शनिवार, 13 अप्रैल 2019

राबड़ी के दावे पर प्रशांत किशोर का पलटवार


राबड़ी के दावे पर प्रशांत किशोर का पलटवार


बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने दावा किया कि चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने लालू से मुलाकात करके यह प्रस्ताव रखा था कि आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू का विलय हो जाए। अब प्रशांत किशोर ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने ट्वीट किया, 'सार्वजनिक कार्यालय के दुरुपयोग और धन के दुरुपयोग के आरोपों में दोषी पाए जाने वाले लोग सच्चाई के संरक्षक होने का दावा कर रहे हैं। लालू जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।इस पर तेजस्वी यादव ने कहा, 'मैं इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, नीतीश कुमार ने हमारे साथ वापस आने और सहयोगी बनने के कई प्रयास किए, उन्होंने कई अलग-अलग तरीकों की कोशिश की, वह भी एनडीए में लौटने के 6 महीने के भीतर।इस पर प्रशांत किशोर ने कहा था, 'तेजस्वी यादव आज भी लोगों के लिए आपकी पहचान और उपलब्धि बस इतनी है कि आप लालूजी के लड़के हैं। इसी एक वजह से पिता की अनुपस्थिति में आप आरजेडी के नेता हैं और नीतीशजी की सरकार में डिप्टी सीएम बनाए गए थे। पर सही मायनों में आपकी पहचान तब होगी, जब आप छोटा ही सही पर अपने दम पर कुछ करके दिखाएंगे।universalexpress.page


 


कांग्रेस ने एमपी सरकार को बनाया अपना एटीएम

कांग्रेस ने एमपी सरकार को बनाया अपना एटीएम


पीएम नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के थेनी में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। पीएम ने बाबा साहब अंबेदकर और जालियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और साथ ही कहा कि मैं महान एमजीआर और जयललिता को भी श्रद्धांजलि देता हूं। भारत को उन दो प्रतिष्ठित नेताओं पर गर्व है जिन्होंने गरीबों के लिए काम किया।उन्‍होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार कांग्रेस का एटीएम बन गई है। गरीबों और बच्चों के पैसे का इस्तेमाल चुनाव में किया जा रहा है। इसे तुगलक रोड घोटाले के रूप में जाना जाता है। उन्‍होंने कहा कि मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को कौन न्याय दिलाएगा, 1984 दंगों के शिकार लोगों को कौन न्याय दिलाएगा। आज डीएमके और कांग्रेस लोगों को गुमराह करने के लिए साथ आ गए हैं।पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। कांग्रेस, द्रमुक और उनके 'महामिलावटी' मित्र इसे स्वीकार नहीं कर सकते, इसलिए वे मुझसे नाखुश हैं। कुछ दिन पहले, डीएमके सुप्रीमो ने नामदार को प्रधान मंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया। लेकिन कोई इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं था। उनके महामिलावटी मित्र भी नहीं, क्योंकि वे सभी पीएम बनना चाहते हैं।universalexpress.page


 


नेहरू, इंदिरा को गाली देते हो और उन्हें की कॉपी करते हो: राज


नेहरू, इंदिरा को गाली देते हैं और उनकी ही कॉपी करते हैं: राज ठाकरे


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि 'प्रधान सेवक' शब्द सबसे पहले देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिया था। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने पीएम मोदी पर तंज कसे हुए यह भी कहा कि आप नेहरू और इंदिरा गांधी को गाली देते रहे, लेकिन आप अभी भी उनकी कॉपी करते हैं।राज ठाकरे ने कहा कि नई दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम में एक पट्टिका लगी हुई है, जिसपर पंडित नेहरू के हवाले से लिखा है। "इस देश की जनता हमें प्रधानमंत्री ना कहे, प्रथम सेवक कहे।" ठाकरे ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, "लेकिन उन्होंने (मोदी) सिर्फ 'प्रथम सेवक' को बदल कर 'प्रधान सेवक' कर दिया।"ठाकरे यहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले 56 दलों के महागठबंधन के लिए एक सभा को संबोधित कर रहे थे। राज ठाकरे ने कहा, "आप नेहरू और इंदिरा गांधी को गाली देते रहे, लेकिन आप अभी भी उनकी कॉपी करते हैं। पिछले पांच सालों के दौरान आपने हर मुद्दे पर सिर्फ झूठ बोला है।universalexpress.page


सुरक्षा को लेकर नर्सिंगहोम होम एवं हॉस्पिटल गंभीर नहीं

सुरक्षा को लेकर नर्सिंग होम व हाॅस्टिल गंभीर नहीं 
गाजियाबाद । जनपद में प्राइवेट नर्सिंग होम व हाॅस्पिटल उधोग में सभी के विषय में अग्नि सुरक्षा और संरक्षण का महत्व है ।
भारत में मरीजों की सुरक्षा के सवाल पर कोलकाता में शोक की लहर दौड़ गई थी । अस्पताल के कर्मचारियों के बीच सुरक्षा उपयोग की अनिश्चितता के कारण रोगियों और साथ ही 90 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी ।
यह संपूर्ण घटना सरकार के साथ- साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के लिए आँख खोलने वाली बन गयी ? इसके बावजूद
जनपद के नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों के प्रबंधक व संचालक प्रदेश व देश में आग की घटित घटनाओं से सबक नही लेते हुए मरीज, तिमारदार, कर्मचारियों के साथ जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं ।
राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने कहा है कि यदि नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में प्रबंधक व संचालकों द्वारा आपातकाल से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद में डाली जाएगी ।
जनपद में वर्षों से संचालित नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में प्रबंधक व संचालकों द्वारा उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा नियमावली व नेशनल बिल्डिंग आफ इंडिया- 2005 के अनुसार अग्नि शमन व्यवस्थाएँ पूर्ण नहीं है । जिन्हें पूर्ण करना नियमानुसार अनिवार्य है । नियमों का पालन कराना स्वास्थ्य विभाग एवं अग्नि शमन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है । जिसे न मालूम क्यों अधिकारीगण नहीं निभा रहे हैं ।
जब तक कोई भी प्रबंधक एवं संचालक अग्नि शमन विभाग से भवन अन्तिम अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना , भवन का स्वीकृत मानचित्र के साथ सम्पूर्ण प्रमाण- पत्र प्राप्त किये बिना नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों का संचालन एवं भवन का उपयोग नहीं किया जा सकता है । नर्सिंग होम एक्ट -2004 का भी नर्सिंग होम व हाॅस्टिल के प्रबंधक एवं संचालक पालन नहीं कर रहे हैं । स्वास्थ्य विभाग एवं अग्नि शमन अधिकारियों द्वारा नियमों को ताक पर रख कर निजी स्वार्थ के चलते अवैध रूप से नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों को बढ़ावा दे रहे हैं । जबकि यहाँ पर मरीजों का खुलकर तिमारदारों का शोषण व इलाज भी बहुत अधिक महंगा होता है ।
नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों के मानक पूरे न होते हुए भी सुविधा शुल्क के चक्कर में प्रति वर्ष इनका नवीनीकरण भी अवैध रूप से संबंधित विभाग के कर रहे हैं ? । स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य सामुदायिक केन्द्रों को बढ़ावा और दवाइयाँ एवं रोगों से संबंधित डाॅक्टरों की समुचित व्यवस्था करवानी चाहिए , जिससे आम व गरीब मरीज भी अपना इलाज बहुत कम पैसों में करा सके । जब कि प्राइवेट नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में इलाज में बहुत महंगा होता है और दवाइयाँ भी उनके ही मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ती हैं । यदि नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों वालों को इलाज के लिए मरीज का इंश्योरेंस कार्ड से सुविधा मिल जाये फिर तो उनकी बल्ले ही बल्ले है । मजबूर होकर ही गरीब आदमी अपना इलाज नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में करवाता है । यहाँ पर मरीजों से ओ पी डी में ही चार सौ रुपये से एक हजार रुपये तक वसूल कर लिये जाते हैं तथा दवाइयाँ रही अलग से ? इतना ही नहीं जो मरीज नर्सिंग नर्सिंग होम व हाॅस्पिटल भर्ती होता है तो प्राइवेट रूम को होटलों के रूमों से अधिक दरों पर दिये जाते हैं और जब उसे इलाज के उपरांत छुट्टी मिलती है तो उसके हाथ में बिल की जगह विवरण की शिल्प थमा दी जाती है । नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में इलाज के नाम पर मरीजों व तिमारदारों का खुलकर शोषण किया जाता है ।जनहित राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट मांग करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
सुरेश शर्मा, राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट, निकट छतरी वाला शिव मंदिर, अपर बाजार मोदीनगर, गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश ।


शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

अधिकारी सावधान नकली उंगली की जांच करें

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कांग्रेस ने जारी की प्रत्याशियों की एक और लिस्ट


कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की एक और लिस्ट


कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने सात उम्मीदवारों की एक और सूची जारी की है। इस लिस्ट में मध्य प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और बिहार के उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं।


पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को पंजाब के आनंदपुर साहिब से अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं पश्चिमी यूपी प्रभारी और कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की उनकी पारंपरिक सीट गुना से ही उम्मीदवार घोषित किया है।


इसके अलावा बिहार के वाल्मिकीनगर से शास्वत केदार, जम्मू-कश्मीर के लद्दाख से रिगजीन स्पलबर, मध्य प्रदेश के विदिशा से शैलेंद्र पटेल, मध्य प्रदेश के राजगढ़ से मोना सुस्तानी, पंजाब के आनंदपुर साहिब से मनीष तिवारी और पंजाब के संगरूर से केवल सिंह ढिल्लन को टिकट दिया गया है !universalexpress.page


चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को शाबाशी मिलनी चाहिए

चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को शाबाशी मिलनी चाहिए।
नई दिल्ली ! लोकसभा चुनाव में 91 संसदीय क्षेत्रों में छुटपुट घटनाओं को छोड़ कर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान सम्पन्न हो गया। 20 राज्यों की इन 91 सीटों में आतंक से ग्रस्त कश्मीर और नक्सलवाद से ग्रस्त राज्यों की सीटें भी शामिल थीं। देश में सात चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण रहा है तो क्या मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और उनकी टीम को शाबाशी नहीं मिलनी चाहिए? खेल का जैसे आगाज होता है समापन भी वैसा ही रहता है। सब जानते हैं कि इस विषम परिस्थितियों में लोकसभा का चुनाव हो रहा है। कोई भी दल जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, इसलिए मतदातन से पहले कुछ रिटायर नौकरशाहों ने एक बयान जारी कर चुनाव आयोग की निष्पाक्षता पर सवाल उठा दिए। अब जब पहले दौर का चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो गया तो ऐसे नौकरशाहों की आशंकाएं भी निर्मूल साबित हो गई। असल में एक विशेष विचारधारा के लोगों को समय समय पर देश में असहिष्णुता नजर आ जाती है। ऐसे लोगों के चेहरे बदल जाते हैं। कभी स्वयं को प्रगतिशील लेखक और बुद्धिजीवी मानने वाले लोग आगे आ जाते हैं तो कभी शाहरुख खान, सलमान खान, नसीरुद्दीन शाह जैसे फिल्मी कलाकार। जोड़ तोड़ कर अवार्ड हथियाने वाली गैंग भी अवार्ड लौटाने की धमकी देती है। कभी देश की सर्वोच्च अदालत पर हमला किया जाता है तो कभी चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने आरोपों की परवाह किए बगैर पहले चरण का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न करवा दिया और कोई आयुक्त होता तो शायद दबाव में आ जाता। झूठे आरोपों की वो व्यक्ति परवाह नहीं करता जो अपना काम ईमानदारी और बिना भेदभाव के करता है। सुनील अरोड़ा पश्चिम बंगाल में ममता दीदी की दादागिरी से भी नहीं डरे तो उन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दबाव भी नहीं देखा गया। आयोग ने बंगाल में निष्पक्ष चुनाव के लिए कई अफसरों को चुनाव ड्यूटी से हटाया तो दिल्ली में नमो टीवी पर राजनीति गतिविधियां की खबरों पर रोक लगाई। जबकि नमो टीवी तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह और केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के शह पर चल रहा है।
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बड़बोलेपन के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिख दिया तो अली और बजरंगी बली की बात कहने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी कर दिए। संविधान में चुनाव आयोग को जो अधिकार मिले हुए है उनका सुनील अरोड़ा भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। ईवीएम पर हाथ का बटन दबाने पर कमल के फूल को वोट जा रहा है तथा अंगुली की स्याही मिट रही है जैसी बकवासों का जवाब देने की जरुरत चुनाव आयोग को नहीं है। देश में असहिष्णुता देखने वाले मतदान से पहले सुप्रीम कोर्ट चले गए। ईवीएम के बजाए मतपत्रों से मतदान करवाने तथा कुल मतदान की पचास प्रतिशत वीवीपेट की पर्चियों का मिलान करवाने के कुतर्कों को कोर्ट ने नहीं माना। हालांकि अब एक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केन्द्र की पर्चियों का मिलान होगा। चुनाव आयोग की इतनी निष्पक्षता और पारदर्शिता के बाद भी बसपा प्रमुख को ईवीएम पर संदेह हो रहा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पहले दौर के मतदान में सपा-बसपा का गठबंधन बेकार हो गया है। इसी प्रकार ममता बनर्जी को भी बंगाल में हार नजर आ रही है। चुनाव आयोग की प्रभावी भूमिका इससे ज्यादा और क्या हो सकती है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फिल्म पर ही रोक लगा दी गई। अच्छा हो कि राजनीतिक दल निष्पक्ष चुनाव करवाने में चुनाव आयोग को सहयोग करें।
एस.पी.मित्तल


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...