पतंजलि की बिक्री में 10% गिरावट दर्ज
बाबा रामदेव पतंजलि को 'सिंहासन' तक पहुंचने का 'आसन' लगाए बैठे रहे! मगर कंपनी को 'शिथिलासन' लग गया! रामदेव बड़े-बड़े दावे करते रहे! वे कहते ही रह गए- 'हम मल्टीनेशनल कंपनियों को कपालभाती कराएंगे.' उलटे, उनकी पतंजलि ही भांति-भांति के भवजाल में फंस गई है! रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रामदेव के कमाई बढ़ाने के दांव बेअसर होते दिख रहे हैं! कंपनी की बिक्री में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है!
साल 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने! उसके बाद से पतंजलि स्वदेशी के सहारे अपने कारोबार को दिन दूनी- रात चौगुनी स्पीड से बढ़ा रही थी! उसके सस्ते प्रोडक्ट कंज्यूमर हाथों-हाथ ले रहे थे! मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए पतंजलि के नारियल तेल और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट चिंता का सबब बने हुए थे! मगर आज सब कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है!
क्या से क्या हो गया?
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक साल 2017 में रामदेव ने दावा किया, 'उनकी कंपनी के टर्नओवर के आंकड़े मल्टीनेशनल कंपनियों को कपालभाती करने को मजबूर कर देंगे! कपालभाती को एक मुश्किल योग माना जाता है! रामदेव का दावा था कि मार्च 2018 तक पतंजलि की बिक्री दोगुनी हो जाएगी! ये 20,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी. पर हुआ उल्टा! कंपनी की सालाना फाइनेंशियल रिपोर्ट बाबा रामदेव के होश उड़ाने के लिए काफी है! रामदेव के दावों के उलट पतंजलि की बिक्री 10 फीसदी घट गई है! कंपनी की सेल 10,000 करोड़ रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर से भी नीचे 8,100 करोड़ रुपए रह गई है! साल 2016-17 में कंपनी का कारोबार 11,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था!