अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की कल हुयी बैठक में कुछ विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित करने के लिए समय तय किए जाने के बारे में सदन को सूचित किया।उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा और विश्वंभर प्रसाद निषाद तथा डॉक्टर वी शिवदासन की ओर से नियम 267 के तहत किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस मिले हैं। उन्होंने इस मुद्दे को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस पर अन्य नियम के तहत चर्चा की अनुमति दी जाती है।सभापति ने कहा कि कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, के सी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, वाम सदस्यों विनय विश्वम तथा इलामारम करीम की ओर से भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं जिन्हें स्वीकार नहीं किया गया है। नायडू के इतना कहते ही कुछ विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। सभापति ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति, महंगाई और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा के लिए सरकार तैयार है। हंगामा थमते न देख उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आ गए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। इतने पर भी हंगामा नहीं थमा तब सभापति ने आसन के समक्ष तख्तियां ले कर हंगामा कर रहे सदस्यों से सदन से नियम 255 के तहत बाहर चले जाने को कहा।
उन्होंने राज्यसभा के महासचिव से इन सदस्यों के नाम देने को भी कहा। नायडू ने पुन: सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील की। सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, बैठक शुरू होने पर जब सभापति की अनुमति से संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कार्यसूची में उल्लिखित विभिन्न मंत्रालयों के दस्तावेज सदन के पटल पर रखे तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि मंत्रालयों के दस्तावेज संबंधित मंत्रियों द्वारा सदन के पटल पर रखे जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपरिहार्य परिस्थितियों में ही, आसन की अनुमति से संसदीय कार्य राज्य मंत्री अन्य मंत्रियों के दस्तावेज पटल पर रख सकते हैं। शर्मा ने कहा कि जब मंत्री सदन में मौजूद हैं तब दस्तावेज उन्हें ही पटल पर रखना चाहिए। इस पर सभापति नायडू ने कहा कि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने संसदीय कार्य राज्य मंत्री को विभिन्न मंत्रालयों के दस्तावेज पटल पर रखने की अनुमति दी थी।
पेगासस और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों का हंगामा, लोकसभा की कार्यवाही बाधित
पेगासस जासूसी मामला और कुछ अन्य मुद्दों पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। बैठक शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के आठ पूर्व सदस्यों के निधन की जानकारी दी और सदन ने उनके सम्मान में कुछ पल का मौन रखा।
इसके बाद अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया। इसी दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य कुछ विपक्षी दलों के सदस्य पेगासस जासूसी मामले पर सदन में चर्चा कराने की मांग को लेकर आसन के समीप नारेबाजी करने लगे। शोर-शराबे के बीच ही रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने रुकी हुई रेल परियोजनाओं के संबंध में सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर दिये।
आसन के समीप पोस्टर दिखा रहे विपक्षी सदस्यों से नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष बिरला ने उनसे सदन की गरिमा बनाये रखने को कहा। उन्होंने कहा, ”यह तरीका ठीक नहीं है। यह बिल्कुल गलत है। आप संसद की मर्यादा और आसन का अपमान करने की कोशिश मत कीजिए।” अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी नहीं थमने पर कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद 11:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद 11:30 बजे कार्यवाही पुन: शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर पहले की तरह ही नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों ने ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’, ‘खेला होबे’ और ‘जासूसी बंद करो’ के नारे लगाए। पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा, ”आप ऐसा कुछ मत कीजिए जिससे आसन को कार्रवाई करनी पड़े। यह अस्वीकार्य है।