नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा सेक्टर हो जिसे कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने प्रभावित नहीं किया होगा। इस वैश्विक महामारी ने देश के खुदरा सेक्टर की कमर ही तोड़ दी। व्यापारी संगठन कैट (CAIT) ने दावा किया है कि देश में कोरोना महामारी ने पिछले 5 महीनों में भारतीय खुदरा व्यापार को करीब 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। जिससे व्यापारियों को व्यापार घाटा का सामना करना पड़ा। घरेलू व्यापार में उथल-पुथल का आलम यह है कि लॉक डाउन खुलने के 3 महीने के बाद भी देश भर में व्यापारी भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। दुकानें खोलने की इजाजत तो मिली लेकिन ग्राहकों के बिना दुकाने सूनी पड़ी या बहुत कम ग्राहक दुकानों तक पहुंच रहे हैं।
इस विपदा से जूझ रहे व्यापारियों को कई प्रकार की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ ई-कॉमर्स कंपनियां गैर अनुमति वाली वो सब तरीके अपना रही हैं जिससे देश के खुदरा व्यापारियों को व्यापार से बाहर किया जा सके। कैट का दावा है कि रिटेल बाजार में पैसे का संकट अभी भी पुरी तरह बरक़रार है। नवम्बर -दिसंबर के दिए हुए माल का भुगतान जो फरवरी -मार्च तक आ जाना चाहिए था वो भुगतान अभी तक बाज़ार में नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से कइयों का व्यापार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
देश के 20 प्रमुख शहरों से मिले आंकड़ो के आधार पर खुदरा बाजार की सेहत तय की जाती है
कनफेडेरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि देश भर में रिटेल बाज़ार विभिन्न राज्यों के 20 प्रमुख शहरों से आँका जाता है। दरअसल ये शहर राज्यों में सामान वितरण के लिए बड़े केंद्र हैं। ये 20 शहर है- दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, हैदराबाद, चेन्नई, नागपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, रांची, भोपाल, सूरत, लखनऊ, कानपुर, जम्मू, कोचीन, पटना, लुधियाना, चंडीगढ़, अहमदाबाद, गुवाहाटी। व्यापारियों के नुकसान का आंकड़ा इन शहरों से बातचीत करने के बाद बनी रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया। कैट ने आशंका जताई हैं कि फ़िलहाल इस कोविड 19 के प्रभाव से नहीं उबरने की कोई उम्मीद की किरण नहीं दिख रही है।
करीब 20 फीसदी दुकानों पर ताला लगने का डर
कनफेडेरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है। यदि तुरंत इस स्थिति संभालने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में करीब 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा। दुकाने बंद होने की स्थिति में बड़ी संख्यां में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।
व्यापारियों को किस महीने, कितना व्यापार घाटा हुआ
कोविड 19 की वजह से देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में करीब 5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। जबकि मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये,जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। जुलाई में लगभग 3 लाख करोड़ और अगस्त माह में 2 .5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ा।
इन कारणों से खुदरा और थोक बाज़ारों में सन्नाटा पसरा हुआ
जानलेवा कोरोना वायरस ने आम जनता पर दहशत फैला रखी है। डर ही है जिसके कारण स्थानीय ग्राहक बाज़ारों में नहीं आ रहे हैं। ऐसे लोग जो पडोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं वे लोग भी कोरोना से भयभीत है और दूरी बनाए हुए है। इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर-राज्यीय परिवहन, रेल आदि की उपलब्धता न होने के कारण भी थोक बाज़ारों में सन्नाटा पसरा हुआ है। मसलन दिल्ली में प्रतिदिन 5 लाख व्यापारी देश के अन्य राज्यों से आते थे लेकिन इनमें से अधिकांश व्यापारी या ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
व्यापारियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री से की ये अपील
व्यापारी संगठन कैट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि वे व्यापारियों के मौजूदा हालातों के अनुसार कदम उठाए। सरकारें देश के रिटेल व्यापार को दोबारा स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठायें। यदि देश में 20 प्रतिशत दुकानें बंद हो गई तो इसका एक बड़ा खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ेगा। केंद्र ही नहीं राज्य सरकारों के आर्थिक बजट भी पूरी तरह प्रभावित होंगे। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपील की है कि इस संकट काल में बैंकों द्वारा व्यापारियों पर ब्याज देने का दबाव नहीं डाला जाए। और ना ही जुर्माना लगाया जाना चाहिए। सरकार को इसके लिए बैंकों को निर्देशित करना चाहिए।