गुरुवार, 15 जुलाई 2021
सिद्धू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने को तैयार संगठन
सौर तूफान किसी भी वक्त पृथ्वी से टकरा सकता हैं
ड्राइवर की पिटाई किए जाने से भीड़ में उबाल आया
विदेशी प्रतिनिधियों के मौजूद रहने की संभावना जारी
मछलियों से भरे ट्रॉलर के कैबिन में 9 शव मिलें
यूके: तीर्थ नगरी आने से रोकने के लिए कमर कसी
यूके: कोटद्वार रेंज में हुआ संघर्ष, 1 हाथी की मौंत
सैमसंग ने 3-डोर कंवर्टिबल फ्रेंच की नई रेंज लॉन्च की
जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों पर चिंता जताईं
सिल्वर स्क्रीन पर नजर आ सकती है गोतम की जोड़ी
विकास योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया
सेना के अड्डे के समीप 1 ड्रोन को मंडराता हुआ देखा
अगले महीने से 5 टेस्ट मैचों की श्रृंखला खेलेंगी टीम
जीका वायरस के प्रकोप वाला क्षेत्र चिह्नित किया
रिकॉर्ड: पेट्रोल में 35 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुईं
सरकार में हुए भ्रष्टाचार की परतें खुलने की शुरुआत
डोमिनिका में जमानत के बाद बारबुडा पहुंचा हीरा
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
बुधवार, 14 जुलाई 2021
अमेरिका ने चीन के कब्जे का दावा खारिज किया
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका ने एक बार फिर से दक्षिण चीन सागर पर चीन के कब्जे का दावा खारिज कर दिया है। अमेरिका ने इसको पूरी तरह से गैर कानूनी बताया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने साफ कहा है कि वो इस मुद्दे पर उन दक्षिण एशियाई देशों के साथ हैं। जो चीन की जबरदस्ती के खिलाफ हैं। एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशंस (आसियान) सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक के दौरान उन्होंने ये बात कही है।
ब्लिंकन ने ये भी कहा है कि म्यांमार के खराब होते हालात को लेकर अमेरिका काफी चिंतित है। अमेरिका ने इस बैठक के दौरान आसियान देशों से इसके खिलाफ कार्रवाई करने की भी अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि म्यांमार में फैली हिंसा को रोकने और वहां पर दोबारा लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने के लिए सभी देशों को काम करना चाहिए।
अमेरिका में जो बाइडन की सरकार आने के बाद से आसियान सदस्य देशों के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री की ये पहली बैठक थी। इस बैठक में ब्लिंकन की मौजूदगी इसलिए भी खास थी, क्योंकि माना जा रहा था कि अमेरिका ने इस क्षेत्र से पूरी तरफ से मुंह फेर लिया है और वो इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। कूटनीतिक स्तर पर चीन की बढ़ती ताकत और अमेरका की बेरुखी जैसे विचारों को बल मिल रहा था। आपको बता दें कि म्यांमार में फरवरी में हुए तख्तापलट के बाद से ही आसियान यहां पर अपने प्रभाव के जरिए हालात को सही करने की दिशा में प्रयास कर रहा है।
आईएसपीआर ने 2 सैनिकों की मौत पर पुष्टि की
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी अब उसी को बड़ा जख्म दे रहे हैं। इमरान खान के गृह राज्य खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी हमले में पाकिस्तानी सेना के 11 जवानों के मारे जाने की खबर है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों ने कई लोगों को बंधक भी बनाया है। जिसमें पाकिस्तानी सेना के जवान भी शामिल हैं। हालांकि, पाकिस्तान सेना की मीडिया विंग डीजी आईएसपीआर ने केवल दो सैनिकों के मौत की ही पुष्टि की है।
आईएसपीआर की बयान में बताया गया है कि पाकिस्तानी सेना ने खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद सर्च ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। जिसमें तीन आतंकी मारे गए, जबकि पाकिस्तानी सेना का एक कैप्टन अब्दुल बासित और सिपाही हजरत बिलाल की मौत हो गई। पाकिस्तानी सेना ने इलाके में मौजूद दूसरे आतंकियों के खात्मे के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया है। पिछले महीने इसी राज्य के जिला होशब के शापक के पास एम-8 पर आतंकियों के हमले में फ्रंटियर कोर बलूचिस्तान का एक जवान मारा गया था। इसके अलावा 25 जून को बलूचिस्तान के सिबी में आतंकवादियों के हमले में फ्रंटियर कोर के पांच जवानों की मौत हुई थी।
जुलाई के शुरुआत में ही आतंकियों ने दो हमलों में पाकिस्तानी सेना के पांच जवानों को मार गिराया था। पहला हमला अफगानिस्तान के अंदर से आतंकवादियों ने उत्तरी वजीरिस्तान कबायली जिले के द्वातोई इलाके में एक सैन्य चौकी पर किया था। इस हमले में पाकिस्तानी सेना के दो जवान 43 साल के हवलदार सलीम और 35 साल के लांस नायक परवेज मारे गए थे। जबकि दूसरा हमला, दक्षिण वजीरिस्तान कबायली जिले के तिआर्जा तहसील के न्यू कला में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर किया गया था।
इस हमले में तीन जवान मारे गए थे जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। इस्लामाबाद लगातार काबुल से अपनी तरफ प्रभावी सीमा नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कहता रहा है। दिखावे के लिए पाकिस्तान ने कहा कि वह आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती के लगातार इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता है। जबकि, पूरी दुनिया यह सच्चाई जानती है कि अफगानिस्तान के आतंकियों को पालने-पोसने में पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है।
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