेर से कैलाश चौधरी, बीकानेर से अर्जुन मेघवाल, राजसमंद से दीयाकुमारी आदि भाजपा उम्मीदवारों ने राजे की भूमिका के बारे में भाजपा के बड़े नेताओं को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है।
एस.पी.मित्तल


बसपा की बैठक संपन्न, करेंगे मंडल सम्मेलन

संवाददाता-विवेक चौबे


कांडी, गढ़वा ! प्रखंड के ढबरिया गांव में बहुजन समाज पार्टी की एक बैठक संपन्न हुई। जिसमें आगामी 1 जुलाई को डालटनगंज में आयोजित बसपा के जोनल स्तरीय सम्मेलन अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की रणनीति बनाई गई। बैठक को संबोधित करते हुए बसपा नेता राजन मेहता ने कहा कि पलामू व चतरा लोकसभा क्षेत्र को मिलाकर बसपा द्वारा एक जोनल स्तरीय सम्मेलन किया जा रहा है , सभी कार्यकर्ता अपनी जिम्मेवारी समझते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने की तैयारी करें। बैठक में लिए गये निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए बसपा नेता ने बताया कि पलामू व चतरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत जितने भी विधानसभा क्षेत्र है सभी पर बसपा चुनाव लड़ेगी व जीत दर्ज करेगी। बताया कि क्षेत्र में व्याप्त बिजली की समस्या और नीलगाय की समस्या सहित अन्य समस्याओं के लिए चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया। बताया कि बसपा का प्रखंड स्तर पर पुनर्गठन किया जा रहा है, उसी के तहत कांडी में नये कमीटी का चुनाव किया गया ,जिसमें सर्वसहमति से कांडी प्रखंड के लिए अध्यक्ष के रूप में श्रवण पासवान , महासचिव नन्द कुमार मेहता , उपाध्यक्ष राजन राम , सचिव बबलू खलिफा , उप सचिव संतोष कुमार राम , कोषाध्यक्ष कुंदन पासवान व मीडिया प्रभारी हनी सिंह को चुना गया। मौके पर रामनरेश मेहता, नागेंद्र मेहता , रामप्यारे मेहता , रामचंद्र मेहता, नंदु राम , लक्ष्मण मेहता सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।


सामाजिक स्वतंत्रता के विपरीत

हमीरपुर ! राकेश त्रिपाठी । प्यार , मोहब्बत और इश्क़ के ज्यादातर मामले अब रेप या शारीरिक शोषण के आरोपों में तब्दील होने लगे हैं । यह तब्दीली पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बन रही है और शासन के प्रति प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है ।उम्र के तक़ाज़े के साथ भावनाओं में वह उठाया गया क़दम,  आशिकों को आरोपी के रूप में कानून के कठघरे में खड़ा कर रहा है ।
आज़ कल नगर क्षेत्र , आस पास और दूर दराज़ के क्षेत्रों से रेप की घटनाओं की बाढ़-सी आ गई है । ऐसी खबरों से न केवल पुलिस प्रशासन की थू-थू हो रही है ! बल्कि शासन सत्ता के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं । इन खबरों से चारों ओर हाय-दईया मचा है । जब कि अंदरूनी सच कुछ और है । मीडिया भी अन्दर का सच न बताकर कौवा-कान ले गया की तर्ज पर नमक-मिर्च मिला कर इन खबरों के माध्यम से पुलिस और सत्ता की किरकिरी कर, वाह-वाही हासिल कर रहा है ।
पुलिस भी ऐसी घटनाओं का सच जानते हुए पीड़िता के बयान पर निर्दोष आरोपी के विरुद्द कार्यवाही करने को विवश है । कानून से यह पुलिस की लाचारी है ।
पुलिस में ऐसी घटनाओं की तहरीर देने के बाद मामले में सुलह हो जाने रिपोर्ट दर्ज न होना या कानूनी कार्रवाई के बाद पीड़िता का अदालत में बयान बदल देना सब कुछ स्पष्ट कर देता है । यौवन के जोश में इश्क़ से शुरुवात हुई संबंधों की कहानी उस समय मोड़ ले लेती है जब लालच या स्वार्थ की भावना युवक युवती में से किसी भी एक में आ जाती है । प्यार के खेल में भावनाओ में आकर बनाये गये फ़ोटो या वीडिओ ब्लैक मेलिंग का आधार बनते हैं । अथवा जब युगल में अनबन हो जाती है तो यह कार्रवाई बदले की भावना से होने लगती है । फ़िर पुलिस की मुसीबत और आशिक की आफत शुरू होती है । दो दिलों में उपजा प्यार या नादानी में उठाया गया क़दम किसी भी युवक को बलात्कारी बनाने के लिए पर्याप्त होता है ।
कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है । सो ऐसे मामलों में युवक के सहयोगी जब लपेट में आते हैं तो मामला गैंग रेप का हो जाता है । ऐसी कुछ घटनाओं में ऐसा भी प्रकाश में आया है कि प्रेमी प्रेमिका की भावनाओ में बेईमानी नहीँ थी लेकिन जब लड़की के परिजनों की संज्ञान में मामला आया तो उनकी नियत खराब हो गयी । लड़के ने मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी तो ठीक , नहीँ तो कटघरे में । लड़की बेचारी बेबस होकर वफ़ा नहीँ कर पाती ।


मैनहोल में उतरे दो मजदूरों की मौत

 मैनहोल में उतरे दो मजदूरों की जहरीली गैस से मौत, ठेकेदार फरार


 बरपेटा !फैजाबाद रोड स्थित डीपी बोरा पेट्रोल पंप के पास शनिवार को प्राइवेट सीवर लाइन में सफाई करने उतरे दो मजदूरों की मैनहोल में जहरीली गैस से दम घुटने से मौत हो गई। असोम के बरपेटा जिला, गांव बक्सा गोवर्धन निवासी रैबुल खान (17) और शहाबुद्दीन (34) डालीगंज में गोमती नदी के किनारे झुग्गी बस्ती में रहते थे। दोनों ठेकेदार तुमेज खान के साथ फैजाबाद रोड पर शनिवार सुबह 11 बजे से सीवर लाइन की सफाई कर रहे थे। दोनों अन्य मजदूरों के साथ सफाई करते हुए दोपहर 12 बजे के करीब डीपी बोरा पेट्रोल पंप के सामने पहुंचे। पहले रैबुल खान सफाई के लिए मैनहोल में उतरा और जहरीली गैस से बेहोश हो गया। उसे बचाने के लिए शहाबुद्दीन भी मैनहोल में उतरा। वह भी जहरीली गैस की चपेट में आ गया। घटना के बाद ठेकेदार भाग निकला।मौके पर पहुंचे दमकल और पुलिसकर्मी चार घंटे की मशक्कत के बावजूद दोनों मजदूरों को मैनहोल से बाहर नहीं निकाल सके। इसी दौरान उधर से गुजर रहे डालीगंज निवासी गोताखोर मोनू कश्यप की नजर पड़ी और उसने जान की परवाह किए बगैर शाम चार बजे के करीब रस्सी के सहारे सीवर लाइन में उतरकर दोनों को बाहर निकाला। इसके बाद दोनों को लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।मजदूरों के घरवालों ने आरोपित ठेकेदार समेत लापरवाही बरतने वाले अन्य लोगों के खिलाफ चिनहट कोतवाली में तहरीर दी है। इंस्पेक्टर चिनहट के मुताबिक मुकदमा दर्ज करके पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। रैबुल खान अपने भाई गुलाल खान के साथ रहता था। उसकी शादी नहीं हुई थी। शहाबुद्दीन के परिवार में पत्नी रोमिशा व दो बेटे जलालुद्दीन, कमालुद्दीन तथा एक बेटी शाहिदा है।


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...