तापघात या लू क्या है, जानिए बचाव के उपचार : क्या लू लगने से मृत्यु हो सकती है ?
लू क्या है? लू क्यों व किस प्रकार लगती है?
१) उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में चलने वाली प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं। इस तरह की हवा मई तथा जून में चलती हैं। लू के समय तापमान ४५° सेंटिग्रेड से तक जा सकता है। गर्मियों के इस मौसम में लू चलना आम बात है। "लू" लगना गर्मी के मौसम की बीमारी है।
२) "लू" लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने की "शक्ल" में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है।
लू के लक्षण व प्रभाव
1 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है ।
2 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ।
3 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है । (बंद कर देता है )
4 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है ।
5 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है ।
6 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं ।
7 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है ।
8 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु भी हो सकती है ।
बचाव के उपचार
गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए । ब्लड प्रेसर पर नजर रखे दिन में तापमान ज्यादा ही रहता है अत 12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें ।
सुबह घर से निराहार ना निकले और निराहार भी ना रहे
ठंडे पानी से प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
गर्मी के दिनों में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में जलीयांश की कमी नहीं होने पाए।
पानी में नींबू व नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीते रहने से लू नहीं लगती।
गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनना चाहिए जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहते हैं।
गर्मी में ठंडाई का सेवन नियमित करना चाहिए।
मौसमी फलों का सेवन भी लाभदायक रहता है जैसे, खरबूजा, तरबूज, अंगूर इत्यादि। गर्मी के दिनों में प्याज का सेवन भी अधिक करना चाहिए एवं बाहर जाते समय प्याज को जेब में रखा जा सकता है।
लू लग जाने पर उपचार
लू लगने पर तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने के पूर्व कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है।
बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए। 104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए।
रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए।
प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए।
बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है।
रोगी के शरीर को दिन में चार-पाँच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए।
चाय-कॉफी आदि गर्म पेय का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिए।कैरी का पना विशेष लाभदायक होता है।
कच्चे आम को गरम राख पर मंद आँच वाले अंगारे में भुनकर, ठंडा होने पर उसका गूदा निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए।
जौ का आटा व पिसा प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है।
लू पीड़ित को तरल ठंडे पदार्थ दें। उसे संतरे या अंगूर का रस दें। ठंडा-ठंडा तरबूज भी उसे खिलाएं। शरीर में ठंडक आने लगेगी। चने व जौ के सत्तू शरीर में ठंडक देते हैं तथा शरीर को लू के असर से बचाते हैं। लू लगने पर प्याज के रस की कनपटियों और छाती पर मालिश करने से लाभ होता है। वैसे लू से बचने के लिए भोजन में नित्य प्याज शामिल करें।
पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर मिटता है। वैसे इमली को भिगोकर इसका पानी पीने से गर्मी में लू नहीं लगती। कच्ची कैरी, प्याज, टमाटर व खीरा ककड़ी का मिक्स सलाद खाने से तन पर लू नहीं लगती। शरीर में ठंडक भी बनी रहती है।लू से बचने के लिए शहतूत और मिश्री का सेवन भी फायदेमंद है। हरड र्पीसकर समान मात्रा में गुड़ मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें। नित्य प्रात: गर्मी के मौसम में नाश्ते के बाद दो गोली खाकर पानी पियें। इससे गर्मी के मौसम में होने वाले विकार नहीं होंगे। आंवले का शरबत या मुरब्बा का इन दिनों जरूर सेवन करें। इससे गर्मी के रोग शरीर पर हावी नहीं होते।
घड़े के एक गिलास ठंडे-ठंडे पानी में एक नीबू निचोड़ें और स्वादानुसार पिसा काला नमक, भूना पिसा जीरा, सेंधा नमक, काली मिर्च पाउडर व दो छोटे चम्मच तुलसी का रस, चीनी पाउडर घोलकर पीने से लू का प्रभाव शीघ्र कम हो जाता है।
अगर लू पीड़ित को सांस लेने में तकलीफ सा रही हो तो उसे कृत्रिम श्वास दें। लू पीड़ित के गुर्दों पर भी ध्यान दें। वे ठीक से कार्य कर रहे हैं या नहीं, इसके अतिरिक्त इस बात पर भी ध्यान दें कि वह मूत्र त्याग रहा है या नहीं? क्योंकि मूत्र के माध्यम से ही शरीर के विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है।
उसके तन पर यदि पसीना आने लगे तो सूखे कपड़े से तुरंत साफ कर, ठंडे पानी का कपड़ा बदन पर फेर दें।
उसके तलवों पर मेहंदी के पानी का लेप करें तथा आंखों में ठंडा-ठंडा गुलाब जल डालें
लू या तापमान कि अधिकता पता करने के लिए प्रयोग करें
हीट वेव कोई मजाक नही है । एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है ।
डॉ राव पी सिंह
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा