बुधवार, 17 अगस्त 2022

दिव्यांगता प्रमाण-पत्र व यूडीआईडी कार्ड जारी होगा 

दिव्यांगता प्रमाण-पत्र व यूडीआईडी कार्ड जारी होगा 

हरिशंकर त्रिपाठी 

देवरिया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया है कि जनपद में दिव्यांगजनों के हितों को सम्बंधन के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के लिए यह आवश्यक है कि दिव्यांगजनों को दिव्यांगता का प्रमाण-पत्र एवं यू.डी.आई.डी. कार्ड सहज तरीके प्राप्त हो सकें। उन्होंने बताया है कि 20 अगस्त, शनिवार को तहसील रुद्रपुर में आयोजित होने वाले सम्पूर्ण सामाधान दिवस में स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल टीम द्वारा कैम्प लगाकर दिव्यांगजनों को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र एवं यू.डी.आई.डी. कार्ड जारी किया जाएगा।
इसके दृष्टिगत जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड के सभी सदस्य अनिवार्य रूप से 09:30 बजे तक सम्पूर्ण समाधान दिवस के निर्धारित स्थल पर उपस्थित होंगे। सम्बन्धित तहसील के उपजिलाधिकारी, मेडिकल टीम व दिव्यांगजनों को बैठने, यू.डी.आई.डी कार्ड निर्गत किये जाने हेतु कम्प्यूटर प्रिंटर व अन्य आवश्यक सुविधाए उपलब्ध कराएंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रातः: 10:00 बजे तक उपजिलाधिकारी की उपस्थिति में पहला यू.डी.आई.डी. कार्ड जारी हो जाएं। प्रधानाचार्य मेडिकल कालेज / मुख्य चिकित्सा अधिकारी देवरिया यह सुनिश्चित करायें की ई०एन०टी के चिकित्सक मय पोर्टेबल आडियोमेट्रिक मशीन के साथ प्रातः 09:30 बजे तक उपस्थित रहेंगे।
जिलाधिकारी ने यह भी बताया है कि 20 अगस्त को तहसील रुद्रपुर में सम्पूर्ण समाधान दिवस आयोजित है, जिसमें सभी जिला स्तरीय अधिकारियों के प्रतिभाग करने की अनिवार्यता की गयी है। साथ ही उन्होने जन सामान्य से भी अपने मामलो को प्रस्तुत कर निस्तारण कराये जाने की अपेक्षा की है। इसके अतिरिक्त जनपद के अन्य तहसील मुख्यालयों पर भी संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन प्रातः 10 बजे से अपरान्ह 02 बजे तक सम्पन्न होगा।

अंचल अधिकारी के खिलाफ किसानों ने प्रदर्शन किया

अंचल अधिकारी के खिलाफ किसानों ने प्रदर्शन किया 

अविनाश श्रीवास्तव 

चक्की। अंचल अधिकारी कौशल कुमार के खिलाफ किसानों ने प्रदर्शन किया। किसानों ने बताया, कि चक्की प्रखंड के सभी कार्यालय घूसखोरी तथा मनमानी का अड्डा बन चुका हैं। कर्मचारी अपनी मर्जी से अंचल में आते हैं और चले जाते हैं। कार्यालय में रहने पर भी आम जनता से सीधे मुंह बात नहीं करते यहां के प्रति दिन का रवैया बन चुका है। अगर कोई आदमी किसी कर्मचारी या अधिकारी से किसी भी प्रकार की जानकारी लेना चाहता है, तो उसका मजाक उड़ा कर भगा दिया जाता है। कोई भी काम करना हो तो उसमें सिर्फ कमियां ढूंढ ही जाती है, कि वह 100,200रुपया दे यही यहां का रवैया है, तथा जाति आवासीय जमीन संबंधी किसान ऑनलाइन नाम जुड़वाने के लिए प्रतिदिन चक्कर लगाकर थक जाते हैं। कर्मचारी बोलते हैं कि साहब आते नहीं तो कहां से साइन करके दे। जमीन का दाखिल खारिज करने के लिए ₹2000 रिश्वत मांगी जाती है, तथा किसानों द्वारा सीओ को फोन लगाने पर नहीं उठाते हैं और ना ही पत्रकारों का फोन उठाते हैं। वहीं, अंचल कर्मचारी फोन करते हैं, तो उनका फोन उठा लेते हैं। किसानों का कहना है कि जमीन से संबंधित कई काम बाधित है। 8 महीने हो गए है, लेकिन परिमार्जन के लिए दिया गया नाम आज तक नहीं चढ़ा है। जब आने पर कर्मचारी कहते हैं अंचल अधिकारी नहीं है और अंचल अधिकारी चक्की में  भूले भटके कभी चले आते हैं, तो किसानों को आश्वासन देकर चले जाते हैं। कहते हैं, आपका काम जल्दी हो जाएगा।

प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा दिया 

प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा दिया 

इकबाल अंसारी 

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने बड़ा सियासी परिवर्तन करते हुए अपने संगठन में कई नए चेहरों को जगह दी थी। कुछ अनुभवी नेताओं को भी साथ लाने का काम किया गया था। इसी कड़ी में पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया था। उनके करीबी विकार रसूल वाणी को जम्मू-कश्मीर कांग्रेस का नया प्रमुख बनाया गया। लेकिन, फिर भी कुछ ऐसा हुआ कि चंद घंटों बाद ही गुलाम नबी आजाद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

पार्टी से नाराजगी बनी इस्तीफे की वजह ?

पहले तो उनकी तरफ से कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया, लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उन्होंने वो इस्तीफा दिया। लेकिन, जम्मू से कांग्रेस नेता अश्विनी हांडा ने अलग ही कहानी बयां कर दी है। उनके मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लिए जिस प्रचार कमेटी का गठन किया है, उसमें जमीनी नेताओं को छोड़ दिया गया है‌। उनके साथ न्याय नहीं हुआ है। इस बारे में वे कहते हैं कि कांग्रेस द्वारा बनाई गई नई प्रचार कमेटी ने जमीनी नेताओं की आकांक्षाओं को नजरअंदाज कर दिया है। उनके साथ बड़ा अन्याय किया गया है। इसी वजह से गुलाम नबी आजाद ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वे भी इस नई कमेटी से संतुष्ट नहीं थे।

ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए 

ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव के कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बावजूद संक्रमित हो जाना 'मेडिकल साइंस की विफलता है' बयान पर कहा है कि आधिकारिक बातों से ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए। जस्टिस अनूप जयराम भंबानी ने कहा, मुझे आयुर्वेद के प्रतिष्ठित नाम के खराब होने की चिंता है…आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है…इसे नुकसान मत पहुंचाइए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को योग गुरु बाबा रामदेव को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, लोगों को गुमराह नहीं करें। जो ऑफिशियल जानकारी है, उससे ज्यादा कुछ न कहें। कोविड वैक्सीन लगने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कोरोना संक्रमित हुए थे। रामदेव ने इसे चिकित्सा विज्ञान की विफलता बताया था। रामदेव द्वारा एलोपैथी के खिलाफ बयान देने पर विभिन्न डॉक्टरों के संघों ने मुकदमा दायर किया था। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप जयराम भम्बानी ने कहा- आयुर्वेद एक मान्यता प्राप्त, प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद के अच्छे नाम को नुकसान नहीं पहुंचाएं। रामदेव ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं का नाम अपने बयान में लिया है, उन नेताओं और उनके देशों से हमारे संबंध हैं। ऐसे बयान विदेशों के साथ हमारे अच्छे संबंधों को प्रभावित करेगा।

कोर्ट ने कहा, यह कहना एक बात है कि मैं वैक्सीन नहीं लेना चाहता हूं, लेकिन यह कहना बिल्कुल दूसरी बात है कि वैक्सीन भूल जाओ, यह बेकार है, लेकिन इसे ले लो, मैं किस फॉर्मूलेशन का प्रचार कर रहा हूं। रामदेव के अनुयायियों, शिष्यों और उन पर विश्वास करने वालों को उनकी सलाह मानने या न मानने का स्वागत है, लेकिन उन्हें आधिकारिक जानकारी ही दें, उससे अधिक कहकर गुमराह न करें। रामदेव के वकील ने कोर्ट में कहा- ये केस राजनीति से प्रेरित है। बाबा रामदेव को बदनाम करने के लिए इस केस को कांग्रेस बनाम भाजपा बनाया जा रहा है। अदालत ने कहा- कोर्ट में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। सीनियर वकील अखिल सिब्बल ने कोरोनोवायरस महामारी के दौरान रामदेव बाबा के एलोपैथी के खिलाफ दिए गए बयानों पर दलीलें दीं। अदालत ने कहा- मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।

बैंक ने जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाई

बैंक ने जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाई

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सावधि जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। नई दरें नौ अगस्त 2022 यानि बुधवार से लागू हैं। बैंक ने कहा कि भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर उसने विभिन्न अवधियों की सावधि जमाओं पर ब्याज दर में 0.3 प्रतिशत से 1.50 प्रतिशत की वृद्धि की है।

उज्जीवन एसएफबी ने 75 सप्ताह (525 दिन) और 75 महीने की जमाओं के लिए सबसे अधिक 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की उच्चतम ब्याज दर तय की है। इन दोनों अवधि की जमा योजनाओं की शुरुआत आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर की गई है। बैंक ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त दर अब 0.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दी गई है। नयी दरें दो करोड़ रुपये से कम जमा पर लागू हैं। बैंक ने कहा कि वह मासिक, त्रैमासिक और परिपक्वता पर ब्याज भुगतान विकल्पों की पेशकश करेगा।

'टीकेडीएल' डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दी

'टीकेडीएल' डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पेटेंट कार्यालयों के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए ‘पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी’ (टीकेडीएल) डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दे दी। टीकेडीएल डाटाबेस तक पहुंच एक सशुल्क सदस्यता मॉडल के माध्यम से होगी, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए क्रमवार खोला जाएगा। सरकार ने एक बयान में कहा कि पेटेंट कार्यालयों से परे डाटाबेस की पहुंच का विस्तार करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी नवाचार और व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मौजूदा प्रथाओं के साथ पारंपरिक ज्ञान के एकीकृत और सह-चुनाव पर जोर देती है। बयान में कहा गया, “टीकेडीएल ज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करेगा।

टीकेडीएल की वर्तमान सामग्री भारतीय पारंपरिक दवाओं को व्यापक रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगी, साथ ही नए निर्माताओं और नवप्रवर्तकों को हमारी मूल्यवान ज्ञान विरासत के आधार पर उद्यमों का लाभप्रद निर्माण करने के लिए भी प्रेरित करेगी।” बयान में कहा गया कि टीकेडीएल के खुलने से विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसमें कहा गया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत, भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से विचार और ज्ञान नेतृत्व को विकसित करने के लिए टीकेडीएल को खोलने की भी परिकल्पना की गई है।

सिलसिला: एटीएस ने 6 लोगों को हिरासत में लिया 

सिलसिला: एटीएस ने 6 लोगों को हिरासत में लिया 

विमलेश यादव 

अहमदाबाद। गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने वडोदरा शहर के पास एक निर्माणाधीन फैक्ट्री से 1125 करोड़ रुपये कीमत का 225 किलोग्राम मादक पदार्थ मेफेड्रोन बरामद होने के सिलसिले में छ: लोगों को हिरासत में लिया है। एटीएस के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुनील जोशी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि जब्त किया गया नशीला पदार्थ भरूच जिले के सायखा गांव में एक रसायन फैक्ट्री में बना था और इसे वडोदरा जिले के सावली तालुका में निर्माणाधीन फैक्ट्री में प्रसंस्कृत किया जा रहा था।

उन्होंने कहा, “ गुप्त सूचना के आधार पर गुजरात एटीएस की एक टीम ने मंगलवार सुबह इस फैक्ट्री व गोदाम में छापा मारा और 225 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त किया जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1,125 करोड़ रुपये है।” जोशी ने कहा, “ निमार्णाधीन फैक्ट्री का मालिक सूरत निवासी महेश वैष्णव है जो गिरोह का सरगना है और वडोदरा में रहने वाला पीयूष पटेल उसका साझेदार है। इस साल के शुरू में वैष्णव ने मेफेड्रोन बनाने का विचार दिया और सायखा में स्थित एक अन्य रसायन फैक्ट्री के मालिकों से संपर्क किया।” भरूच जिले में स्थित फैक्ट्री के मालिक राकेश मकानी, विजय वसोया और दिलीप वाघासिया हैं। इसकी स्थापना अन्य कंपनियों के लिए अनुबंध के आधार पर रसायन और अन्य फार्मास्युटिकल उत्पादन बनाने के लिए की गई थी। मकानी ने वैष्णव की पेशकश को स्वीकार कर लिया और इस साल जनवरी से मेफेड्रोन का उत्पादन शुरू कर दिया। अवैध मादक पदार्थ बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति वैष्णव करता था।

जोशी ने बताया, “ वैष्णव तरल मेफेड्रोन को अपनी फैक्ट्री में लाता था और उसे सुखाने के बाद पाउडर में तब्दील करता था। उसने स्वीकार किया है कि उसने मुंबई के दिनेश ध्रुव और दो अन्य लोगों को तथा राजस्थान के एक व्यक्ति को 15-15 किलोग्राम मेफेड्रोन भेजी है। बाकी को एटीएस ने जब्त कर लिया।” एटीएस ने अब तक वैष्णव, पटेल, मकानी, वसोया, वघासिया और ध्रुव को हिरासत में लिया है। ध्रुव को 1994 में स्वापक औषधि और मन-प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह 12 साल तक जेल में रह चुका है। उन्होंने बताया कि इसी तरह वैष्णव को भी 1998 में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह सात साल तक जेल में रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में शामिल अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।

अधीक्षण अभियंता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया 

अधीक्षण अभियंता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया 

पटना। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने बिहार पुलिस भवन निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार को बुधवार को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। एसवीयू के अपर पुलिस महानिदेशक एन. एच. खान ने बुधवार को यहां बताया कि विभाग को लिखित जानकारी मिली थी कि पुलिस भवन निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार ने ठेकेदार गणेश कुमार से किसी काम को कराने के लिए एक बड़ी राशि की मांग की है, जिसमें पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये देने को कहा गया है। आरोप की सत्यता के लिए विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया गया। जांच में मामले को सही पाए जाने के बाद विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया गया।

खान ने बताया कि इस विशेष टीम ने अधीक्षण अभियंता को ठेकेदार से बतौर रिश्वत 50 हजार रुपये लेते हुए रंगेहाथ कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अधीक्षण अभियंता से पूछताछ की जा रही है। इस सिलसिले में अधीक्षण अभियंता के खिलाफ एसवीयू थाना में मामला दर्ज किया गया है।

ज्ञानवापी: पैरोकार डॉक्टर को जान से मारने की धमकी 

ज्ञानवापी: पैरोकार डॉक्टर को जान से मारने की धमकी 

संदीप मिश्र 

वाराणसी। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मामले को अदालत चुनौती देने वाली महिलाओं में से एक लक्ष्मी देवी के पैरोकार डॉक्टर सोहन लाल आर्य को जान से मारने की धमकी मिली है। पाकिस्तान के नंबर से आई कॉल में धमकी देने वाले ने राजस्थान के कन्हैया की तरह सिर तन से जुदा करने की धमकी दी है। सोहनलाल ने इसकी शिकायत पुलिस के अधिकारियों से की है। डीसीपी काशी ने कहा कि केस दर्ज होगा। सोहनलाल को पहले से सुरक्षा मिली हुई है। इससे पहले उन्हें इसी साल 19 मार्च और फिर 20 जुलाई को जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। सोहनलाल का कहना है कि वो इससे डरने वाले नहीं हैं। हिंदुत्व और मंदिर रक्षा के लिए प्राण भी चले जाएं तो फर्क नहीं पड़ता। उनकी सिक्योरिटी में दो पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

डॉ. आर्य ने कहा कि धमकी के बारे में इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों से भी बात हुई है। अंदेशा है कि भारत से ही कोई शख्स पाकिस्तान के नंबर का इस्तेमाल करके कॉल कर रहा है। नंबरों को इंटेलिजेंस के अधिकारियों को सौंपा गया है। वाराणसी कमिश्नर और डीएम से मिलने का समय मिला है। लक्सा थाने में एफआईआर दर्ज कराएंगे। उनके दोनों मोबाइल नंबर पर धमकी मिली है। दिल्ली की राखी सिंह के अलावा वाराणसी की 4 महिलाओं ने मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन और ज्ञानवापी परिसर के अन्य देव की सुरक्षा के लिए मुकदमा दाखिल किया था। डॉ. सोहनलाल आर्य वाराणसी की लक्ष्मी देवी के पति और उनके पैरोकार हैं। आतंकवादियों की धमकी के बारे में डॉ. सोहनलाल ने कहा कि मुकदमा वापस लेने की धमकी दी गई। जवाब में मैंने कहा कि हम धमकी से झुकने वाले नहीं हैं। कल 18 अगस्त को तारीख है। हिंदुओं के पक्ष में फैसला आने वाला है। उनका कहना है कि कुछ आतंकवादी संगठन उनके पीछे पड़े हैं। वो 1984 में विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इस समय RSS के प्रांतीय पदाधिकारी हैं।

19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया

19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया 

संदीप मिश्र 
आजमगढ़। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने बताया है कि वर्ष 2022 हेतु घोषित अवकाशों में 18 अगस्त 2022 (गुरुवार) को जन्माष्टमी को निगोशिएबुल इन्स्ट्रूमेन्ट एक्ट, 1881 के अधीन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार 19 अगस्त 2022 को मनाये जाने की सूचना प्राप्त हुई है।

ऐसी स्थिति में जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त 2022 (गुरुवार) के स्थान पर 19 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) को मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होने कहा कि उक्त लिये गये निर्णय के आलोक में जन्माष्टमी के त्योहार हेतु 18 अगस्त 2022 के स्थान पर 19 अगस्त 2022 को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है।

खनन लीज पट्टा व कंपनी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 

खनन लीज पट्टा व कंपनी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 

अकांशु उपाध्याय/विमलेश यादव 

नई दिल्ली/रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज पट्टा और शेल कंपनी से जुड़ी याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट की कार्रवाई पर फ़िलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने एसएलपी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई के दौरान पीआईएल के प्रार्थी के द्वारा डिस्चार्ज याचिका दाखिल कर अदालत को बताया गया था कि उनके वकील पुलिस हिरासत में हैं, जिसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को स्टेटस को (यथा स्थिति) बनाए रखने का निर्देश दिया था। जिससे झारखंड की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली थी।

गौरतलब है कि झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दोनों याचिकाओं में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें खनन के पट्टे देने में कथित अनियमितताओं का हवाला हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच के लिए जनहित याचिका दाखिल की गई थी। जिसे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान इस केस की सुनवाई से पूर्व एक वरीय अधिवक्ता ने अपनी ख़राब तबियत का हवाला दिया था। अदालत से इस मामले की सुनवाई के लिए समय देने का आग्रह किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर किया है। बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपने 3 जून को दिए आदेश में कहा था कि याचिका सुनने योग्य है। हाईकोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं एक अन्य जनहित याचिका शेल कंपनी मामले को लेकर भी दायर है, जिसमें याचिका को अयोग्य करार दिया गया है।

इसाक की 2 सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं 

इसाक की 2 सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं 

इकबाल अंसारी 

तिरुवनंतपुरम/कोच्चि। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को केरल उच्च न्यायालय में कहा कि वह केआईआईएफबी द्वारा कथित उल्लंघनों की जांच के सिलसिले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक की दो सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं देगा। दो सितंबर तक एजेंसी के समन के खिलाफ उनकी याचिका पर अगली सुनवाई होने की उम्मीद है। मामले से जुड़े सरकारी वकीलों ने कहा कि ईडी ने इसाक की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले को केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा हाल में दायर एक याचिका के साथ दो सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। वकीलों ने कहा कि एजेंसी ने अदालत से यह भी कहा कि वह तब तक (दो सितंबर तक) माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री की पेशी पर जोर नहीं देगी।

इसाक ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एजेंसी को उनसे पूछताछ करने या उनकी व्यक्तिगत जानकारी या विवरण मांगने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह केआईआईएफबी के पूर्व प्रमुख थे और वर्तमान में इसके पदेन सदस्य हैं। उन्होंने आगे दलील दी है कि ईडी ने जाल बिछाया और केआईआईएफबी की गतिविधियों में जांच करने का प्रयास किया जबकि इस तरह की पूछताछ पर शीर्ष अदालत द्वारा बार-बार अप्रसन्नता जाहिर की गई है। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें जारी किए गए समन में उनके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के उल्लंघन (यदि कोई हो), की प्रकृति का खुलासा नहीं किया गया है या यह नहीं बताया गया है कि किस जांच के संबंध में उनका जवाब मांगा गया है। ईडी ने पिछले महीने वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता को 19 जुलाई को पेश होने के लिए एक नोटिस दिया था। हालांकि, वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए और कहा कि उन्हें राज्य की राजधानी में पार्टी संचालित संस्थान में कक्षाओं में हिस्सा लेना था।

बार-बार आंखों को रगड़ना बेहद नुकसानदायक

बार-बार आंखों को रगड़ना बेहद नुकसानदायक  सरस्वती उपाध्याय  आंख हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक हैं। जिसकी मदद से हम अपने आस-पास की ...