कुछ मुख्य बातें बिल्व वृक्ष की
संवाददाता-विवेक चौबे
गढ़वा ! हिन्दू धर्म में आज भी पूजन-अर्चना का एक बड़ा महत्व है।सभी देवों के देव महादेव,जिनका नाम मात्र सुनने से दुःख,दरिद्रता,पाप,लोभ समाप्त हो जाता है।हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से हीं विधि-विधान व पवित्रता से पूजन-अर्चना करना व कराना पंडित(ब्राह्मण) का ही कार्य है।ब्राह्मणों के अध्यन व उनके कार्य शैली के अनुसार महादेव को प्रसन्न करने के कई तरीके हैं।अलग-अलग वर प्राप्त करने के अलग-अलग विधि हैं।विधि के अनुसार शुद्धता पूर्वक हृदय से पूजन-अर्चना करने से शीघ्र वर की प्राप्ति होती है व महादेव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।महादेव को कई नामों से जाना जाता है।जैसे- शिव,शंकर,भोले,महादेव,त्रिनेत्र धारी आदि।
काल की "दशा व दिशा" बदलने की क्षमता,जिस देव में हो,वे हैं "महादेव'
यकीन नहीं तो निम्न विधि के अनुसार पूजन-अर्चना करके आजमाएं! ध्यान रहे पूजा के दौरान मन भटके नहीं।मन तो चंचल होता ही है,उसे वश में करके ही पूजा करें।विल्वपत्र का भी एक अलग ही महत्व है,जानें खाश बात!
भगवान शंकर को बेलपत्र,जिसे संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहते हैं,वह अति प्रिय है।ऐसा माना जाता है की बेलपत्र व जल चढाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल हो जाता है।यह भी मान्यता है की शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से सभी पाप धूल जाते हैं।
बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते,अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है,वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है,चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली व शिव को अर्पण करने से अनंत गुणा फल मिलता है,बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है व बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है,सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश हो जाता है,बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है,बेल वृक्ष व सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे
आपको बता दें की जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है,बेल वृक्ष का रोपण, पोषण व संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये
बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं
शिव जी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन-सी चीज़ चढाने से
मिलता है "क्या फल"
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक़्त उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग-अलग होता है।
शिव पुराण में इस बात का वर्णन
मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है।आप भी जानिए,क्या फल मिलता है ?भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है,तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है,जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है,गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है,यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।
शिव पुराण के अनुसार
जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है ? ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है,सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है,नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे व ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है,तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं,सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है,शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है,शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है,मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।
शिव पुराण के अनुसार
जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाया जाए तथा उसका क्या फल मिलता है! लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर,भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है,चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है,अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है,शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है,बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है,जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती,कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं,हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है,धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है,लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है,दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।