रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित और कोरोना से मौत दोनों की रफ्तार एक बार फिर बढ़ गई है। प्रदेश में सोमवार को 1615 कोरोना के नये मरीज मिले हैं। वहीं 19 मरीजों की कोरोना से पिछले 24 घंटे में मौत हुई है। छत्तीसगढ़ में 1440 कोरोना संक्रमित स्वस्थ्य भी हुए हैं। प्रदेश में अभी कोरोना के कुल एक्टिव 18931 केस हैं।रायपुर में सबसे अधिक 211 मरीज सोमवार को मिले हैं, वहीं दुर्ग में 150, राजनांदगांव में 90, बालोद में 98, बेमेतरा में 33, कबीरधाम में 15, धमतरी में 41, बलौदाबाजार में 103, महासमुंद में 69, गरियाबंद में 12, बिलासपुर में 133, रायगढ में 116, कोरबा में 106, जांजगीर में 155, मुंगेली में 14, जीपीएम में 12, सरगुजा में 57, कोरिया में 35, सूरजपुर में 36, बलरामपुर में 33, जशपुर में 21, बस्तर में 13, कोंडागांव में 30, दंतेवाड़ा में 8, सुकमा में 2, कांकेर में 16, नारायणपुर में 0, बीजापुर में 2 नये केस आये हैं।
मंगलवार, 15 दिसंबर 2020
नोकिया के लेपटॉप ने भारत में मचाया धमाल
लैपटॉप को भारत में लॉन्च कर दिया गया है और इसकी बिक्री फ्लिपकार्ट के जरिए की जाएगी। ये नोकिया का पहला लैपटॉप है। इसमें Intel 10th-जेनरेशन प्रोसेसर दिया गया है और Windows 10 प्री-इंस्टॉल्ड है। इसे मॉडल नंबर NKi510UL85S के साथ सिंगल कॉन्फिगरेशन में उतारा गया है। इसे मैट ब्लैक फिनिशिंग के साथ पेश किया गया है। इसकी स्क्रीन में साइड्स में स्लिम बेजल्स हैं और इसमें बड़ा टच पैड मौजूद है।
भारत: 24 घंटें में 22 हजार 65 नए मामले
क्षेत्राधिकारी कार्यालय के पीछे सेक्स रैकेट का धंधा
होटल मालिक का बेटा गिरफ्तार
पुलिस ने होटल सिद्धि विनायक होटल के मालिक के बेटे को भी गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि इस होटल में कई साल से सेक्स रैकेट का धंधा चल रहा था। इस छापेमारी में तीन लड़के और तीन लड़़कियां होटल के कमरों में मिले। छापेमारी के दौरान होटल का मालिक फरार हो गया। इस छापेमारी के बाद होटल कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही समस्तीपुर के स्टेशन रोड में भी पुलिस ने होटलों में छापेमारी की थी। वहां पर भी सेक्स रैकेट का धंधा चल रहा था।
अमेरिका ने तुर्की पर लगाएं कई प्रतिबन्ध
छोड़ कर गई नेपाली पत्नी, युवक ने की आत्महत्या
एन.के.मिश्रा
लखीमपुर खीरी। मैलानी भीरा रोड से ग्राम चांदपुर को जाने वाले मार्ग पर लगभग 50 मीटर की दूरी पर सड़क के बायीं ओर बिल्लाह तालाब के किनारे लगे नीम के पेड़ पर एक युवक का शव लटकता मिला।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव की शिनाख्त की।उप निरीक्षक अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि चांदपुर रोड पर मिले शव की शिनाख्त हो गई है शव की पहचान मनोज कुमार पुत्र सुरेश उम्र लगभग(32 वर्ष)निवासी वार्ड नंबर एक मैलानी के रूप में हुई है। मृतक के पिता सुरेश ने बताया कि उनके पुत्र मनोज ने एक नेपाली लड़की के साथ विवाह किया था जो कि कुछ दिनों पूर्व उसे छोड़ कर चली गई। जिस कारण वह काफी समय से डिप्रेशन में रहता था और हमेशा घर से बाहर ही रहता था शनिवार को वह घर पर आया था व रविवार को सुबह लगभग 8 बजे बिना बताए नशे की हालत में कहीं चला गया,सोमवार को उसके आत्महत्या करने की सूचना मिली है।
मलेशिया में 200 करोड़ का ड्रग पकड़ाया
कुआलालंपुर। मलेशिया के तटरक्षक ने 2.12 टन मेथमफेटामाइन ड्रग जब्त की है। इसकी कीमत 26.2 मिलियन अमेरीकी डॉलर यानी कि लगभग 2 अरब रुपये है। माना जा रहा है कि म्यांमार से आए एक शिपमेंट में ड्रग्स को चाय के रूप में बदलकर लाया जा रहा था। कोस्टगार्ड के प्रमुख जुबिल माट सोम ने कहा कि उत्तरी पेनांग राज्य में एक बोट पर मिली ड्रग्स की कीमत लगभग 105.9 रिंगिट ($26.2 मिलियन) है। मामले में एक स्थानीय संदिग्ध तस्कर को गिरफ्तार किया गया है। सोम ने कहा, 'इतने बड़े पैमाने पर हुई जब्ती ने पिछले 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
अखिलेश बेहतर पिता, पति व पुत्र, राजनीतिज्ञ नहीं
मोहम्मद जाहिद
पटना/लखनऊ। अखिलेश यादव की राजनीती भाजपा और योगी के सामने समर्पण की हो चुकी है। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उनके व्यवहार आचरण और राजनीति की यदि विवेचना की जाए तो यह व्यक्ति एक पार्ट टाईम पाॅलिटीशियन से अधिक कुछ नहीं। अखिलेश यादव एक नेता से अधिक बेहतर पति और पिता हैं, और मुझे लगता है कि उनको राजनीति में औरों के लिए रास्ता छोड़ कर अपना परिवार ही संभालना चाहिए। वैसे भी अखिलेश यादव की राजनीति , समाजवादी पार्टी के संस्थापक लोगों को ठिकाने लगाने की ही रही है , समाजवादी पार्टी का वजूद जिन लोगों ने बनाया , अखिलेश उनको ठिकाने लगा चुके हैं। सत्ता में रहते , अपने पिता को ठिकाने लगाया तो उनकी खुद की परवरिश करने वाले शिवपाल यादव को भी उन्होंने ठिखाने लगाया। उनका विवाह करवाने वाले अमर सिंह को ठिकाने लगाया। अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अहमद अंसारी और राजा भैय्या तक को अखिलेश ने ठिकाने लगा दिया। जबकि समाजवादी पार्टी के सत्ता का इतिहास इन लोगों के ही कंधे पर ही रहा है। यही लोग जहाँ खड़े हो जाते थे समाजवादी पार्टी का खूटा गड़ जाता था। ऐसे ही दबंग लोगों के सहारे भाजपा भी आज सत्ता में है। बल्कि कुछ का इतिहास तो इनसे भी बुरा है। दरअसल उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबली ही जनता का आकर्षण होते हैं। उनके समर्थन का एक महत्व होता है। राजनीति में बाहुबलियों की भागीदारी एक अलग बहस का विषय है , पर जनता इनसे प्रभावित होकर कई सीटों पर फर्क पैदा कर देती है यह यथार्थ है। विरोधी का मनोबल भी भी इनके कारण टूटता है और वह कुछ गलत या हेरफेर नहीं कर पाते।
यद्धपि राजनीति में ऐसे तत्वों का मैं समर्थक नहीं पर यथार्थ यही है , सच यही है कि ऐसे लोग हर दल में हैं और विशेषकर भाजपा में तो बहुत हैं , इसीलिए वह सत्ता में है। अखिलेश यादव , आज जो लिजलिजहे और पिलपिलहे नेता इसी कारण बन गये क्युँकि उनके इर्द गिर्द कोई मज़बूत और दबंग नेता ना होकर ब्राम्हणों का जमावड़ा है। आप अखिलेश की पूरी राजनीति पर गौर करिए , कभी किसी के साथ खड़े नहीं मिलेंगे, जबकि मुलायम सिंह यादव की राजनीति देखिए, वह फूलन देवी जैसी शख्सियत को जेल से बाहर कराकर उनको बेटी बनाया और सांसद में पहुँचा दिया। अखिलेश यादव एक डरपोक व्यक्ति हैं। और मेरा आरोप है कि आज़म खान का सपरिवार जेल में होना भाजपा सरकार से उनकी किसी डील के कारण ही है। और इस तरह अखिलेश यादव ने आज़मखान को निबटा दिया। आज़म खान के साथ ना उस तरह पार्टी खड़ी हो सकी ना अखिलेश यादव। यह योगी जी की अखिलेश यादव के दिल में बैठी दहशत का उदाहरण है। बताईए , एक पार्टी के दो सांसद और एक विधायक किताब और बकरी चोरी के आरीप में जेल में डाल दिए गये और पार्टी चुप , उसका नेता चुप। वैसे भी , बात केवल आज़मखान की नहीं है , मुसलमान भारत की राजनीति में हमेशा ठगा ही गया है। ऊपर से "मुस्लिम तुष्टिकरण" के आरोप का भाजपा के खड़े किए गये हौव्वे से नेताओं और पार्टियों में मुसलमान नाम लेने तक से डर बैठ गया है। जबकि "मुस्लिम तुष्टिकरण" की हकीकत एकदम विपरीत है। मुसलमान के लिए सरकार तो छोड़िए गठबंधन का कोर वोटर ही उसका वोटर नहीं।
आईए एक उदाहरण देखिए
बिहार विधानसभा चुनाव में जिन जिन मुस्लिम-यादव बाहुल्य सीट पर "मुस्लिम" प्रत्याशी हारे हैं, उन सब सीटों पर यादव जाति के लोगों ने महागठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशी को वोट नही दिया है। बिहार और उत्तर प्रदेश के कथित मुस्लिम-यादव समीकरण की यही हकीकत है, यह अजीबो गरीब हैरत अंगेज़ समीकरण है कि जिस यादव जाति का वोट 12% है उसके इसी मुस्लिम-यादव समीकरण से उत्तर प्रदेश और बिहार में विधायक जीत कर सरकार बनाते रहे हैं और जिस मुस्लिम समुदाय का वोट 18% है उसके 9 विधायक बनते हैं। यह कैसा मुस्लिम यादव समीकरण है भाई ? मुस्लिम-यादव समीकरण का यही यथार्थ है। और मुसलमानों को इसी समीकरण के नाम से ठगा जा रहा है। पहले तो एक आज़मखान को इसका मुआवजा मिल जाता था तो भी मुसलमान सब्र कर लेता था , अब वह भी सपरिवार जेल में ठूस दिए गये।
राजद के कद्दावर नेता "अब्दुल बारी सिद्दीक़ी" इस बार बिहार के केवटी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, गठबंधन की सरकार बनती तो वह निश्चित रूप से उपमुख्यमंत्री बनते। केवटी विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य है, यानी मुस्लिम, ब्राह्मण और यादव की आबादी इस सीट पर ज़्यादा है, बावजूद इसके बिहार के कद्दावर नेता अब्दुल बारी साहब चुनाव हार गए। वह उपमुख्यमंत्री ना बनें इसलिए उनको हरवा दिया गया। क्युँ हार गये ? इसकी विवेचना होगी तो पता चलेगा कि यादव लोग "भाजपा" को वोट दे दिए। ऐसी सिर्फ एक यही सीट नही है, एक दर्जन से ज़्यादा ऐसी सीटें हैं जहां से महागठबंधन के "मुस्लिम प्रत्याशी" चुनाव हारे हैं। जबकि महागठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशियों की हारी हुई उन सीटों की आप समीक्षा करेंगे तो हर सीट या तो मुस्लिम बाहुल्य है या मुस्लिम-यादव बाहुल्य है, बावजूद इसके उन सभी सीटों पर "मुस्लिम" प्रत्याशी चुनाव हारे हैं।
आखिर कैसे?
जिन यादव-मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर यादव प्रत्याशी थे उन सीटों पर यादव चुनाव जीत गये क्युँकि "मुसलमानों" ने गठबंधन को वोट किया, लेकिन जिन मुस्लिम-यादव बाहुल्य सीटों पर "मुस्लिम प्रत्याशी" थे वहां के यादव भाजपा को वोट दिए। यही काम आज़मगढ़ में मुसलमान कर दे तो अखिलेश और उनके अब्बा की लोकसभा में लुटिया डूब गयी होती पर यह लोग वहाँ से लगातार जीतते रहे हैं। सिद्दीकी साहब के चुनाव हारने के बाद राजद के दरभंगा के जिलाध्यक्ष राम नरेश यादव का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमे वह कहते हैं। "सिद्दिकिया मुसलमान बा ओकरा चुनाव हरवावे के बा" यही स्थीति उत्तर प्रदेश की भी है। और अफसोस कि इसे दूर करने के लिए नेतृत्व की तरफ से कोई प्रयास नहीं हुआ। ना तेजस्वी ने किया ना अखिलेश ने।
तेजस्वी तो अंजाम भुगत गये हैं , अब एक साल बाद फिर से अखिलेश की बारी अंजाम भुगतने की है। इससे निबटने की बजाय वह जिस तरह "डीएसएलआर" कैमरे के सामने दावत उड़ा रहे हैं , सोशलमीडिया पर शेर ओ शायरी कर रहे हैं उससे आभास होता है कि वह अब अंत में पार्टी को ही ठिकाने लगाने में लग गये हैं।इंतज़ार करिए तब तक।
20 निरीक्षक,127 उप-निरीक्षको का तबादला किया
प्रयागराज/बांदा। प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने चित्रकूटधाम मंडल के चारों जिलों के 20 इंस्पेक्टरों और 127 सब इंस्पेक्टरों का मंडल के बाहर तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया है। अधिकतर इंस्पेक्टर प्रयागराज भेजे गए हैं। सब इंस्पेक्टरों में प्रयागराज, फतेहपुर और प्रतापगढ़ के लिए तबादले किए गए हैं।
अपर महानिदेशक ने पुलिस स्थापना बोर्ड के अनुमोदन का हवाला देकर तबादला सूची जारी की है। स्थानांतरित किए गए इंस्पेक्टरों में बांदा जनपद के 8, हमीरपुर के 7 और महोबा के 5 इंस्पेक्टर शामिल हैं। सब इंस्पेक्टरों में सबसे ज्यादा 52 के तबादले बांदा से हुए हैं।
चित्रकूट से 47, महोबा के 18 और हमीरपुर के 10 सब इंस्पेक्टर हटाए गए हैं। अपर महानिदेशक ने जनपदों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि स्थानांतरित इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टरों को तत्काल नई तैनाती स्थल के लिए कार्यमुक्त करते हुए अपर पुलिस महानिदेशक कार्यालय को रिपोर्ट भेजने को कहा है।
स्थानांतरित इंस्पेक्टर
बांदा : विनोद कुमार सिंह, दिनेश सिंह, जितेंद्र कुमार, बलजीत सिंह, रामाश्रय, राजीव कुमार यादव, रणंजय सिंह (सभी प्रयागराज स्थानांतरित)। राकेश कुमार पांडेय (फतेहपुर)। महोबा : राजेश कुमार यादव, रविंद्र कुमार तिवारी, कुमारी रचना, कैलाशनाथ यादव, शशि कुमार पांडेय (सभी प्रयागराज)। हमीरपुर : कुशल पाल सिंह, अजय कुमार यादव, अखिलेश कुमार यादव, राजेश कुमार वर्मा, विनोद कुमार राय, मान सिंह, गिरेंद्र पाल सिंह (सभी प्रयागराज)।
स्थानांतरित सब इंस्पेक्टर
बांदा : प्रेमचंद्र, चंद्रपाल सिंह, कमलेश सिंह, शिवपाल सिंह यादव, हीरालाल, राजनारायण नायक, वीरेंद्र कुमार कुशवाहा, पन्नालाल, हरिश्चंद्र शर्मा, भगवानदीन, संतोष कुमार सिंह, सुजीत कुमार सिंह, सुरजीत कुमार, अर्जुन सिंह, ताराचंद्र, अवनेंद्र सिंह, नीरज कुमार यादव, आकाश सचान, अभिषेक कुमार, दिनेश कुमार, कीरत कुमार, राजकुमार, हेमंत पटेरिया, धर्मेंद्र सिंह, राधा मोहन, सत्यवेंद्र सिंह, भानु प्रताप, बृजेश कुमार यादव, वीरेंद्र कुमार पांडेय, अनीस कुमार सिंह, सत्यदेव, राय साहब यादव, गोपाल जी दुबे, भानु प्रताप यादव, राजेश कुमार वर्मा, सत्यपाल सिंह, वीर प्रताप सिंह, रोशन गुप्ता, संजीव कुमार, शालिनी सिंह, प्रेमचंद्र यादव, अनुपमा तिवारी, उदयवीर सिंह, ओमप्रकाश यादव, राहुल सिंह, जगदीश प्रसाद सिंह, प्रेमशंकर सिंह, हरीशरण सिंह, पंकज कुमार सिंह, नारायण सिंह, राजेश कुमार, सुरेंद्र सिंह।
महोबा : आनंद कुमार, अमित द्विवेदी, पुरुषोत्तम विश्वकर्मा, सचिन कुमार, अविनाश कुमार मिश्र, अश्वनी कुमार सिंह, प्रभाकर उपाध्याय, बलवंत सिंह, राघवेंद्र सिंह, शिवरतन गुप्ता, सुनील कुमार, लक्ष्मीकांत शर्मा, विनोद सिंह, प्रेमनारायण, अनमोल सिंह, सुशील कुमार कटियार, विपिन प्रकाश सिंह, सुमित नारायण।
हमीरपुर : योगेश कुमार, कैलाश नारायण, बृजेश कुमार, संजय सिंह, इंद्रपाल सिंह, सुशील यादव, महेंद्र कुमार, पवन कुमार शर्मा, सुनील कुमार सिंह, रोहित कुमार।
चित्रकूट : दिनेश कुमार सिंह, हरी सिंह, सत्यदेव सिंह, दयाल दास, संजय कुमार सरोज, ज्ञानेंद्र कुमार, इंदल यादव, अखिलेश राय, राजकपूर यादव, देवीदयाल, राम सिंह यादव, गणेश कुमार गुप्ता, अजय कुमार, राहुल कुमार, अरविंद कुमार, गुलाबचंद्र मौर्य, आनंद कुमार मिश्र, सुख शेखर राही, संदीप कुमार सिंह, अजय कुमार, जनार्दन प्रताप सिंह, आलोक कुमार सिंह, शिवकुमार यादव, अनिल कुमार साहू, प्रमोद कुमार मौर्य, वारिज, रोहित तिवारी, राकेश कुमार यादव, शिवपूजन यादव, योगेंद्र सिंह, रामकृपाल, रज्जन राव, धनंजय राय, बैजनाथ सिंह, दीपक यादव, अमृता सिंह, अमित कुमार चौहान, शेषनाथ यादव, असलम खां, सुरेश कुमार यादव, विवेक प्रताप सिंह, बृजेश कुमार, सत्यमपति त्रिपाठी, जमाल अशरफ, राजेश यादव, राजीव कुमार, रामनारायण यादव।
विधानसभा चुनाव लड़ेगी केजरीवाल सरकार
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। पिछले आठ सालों में आप ने दिल्ली में तीन बार सरकार बनाई है। पंजाब में पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन आज मैं एक अहम घोषणा करने जा रहा हूं।पार्टी 2022 के उत्तर प्रदेश विधासनभा चुनावों भी ही लड़ेगी। केजरीवाल ने कहा कि ‘दिल्ली में यूपी के बहुत भाई-बहन रहते हैं। आप की सरकार बनने के साथ यूपी के कई लोग और संगठन मेरे पास आए।उनका कहना है कि पार्टी को यूपी में चुनाव लड़ना चाहिए। जो सुविधाएं दिल्ली में दी हैं। वो यूपी में रहने वाले परिवारों को भी मिलना चाहिए,उन्होंने कहा कि इन लोगों ने उनसे कहा कि ‘यूपी की जनता इन पुरानी पार्टियों से त्रस्त हो गई है और लोग खुद आगे आएंगे और यूपी को अपनी जागीर समझने वाली पार्टियों को हराएंगे।
दिल्ली: वैज्ञानिक प्रो. नरसिम्हा का हुआ निधन
आयुष मंत्रालय, योग व नेचुरोपैथी से ठीक होंगे रोगी
पालूराम
नई दिल्ली। थायरायड, शुगर, माइग्रेन व ह्दय संबंधी रोग ऐसे हैं कि एक बार हो गए तो लंबे समय तक दवाएं लेनी पड़ती है, या यूं कहें कि जीवन में दवा पर ही आश्रित रहना पड़ता है।
अब आम से खास को स्वस्थ बनाने के लिए आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया है। अब गांव-गांव योग व नेचुरोपैथी के जरिए न सिर्फ बीमारियां ठीक की जाएंगी, बल्कि जो व्यक्ति स्वस्थ्य हैं। उन्हें योग व प्रणायाम से जोड़कर बेहतर उनकी इम्युनिटी शक्ति को इतना बढ़ा दिया जाएगा कि वह जल्दी से बीमार ही पड़ पाएं। पहले चरण में जिले में छह ऐसे सेंटर खोलने की अनुमति मिली है, जहां योग व नेचुरौपैथी के दम पर ही उपचार होगा और लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाएगा।
दिल्ली: अन्ना हजारे ने दीं अनशन करने की धमकी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसानों की समस्याओं को लेकर अनशन करने की धमकी दी है। हजारे ने कृषि मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि पांच फरवरी 2019 को कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह तथा कई अन्य नेताओ के आग्रह पर अपना अनशन समाप्त कर दिया था। उन्हें लिखित आश्वासन दिया गया था। जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। अब वह कहीं भी और किस समय अनशन शुरू करेंगे सरकार को इसकी जानकारी दे दी जायगी।
'ऑपरेशन थर्ड आई' के तहत लगाएं 5,000 सीसीटीवी
मुंबई: कृति ने शेयर कीं लेटेस्ट फोटशूट की तस्वीरें
दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र हुआ स्थगित
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। इन दिनों कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया पर छाया हुआ वही भारत में भी स्का असर काफी ज़्यादा देखने को मिल रहा है और देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 1 करोड़ के आंकड़े की तरफ बढ़ती जा रही है। वही जिसके बाद अब संसद का शीतकालीन सत्र इस बार नहीं बुलाया जाएगा। सरकार ने ये घोषणा की है कि कोविड-19 के चलते इस बार संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में कांग्रेस की ओर से किसानों के मुद्दों पर चर्चा हेतु सत्र की मांग रखी थी।आपको बता दें संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सभी पक्ष सत्र को रोकने पर सहमत हैं।उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार से बचने के लिए शीतकालीन सत्र के पक्ष में कोई नहीं था।ऐसे में जनवरी में सीधे बजट सत्र बुलाया जाएगा।
यूपी: बोर्ड परीक्षा से पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। उसी दिन आधी रात से ग्राम पंचायतें भंग हो जाएंगी। उनमें प्रशासकों की तैनाती कर दी जाएगी। राज्य सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द पंचायत चुनाव करा लिए जाएं, ताकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां न पिछड़ें।
49 जिलों में चल रहा पंचायतों का आंशिक परिसीमन, आरक्षण प्रक्रिया पर फैसला जल्द बैठक में अधिकारियों ने सीएम को पंचायत चुनाव की तैयारियों से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। बताया कि मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण, चार जिलों में पंचायतों के पूर्ण परिसीमन और 49 जिलों में आंशिक परिसीमन की कार्यवाही चल रही है। इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायतों का वार्ड निर्धारण और वार्डों का आरक्षण किया जाएगा। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन व मतपत्रों की छपाई का कार्य भी होना है।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा है कि पंचायतों के चुनावों तक नगरीय निकायों के सीमा विस्तार की प्रक्रिया को रोक दिया जाए। त्रिस्तरीय पंचायतों के वार्डों के आरक्षण के लिए पिछले चुनाव के चक्रानुक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा या इसे शून्य घोषित करके नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया का निर्धारण किया जाएगा, इस संबंध में जल्द फैसला ले लिया जाएगा। प्रशासनिक तैयारियां पिछड़ीं मुख्यमंत्री का जोर इसी पर रहा है कि जल्द चुनाव कराए जाएं। भाजपा संगठन भी मार्च में चुनाव चाहता है। बोर्ड परीक्षा इस बार एक माह देरी से अप्रैल माह में होने की संभावना है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासनिक तैयारियां थोड़ी पिछड़ी हुई है।
अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पंचायत चुनावों की तैयारियों की समीक्षा की थी, लेकिन अभी कोई डेडलाइन तय नहीं है। चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। तैयारियां पूरी होते ही चुनाव कराएं जाएंगे।
किसानों से मुलाकात करेंगे 'पीएम' मोदी
कोरोना: अब तक 15,55,60,655 लोगों की जांच
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारत में करीब पांच महीने बाद कोविड-19 के 23 हजार से कम नए मामले सामने आए। वहीं मरीजों के ठीक होने की दर भी 95 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 के 22,065 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 99,06,165 हो गए। वहीं 354 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,43,709 हो गई।आंकड़ों के अनुसार कुल 94,22,636 लोगों के संक्रमण मुक्त होने के साथ ही देश में मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 95.12 प्रतिशत हो गई। वहीं कोविड-19 से मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत है। देश में लगातार नौ दिन से उपचाराधीन लोगों की संख्या चार लाख से कम है। कुल 3,39,820 लोगों का कोरोना वायरस का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 3.43 प्रतिशत है।
भारत में सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितम्बर को 40 लाख के पार चली गई थी। वहीं, कुल मामले 16 सितम्बर को 50 लाख, 28 सितम्बर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख और 20 नवम्बर को 90 लाख के पार चले गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार देश में 14 दिसम्बर तक 15,55,60,655 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई, जिनमें से 9,93,665 नमूनों की जांच सोमवार को की गई।
सबसे पहले 93,000 स्वास्थ्य कर्मियों को लगेगा टीका
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