किसान आंदोलन लाईव गााजीपुर पहुंचे 15 विपक्षी नेताओं को पुलिस ने रोका, सड़क से कीलें हटाने पर सफाई- इन्हें दूसरी जगह लगाएंगे
अंकित गोस्वामी
गाजियाबाद। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 71वां दिन है। इस बीच गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल आज फिर बढ़ गई। शिरोमणि अकाली दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत 10 विपक्षी दलों के 15 नेता आज किसानों से मिलने गाजीपुर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। विपक्षी नेता बार-बार गुजारिश करते रहे कि उन्हें किसानों से मिलने दिया जाए, लेकिन पुलिस नहीं मानी। आखिर उन्हें बिना मिले ही लौटना पड़ा सुरक्षाबलों ने रोका तो टीमसी नेता सौगत रॉय बस स्टॉप पर बैठ गए। विपक्षी नेताओं का कहना है। कि किसानों से मिलने से रोकने के मामले को लोकसभा स्पीकर के नोटिस में लाएंगे।
पुलिस ने सड़क से कीलें हटाईं, फिर सफाई दी
पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए कुछ दिन पहले कई लेयर की बैरिकेडिंग करने के साथ ही सड़कों पर कीलें भी लगा दी थीं। इस पर किसान नेताओं और विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था। लेकिन, गुरुवार को इन कीलों को हटाने के फोटो और वीडियो सामने आए। इसके बाद पुलिस ने सफाई दी कि कीलों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाएगा। साथ ही कहा कि बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।फोटो गाजीपुर बॉर्डर पर सड़क से कीलें हटाते वर्कर की है। ये तस्वीरें सामने आने के बाद ही पुलिस ने सफाई दी कि सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए कीलें दूसरी जगह लगाई जाएंगी।
अमेरिका ने कृषि कानूनों की तारीफ की
एक तरफ देश में कृषि कानूनों पर बवाल मचा है। उधर अमेरिका ने भारत के कृषि कानूनों की तारीफ की है। उसका कहना है। कि इन सुधारों से भारतीय बाजार मजबूत होगा और निजी निवेश भी बढ़ेगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा 'अमेरिका किसी भी शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करता है। यह लोकतंत्र की पहचान है। अगर कोई मतभेद है। तो उसे बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है।
किसान नेता बोले- अब मंत्रियों से बात नहीं करेंगे, पीएम आगे आएं
दिल्ली की सीमाओं पर 2 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान अपना आंदोलन तेज करने की स्ट्रैटजी में जुटे हैं। इसी सिलसिले में हरियाणा के जींद जिले के कंडेला गांव में बुधवार को किसान महापंचायत हुई। इसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बातचीत नहीं करेंगे। अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बातचीत के लिए आगे आना होगा।
'जब राजा डरता है। तो किलेबंदी का सहारा लेता है।
टिकैत ने आगे कहा, 'अभी तो किसान कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। जब गद्दी वापसी की मांग करेंगे तब सरकार क्या करेगी? जब कोई राजा डरता है। तो किले बंदी का सहारा लेता है। ठीक ऐसा ही हो रहा है। बॉर्डर पर जो कीलबंदी की गई है। ऐसे तो दुश्मन के लिए भी नहीं की जाती है। लेकिन किसान डरेगा नहीं। किसान इसके ऊपर लेटेंगे और उसे पार करके जाएंगे।
सरकार द्वारा बातचीत के लिए किसानों की कमेटी के सदस्यों की संख्या कम करने से भी टिकैत ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, कभी भी बीच लड़ाई में घोड़े नहीं बदले जाते। जो कमेटी के सदस्य हैं। वहीं रहेंगे।
महापंचायत में 5 प्रस्ताव पास
1. तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले
2. MSP का कानून बनाए
3. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करे
4. पकड़े गए लोगों और जब्त किए गए ट्रैक्टर छोड़े जाएं
5. किसानों का कर्ज माफ हो
केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस से 576 बसें वापस मांगीं
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली पुलिस की ड्यूटी में भेजी गईं 576 डीटीसी बसों को डिपो में तुरंत लौटाने का निर्देश दिया है। ये बसें किसान आंदोलन में सुरक्षाबलों की आवाजाही में लगी हैं। दिल्ली परिवहन विभाग ने डीटीसी को ये निर्देश भी दिए हैं कि बिना सरकार की इजाजत के दिल्ली पुलिस को बसें नहीं दें।
किसानों पर सेलेब्रिटी आमने-सामने...
किसान आंदोलन के समर्थन में पिछले 24 घंटे में कई विदेशी हस्तियां सामने आईं। क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भारत में किसानों के आंदोलन के साथ हैं। वहीं पॉप सिंगर रिहाना ने लिखा कि आखिर हम किसान आंदोलन के बारे में चर्चा क्यों नहीं कर रहे हैं। इन पर भारतीय सेलेब्रिटीज ने पलटवार भी किया। रिहाना को जवाब देते हुए कंगना रनोट ने लिखा बैठ जाओ मूर्ख। हम तुम लोगों की तरह अपना देश नहीं बेच रहे। कोई भी इस मुद्दे पर इसलिए बात नहीं कर रहा क्योंकि हिंसा फैला रहे लोग किसान नहीं आतंकी हैं।