कई भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध, एकेडमी
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी/कैलिफोर्निया। शिक्षा मानव का बुनियादी हक है। पहले के जमाने में गुरुकुल में अध्ययन और अध्यापन का काम किया जाता था। हालांकि, जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हुआ, वैसे-वैसे शिक्षा का तरीका भी बदला। आज के जमाने में खासकर कोरोना महामारी के बाद यह इंटरनेट पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है। दुनियाभर में लाखों की संख्या में वेबसाइट्स और ब्लॉगर्स शिक्षा को क्लास रूम से निकालकर विद्यार्थियों के घरों तक पहुंचा रहे हैं। इन्हीं में से एक है, खान एकेडमी। इसकी स्थापना बांग्लादेशी मूल के अमेरिकी साल खान ने साल 2008 में की थी। आज इस एकेडमी के जरिए दुनियाभर के 13 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं।
गणित की शिक्षा देने वाली यह एकेडमी दुनियाभर के कई भाषाओं में अपने कंटेंट उपलब्ध करवाती है।
साल खान जब 20 साल के थे, तब उन्होंने बोस्टन में एक हेज-फंड एनलिस्ट के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। उस समय न्यू ऑरलियन्स में रहने वाली उनकी 12 साल की चचेरी बहन ने गणित में उनकी कुछ मदद मांगी। नादिया गणित में कमजोर होने के कारण स्कूल में निचले ग्रेड में डाल दी गई थी। इसलिए, साल खान ने टेलिफोन के जरिए नादिया को पढ़ाना शुरू किया और जब परीक्षा हुई तो उनकी चचेरी बहन रेमेडियल क्लास से निकलकर स्कूल में मैथ्स की टॉप स्टूडेंट बन गई। इस सफलता ने साल खान को गणित पढ़ाने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उन्होंने लुइसियाना में अपने 12 चचेरे भाई-बहनों को अलजेब्रा और कैल्कुलस पढ़ाना शुरू कर दिया।
पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए स्थापित की वेबसाइट...
अपनी पढ़ाने की कला को और रोचक बनाने के लिए साल खान ने एक वेबसाइट को बनाया और कुछ सॉफ्टवेयर का ईजाद किया। इसके जरिए वे अपने विद्यार्थियों के लिए प्रैक्टिस सेट बनाते थे। इसी दौरान साल खान के एक दोस्त ने सुझाव दिया कि वो अपनी पढ़ाई का वीडियो बनाकर उसे यूट्यूब पर अपलोड कर सकते हैं। उस समय तक सात खान का यह मानना था कि यूट्यूब तो पियानो बजाने वाली बिल्लियों और स्केटबोर्ड पर सरकने वाले कुत्तों के लिए है। इसके बावजूद उन्होंने अपना वीडियो अपलोड करने का फैसला किया। इस दौरान उनके चचेरे भाइयों ने बताया कि वो यूट्यूब के जरिए पढ़ने को अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इसे जितनी बार चाहें उतनी बार देख सकते हैं और बार-बार एक ही टॉपिक के रिपीट करने से पढ़ाने वाला भी नाराज नहीं होता है।
बिल गेट्स की तारीफ ने साल खान को प्रसिद्ध कर दिया...
जिसके बाद साल खान को लगने लगा कि यह उनकी पढ़ाई के लिए एक अच्चा प्लेटफॉर्म हो सकता है। वे धीरे-धीरे गणित की कठिन अवधारणाओं के सरल भाषा में वीडियो बनाकर उसके वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड करने लगे। 2008 से पढ़ाना शुरू करने के चार साल बाद यूट्यूब पर उनके ऑनलाइन ट्यूटोरियल को हर महीने हजारों लोग देखने लगे थे। फिर एक दिन बिल गेट्स ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह खान के वीडियो का इस्तेमाल अपने बच्चों को गणित सिखाने के लिए कर रहे थे। जिसके बाद उनका यूट्यूब चैनल वायरल हो गया। उस दौरान तो गूगल ने उन्हें फ्री वर्ल्ड क्लास एजुकेशन फॉर एनीवन, एनीवेयर के अपने सपने का विस्तार करने के लिए 2 मिलियन डॉलर की पेशकश की थी।
कैलिफ़ोर्निया के माउंटेन व्यू में है खान एकेडमी का ऑफिस...
जिसके बाद उन्होंने कैलिफ़ोर्निया के माउंटेन व्यू में गूगल के पुराने ऑफिस के ठीक पास खान एकेडमी का ऑफिस खोल लिया। वर्तमान में खान एकेडमी के 190 देशों में 135 मिलियन से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। वे 51 अलग-अलग भाषाओं में अपने कंटेंट उपलब्ध करवाते हैं। 2016 में खान एकेडमी का टर्नओवर 350 करोड़ रुपये था, निश्चित तौर पर इस समय यह आंकड़ा 4 से 5 गुना ज्यादा होगा। खान एकेडमी इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति को हजारों मुफ्त वीडियो ट्यूटोरियल और एक्सरसाइज उपलब्ध करवाता है। कोरोना महामारी की शुरुआत में जब दुनियाभर में स्कूल-कॉलेज बंद हो गए, तब खान एकेडमी के यूजर्स की संख्या 30 मिलियन से बढ़कर 85 मिलियन तक पहुंच गई थी। जो इस समय धीरे-धीरे बढ़कर 135 मिलियन तक पहुंच गई है।
बेहद सादगी का जीवन जीते हैं साल खान
हर साल अरबों रुपये की कमाई करने वाले साल खान अब भी बहुत सादगी की जिंदगी जीते हैं। वे अपनी डॉक्टर पत्नी उमैमा और अपने तीन बच्चों के साथ चार बेडरूम वाले एक घर में रहते हैं। उनके पास टेस्ला या फेरारी के बजाय दो होंडा की कारें हैं।
उनके पास अपना कोई निजी जेट या निजी शेफ भी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनका बचपन लुइसियाना के मेटाएरी में गरीबी में गुजरा। उनकी मां भारतीय मूल की थीं, जो घर को चलाने के लिए एक स्टोर में काम करतीं थीं। उनके पिता बांग्लादेशी मूल के थे, जो डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका आए थे।