सेहरे के गुलाब ताजपोशी को बेताब, किसकी किस्मत में होगा देश में राज ?
लोकसभा 2019 चुनाव के सभी चरणों के मतदान थमते ही और परिणाम के दिन क़रीब आते ही हर प्रत्याशी बोर्ड परीक्षार्थियों की तरह अपने अव्वल दर्जे से पास होने की दुवाएं मांग रहा है, तो कोई अपने जनसम्पर्क अभियान में मिले आश्वासन से अपनी जीत की गणना कर रहा है तो कोई जातिगत आंकड़ों को अपने खेमे में मानकर अपनी क्षमता का आंकलन कर रहा है। देखना यह है कि तीन प्रमुख पार्टियों में किसके सरदार के सर बंधेगा सियासत का ताज।
गौरतलब हो कि बाँदा-चित्रकूट लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास के सारे आंकड़े तोड़ते हुए इस लोकसभा क्षेत्र में पहली दफा ब्राह्मण को टिकट न देकर बैकवर्ड कैंडिडेट आरके सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाकर चुनावी रणभूमि में उतारा है। जिससे बाँदा चित्रकूट लोकसभा के मौजूदा सांसद रहे भैरो प्रसाद मिश्र खासा नाराज़ रहे और आरके पटेल की मुखालफत करते हुए पार्टी कार्यालय में धरना दिया और 24 घंटे तक हायतौबा मचाई, भैरों प्रसाद मिश्रा के टिकट कटने से ब्राह्मण समुदाय में खासा नाराज़गी रही लेकिन आहिस्ता आहिस्ता आरके पटेल ने मिन्नतो आरजू कर विशेष समुदाय के बीच जाकर इस घाव को भरा और काफी हद तक हाथ से फिसल रहे मतो को वापस अपनी झोली में भरने का काम किया है। फिलहाल भाजपा के प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय, उज्जवला और शौभाग्य योजना ग्रामीणों के लिए वरदान बनकर आई जो भाजपा के लिए मुफीद साबित होती दिखाई दे रही है साथ ही बाँदा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली चित्रकूट में अमित शाह की रैली ने भी मतदाताओ को ख़ासा लुभाने का काम भी किया है। वहीँ दूसरी तरफ गठबंधन भी किसी मायने में भाजपा के आगे कमज़ोर साबित नहीं हो रहा है। आपको बता दें कि बाँदा चित्रकूट लोकसभा प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता पहले भी सपा से इसी लोकसभा से सांसद रह चुके है और मौजूदा समय में चित्रकूट से इस अग्निपरीक्षा में शामिल हैं। मतदाताओ के मुताबिक़ गठबंधन के पास २ दलों की ताकते जुडी हुई है जिससे जीत का परचम उनके हाथ में आता दिखाई दे रहा है। मतदाताओ से हुई वार्ता में बताया कि अखिलेश यादव ने बतौर मुख्यमंत्री लैपटॉप देकर, गरीबो को खाद्यान देकर आज भी मतदाताओ को अपनी तरफ आकर्षित कर रखा है तो वहीँ बसपा सुप्रीमों और दलितों की मसीहा कही जाने वाली मायावती के प्रति दलित मतदाता आज भी जस का तस बना हुआ है हां ये ज़रूर है कि कई दलित अथवा बसपा समर्थक मतदान के दौरान यहाँ वहाँ ईवीएम में हाथी का चिन्ह ढूँढने बताये गये ऐसे में तमाम बसपा का मुरीद मतदाता इधर उधर भटकता रहा। दूसरी तरफ बात की जाए कांग्रेस प्रत्याशी की तो सपा से मिर्ज़ापुर सांसद रहे और बीहड़ से हर सरकारो को नचाने वाले दस्यु सम्राट ददुआ के भाई बालकुमार पटेल की तो इस लोकसभा चुनाव् में वो भाजपा प्रत्याशी आरके सिंह पटेल को ख़ासा टक्कर दे रहे हैं। दो प्रमुख पार्टियों से बैकवर्ड समुदाय में ख़ासा जनबल और पकड़ रखने वाले ये दोनों नेता बाँदा चित्रकूट की सियासत के बड़े चेहरे हैं जिसको मद्देनज़र रखते हुए यह दोनों नेता एक विशेष समुदाय के मतों का बटवारा कर अन्य को ख़ासा फायदा भी पहुचा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। 2014 लोकसभा चुनाव मेें उत्तर प्रदेश में भाजपा-सहयोगियों को मोदी लहर के कारण 73 सीटें मिली थीं। वहीं सपा को पांच, कांग्रेस को दो और बसपा का खाता तक नहीं खुल पाया था। यूपी में इस बार भाजपा-सहयोगियों और सपा-बसपा गठबंधन में जबरदस्त घमासान मचा है। सपा-बसपा ने चुनाव से ऐन पहले गठबंधन कर भाजपा की पूरी रणनीति को बिगाड़ दिया था तो वहीँ सपा-बसपा के साथ रालोद भी जुड़ गया। हालांकि कांग्रेस अलग थलग पड़ गई, लेकिन उसने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान देकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया। प्रियंका ने न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में कांग्रेस के लिए प्रचार व रोड शो किया जिसमें जबरदस्त भीड़ भी उमड़ी। फिलहाल लोकसभा चुनाव के मतदानो के चरण थमते ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया ने एग्जिट पोल की बारिश शुरू कर दी है जिसको देख्रते हुए क्रमवार अव्वल दर्जे में मोदी की लहर दिख रही है तो दुसरे पायदान में बुवा बबुवा का प्यार झलक रहा है तो वहीँ तीसरे पायदान में प्रियंका का ग्लैमर दिखाई दे रहा है। देखना यह है कि आगामी 23 मई को ईवीएम अलादीन का चिराग बनकर किसकी मनोकामना पूरी करेगी, यह 23 मई की ढलती शाम तय करेगी।