शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022
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कश्मीरी पंडितों को भेजा जा सकता है विधानसभा
कश्मीरी पंडितों को भेजा जा सकता है विधानसभा
इकबाल अंसारी
श्रीनगर। । जम्मू-कश्मीर में अभी परिसीमन चल रहा है जिसके कारण विधानसभा में कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों को नामित विधायकों के तौर पर एंट्री दी जा सकती है। दरअसल कश्मीरी पंडितों की आबादी घाटी में नाम मात्र की है और 1990 में हिंसा के बाद पलायन करने वाले परिवारों की वापसी भी बहुत सीमित है। ऐसे में उन्हें प्रतीकात्मक तौर पर प्रतिनिधित्व देते हुए नामित सदस्य विधानसभा भेजे जा सकते हैं। इस प्रावधान पर परिसीमन आयोग विचार कर रहा है। आयोग का कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो रहा है। खास बात यह है कि परिसीमन आयोग की सिफारिश में इन नामित सदस्यों को विधानसभा में किसी भी मसले पर होने वाले मतदान में वोटिंग का अधिकार भी दिया जा सकता है। पैनल का मानना है कि कश्मीरी पंडितों को राज्य की व्यवस्था में भागीदारी का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा यह भी चर्चा हुई है कि क्या पलायन करने वाले कश्मीरी पंडित जहां भी हैं, वहीं से जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में मतदान कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडलों से परिसीन आयोग के सदस्यों ने बात की है। इसके बाद इस पर सहमति बनी है कि विधानसभा में कश्मीरी पंडितों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।परिसीमन आयोग में मेवानिवृत सुप्रीम कोर्ट जस्टिस रंजना देसाई और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा शामिल हैं। विधानसभा में कश्मीरी पंडितों का यह प्रतिनिधित्व धर्म या जाति के आधार पर नहीं होगा। इसकी बजाय इसका आधार यह होगा कि वे पीढ़ियों से राज्य की राजनीतिक व्यवस्था के हिस्सेदार रहे हैं। इस व्यवस्था का उदाहरण सिक्किम से लिया गया है, जहां बौद्ध भिक्षुओं को नामित सदस्य के तौर पर भेजने का नियम है। जम्म-कश्मीर विधानसभा में चुनाव के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधित्व की बजाय नामित सदस्यों की व्यवस्था को ज्यादा सही माना जा रहा है। अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दो महिला सदस्यों को भेजने की व्यवस्था रही है। ऐसा ही प्रावधान पुदुचेरी विधानसभा में भी है, जहां 30 सदस्य चुनाव के जरिए आते हैं। इसके अलावा 3 सदस्यों को केंद्र सरकार की ओर से नामित किया जाता है। यदि परिसीमन आयोग केंद्र सरकार से कश्मीरी पंडितों को लेकर यह सिफारिश करता है तो समुदाय की लंबे वक्त से चल रही मांग पूरी हो सकती है। कश्मीरी पंडित समुदाय की ओर से मांग की जाती रही है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी समुदाय ने इसे लेकर मांग की थी।
तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम जारी कियें
तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम जारी कियें
अंकुर कुमार
नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियों ने शुक्रवार को पेट्रोल-डीजल के दाम जारी कर दिए हैं। सुबह छ: बजे जारी किए गए रेट्स के अनुसार, आज भी कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सभी शहरों में पेट्रोल-डीजल के रेट्स स्थिर बने हुए हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। आईओसीएल के अपडेट के अनुसार, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई समेत अन्य महानगरों में भी तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 120.51 रुपये और डीजल 104.77 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। कोलकाता में पेट्रोल 115.12 रुपये व डीजल 99.83 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इसके अलावा, चेन्नई में आज एक लीटर पेट्रोल के दाम 110.85 रुपये और डीजल के दाम 100.94 रुपये पर बने हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमत के आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमत प्रतिदिन अपडेट की जाती है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां कीमतों की समीक्षा के बाद रोज पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) के दाम तय करती हैं। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम तेल कंपनियां हर दिन सुबह विभिन्न शहरों की पेट्रोल और डीजल की कीमतों की जानकारी अपडेट करती हैं।
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नाटो-रूस के बीच टकराव या छद्म युद्ध बताना असत्य
नाटो-रूस के बीच टकराव या छद्म युद्ध बताना असत्य
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि रूसी अधिकारियों की ओर से यूक्रेन में संघर्ष को अमेरिका, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और रूस के बीच सीधे टकराव या छद्म युद्ध बताना असत्य, लेकिन चिंताजनक हैं। बाइडेन ने रूस अधिकारियों की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "वे सच्चे नहीं हैं। वे मेरी चिंता करते हैं, क्योंकि यह उनकी हताशा को दर्शाता है। रूस ने पहली बार में जो करने के लिए निर्धारित किया गया था, उसे करने में वे अपनी घोर विफलता महसूस कर रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यह सच्चाई से अधिक उनकी विफलता को प्रतिबिंबित करता है। इसलिए यह कहने के बजाय कि यूक्रेन के पास रूसी सेना का विरोध करने की क्षमता है, इस तरह का बयान दे रहे हैं। उन्हें अपने लोगों को बताना होगा कि अमेरिका और सभी नाटो रूसी सैनिकों और टैंकों को बाहर निकालने में लगे हुए हैं।"
उल्लेखनीय है कि रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित वहां के अन्य अधिकारियों ने रूस के विशेष सैन्य अभियान के दौरान यूक्रेन में अमेरिका और नाटो की गतिविधियों को एक छद्म युद्ध की ओर ले जाने की संभावना जताई है।
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
गुरुवार, 28 अप्रैल 2022
वायरस: पहली बार 10 हजार से अधिक मामलें
वायरस: पहली बार 10 हजार से अधिक मामलें
सुनील श्रीवास्तव
ताइपे। ताइवान ने बड़े पैमाने पर अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है और संक्रमण की संख्या को कम रखने के लिए महामारी के दौरान सख्त क्वारंटीन नियमों को लागू किया है। नेशनल ताइवान यूनिर्वर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर लिन सिएन-हो बताते हैं कि अस्पतालों में पहले जैसी गंभीरता से टेस्टिंग बंद होने लगी। यहाँ तक कि जिन्हें बुख़ार आता उनकी भी जाँच नहीं की जाती जो कि कोरोना संक्रमण का एक सामान्य लक्षण है। ताइवान में गुरुवार को पहली बार 10,000 से अधिक कोरोना के नए मामलें दर्ज किए गए।ताइवान की सरकार ने हाल ही में अपनी जीरो-कोविड पॉलिसी से दूर जाने और कोरोना वायरस के साथ रहने का फैसला किया है।
मामलों में तेजी से वृद्धि होना निश्चित है..
ताइवान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस साल 1 जनवरी 2022 से दर्ज किए गए 51,504 संक्रमणों में से 99.7 प्रतिशत हल्के या एसिम्टोमैटिक हैं। अवधि में सात कोविड -19 मौतें हुईं। स्वास्थ्य मंत्री चेन शिह-चुंग ने कहा, "हम ऐसे चरण में हैं। जहां (संक्रमण) मामलों में तेजी से वृद्धि होना निश्चित है। जो अपरिहार्य है। चेन ने चेतावनी दी कि द्वीप के दैनिक संक्रमण के मामले एक सप्ताह में दोगुने से अधिक 37,000 हो सकते हैं। ताइवान की लगभग 80 प्रतिशत आबादी का दोहरा टीकाकरण हो चुका है। जबकि 58 प्रतिशत ने तीसरा बूस्टर लिया है। हालांकि, बुजुर्गों के बीच वैक्सीन टेक-अप (सबसे अधिक जोखिम वाले डेमोग्राफिक), ताइवान के लिए एक चिंता बनी हुई है। जिसमें 75 से अधिक लोगों में से केवल 59 प्रतिशत के पास पूरे तीन जैब्स (jabs) हैं। महामारी शुरू होने के बाद से ताइवान में 88,000 मामलें सामने आए और 860 मौतें हुई हैं।
पहली तिमाही में सोने की मांग 18 प्रतिशत घटी
पहली तिमाही में सोने की मांग 18 प्रतिशत घटी
कविता गर्ग
नई दिल्ली। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार वर्ष 2022 की पहली तिमाही में भारत में सोने की मांग 18 प्रतिशत घटकर 135.5 टन रह गई। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि मुख्य रूप से कीमतों में तेज वृद्धि के कारण मांग घटी। वर्ष 2021 के पहले तीन महीनों में सोने की मांग 165.8 टन थी।
सोने की मांग पर डब्ल्यूजीसी द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि कीमत के लिहाज से जनवरी-मार्च में सोने की मांग 12 फीसदी घटकर 61,550 करोड़ रुपये रह गई। एक साल पहले की इसी अवधि में यह आंकड़ा 69,720 करोड़ रुपये था।
डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ (भारत) सोमसुंदरम पी आर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जनवरी में सोने की कीमतें बढ़ने लगीं और कीमती धातु इस साल की पहली तिमाही में आठ प्रतिशत बढ़कर 45,434 रुपये प्रति 10 ग्राम (करों के बिना) के स्तर पर पहुंच गई।
रिपोर्ट के अनुसार समीक्षाधीन तिमाही के दौरान देश में आभूषणों की कुल मांग 26 प्रतिशत गिरकर 94.2 टन रह गई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 126.5 टन थी। इस दौरान मूल्य के लिहाज से आभूषणों की मांग में 20 प्रतिशत की कमी हुई।
डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च तिमाही में सोने की वैश्विक मांग 34 प्रतिशत बढ़कर 1,234 टन हो गई। भूराजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता के बीच निवेशकों ने सुरक्षित निवेश की ओर रुख किया। वर्ष 2021 की पहली तिमाही के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 919.1 टन थी।
यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट, घृणा की भावना
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