शुक्रवार, 7 मई 2021

यूपी को वैक्सीन प्रूफ करने में जुटे हुएं सीएम योगी

हरिओम उपाध्याय               
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को वैक्सीन प्रूफ करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुटे हुए हैं। उनकी सरकार का दावा है कि अब कोरोना की वैक्सीन में कोई कमी नहीं होगी। सभी प्रदेशवासियों को आराम से इसकी खुराक उपलब्ध करा दी जाएगी। प्रदेश में वैक्सीन की कमी न हो इसके लिए निर्माताओं के हाथ में सरकार ने एडवांस में करोड़ों रुपये थमा दिया है। 
 गुरुवार को अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि योगी सरकार वैक्सीन निर्माताओं को 20 करोड़ रुपये एडवांस दे दिया है। उन्होंने समय पर वैक्सीन उपलब्ध कराने को कहा है। वहीं, कहा कि वैक्सीन की 40 मिलियन डोज के लिये यूपी सरकार पहले ही ग्लोबल टेंडर जारी कर चुकी है। 21 मई को टेंडर भरने की अंतिम तिथि घोषित की है।
 उन्होंने बताया कि अगले हफ्ते तक प्रदेश में एक करोड़ वैक्सीन आ जाएंगी। वैक्सीन की उपलब्धता बनाए रखने पर सरकार का पूरा जोर है। अभियान में किसी प्रकार की कमी न होने पाए इसके लिये सरकार ने पूरी ताकत लगा रखी है। बताया कि यूपी में 01 मई से वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू हो चुका है। तीसरे चरण में 18 से 44 वर्ष के लोगों का वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार वैक्सीन का दूसरा डोज देने का कार्य भी युद्ध स्तर पर कर रही है।
 उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी स्वयं बीमारी की रोकथाम के लिये की गई व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे हैं। अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी बराबर जारी किये जा रहे हैं। 

संक्रमितों का निशुल्क इलाज, नई योजना लागू होगीं

सौरभ शर्मा             
भोपाल। मध्‍य प्रदेश में कोरोना मरीजों के निःशुल्क इलाज़ के लिए नई योजना लागू होगी। यह इसलिए किया जा रहा है। क्‍योंकि गरीबों को निजी अस्‍पतालों में स्‍वास्‍थ्‍य लाभ नहीं मिल पा रहा। इसलिए प्रदेश के आम व्‍यक्‍ति के जीवन का मूल्‍य समझते हुए राज्‍य की शिवराज सरकार ये बड़ा निर्णय लेने जा रही है। इसके संकेत गुरुवार को स्‍वयं मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। 
 चौहान ने कहा कि प्रदेश में कोरोना मरीजों के निःशुल्क इलाज़ के लिए नई योजना लागू की जा रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश के गरीब एवं आम आदमी को जहां तक मध्यम वर्गीय व्यक्ति को भी कोरोना का निःशुल्क इलाज अनुबंधित निजी अस्पतालों में मिल सकेगा। योजना के क्रियान्वयन के लिए आयुष्मान भारत योजना पर निजी अस्पतालों को राज्य सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाएगा। सरकार कुछ बड़े अस्पताल छोड़कर निजी अस्पतालों को कोविड इलाज़ के लिए अनुबंधित करेगी।
 मुख्यमंत्री चौहान गुरुवार को अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना नियंत्रण कोर ग्रुप की बैठक ले रहे थे। बैठक में संबंधित मंत्रीगण, अधिकारीगण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थिति हुए। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में अभी तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत दो करोड़ 42 लाख कार्ड बनाए गए हैं, जिससे 88 प्रतिशत जनसंख्या कवर्ड हो रही है। इन सभी को शासन द्वारा अनुबंधित अस्पतालों में कोरोना का निःशुल्क इलाज़ मिल सकेगा। 
 शिवराज ने कहा कि योजना के अंतर्गत सिटी स्कैन आदि जांचें भी नि:शुल्क होंगी तथा दवाएं, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन आदि भी निःशुल्क मिलेंगे। उन्‍होंने निर्देश दिए कि वैक्सीन की उपलब्धता अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का वैक्सीनेशन निरंतर चलता रहे। 45 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों का वैक्सीनेशन भी पूर्व अनुसार जारी रहे। इसके अलावा बैठक में बताया गया है कि ज़िलों में अस्पतालों से कोरोना के मरीज़ों के बड़ी संख्या में स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने से बिस्तरों की उपलब्धता बढ़ी है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री चौहान ने सभी जिलों के अस्‍पतालों एवं कोविड केयर सेंटर में आईसीयू बेड्स बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं।

शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैडिंग हुईं

 अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। नागपुर से हैदराबाद जाने वाली नॉन-शेड्यूल फ्लाइट में तकनीकी खराबी आने के बाद गुरुवार रात सवा नौ बजे मुंबई के छत्रपती शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैडिंग हुई। विमान सेवा क्षेत्र में सेवारत मंदार भारदे की अगुवाई में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। 
 जानकारी के मुताबिक विझक्रॉफ्ट कंपनी के जेट सेर्वे एविएशन द्वारा संचालित सी-90 वीटी-जेआईएल फ्लाइट ने गुरुवार शाम को हैदराबाद के लिए उड़ान भरी थी। नागपुर एयरपोर्ट से टेकऑफ के दौरान हवाई जहाज का अगला पहिया अलग हो गया। ऐसी स्थिति में हवाई जहाज की इमरजेंसी लैंडिग करनी होती है।
 फ्लाइट के पायलट केसरी सिंग ने इस बारे में कंट्रोल रूम को सूचित किया जिसके तुरंत बाद हवाई जहाज को मुंबई की ओर मोड़ा गया लेकिन इमरजेंसी लैडिंग के वक्त फ्लाइट हलका होना जरूरी होता है। नतीजतन इस फ्लाइट को लगभग एक घंटे तक हवा में घुमाया गया। इसके बाद जब पेट्रोल खत्म होने की कगार पर था तब पायलट ने लैंडिंग गियर का उपयोग किए बिना 'बेली लैंडिंग' का प्रयास किया। इस दौरान आग से बचाव के लिए फोम को रनवे पर रखा गया था। मंदार भारदे के मार्गदर्शन में हुए इस ऑपरेशन में हवाई जहाज को सफलतापूर्वक उतारा गया।

कोरोना की दूसरी लहर के बाद नई बिमारी, शिकार

गांधीनगर। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीज ठीक होने के बाद एक नई बिमारी का तेजी से शिकार हो रहे हैं। जिसके चलते समय पर इलाज न होने पर मरीजों की आंख निकालनी पड़ रही है या फिर उनकी मौत हो रही हैं। इस बीमारी का नाम मिकोर माइकोसिस है। सूरत में 15 दिन के भीतर ऐसे 40 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनमें 8 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं।
एक तरफ गुजरात के सूरत में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर मचा रखा है और मरीज बेड-वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ रहे थे। अब लोगों को एक नई बीमारी का भी शिकार होना पड़ रह है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि समय पर इसका इलाज न होने पर मरीज की आंख निकालनी पड़ती या उसकी मौत हो जाती है। इस नई बीमारी का नाम मिकोर माइकोसिस बताया जा रहा है।

उत्तराखंड: पौड़ी के 1 गांव में 30 लोग संक्रमित मिलें

 पंकज कपूर            
देहरादून। कोरोना संक्रमण उत्तराखंड के गांवों में भी कहर बरपा रहा है। पौड़ी जिले के एक गांव में गुरुवार को 30 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिले के छोटे से गांव में कोरोना विस्फोट के बाद हड़कंप मच गय  है। बता दें कि जयहरीखाल क्षेत्र के बंदून गांव में सिर्फ 45 लोग निवास करते हैं।
इतनी बड़ी संख्या में एक ही जगह कोरोना संक्रमितों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग की टीम अन्य ग्रामीणों के नमूने लेने में जुट गई हैं। सतपुली की तहसीलदार सुधा डोभाल ने बताया कि ग्रामीणों के पिछले कुछ दिन से बीमार चलने की सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन मई को जांच के लिए उनके नमूने लिए गए थे।

भारतीय सेना ने 2 फील्ड अस्पतालों को पटना पहुंचाया

 अविनाश श्रीवास्तव                    
 पटना। बिहार में बढ़ते कोविड केसों को देखते हुए भारतीय सेना ने नॉर्थ ईस्ट के 2 फील्ड अस्पतालों को हवाई जहाज से पटना पहुंचा दिया है। इनमें चिकित्सा विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, नर्सिंग और सहायक कर्मचारी हैं जो 100 आईसीयू बेड सहित ईएसआई, पटना में 500 बेड वाले अस्पताल की स्थापना में सहयोग देंगे।अगले दो दिनों में भारतीय सेना यहां हवाई मार्ग से और सुविधाएं बढ़ाएगी। 
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय सेना ने बिहार में कोविड मामलों की वृद्धि को देखते हुए राज्य सरकार की सहायता के लिए उत्तर-पूर्व के दो फील्ड अस्पताल हवाई जहाज से पटना पहुंचा दिए हैं। इन फील्ड अस्पतालों में चिकित्सा विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, नर्सिंग और सहायक कर्मचारी शामिल हैं। यह मेडिकल टीम ईएसआई पटना में 100 आईसीयू बेड सहित 500 बेड वाले अस्पताल की स्थापना में सहयोग करेगी। अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की ताकत बढ़ाने के लिए अतिरिक्त विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, नर्सिंग स्टाफ के साथ-साथ प्रशिक्षित इन्फैंट्री बैटलफील्ड नर्सिंग असिस्टेंट को अगले दो दिनों में हवाई मार्ग से भेजा जा सकता है।
 ​प्रवक्ता का कहना है कि भारतीय सेना राष्ट्रीय स्तर पर कोविड रिस्पांस में सबसे आगे रही है। एक ओर सेना ने अपने सैन्य बल को कोविड से बचाए रखा है। पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित की है। सेना ने सिविल अधिकारियों की सहायता के लिए दिल्ली, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी और पटना के उन पांच कोविड अस्पतालों में काफी चिकित्सा संसाधन भी तैनात किए हैं। जो इन शहरों में या तो पहले से कार्यरत हैं या स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं। इसीलिए एक महानिदेशक रैंक के अधिकारी के तहत विशेष कोविड प्रबंधन प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। जो सीधे वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को रिपोर्ट करेंगे।
 इससे दिल्ली समेत देश भर में कोविड मामलों में बेहद तेज़ी से हो रही वृद्धि को कम करने के लिए रीयल टाइम प्रतिक्रियाओं के समन्वय में अधिक दक्षता आएगी। दिल्ली में परीक्षण, सैन्य अस्पतालों में प्रवेश और महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के परिवहन आदि के रूप में नागरिक प्रशासन को सहायता पहले से ही प्रदान की जा रही है। भारतीय सेना कोविड महामारी से लड़ने में राष्ट्रीय प्रयासों में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध है।

एचसी के सभी चीफ जस्टिस से बात करूंगा: रमना

 अकांशु उपाध्याय               
नई दिल्ली। देश की अलग-अलग जेलों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने कहा कि मैं कल हाई कोर्ट के सभी चीफ जस्टिस से बात करूंगा और उनसे हाई पॉवर कमेटी बनाने के लिए कहूंगा।
दरअसल, पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने जेल में कोरोना के मामले को देखने और उसी हिसाब से कैदियों को पेरोल या जमानत पर रिहा करने के लिए सभी हाई कोर्ट को एक हाई पॉवर कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया था।  इस बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासतौर पर जिन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, वहां कोरोना विस्फोट का खतरा है।

सगे पिता के दुष्कर्म सहती रहींं दो नाबालिग बहनें

धर्मपुर। सगे पिता के दुष्कर्म सहती रहींं दो नाबालिग बहनें। फिर पिता की नियत तीसरी नाबालिग बेटी पर हुई खराब तो तीसरी को बचाने के किया येमंडी। दो नाबालिग बहनें काफी लंबे समय तक अपने पिता की हवस का शिकार होती रही। जब इन दोनों के बाद पिता की नजरें अपनी तीसरी बेटी पर टिक गई तो उसे बचाने के लिए दोनों ने हिम्मत दिखाकर अपना मुंह खोला और चाइल्डलाइन के माध्यम से मदद मांगकर पुलिस तक अपनी बात पहुंचाई। दिल झकझोर कर रख देने वाला यह मामला सामने आया है। मंडीजिला के धर्मपुर थाना क्षेत्र के तहत।
क्षेत्र के एक सरकारी विभाग में कार्यरत कर्मचारी अपनी तीन बेटियों और एक बेटे के साथ रहता है। पत्नी के साथ कुछ समय से पारिवारिक विवाद चल रहा है जिस कारण पत्नी अलग रहती है। चाइल्ड लाईन के माध्यम से पुलिस को दी शिकायत में दो बेटियों ने बताया कि उनके पिता ने कई बार उनके साथ दुराचार किया। खर्च न देने के नाम पर डराया और धमकाया।

दिल्ली से दो पर्यवेक्षकों को असम भेजनें का ऐलान

गुवाहाटी। असम विधानसभा चुनाव में गठबंधन दलों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यमंत्री के चयन को लेकर आपसी खींचतान में फंसी हुई है। मतगणना के 6 दिन बाद भी भाजपा अपने मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं कर पा रही है। समय बीतने के साथ भाजपा दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। पार्टी ने  मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए दिल्ली से दो पर्यवेक्षकों को असम भेजने का ऐलान किया है। लेकिन अभी तक पर्यवेक्षक असम नहीं पहुंचे हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय स्तर पर भाजपा ने मुख्य रूप से अपने वर्तमान मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चेहरे के साथ ही तेजतर्रार और कद्दावर नेता डॉ हिमंत विश्वशर्मा को सामने रखकर प्रचार किया। चुनाव के आरंभ से ही स्थिति साफ होने लगी थी कि भाजपा एक बार फिर विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बिना ही चुनाव मैदान में उतरेगी। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर पार्टी सवालों को पूरे चुनाव टालती रही। मतगणना के बाद भी पार्टी की स्थिति कमोबेश यही कायम है।
ऐसे में कयासों का बाजार गर्म होने लगा है कि भाजपा इस बार असम में अपने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल सकती है। पार्टी में साफ तौर पर सोनोवाल और डॉ विश्वशर्मा के दो धड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि भाजपा का कोई शीर्ष नेता हो या अन्य नेता, कोई भी इस बात को कहने के लिए तैयार नहीं है कि राज्य की कमान किसके हाथों में सौंपी जाएगी। सभी नेता सिर्फ एक ही बात कहते नजर आ रहे हैं पार्टी की केंद्रीय कमेटी जो निर्णय लेगी, उसको सभी स्वीकार करेंगे।
अंदरूनी तौर पर देखा जाए तो चुने हुए विधायक कहीं न कहीं दो खेमों में बंटे नजर आ रहे हैं। भाजपा से जुड़े कुछ संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने इशारों-इशारों में इस बात का संकेत किया है कि संभवतः राज्य की कमान इस बार डॉ. हिमंत विश्वशर्मा को सौंपी जा सकती है। इसके लिए पार्टी के अंदर एकराय बनती नजर आ रही है। जबकि सर्वानंद सोनोवाल को फिर से केंद्रीय कैबिनेट में स्थान दिया जा सकता है। हालांकि खुले तौर पर इस बात को कोई कहने के लिए तैयार नहीं है। वैसे दूसरी ओर सर्वानंद सोनवाल ने भी मुख्यमंत्री की गद्दी की लड़ाई को अभी तक छोड़ा नहीं है। चुनाव नतीजे आने के बाद भी अभी तक पुरानी सरकार भंग नहीं हुई है। अमूमन चुनाव परिणाम आने के दिन या दूसरे दिन पुरानी सरकारी इस्तीफा दे दिया करती है। 
न सिर्फ राज्य की जनता में बल्कि, भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी नए मुख्यमंत्री की घोषणा को लेकर काफी उत्सुकता दिखाई दे रही है। इधर, गैर-भाजपा दलों में भी इस बात की उत्सुकता बनी हुई है कि सोनोवाल और डॉ विश्वशर्मा के बीच आखिर मुख्यमंत्री का उम्मीदवार पार्टी द्वारा कौन बनाया जाता है।
कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीपीएफ आदि दलों में भी तोड़फोड़ को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। विपक्षी दलों के बीच ऐसी आशंकाएं देखी जा रही है कि कहीं मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायकों की संख्या दिखाने के लिए उनकी पार्टियों में तोड़फोड़ हो सकती है।
अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पूर्व विपक्षी दलों के कई विधायकों को चुनाव में टिकट प्राप्त करने और फिर चुनाव खर्च के लिए भाजपा नेताओं द्वारा सहायता दी गई थी। वहीं, नई बनने वाली सरकार में अच्छे पद का लोभ देकर विपक्षी विधायकों को तोड़े जाने की संभावना से कोई भी इनकार नहीं कर रहा है।

इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि असम की राजनीति में ऊपरी असम और निचले असम को लेकर हमेशा ही प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। राज्य के  प्राख्यात कांग्रेस नेता डॉ भूमिधर बर्मन तथा सैयदा अनवरा तैमूर के अलावे आज तक निचले असम का कोई भी नेता मुख्यमंत्री नहीं बन सका। ऊपरी असम की एक लॉबी है जो फिर से सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाने पर तुली हुई हैं। जबकि, पार्टी के अंदर और विधायकों के बीच डॉ. विश्वशर्मा अधिक लोकप्रिय हैं। राज्य की जनता के बीच भी सोनोवाल हिमंत की तुलना में अधिक लोकप्रिय नहीं हैं। यही वजह है कि उनके मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी भाजपा द्वारा बगैर मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव लड़ा गया। 
चुनाव के लिए आर्थिक प्रबंधन से लेकर टिकटों के बंटवारे तथा अन्य दलों के साथ गठबधन के मुद्दे पर सोनोवाल के मुकाबले भाजपा द्वारा हिमंत को अधिक तरजीह दी गयी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के मुद्दे पर डॉ. विश्वशर्मा की राहों में सोनोवाल खेमा द्वारा यह कहकर रोड़ा अटकाया जा रहा है कि पार्टी के प्रति हिमंत की वफादारी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जिस कांग्रेस पार्टी ने हिमंत को अपना सर्वेसर्वा बना रखा था, वहीं हिमंत कांग्रेस को दगा दे गए। हिमंत के इस चरित्र से भाजपा को सावधान रहना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर हिमंत के पक्ष में पार्टी के लोगों का यह कहना है कि हिमंत ने कांग्रेस को अपना सब कुछ दिया था, बावजूद इसके जब कांग्रेस ने उन्हें अपमानित करना शुरू कर दिया तब उन्होंने कांग्रेस को सबक सिखाए। अन्यथा दोबारा और फिर तीसरी बार कांग्रेस को सत्ता में लाने का श्रेय हिमंत को ही जाता ।
पार्टी से बगावत सोनोवाल ने भी किया था। असम गण परिषद ने सोनोवाल को जमीन से उठा कर सीधे सांसद बना दिया था। पार्टी में उन्हें अपमानित भी नहीं किया। बावजूद इसके जब पार्टी के लिए कुछ करने का समय आया तो सोनोवाल भाजपा में आ गए।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में यदि पार्टी के प्रति वफादारी की कसौटी पर कसा जाए तो असम ही नहीं, पूर्वोत्तर में भाजपा के नेताओं की संख्या नगण्य हो जाएगी। आज की राजनीति में वही शामिल होते हैं, जिनकी कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं होती हैं। ऐसे में यदि राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए नेता दल-बदल करते हैं तो देश की जनता उन्हें नकारती नहीं है। यह बात देश में अनेक बार साबित हो चुकी है। ऐसे में इस आधार पर हिमंत को भाजपा दरकिनार नहीं कर सकती है। विभिन्न तरीके से पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चल रही है। पार्टी के कार्यकर्ता मानते हैं कि शीघ्र ही पार्टी नए मुख्यमंत्री की घोषणा कर देगी।

स्टालिन ने तमिलनाडु के सीएम पद की शपथ लीं

 चेन्नई। एम के स्टालिन ने आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। स्टालिन ने पहली बार मुख्यमंत्री बनें हैं। स्टालिन ने अपना कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले कोरोना राहत के रूप में हर परिवार को 4,000 रुपये प्रदान करने के आदेश पर हस्ताक्षर        किए।  2,000 रुपये की पहली किस्त मई महीने में दी जाएगी। सीएम स्टालिन ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार सभी स्टेट गवर्नमेंट इंश्योरेंश कार्डहोल्डर्स का निजी अस्पतालों में कोरोना संबंधित उपचार का खर्च वहन करेगी।
15 सदस्य पहली बार बनें मंत्री...
स्टालिन के मंत्रिमंडल में उनके साथ 33 सदस्य शामिल किए गए गए हैं। इन 33 सदस्यों में 15 पहली बार मंत्री    बनें हैं। वहीं, स्टालिन ने दपरईमुरुगन जैसे वरिष्ठ नेताओं को इस मंत्रिमंडल में बरकरार रखा है।आपको बता दें।कि द्रमुक के नेता व पार्टी सचिव दपरईमुरुगन जल संसाधन मंत्री होंगे। इससे पहले वाली सरकार 2006-11 में वो लोक निर्माण मंत्री के पद पर थे। स्टालिन खुद गृह के अलावा सार्वजनिक व सामान्य प्रशासन समेत अखिल भारतीय सेवाएं और अन्य विभाग संभालेंगे।

बंगाल: सेंट्रल फोर्स के जवानों के प्रवेश पर लगाईं रोक

कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में सेंट्रल फोर्स के जवानों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा के सचिव ने इस बाबत से आदेश जारी किया है। 
ज्ञातव्य है कि भाजपा के नवनिर्वाचित कई विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा प्राप्त हैं। अब उन विधायकों के साथ विधानसभा परिसर में केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान प्रवेश नहीं कर पाएंगे। गुरुवार को नंदीग्राम से नवनिर्वाचित भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेने पहुंचे थे। उस समय उनकी सुरक्षा में तैनात सेंट्रल फोर्स के जवानों का पत्रकारों और फोटोग्राफों के साथ धक्का-मुक्की हुई थी। उसके मद्देनजर ही विधानसभा सचिवालय ने शुक्रवार को आदेश जारी कर केंद्रीय सुरक्षा बलों के विधानसभा परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इस बावत विधानसभा के गेट पर नोटिस‌ चस्पा किया गया है।

किस्त में 17 राज्यों को ₹9,871 करोड़ जारी किए

  अकांंशु उपाध्याय               
 नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों को आर्थिक मदद देने के लिए राजस्व घाटा अनुदान की दूसरी किस्त जारी कर दी है। इस दूसरी किस्त में 17 राज्यों को 9,871 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। ये जानकारी वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में दी गई है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर चल रही देशव्यापी कोशिश में केंद्र सरकार राज्य सरकारों को हर संभव तरीके से मदद करने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश के तहत वित्त मंत्रालय ने मई के महीने में राजस्व घाटा अनुदान की दूसरी किस्त जारी की है। इससे पहले अप्रैल के महीने में भी सरकार ने राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान की पहली किस्त जारी की थी। दो किस्तों में अभी तक केंद्र सरकार राज्यों को कुल 19,472 करोड़ रुपये की राशि राजस्व घाटा अनुदान के रूप में जारी कर चुकी है।
 केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी देने के बाद राजस्व खाते में जो अंतर रह जाता है, उसे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों को राजस्व घाटा अनुदान देती है। राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत वित्त आयोग की ओर से की जाती है। उल्लेखनीय है कि 15वें वित्त आयोग ने देश के 17 राज्यों को राजस्व घाटा पूरा करने के लिए तत्संबंधी अनुदान देने की सिफारिश की थी। 
 राजस्व घाटा अनुदान की दूसरी किस्त जारी करने के पहले केंद्र सरकार 1 मई को राज्यों को आपदा कोष के तहत भी केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त के रूप में 8,873.6 करोड़ रुपये की राशि जारी कर चुकी है। इस राशि को जारी करते वक्त केंद्र सरकार ने साफ कर दिया था कि आपदा कोष के तहत दी जाने वाली राशि का 50 फीसदी यानी 4,436.8 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल कोरोना संक्रमण के रोकथाम में किया जा सकेगा। राज्यों को आपदा कोष की ये राशि केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर जारी की गई थी। 
 उल्लेखनीय है कि आपदा कोष के तहत केंद्र सरकार की ओर से आमतौर पर जून महीने में राशि का आवंटन किया जाता है लेकिन देशव्यापी कोरोना संकट को देखते हुए इस साल ये राशि समय से पहले ही जारी कर दी गई है। आपदा कोष की राशि के आधे हिस्से का इस्तेमाल राज्य सरकार अपने अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने, वेंटिलेटर की व्यवस्था करने, एयर प्यूरीफायर लगाने, एंबुलेंस सेवा को मजबूत करने और कोविड केयर सेंटर तैयार करने में कर सकती है। 

सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की

राणा ओबराय                 
गुरुग्राम। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत कर दी है। लेकिन आधी-अधूरी तैयारियों की वजह से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। 18 साल से ज्याजा उम्र के युवाओं के साथ साथ 45 साल की उम्र से ज्यादा तक के नागरिक पीएचसी सेंटर और निजी अस्पतालों में भटकने को मजबूर हैं। सेक्टर-31 पीएचसी सेंटर्स वैक्सीन नहीं होने की वजह से लोग घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं। नागरिकों ने कहा कि वो 3 घंटे से लाइन में खड़े हैं। जब उनकी बारी आई तो पता चला कि वैक्सीन खत्म हो गई है। अस्पताल और पीएचसी सेंटर में वैक्सीन लगवाने के लिए नागरिकों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन कोरोना वैक्सीन की कमी की वजह से लोगों काफी परेशानी हो रही है। इस मामले में पीएचसी सेंटर इंचार्ज नीता गठवाल की माने तो लगातार हो रही मौतों से लोगों में डर का माहौल है। जिसके कारण वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन के लिए अधिकारियों को लिख दिया है। जल्द ही कमी पूरी हो जाएगी।

एचसी ने दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने राजधानी के स्वास्थ्य ढांचे को लेकर गुरुवार को दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी की इस परीक्षा की घड़ी में राजधानी में वर्तमान स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि राजधानी के जो भी निवासी कोविड-19 से पीड़ित हैं, उन्हें इलाज की सुविधा मुहैया कराएं।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि सरकार अगर यह कह रही है कि स्वास्थ्य ढांचा चरमराया नहीं है तो वह शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रही है जो संकट के समय अपना सिर रेत में धंसा लेता है। बेंच ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा से कहा कि आप रेत में सिर धंसाए शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं। जब आप इस स्थिति का बचाव कर रहे हैं तो आप राजनीति से ऊपर नहीं उठ रहे हैं। हम हमेशा सच कहेंगे चाहे वह कितना भी कड़वा क्यों नहीं हो। मेहरा ने बेंच के समक्ष कहा था कि वह यह नहीं कह सकते हैं कि स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास कई पहल हैं जैसे बेड्स की संख्या 15 हजार तक बढ़ाना और आईसीयू बेड्स की संख्या 1200 बढ़ाना। ये सब पाइपलाइन में हैं और अब ऑक्सीजन की आपूर्ति भी हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ ऑक्सीजन की बात नहीं है। क्या ऑक्सीजन पर्याप्त है? क्या आपके पास ऑक्सीजन है तो आपके पास सब कुछ है? बेंच ने कहा कि पाइपलाइन तो पाइपलाइन है। वे फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। बेंच ने यह टिप्पणी 53 वर्षीय एक कोविड रोगी की याचिका पर की, जिसने वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड की मांग की क्योंकि उसका ऑक्सीजन स्तर करीब 40 तक गिर गया और उसे कहीं भी आईसीयू बेड नहीं मिल पा रहा है।

भारत: 24 घंटे में 19,133 नए मामलें सामने आएं

 अकांशु उपाध्याय                        
नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के पिछले 24 घंटे में 19133 नए मामले सामने आए। इस दौरान 335 लोगों की मौत हुई। वैसे राजधानी में बीते कुछ दिनों से कोरोना से हालात कुछ बेहतर होते नजर आ रहे हैं। अब हर दिन संक्रमितों का आंकड़ा घट रहा है और स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले कुछ सप्ताह तक यही स्थिति बनी रही तो राजधानी में कोरोना की चौथी लहर का ग्राफ नीचे आ जाएगा। अब 25 फीसदी से नीचे कोरोना संक्रमण दर आ गया है। 10 दिन में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट हुई है। 24.29 फीसदी हुई संक्रमण दर। (26 अप्रैल को 35.02 फीसदी थी दर)। 24 घण्टे में 335 की मौत, कोरोना से मौत का कुल आंकड़ा, 18,398 तो सक्रिय मरीजों की संख्या 90,629 हुई। होम आइसोलेशन में 50,562 मरीज हैं। घटकर 7.11 फीसदी हुई सक्रिय कोरोना मरीजों की दर। रिकवरी दर 91.43 फीसदी हुई। 24 घण्टे में सामने आए 19,133 केस, कुल आंकड़ा 12,73,035, वहीं, 24 घण्टे में डिस्चार्ज हुए 20,028 मरीज, कुल आंकड़ा 11,64,008 है। 24 घण्टे में हुए 78,780 टेस्ट, टेस्ट का कुल आंकड़ा 1,75,97,532 है, (RTPCR टेस्ट 64,529 एंटीजन 14,251)। 49 हजार के पार हुआ हॉट स्पॉट्स का आंकड़ा, 49,123 हुए कंटेन्मेंट जोन्स और कोरोना डेथ रेट- 1.45 फीसदी हुआ। दिल्ली में इस समय संक्रमण के कुल मरीजों की संख्या 12 लाख के पार हो गई है। इनमें से 11 लाख लोग स्वस्थ हो चुके हैं। बीते तीन दिन की बात करें तो दैनिक संक्रमितो की संख्या लगातार कम हो रही है। 1 मई को कोरोना के 25,219 मामले आए थे, वहीं 2 मई को 20,394 और 3 मई को यह संख्या घटकर 18,043 हो गई। वहीं, स्वस्थ होने वालों की बात करें को 1 मई को 27,421 ठीक हुए, 2 मई को 24,444 और 3 मई को 20,293 लोगों ने कोरोना को मात दी। आंकड़ों पर गौर करें तो 1 से 3 मई के तक कुल 72 हजार से ज्यादा मरीज संक्रमण को मात दे चुके हैं। वहीं, इस दौरान कुल 63 हजार 656 मामले आए हैं। लिहाजा संक्रमितों के मुकाबले स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही है। 28 मार्च के बाद ऐसा पहली बार है संक्रमितों के मुकाबले अधिक लोग स्वस्थ हुए हैं। इससे दिल्ली में कोरोना से रिकवरी दर 90 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

कुंभ महामारी फैलाने वाली 'सप्रेडर घटना' न साबित हो

अकांशु उपाध्याय          
नई दिल्ली। उस वक़्त कइयों को इस बात का डर सता रहा रहा था कि कहीं कुंभ कोरोना महामारी फैलाने वाली "सुपर सप्रेडर घटना" न साबित हो।
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ऐसा लग रहा है कि अब वो डर हक़ीक़त में तब्दील हो गया है। कुंभ से लौटकर आए लोगों की कोरोना रिपोर्ट अब पॉज़िटिव आ रही है और संभवत: देश के कई इलाक़ों में अब कुंभ संक्रमण के फैलने का कारण बन रहा है।
जब 15 मार्च को कुंभ आयोजन में हिस्सा लेने के लिए महंत शंकर दास हरिद्वार पहुँचे थे। तब देश के दूसरे हिस्सों में कोरोना के मामलों में तेज़ी देखी जा रही थी। 
आधिकारिक रूप से कुंभ मेले के शुरू होने से चार दिन पहले चार अप्रैल को 80 साल के हिंदु साधु महंत दास कोरोना पॉज़िटिव पाए गए। उन्हें अपने ही टेन्ट में क्वारंटीन में रहने की सलाह दी गई।
लेकिन आइसोलेशन में रहने की बजाय उन्होंने अपना सामान बांधा और ट्रेन पकड़ कर एक हज़ार किलोमीटर का सफ़र तय कर वाराणसी शहर पहुँच गए।
रेलवे स्टेशन में उन्हें उनके बेटे नागेन्द्र पाठक लेने आए थे. दोनों ने एक टैक्सी में रेलवे स्टेशन से लेकर वाराणसी से सटे मिर्ज़ापुर ज़िले में मौजूद अपने गांव तक का 20 किलोमीटर का सफ़र तय किया।
अपने घर से उन्होंने फ़ोन पर मुझे बताया कि अब उनकी तबीयत "बिल्कुल ठीक है" और जब से वो घर लौटे हैं, तब से क्वारंटीन में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी उनकी वजह से कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है।
लेकिन उनके घर पहुँचने के कुछ दिनों बाद उनके बेटे और कई गांववालों में कोविड-19 के लक्षण दिखने लगे। महंत के बेटे नागेन्द्र पाठक ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण से वो अब पूरी तरह स्वस्थ्य हैं।
उन्होंने कहा, "बीते एक पखवाड़े में गांव में बुख़ार और खांसी से 13 लोगों की मौत हो चुकी है।

एक ही गांव के 17 लोगों की मौंत से मचा हड़कंप

संदीप मिश्र  

सुल्तानपुर। कोरोना संक्रमण ने 2020 और 2021 में कहर बनकर टूटी है। इस महामारी के कारण किसी की ​मांग की सिंदूर उजड़ी तो किसी के घर का चिराग बुझा। महामारी से लोग अब बेहद ही त्रस्त हो गए है। वहीं उत्तर प्रदेश में पिछले तीन सप्ताह से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनेक मामलों में कारण कोरोना नहीं माना जा रहा है, मगर मौत की यह रफ्तार डरा रही है। कुछ ऐसे ही हालात रायबरेली के सुल्तानपुर खेड़ा गांव की है।

दरअसल सुल्तानपुर खेड़ा गांव में पिछले एक सप्ताह में 17 लोगों की मौत हो गई। हैरान वाली बात ये है कि न उनकी कोई टेस्टिंग हुई और ना ही सही इलाज मिल पाया। खास बात है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा यहां के प्रभारी मंत्री हैं।रायबरेली के छोटे से गांव सुल्तानपुर खेड़ा, जिसकी आबादी 2000 लोगों की है, यहां लगभग 500 परिवार रहते हैं। बीते कुछ दिनों से हर तरफ मौत का मंजर दिखाई दे रहा है। हर घर में आंसू और मातम पसरा हुआ है। बीते दिनों में यहां पर 17 मौतें हो चुकी है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार यह गांव आज भी अपने किसी भगवान रूपी नेता का इंतजार कर रहा है। गांव में कोरोना लक्षण जैसे जुकाम और बुखार से इंफेक्शन की शुरुआत होती है और सांस लेने में तकलीफ के बाद मौत हो जाती है। गांव में दहशत का माहौल है। 17 मौतें होने के बावजूद जिला प्रशासन ने किसी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया है। ना कोई टीम गांव पहुंची है, ना सैनिटाइजेशन हुआ है, ना फागिंग और ना ही साफ सफाई का काम हुआ है।

मृतकों में शामिल राकेश शुक्ला और अवधेश गुप्ता की मृत्यु एल2 हॉस्पिटल रेल कोच में हुई है. बाकी लोगों की मृत्यु घरों में हुई है। गांव के 70 फ़ीसदी से अधिक लोग जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। गांव में दहशत का माहौल है। लोग बहुत डरे हुए हैं। सुल्तानपुर खेड़ा ग्राम सभा में 13 मजरे हैं, घर-घर रोना पीटना मचा है।गांव वालों की माने तो सरकार और प्रशासन दोनों ही पूरे मामले में लापरवाह रहे। कहीं से किसी प्रकार की कोई उपचार संबंधी मदद भी नहीं मिल पा रही है। गुरुवार को डीएम कैंप, कंट्रोल रूम, एडीएम प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र सिंह को सूचित किया गया है, लेकिन शाम तक कोई भी विभागीय टीम अथवा सैनिटाइजेशन की टीम गांव नहीं पहुंची है।

11 जून तक मरने वालों का आंकड़ा 4 लाख पार

राज्य सरकार को एचसी ने जमकर लगाईं फटकार

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर वैक्सीन को लेकर सुर्खियों में आ गई है। छत्तीसगढ़ में 18+ वैक्सीनेशन में आरक्षण के मामले में राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाते हुए झटका दिया है। विदित हो, कि प्रदेश में 18 प्लस आयुवर्ग के वैक्सीनेशन पर हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर राज्य सरकार ने रोक लगा 6 मई को आदेश जारी कर वैक्सीनेशन पर रोक लगा दी थी। आज हाई कोर्ट में उसकी सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि “आज से ही प्रदेश में वैक्सीनेशन शुरू किया जाए। कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। एक तिहाई के हिसाब से सभी वर्ग का समान रूप से टीकाकरण किया जाए। अंत्योदय, एक तिहाई बीपीएल और एपीएल के भी एक तिहाई कार्डधारकों को शामिल करें। इसी फॉर्मूला के तहत आज से, अभी से ही प्रदेश सरकार जनता के लिए वैक्सीनेशन शुरू करें।”
उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछे ये प्रश्न...
मा. उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश जारी करते हुए पूछा कि राज्य को कितनी कम वैक्सीन मिल रही है और किस अनुपात में मिलना चाहिए ? उन्होंने साथ ही पूछा कि अगर वैक्सीन कम मिल रही है तो इतनी कम क्यों मिल रही है? हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार अपना जवाब तैयार कर 10 मई को होने वाली अगली सुनवाई में हमारे प्रश्नों का उत्तर दें।
अंत्योदय कार्डधारियों को पहले वैक्सीन देने पर हाई कोर्ट में लगाई गई थी याचिका...
छत्तीसगढ़ में एक मई से 18 + आयुवर्ग का वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद भूपेश सरकार ने इसे 06 मई को बंद कर दिया था ।सरकार ने दलील दी थी कि वैक्सीन कम आ रही हैं, इसी के चलते इसे रोका गया दरअसल, प्रदेश में आर्थिक आधार पर अंत्योदय राशन कार्ड धारियों को सर्वप्रथम टीकाकरण किया जा रहा था जिस पर अमित जोगी समेत कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका लगाई थी जिसकी सुनवाई के दौरान इस विषय पर हाई कोर्ट ने कहा था कि वैक्सीनेशन में सरकार को भेदभाव नहीं करना चाहिए। नए सिरे से रूपरेखा तैयार कर सरकार से कहकर मांगा था जिसके बाद सरकार के वैक्सीनेशन रोकने के फैसला करते हुए कहा था हाईकोर्ट के आदेशानुसार हमें कुछ वक्त लग सकता है इस लिए तब तक के लिए वैक्सिनेशन को प्रदेश में बन्द किया जा रहा है। इस पर अब हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए नए निर्देश जारी कर दिए हैं।

कांग्रेस की हार से सबक लेने की जरूरत: सोनिया

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को निराशाजनक करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस हार से सबक लेने की जरूरत है।

कोरोना के हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई पार्टी सांसदों की डिजिटल बैठक में सोनिया ने यह भी कहा कि जल्द ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होगी। जिसमें असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के चुनाव नतीजों की समीक्षा की जाएगी। सोनिया ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में जीत के लिए ममता बनर्जी, एमके स्टालिन और वाम दलों को बधाई भी दी।उन्होंने कांग्रेस की चुनावी हार का उल्लेख करते हुए कहा, ”सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सभी राज्यों में हमारा प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और मैं यह कह सकती हूं कि यह अप्रत्याशित है। ” सोनिया ने कहा, ”चुनाव नतीजों की समीक्षा के लिए जल्द सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी, लेकिन यह कहना होगा कि एक पार्टी के तौर पर सामूहिक रूप से हमें पूरी विनम्रता एवं ईमानदारी के साथ इस झटके से उचित सीख लेनी होगी।”

गौरततलब है कि असम और केरल में सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। वहीं, पश्चिम बंगाल में उसका खाता भी नहीं खुल सका। पुडुचेरी में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा जहां कुछ महीने पहले तक वह सत्ता में थी। तमिलनाडु में उसके लिए राहत की बात रही कि द्रमुक की अगुवाई वाले उसके गठबंधन को जीत मिली।

जमीनी रंजिश को लेकर 2 पक्षों में विवाद, 3 की मौंत

तारिक खान
रूड़की। रुड़की के खेड़ी खुर्द गांव में जमीनी रंजिश को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया। कब्रिस्तान से शव दफनाकर लौट रहे एक पक्ष के लोगों पर दूसरे पक्ष ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। गोली लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। जबकि पांच अन्य लोग भी घायल हो गए। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसएसपी और एसपी देहात ने भी गांव पहुंचकर घटना की जानकारी ली।
पुलिस के मुताबिक, लक्सर कोतवाली के खेड़ी खुर्द गांव निवासी हुसैन का गांव के ही जुल्फिकार पक्ष के साथ विवाद चल रहा था। बताया कि गुरुवार सुबह भी दोनों पक्षों के बीच खेत में सिंचाई करने वाली मोटर को लेकर कुछ विवाद हुआ। उस समय मामला शांत हो गया। इसके बाद हुसैन पक्ष के परिवार में एक महिला की मौत होने पर वह सभी महिला को दफनाने के लिए कब्रिस्तान गए थे। महिला को दफनाकर वह जब लौट रहे थे, तभी रास्ते में पहले से घात लगाकर बैठे दूसरे पक्ष के व्यक्तियों ने उन पर हमला बोल दिया। हमलावरों ने उनके ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई।
बताया जाता है कि खेत में मेढ़ को लेकर दोनों पक्षों में गुरूवार को सुबह कहासुनी हो गई और जमकर मारपीट हुई थी। इसमें दोनों पक्षों के दो युवक घायल हो गए थे। उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दिया था। पुलिस ने उन्हें मेडिकल के लिए भेज दिया। इसी दौरान हुसैन पक्ष के परिवार में एक महिला की मौत हो गई थी जिसका दाफीन आज होना था। लोग महिला का शव दफनाकर घर लौट रहे थे। जैसे ही वे दूसरे पक्ष के घर के पास पहुंचे तो उन्होंने तमंचे और बंदूकों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग में सात लोग गोली लगने से घायल हो गए।
आननफानन परिजन उन्हें लेकर लक्सर सीएचसी पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। पुलिस का कहना है कि हुसैन (50) पुत्र तैमूर, शहजान उर्फ कालू (45) पुत्र अहमद और मोहम्मद कैफ पुत्र तस्लीम ने हायर सेंटर पहुंचने से पहले रास्ते में दम तोड़ दिया। वहीं, गंभीर घायल जहीर पुत्र लतीफ, गयूर व रिजवान पुत्र जहीर, सैफ पुत्र इंतखाब को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
घटना की जानकारी मिलते ही एसएसपी डी सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस और एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल ने भी ग्रामीणों से घटना की जानकारी ली। गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। एसएसपी ने बताया कि तहरीर आने पर मुकदमा दर्ज किया गया। फिलहाल गोली चलाने वालों की तलाश की जा रही है।

राहुल ने मंदिर पहुंचकर 'हनुमान' के दर्शन किए

राहुल ने मंदिर पहुंचकर 'हनुमान' के दर्शन किए  संदीप मिश्र  लखनऊ। रायबरेली के दौरे पर पहुंचे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने...