गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

आईपीएल 2022 में नहीं खेलने का फैसला: जैमीसन

आईपीएल 2022 में नहीं खेलने का फैसला: जैमीसन

मोमीन मलिक         वेलिंग्टन। न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज काइल जैमीसन ने इस साल क्वारंटीन और बायो बबल से दूर रहकर घर पर समय बिताने और अपने खेल में सुधार के लिए आईपीएल 2022 में नहीं खेलने का फैसला किया है। उन्होंने न्यूजीलैंड के घरेलू क्रिकेट के फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट प्लेंकेट शील्ड में अपनी टीम ऑकलैंड के पहले मुकाबले से पहले यह जानकारी दी। जैमीसन पिछले साल आईपीएल में दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी थे। उन्हें रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने 15 करोड़ रुपये में खरीदा था। वे आईपीएल 2021 के ऑक्शन में दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी थे। लेकिन यह सीजन उनके लिए कुछ खास नहीं रहा था। उन्होंने आरसीबी के लिए नौ मुकाबले खेले थे और नौ विकेट लिए थे। यानी उनका एक विकेट आरसीबी के लिए 1.66 करोड़ रुपये का पड़ा था।

जैमीसन ने ‘ईएसपीएन क्रिकइन्फो’ से कहा, ‘मैंने कई कारणों से यह फैसला लिया है। पिछले बारह महीने बायो बबल और क्वारंटीन में काफी समय बिताय। अगले 12 महीने के शेड्यूल को देखते हुए अब परिवार के साथ समय बिताना चाहता हूंं। दूसरी बात यह है कि मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत नया हूं। दो ही साल हुए हैं तो मैं अपने खेल पर मेहनत करना चाहता हूं। मुझे लगता है कि जहां पर मुझे होना चाहिये, उस स्तर पर नहीं पहुंच सका हूं। अगर तीनों फॉर्मेट में खेलना है तो अपने खेल पर मेहनत करनी होगी।

आरपीआई सपा-रालोद गठबंधन को समर्थन किया

आरपीआई सपा-रालोद गठबंधन को समर्थन किया 
अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मंडल अध्यक्ष के द्वारा लिखित रूप में सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया को समर्थन किया हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मेरठ मंडल अध्यक्ष हरिशंकर सैन के द्वारा लिखित रूप में राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को समर्थन कर दिया है। 
उन्होंने आरपीआई के सभी पदाधिकारी एवं कार्य कार्यकर्ताओं को गठबंधन के पक्ष में समर्थन और मतदान करने की अपील की है। मंडल अध्यक्ष हरिशंकर सैन ने बताया कि भाजपा की सत्तारूढ़ सरकार के द्वारा उत्तर प्रदेश में जनता को केवल ठगा गया है। विकास के नाम पर जनता के साथ खिलवाड़ किया गया है। रोजगार के स्थान पर जनता को राशन वितरण कर भिखारी बना दिया है। युवाओं का भविष्य अंधकार में चला गया है। यही कारण है कि प्रदेश की जनता को विकास के पहिए पर लाने के लिए गठबंधन को समर्थन किया गया है।

निर्दलीय प्रत्याशी 1 नारी, 4 प्रत्याशियों पर भारी

निर्दलीय प्रत्याशी 1 नारी, 4 प्रत्याशियों पर भारी     
इकबाल अंसारी
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को किया जाएगा। इस समय सभी प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में व्यस्त है। अपनी विजय प्रशस्त करने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी पुरजोर कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में लोनी विधानसभा से एक निर्दलीय महिला प्रत्याशी रंजीता धामा मैदान में है। वहीं उनके विरुद्ध चार पुरुष प्रत्याशी प्रबल दावेदारी कर रहे हैं। रंजीता धामा एक लोकप्रिय नेता है, जिसके कारण उनके पक्ष में सभी वर्ग, समाज और समुदाय के लोग मतदान करेंगे। अभी तक अनुमान लगाया जा रहा है कि रंजीता धामा आमने-सामने की टक्कर में शामिल हो सकती है। 
हालांकि इस बार मुकाबला बहुत निकटवर्ती रहेगा और चुनाव के समीकरणों का आंकड़ा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। बावजूद इसके इतना स्पष्ट अवश्य हो गया है कि लोनी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर के विजय रथ को रोकने का कार्य रंजीता धामा कर चुकी है। ठीक इसी प्रकार बसपा से प्रत्याशी हाजी अकील को मुस्लिम वोट मिलने का भ्रम है। क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय की वोट का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय लोक दल व सपा गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया के पक्ष में खड़ा है। 
आपको बताते चलें यूनिवर्सल एक्सप्रेस के द्वारा विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग 100 स्थानों पर किए गए एक सर्वे में 3000 लोगों को शामिल किया गया, सर्वे में यह बात स्पष्ट हुई है कि मुस्लिम मतदाता का रुझान मदन भैया के पक्ष में दिखाई दे रहा है। वहीं भाजपा का कैडर वोट अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है। यदि यही स्थिति रही तो भाजपा के लिए लोनी विधानसभा विजय दुर्गम रूप धारण कर लेगी। 
इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से रालोद-सपा गठबंधन के पक्ष में ताबड़तोड़ मतदान होने का की संभावना है। खास बात यह है कि इस बार दलित वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है, जबकि दलित वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होता है। पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग विकास को ध्यान में रखकर वर्तमान चेयरमैन एवं विधानसभा प्रत्याशी रंजीता धामा के पक्ष में मतदान करने का मन बना चुका है। इससे यह साबित होता है कि निर्दलीय प्रत्याशी एक नारी, चार पुरुष प्रत्याशियों पर भारी।

भिक्षुक कौन 'संपादकीय'

भिक्षुक कौन   'संपादकीय' 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव देश के सभी राज्यों में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है। इस चुनाव के परिणाम केंद्रीय राजनीति को निर्धारित और प्रभावी करते हैं। यही कारण है भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्री यूपी चुनाव में जान झोंक रहे हैं। यदि यूपी चुनाव में परिणाम अपेक्षा के विरुद्ध रहा तो भाजपा का केंद्र से निष्कासित होना तय है। 
हालांकि भाजपा उत्तर प्रदेश में पुनः सरकार गठन करने के कगार पर है। जनता के मन में भाजपा के प्रति अभी लगाव बाकी है। या यूं भी कह सकते हैं कि सांप्रदायिक तनाव को स्थिर रखने में सफल हुए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा मुफ्त राशन वितरण योजना लागू करके गरीबों को भिखारी बना दिया है। यह अलग बात है कि सीएम योगी स्वयं भगवा वस्त्र धारण करते हैं और भिक्षुक के रूप में स्वयं को प्रदर्शित भी करते हैं। किंतु वास्तविकता इससे बिल्कुल हटकर है। भिक्षुक हाथ में कटोरा लेकर भिक्षाटन करते हैं। यहां जनता बड़े-बड़े थैले लेकर भिक्षुक की भांति राशन वितरण केंद्रों पर लाइन लगाकर खड़ी रहती है। यदि प्रदेश का युवा वर्ग बेरोजगारी के चरम पर नहीं पहुंचता, मजदूरों और मध्यम वर्ग के व्यापारी का संवर्धन किया जाता। तो यह नौबत नहीं आती। जनता भी इस बात से वाकिफ है। 
परिणाम स्वरूप प्रदेश में एक बड़ा वर्ग भाजपा के विरुद्ध खड़ा हो चुका है। एक तरफ किसान जाट मतदाता, दूसरी तरफ मुस्लिम मतदाता। पश्चिम में भाजपा के लिए परिणाम सुखद नहीं रहेंगे। यदि यही स्थिति पूर्वांचल में रही तब भाजपा का सरकार गठन करना टेढ़ी खीर हो जाएगा। विरोधियों का अनुमानित गठजोड़ हो जाता है तो हो सकता है, भाजपा का प्रदेश से सफाया हो जाएं।
इसी डर के चलते भाजपा के केंद्रीय मंत्री दर-दर जाकर अपने पक्ष में मतदान की भिक्षा मांग रहे हैं। जनता कितनी कातर हो गई है या फिर जनता इस असमंजस में है कि मांगने वाले कई हैं। यदि कई विकल्प है तो उनमें से एक विकल्प का चयन किया जा सकता है। जनता के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। जनता को भिक्षुओं की तरह लाइन में लगाने वाले आज स्वयं भिक्षुक की भांति जनता से मतदान चाहते हैं। जनता के पास मतदान का जनतांत्रिक सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। अपने पक्ष में मतदान के लिए सभी दल हर संभव प्रयास करने में जुटा है। ऐसी स्थिति में जनता सभी भिक्षुओं को मतदान कैसे कर सकती है ?
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'

रूस व यूक्रेन के बीच तनाव को बढ़ाने की कोशिश

रूस व यूक्रेन के बीच तनाव को बढ़ाने की कोशिश
सुुुनील श्रीवास्तव      
मास्को/ कीव। रूस और यूक्रेन के बीच जो विवाद छिड़ा है। उसकी जहां एक वजह क्रीमिया बना है। वहीं, दूसरी तरफ नाटो भी बना है। इसके अलावा एक तीसरी वजह यूरोप में होने वाली रूस की गैस और तेल की सप्‍लाई है। फिलहाल यही वजह सबसे बड़ी है और अमेरिका इस वजह को छिपा रूस और यूक्रेन के बीच के तनाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। 
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्थित सेंटर फार रशियन, सेंट्रल एशियन स्‍टडीज की प्रोफेसर अनुराधा शिनोए का यही मानना है।

महामारी: यूएसए में जुर्म की घटनाएं कई गुना बढ़ीं

महामारी: यूएसए में जुर्म की घटनाएं कई गुना बढ़ीं     
सुुुनील श्रीवास्तव         
वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति गुरुवार को न्यूयॉर्क जा कर देश में बढ़ते अपराध से निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे। महामारी के दौर में अमेरिका में जुर्म की घटनाएं कई गुना बढ़ गई हैं। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने हाल में जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक देश में 2020 में मानवहत्या के कुल मिला कर 21,500 दर्ज हुए यानी करीब 59 मामले हर दिन। यह संख्या इससे एक साल पहले के मुकाबले करीब 30 फीसदी ज्यादा हैं। जब से अपराध के मामलों का संघीय स्तर पर रिकॉर्ड रखना शुरू किया गया है उसके बाद से पहली बार एक साल के अंतराल में इतनी बड़ी वृद्धि हुई है। अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में वरिष्ठ रिपब्लिकन नेता मिच मैककॉनेल का कहना है, "अमेरिकी सड़कों पर रिकॉर्ड बनाने वाले खून खराबे से भरे साल के बाद, हिंसक अपराध बहुत से लोगों को डर में जीने के लिए विवश कर रहे हैं" पीड़ितों में आधी संख्या काले लोगों की मानवहत्या की दर का 2021 में भी बढ़ना जारी है। हालांकि यह पहले के मुकाबले काफी कम है। 
थिंक टैंक काउंसिल ऑन क्रिमिनल जस्टिस ने जो आंशिक आंकड़े जमा किए हैं उनके मुताबिक ये अपराध पांच फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। पुलिस के रिकॉर्ड में सारे मामलों में पीड़ितों की जातीयता का ब्यौरा दर्ज नहीं होता। हालांकि एफबीआई के पास 2020 में जो मामले आए, उनके मुताबिक मानवहत्या की करीब 10,000 घटनाओं के पीड़ित अफ्रीकी अमेरिकी थे।

अर्थशास्त्रियों के बीच परिणामों को लेकर छिड़ी बहस

अर्थशास्त्रियों के बीच परिणामों को लेकर छिड़ी बहस  
अखिलेश पांंडेय            वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में सरकारी कर्ज में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के बाद अर्थशास्त्रियों के बीच इसके संभावित परिणामों को लेकर बहस छिड़ गई है। इस हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी सरकार पर कुल कर्ज 30 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है। यह अमेरिका के सालाना जीडीपी के लगभग 125 फीसदी के बराबर है। कोरोना काल में अमेरिका सरकार ने बड़ी मात्रा में कर्ज लिया। नतीजा यह है कि 2019 के बाद उस पर मौजूद कर्ज में सात ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है।
इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के चीफ ग्लोबल स्ट्रेटेजिस्ट डेविट केली ने इस बारे में कहा- ‘यह छोटी अवधि में पैदा हुआ संकट नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह जरूर है कि लंबी अवधि में हम अपेक्षाकृत अधिक गरीब हो जाएंगे।’ अमेरिका में इस समय महंगाई की दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इससे निपटने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक- फेडरल रिजर्व ने अगले महीने से ब्याज दर बढ़ाने की नीति अपनाने का एलान किया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज संकट और गहरा सकता है।
राजकोषीय स्थिति का अध्ययन करने वाली संस्था पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अगले दस साल में सिर्फ ब्याज के रूप में अमेरिका सरकार को पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम चुकानी होगी। 2051 तक तो अमेरिका सरकार को अपने सालाना राजस्व का लगभग आधा हिस्सा ब्याज चुकाने के लिए खर्च कर देना होगा। डेविड केली ने कहा है कि कर्ज चुकाने पर अधिक रकम खर्च करने की वजह से जलवायु परिवर्तन रोकने से जुड़ी और ऐसी अन्य योजनाओं पर खर्च करने की अमेरिका सरकार की क्षमता सीमित हो जाएगी।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका की संघीय सरकार पर अभी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का आठ ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। इनमें सबसे ज्यादा निवेशक जापान और चीन के हैं। केली ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘इस कर्ज को अंततः चुकाना होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिकी करदाता चीन और जापान के लोगों की रिटायरमेंट सुविधाओं का बोझ उठाएंगे, जो हमारे कर्जदाता हैं।’
वैसे कुछ अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि 30 ट्रिलियन डॉलर एक भ्रामक आंकड़ा है, क्योंकि इसका एक हिस्सा खुद अमेरिकी सरकार का ही है। यह कर्ज सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी ट्रस्ट फंड्स से लिया गया है। अपनी ही एजेंसियों से लिए गए कर्ज की कुल रकम लगभग छह ट्रिलियन डॉलर है। लेकिन ये अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि सरकार पर कर्ज का बोझ अत्यधिक हो गया है। इसमें खास कर 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 में आई कोरोना महामारी के कारण तेजी से उछाल आया।
पीटर जी. पीटरसन फाउंडेशन के मुताबिक अमेरिका की मौजूदा राजकोषीय समस्या अनेक वर्षों से जारी राजकोषीय गैर-जिम्मेदारी का नतीजा है। ये गैर जिम्मेदारी दोनों ही प्रमुख पार्टियों की सरकारों ने दिखाई है। सीएनएन के मुताबिक बीते दिसंबर में उसकी तरफ से कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में लगभग 67 फीसदी अमेरिकियों ने कहा था कि सरकार की शाहखर्ची देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जिरोम पॉवेल ने भी हाल में यह माना कि मौजूदा राजकोषीय दिशा टिकाऊ नहीं हो सकती।

'कच्छी' को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

'कच्छी' को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग     

अकांशु उपाध्याय           नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को सदस्यों ने कन्नड़ भाषा के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा रद्द करने, ओडिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छह लाख आवास जोडऩे और कच्छी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग की। कर्नाटक से कांग्रेस के सदस्य एल हनुमंथैया ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कन्नड़ भाषा के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा में कन्नड़ प्रश्न पत्रों को हिंदी भाषा में पूछे जाने का मामला उठाया और इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि कन्नड़ भाषा के प्रश्न पत्र को हिंदी में छपा हुआ देखकर सभी छात्र हैरान थे। उन्होंने कहा, ''यूजीसी ने इस परीक्षा के लिए राष्ट्रीय परीक्षण प्राधिकरण को आउटसोर्स किया है। प्रश्न पत्र में केवल 10 प्रश्न कन्नड़ में थे और बाकी 90 हिंदी में थे। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद दूसरी परीक्षा में भी यही स्थिति रही और इसे लेकर अनेक प्रकार की शिकायतें छात्रों द्वारा की गई। बाद में परिणाम आने के बाद सुधार के लिए आवेदन करने का हवाला देकर छात्रों से प्रति प्रश्न एक हजार रुपये की मांग की गई। उन्होंने मांग की कि इस परीक्षा को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए ताकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले को गंभीर बताते हुए सदन में मौजूद शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार से उचित कदम उठाने को कहा।

बीजू जनता दल के सदस्य सस्मित पात्रा ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ओडिशा में जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए छह लाख घर दिए जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा, ''पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे लेकर तीन बार केंद्र सरकार को चि_ी लिखी और आग्रह किया कि लगभग छह लाख घर प्रधानमंत्री आवास योजना से जुडऩे चाहिए। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर घर आदिवासियों के लिए हैं। उन्होंने कहा, ''मगर तीन साल में आवास पोर्टल नहीं खोला गया। दुख की बात यह है कि इसी साल 13 जनवरी को कर्नाटक के लिए आवास पोर्टल खोला गया, जिससे वे 25 लाख आवास को जोड़ सकते हैं। मेरी सरकार से अपील है कि जिस प्रकार आवास पोर्टल खोलकर कर्नाटक के लिए 25 लाख आवास आवंटित किया गया, उसी प्रकार ओडिशा के लिए भी कदम उठाए जाएं। बीजद के अमर पटनायक और सुजीत कुमार सहित अन्य सदस्यों ने पात्रा की इस मांग का समर्थन किया। कुमार ने कहा कि ओडि़शा के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। 

गुजरात से कांग्रेस सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने कच्छी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह ऐसी भाषा है, जो कच्छ के अलावा देश के कई हिस्सों और दक्षिण अफ्रीका में भी बोली जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि कच्छ का भौगोलिक क्षेत्र कई छोटे राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ''कच्छ के लोगों की भावना को देखते हुए, कच्छी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। सभापति नायडू ने गोहिल से कहा कि वह दो पंक्तियां कच्छी भाषा में बोलकर अपनी बात रखें। इसके बाद गोहिल ने अपनी कुछ बातें कच्छी भाषा में भी सदन के सामने रखी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम ने तिरुवनंतपुरम-कासरगोड सेमी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, सिल्वर लाइन का मुद्दा उठाया और कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक इस परियोजना को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने इस परियोजना को जल्दी मंजूरी देने की मांग की। बीजद के सुभाष चंद्र सिंह ने तेंदू पत्ता पर 'जीएसटी नहीं लगाए जाने की मांग की वहीं भाजपा के विकास महात्मे ने दिल्ली व मुंबई जैसे शहरों में शराब की होम डिलीवरी का, कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने बाल कुपोषण और मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा ने बेगूसराय के काबर झील को विकसित करने का मुद्दा उठाया।

चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदलें

चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदलें   
संदीप मिश्र    
कानपुर। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में शहर की तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं। जहां 2022 में बीते विधानसभा चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदल गए हैं। इन सीटों पर किस दल का परचम फहरेगा ये तो आने वाली दस मार्च को ही पता चलेगा। बहराल, शहरियों की जुबां पर इन दिनों इन सीटों के सियासी समीकरण की चर्चा जोरो पर है।कानपुर ये तीन सीटे हैं कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर। दरअसल, 2017 के पिछले चुनाव में ये तीनों ही सीटें भाजपा जीत नहीं सकी थी। इन तीनों ही सीटों पर कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली थी। कैंट से जहां सोहले अख्तर अंसारी जीते थे तो वहीं सीसामऊ से इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी। आर्य़नगर सीट से सपा के अमिताभ बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी।

तीनों ही सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। खासकर दो सीटों यानी कैंट और सीसामऊ में तो मुस्लिम मतदाता प्रत्याशी को जिताने की स्थिति में हैं। पिछली बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन था। इस वजह से इन दोनों ही दलों के वोट एक ही प्रत्याशी की झोली में गिरे थे और वे जीत गए थे। इस बार सपा और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं। ऐसे में जाहिर है वोटों में भी बंटवारा होगा। यहीं नहीं एक सीट पर दो दलों के मुस्लिम प्रत्याशी लड़ने से वोट तेजी से बंट जाएंगे, ऐसे में सपा और कांग्रेस दोनों ही इसे लेकर चिंतित हैं। अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो कैंट से सपा ने जहां मोहम्मद हसन रुमी को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो वहीं कांग्रेस से सोहिल अख्तर दोबारा मैदान में हैं। ऐसे में इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मत बंटना तय है यानि पिछली बार की तरह किसी एक को पूरे वोट नहीं मिलेंगे। मौजूदा समय में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन भदौरिया हैं। वह 2012 के विधानसभा चुनाव में जीते जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे।कमोबेश यही स्थिति सीसामऊ सीट की भी है। सपा ने इरफान सोलंकी को टिकट देकर उन्हें प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने हाजी सुहेल अहमद को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका दिया है। सपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी मुस्लिम हैं। यह विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट है। ऐसे में यहां भी मुस्लिम मतों का बिखराव होना तय है जबकि पिछली बार ऐसा नहीं था। इस सीट से भाजपा की ओर से पूर्व विधायक सलिल विश्नोई हैं। उन्हें इस बार आर्यनगर विधानसभा के बजाए इस सीट से पार्टी ने टिकट थमाया है। 2017 का चुनाव वह हार गए थे।

बात, अगर आर्यनगर की करें तो यहां सपा से अमिताभ बाजपेई के सामने भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सुरेश अवस्थी को टिकट थमा दिया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं, कि इस सीट पर भी ब्राह्मण वोटों का बंटवारा होना तय है। कुल मिलाकर इस सीट के भी समीकरण इस बार बदल गए हैं। सपा के अमिताभ बाजपेई को वोट मिले करीब 70 हजार, भाजपा के सलिल विश्नोई को वोट मिले करीब 65 हजार। सपा के इरफान सोलंकी को वोट मिले करीब 73 हजार, भाजपा के सुरेश अवस्थी को वोट मिले लगभग 67 हजार। कांग्रेस के सोहिल अख्तर को वोट मिले करीब 81 हजार, भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया को वोट मिले लगभग 72 हजार।

सब्सिडी की व्यवस्था में बदलाव का अनुमान: योजना

सब्सिडी की व्यवस्था में बदलाव का अनुमान: योजना   
अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। रसोई गैस पर सब्सिडी पाने वाले ग्राहकों के लिए एक अहम खबर है। उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन पर मिलने वाली सब्सिडी में बड़ा बदलाव हो सकता है। इसलिए अगर आप भी उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन लेने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उज्ज्वला योजना के तहत नए कनेक्शन के लिए सब्सिडी की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव हो सकता है। बताया जा रहा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने दो नए तरीकों पर काम शुरू कर दिया है और इसे जल्द ही जारी किया जाएगा।
यानी अब सरकार एडवांस पेमेंट मॉडल में बदलाव कर सकती है।जानकारी के मुताबिक, अब रसोई गैस कनेक्शन देने वाली कंपनी (भारत, एचपी या इंडेन) एडवांस पेमेंट के रूप में 1600 रुपए की राशि एकमुश्त वसूलेगी। मौजूदा व्यवस्था में यह राशि ईएमआई में देना की छूट है। शेष 1600 रुपए की सब्सिडी सरकार देती है। अच्छी बात यह है कि सरकार की ओर से मिलने वाली 1600 रुपए की राशि में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।
बता दें, मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना के तहत ग्राहकों को 14.2 किलो का एक सिलेंडर और चूल्हा दिया जाता है। इसकी लागत लगभग 3200 रुपये है और इसे सरकार से 1600 रुपये की सब्सिडी मिलती है जबकि तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 1600 रुपये अग्रिम देती हैं। उज्ज्वला योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है।
उज्ज्वला योजना के तहत बीपीएल परिवार की महिला गैस कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकती है। फॉर्म में आवेदन करने वाली महिला को अपना पूरा पता, जन धन बैंक खाता और परिवार के सभी सदस्यों का आधार नंबर भी देना होगा। फॉर्म का अध्ययन करने के बाद देश की तेल विपणन कंपनियां पात्र लाभार्थी को एलपीजी कनेक्शन जारी करती हैं।

सिविलियन कैटेगरी में 45 पदों पर भर्ती, आवेदन

सिविलियन कैटेगरी में 45 पदों पर भर्ती, आवेदन    
अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। सरकारी नौकरी कर देश सेवा करने की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर है। भारतीय सेना के मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर ने ग्रुप-सी सिविलियन कैटेगरी में 45 पदों पर भर्ती निकली है। इसमें, कुक, वॉशरमैन, सफाईवाला, नाई और लोअर डिवीजन क्लर्क के 11 पद शामिल हैं। इसके लिए दसवीं पास अभ्यर्थी 12 फरवरी तक भारतीय सेना की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इन पदों पर भर्ती के लिए उम्मीदवार की आयु 18 साल से 25 साल के बीच होनी चाहिए।
रसोइया – उम्मीदवारों को कक्षा 10वीं पास होने के साथ इंडियन कूकिंग का नॉलेज होना चाहिए।
धोबी – कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
सफाईवाला (एमटीएस) – उम्मीदवारों को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
नाई – 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
एलडीसी – 12वीं पास होने के साथ कंप्यूटर पर अंग्रेजी में 35 शब्द प्रति मिनट और हिंदी में 30 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड होनी चाहिए।
इन पदों पर भर्ती के लिए चयन लिखित परीक्षा के साथ स्किल टेस्ट और प्रैक्टिकल टेस्ट के आधार पर किया जाएगा।
आवेदन करने वाले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी की उम्र 18 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। जबकि ओबीसी के लिए 18 से 28 साल और एससी-एसटी के लिए 18 से 30 साल निर्धारित की गई है।
अभ्यर्थी को चयनित होने पर कुक और एलडीसी के पद पर 19,900 रुपए से 63,200 रुपए महीने तक का सैलरी दी जाएगी। जबकि अन्य पदों के लिए हर महीने 18,000 रुपए से 56,900 रुपए महीने का भुगतान किया जाएगा।

कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की: मतदान

कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की: मतदान    

पंकज कपूर           देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। स्टार प्रचारकों की सूची में 30 नेताओं का नाम शामिल है। बीजेपी से निकाले के बाद कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को भी पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है। सभी पार्टियों ने चुनावी प्रचार-प्रसार में पूरी ताकत झोंक दी है। बुधवार 2 फरवरी को कांग्रेस ने अभी उत्तराखंड चुनाव के लिए अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की। स्टार प्रचारकों में केंद्रीय नेताओं से लेकर राज्य सरकार के 30 नेताओं के नाम है।

खास बात यह है कि इस सूची में हरक सिंह रावत को भी स्टार प्रचारक के रूप में पार्टी ने जिम्मेदारी दे दी है। कांग्रेस ने जो स्टार प्रचारकों की सूचा जारी की है, उसमें कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, पंजाब सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और मुकुल वासनिक समेत कई नेताओं को जगह दी गई है। इस सूची में 21वें नंबर पर यशपाल आर्य और 22 वे नंबर पर हरक सिंह रावत को भी स्टार प्रचारक के रूप में सूची में शामिल किया गया है। 

शामली: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन

शामली: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  शामली। प्रदेश सरकार के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम संपूर्ण समाधान दिवस का आय...