खांसी, गले में दुखन और जलन के साथ सांस लेने में तकलीफ होना कोरोना संक्रमण के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं। इस तरह की दिक्कत होने पर लोग अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप का सेवन कर लेते हैं। इस बात में कोई शक भी नहीं है कि कफ सिरप लेने से इन दिक्कतों में आराम महसूस होता है। लेकिन यह बात तब फिट बैठती है, जब आपको सामान्य कारणों या बदलते मौसम के कारण गले से जुड़ी इस तरह की समस्याएं हो रही हों।
क्यों नहीं लेनी है कफ सिरफ?
-हम सभी जानते हैं कि इटली और अमेरिका में कोरोन वायरस ने सबसे अधिक तबाही मचाई है। इन देशों में कोरोना के संक्रमण को अधिक घातक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि ये विकसित देश हैं और इनके पास अपने नागरिको को देने के लिए सभी जरूरी सुख-सुविधाएं हैं। लेकिन फिर भी ये देश इस संक्रमण पर काबू नहीं कर पाए।
-साथ ही कोरोना हम सभी के लिए एकदम नया वायरस था और इसके बारे में शुरुआत में किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी। यही वजह है कि आज भी कोरोना पर लगातार रिसर्च हो रही हैं। हाल ही कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात पर परीक्षण किया कि यदि कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति गले के दर्द और खांसी से राहत पाने के लिए कफ सिरप का उपयोग करता है तो उसकी सेहत पर कैसा असर पड़ता है।
-इस शोध को कोरोना संक्रमित अफ्रीकी बंदरों पर किया गया। क्योंकि इन बंदरों पर किसी भी दवाई का असर ठीक उसी तरह होता है, जैसे इंसान पर किसी दवा का असर होता है। शोध टीम से जुड़े प्रोफेसर ब्रिएन का कहना है कि जब हमें शोध में इस तरह के परिणाम देखने को मिले कि बंदरों में कफ सिरप के उपयोग से कोरोना वायरस की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, तब हमें लगा कि सभी लोगों को इस बात की जानकरी होनी चाहिए कि कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप का सेवन नहीं करना है।
कफ सिरप से क्यों बढ़ रहा कोरोना?
-कोरोना संक्रमित मरीजों द्वारा अगर ऐसी कफ सिरप का सेवन कर लिया जाता है, जिसे बनाने में डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग का उपयोग किया गया हो तो यह दवाई मरीज की समस्या कम करने की जगह बढ़ा सकती है।
-ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग हमारे शरीर में पहुंचने के बाद जिस तरह से रिएक्ट करती है और काम करती है, वह सब कोरोना को रेप्लिकेशन में मददगार होता है। यानी इस ड्रग की मदद से कोरोना वायरस को अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने में मदद मिलती है।
-शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद अगर मरीज इस तरह की कफ सिरप का उपयोग करते हैं तो यह बात तो तय है कि उनके शरीर में कोरोना वायरस में वृद्धि होगी। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज पर वायरस की संख्या में वृद्धि का एक जैसा असर दिखाई दे।
डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग क्या है?
-डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग एक ऐसा कम्पोजिशन है, जिसका सेवन करने पर हमें खांसी की समस्या में तेजी से आराम मिलता है। यही वजह है कि आमतौर पर सभी कफ सिरप बनाने में इस ड्रग का उपयोग किया जाता है।
शोधकर्ताओं की यह टीम कोरोना के दौरान मरीज में दिख रहे लक्षणों के आधार पर इस बात की जांच कर रही है कि जब कोरोना से पहले इस तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है, उन दवाओं का असर कोरोना के मरीजों पर किस तरह हो रहा है।
-टीम का कहना है कि ऐसी कई ड्रक्स का कलेक्शन तैयार किया गया है, जो वायरस की वृद्धि को रोकने का काम करती हैं। अब कोरोना संक्रमित जानवरों पर उन ड्रग्स का ट्रायल किया जा रहा है और जानने का प्रयास किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के दौरान ये दवाएं शरीर में जाने के बाद किस तरह से रिऐक्ट करती हैं।