कोरबा। जिले की एक ग्राम पंचायत ऐसी है जहां पंच और सरपंच का निर्विरोध चयन किए जाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही। चुनाव से ठीक पहले गांव में चौपाल लगाई जाती है। यहां सभी 11 वार्ड के लिए निर्विरोध पंच चुनते हैं। इसके साथ ही सभी पंच निर्विरोध सरपंच का चुनाव करते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। आदिवासी महिला के लिए ग्राम पंचायत आरक्षित होने से गांव की महिला सुमरित नेताम को सरपंच चुना गया है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनााव का बिगुल बज चुका है। सोमवार से नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू होगी। एक ओर सरपंच और पंच बनने ग्राम पंचायतों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है, वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत पुटा के ग्रामीणों ने सभी पद के लिए निर्विरोध चयन कर एकता की मिसाल पेश की है।
यह परंपरा ग्राम पंचायत के अस्तित्व में आने के बाद वर्ष 2014 से जारी है। इस पंरपरा को आगे बढ़ाते हुए रविवार को गांव के चौराहे में चौपाल लगा निवर्तमान सरपंच दिलाराम नेताम मौजूद रहे। सभी 11 वार्ड के प्रमुख ग्रामीणों की उपस्थिति में पहले 11 पंचों का निर्विरोध चयन किया गया।
इसके बाद निवर्तमान सरपंच दिलाराम की पत्नी सुमरित नेताम को ग्रामीणों ने निर्विरोध सरपंच बनाने का निर्णय लिया। चौपाल में यह निर्णय लिया गया कि चयनित किए गए उम्मीदवार ही नामांकन की प्रक्रिया पूर्ण करेंगे। इसके अलावा अतिरिक्त कोई भी अभ्यर्थी नामांकन दाखिल नहीं करेगा।
इसके साथ ही यहां मतदान नहीं होगा और निर्वाचन आयोग सभी को निर्विरोध पंच, सरपंच घोषित कर देगा। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों ने आपसी सहमति से चुनाव कर एकता की मिसाल पेश की है। यदि चयनित अभ्यर्थियों के अलावा कोई और नामांकन दाखिल नहीं करेगा तो निर्विरोध चयन का यह दूसरा पंचवर्षीय होगा। यहां के लोगों का मानना है कि पूरा ग्राम हमारा स्वयं का घ्ार एवं परिवार है, जिसके बीच में दरार करना नहीं चाहते हैं। चुनाव होने से आपसी द्वेष भावना बढ़ती है जो हमें पसंद नहीं है।