क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती, एससी ने खारिज की
इकबाल अंसारी
गांधीनगर। गुजरात दंगा केस में ज़किया जाफरी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ज़किया ने दंगे की साज़िश के आरोप से तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मुक्त करने वाली SIT की क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इससे पहले 2012 में मजिस्ट्रेट और 2017 में हाई कोर्ट इस रिपोर्ट को मंजूरी दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि याचिका में तथ्य नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में दंगों की जांच के लिए पूर्व सीबीआई निदेशक आर के राघवन के नेतृत्व में SIT का गठन किया था। कोर्ट लगातार इस जांच की निगरानी करता रहा। दंगों में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ज़किया ने दंगों की साज़िश में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने का आरोप लगाया। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT को ज़किया की तरफ से दिए गए सबूतों के आधार पर मामले की जांच का आदेश दिया।
2012 में SIT ने दाखिल की थी क्लोजर रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SIT ने दंगों की व्यापक साज़िश के पहलू की जांच की। मुख्यमंत्री मोदी से भी अपने कार्यालय में बुला कर पूछताछ की। 2012 में SIT ने मजिस्ट्रेट के पास क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी। SIT ने मोदी समेत 63 लोगों के साज़िश में हिस्सेदार होने के आरोप को गलत पाया। ज़किया ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की। इसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया।
2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी मजिस्ट्रेट के आदेश को सही करार दिया।
2018 में सुप्रीम कोर्ट पहुंची ज़किया की अपील पर 3 साल तक सुनवाई नहीं हो पाई। ज़्यादातर मौकों पर इसकी वजह खुद याचिकाकर्ता की तरफ से सुनवाई टालने का अनुरोध रहा।पिछले साल कोर्ट ने इस पर सख्ती जताते हुए सुनवाई को और टालने से मना कर दिया।आखिरकार कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद 9 दिसंबर 2021 को मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
SC बेंच ने कहा- अपील आदेश देने योग्य नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान ज़किया की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की थी। उन्होंने SIT पर सबूतों की अनदेखी का आरोप लगाया था। वहीं SIT के लिए मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा था। रोहतगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता मामले में पीएम मोदी का नाम जुड़ा होने के चलते इसे खींचते रहने की कोशिश कर रहे हैं। रोहतगी ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल ठगते हुए कहा था, “अगर इन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई जांच पर भी भरोसा नहीं है, तो क्या अब स्कॉटलैंड यार्ड (ब्रिटिश पुलिस मुख्यालय) की जांच टीम को बुलाने की मांग करना चाहते हैं।
मामले पर फैसला आज जस्टिस ए एम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सी टी रविकुमार की बेंच ने फैसला दिया। बेंच ने कहा कि अपील आदेश देने योग्य नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ज़किया की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना है कि मामले में मजिस्ट्रेट का आदेश सही था। उन्होंने सभी पहलुओं को देखने के बाद उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT के कामकाज की तारीफ की है। साथ ही यह भी कहा है कि इस मामले को जानबूझकर लंबा खींचा गया।कुछ लोगों ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर प्रयास किया कि मामला चर्चा में बना रहे। हर उस व्यक्ति की ईमानदारी पर सवाल उठाए गए, जो मामले को उलझाए रखने वाले लोगों के आड़े आ रहा था। न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले लोगों पर उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।