शुक्रवार, 21 मई 2021

अवैध वसूली करते दो एंबुलेंस चालक अरेस्ट किए

अश्वनी उपाध्याय   
गाजियाबाद। जिला प्रशासन द्वारा एंबुलेंस का किराया तय कर दिए जाने के बाद भी अवैध वसूली कर रहे दो एंबुलेंस चालक बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गए। दोनों को गिरफ्तार कर दो एंबुलेंस सीज कर दी गई है। गाजियाबाद के कंट्रोल रूम में फोन कर लोग शिकायत कर रहे थे कि एंबुलेंस चालक मनमानी वसूली कर रहे हैं। तय किराया से दोगुना तक चार्ज कर रहे हैं। जो लोग तय किराया से ज्यादा शुल्क देने से मना कर देते हैं, उनके मरीज को अस्पताल या अस्पताल से घर ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक मना कर देते हैं। 
इस पर जिलाधिकारी ने अपर नगर मजिस्ट्रेट खालिद अंजुम को मनमानी वसूली करने वाले एंबुलेंस चालकों के पास आम आदमी बनकर फोन करने और शिकायत सही पाए जाने पर उनको पुलिस की मदद से गिरफ्तार करने के लिए निर्देश दिए। जनपद गाजियाबाद के जिलाधिकारी के द्वारा बिछाए हुए जाल में इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार, सिहानी गेट एसएचओ कृष्ण गोपाल शर्मा, यात्रीकर अधिकारी संदीप जायसवाल भी शामिल हुए। अपर नगर मजिस्ट्रेट खालिद अंजुम ने फोन कर यादव एंबुलेंस सर्विस से एंबुलेंस मंगवाई और इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार ने सांई एंबुलेंस सर्विस से एंबुलेंस मंगवाई। दोनों से एंबुलेंस बुक करते हुए मनमानी रेट तय किए गए। दोनों एंबुलेंस लेकर चालक जब लोहिया नगर पहुंचे तो उनको गिरफ्तार कर गया। दोनो आरोपित मूलत: इटावा और वर्तमान में लोहिया नगर निवासी हरिओम यादव और सर्वेश कुमार हैं। आरोपितों के खिलाफ सिहानी गेट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। 
पंजीकरण के बिना दौड़ रही थी एंबुलेंस।

दोनों एंबुलेंस चालकों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि यादव एंबुलेंस सर्विस का मालिक अशोक कुमार यादव और सांई एंबुलेंस सर्विस का मालिक हरिओम यादव भाई-भाई हैं। दोनों के पास 11 एंबुलेंस हैं, जिनका वे संचालन कर रहे हैं। लेकिन पकड़ी गई दोनों एंबुलेंस का पंजीकरण एंबुलेंस के रूप में नहीं करवाया गया हैं। आरोपितों के कार्यालय पर भी पुलिस ने दबिश दी लेकिन वहां पर अन्य एंबुलेंस और अशोक यादव नहीं मिला। अन्य नौ एंबुलेंस और अशोक यादव की तलाश की जा रही है। 


पुण्यतिथि पर राजीव चौक का लोकार्पण किया

इकबाल अंसारी              
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राजधानी रायपुर के राजीव गांधी चौक के सौंदर्यीकरण कार्य का वर्चुअल लोकार्पण किया। रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा नगर निगम के साथ मिलकर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की आदमकद प्रतिमा को नया कलेवर देते हुए इस स्थल को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया है। कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड व नगर पालिक निगम रायपुर ने मिलकर एक माह के भीतर उक्त स्थल को आकर्षक एवं भव्य स्वरूप प्रदान किया है। कार्य का अनुमानित व्यय लगभग 50 लाख रूपये है।

रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा शहर सौंदर्यीकरण योजना के तहत स्वर्गीय राजीव गांधी की प्रतिमा का रंग रोगन विशेष डीको पेंट से किया गया है। उनके व्यक्तित्व की आभा के अनुरूप थीमेटिक आर.जी.बी. आधारित प्रकाश व्यवस्था कर इस स्थल को तिरंगे के सदृश्य आलोकित किया गया है। प्रतिमा स्थल पर लैंड स्केपिंग, ग्रेनाईट कार्य, फोकस लाईटिंग व ल्यूमिनस लाईटिंग से आकर्षक स्वरूप दिया गया है। चैक के आस-पास के क्षेत्र में स्वर्गीय राजीव गांधी की सोच व स्वप्नों के अनुरूप थीम आधारित वाॅल पेंटिंग कर महिला स्वावलंबन, शिक्षा, सूचना क्रांति जैसे संकल्पों में उनके योगदान को अविस्मरणीय बनाया गया है।

चिपको आंदोलन की प्रेरणा बने, बहुगुणा का निधन

अकांशु उपाध्याय                 

नई दिल्ली। जाने माने पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन से पहचान बनाने वाले सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार 21 मई को निधन हो गया है। उनकी कोरोना रिपोर्ट पिछले दिनों पॉजिटिव आई थी। हालांकि, गुरुवार शाम तक बहुगुणा की हालत स्थिर थी। उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 86% पर था। डायबिटीज के साथ वह कोविड निमोनिया से पीड़ित थे। 94 वर्षीय बहुगुणा को कोरोना होने पर गत आठ मई को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया, उनका उपचार कर रही चिकित्सकों की टीम ने इलेक्ट्रोलाइट्स व लीवर फंक्शन टेस्ट समेत ब्लड शुगर की जांच और निगरानी की सलाह दी है। उनके पुत्र राजीव नयन बहुगुणा, बहनोई डा.बीसी पाठक ने एम्स में भर्ती करवाया था।बता दें कि देहरादून स्थित शास्त्रीनगर स्थित अपने दामाद डॉ. बीसी पाठक के घर पर रह रहे सुंदरलाल बहुगुणा ने कुछ दिन पहले बुखार आया था। तो घर पर ही डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज शुरु हो गया था। लेकिन बुखार नहीं उतरने पर तीसरे दिन उन्हें एम्स ले जाने की सलाह दी गई। राजीव ने बताया कि अस्पताल में उनका आरटीपीसीआर टेस्ट व अन्य जांचे की गई थी।इधर उनके पुत्र राजीव नयन ने सोशल मीडिया पर पिता को एडमिट करने की पोस्ट डाली तो देखते ही देखते उनकी यह सूचना वायरल होने लगी थी। सोशल मीडिया पर सैकड़ों की संख्या में उनके प्रशंसकों ने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की सलामती की कामना भी की थी।

हिमालय के रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा की सबसे बड़ी उपलब्धि चिपको आंदोलन थी। वह गांधी के पक्के अनुयायी थे और जीवन का एकमात्र लक्ष्य पर्यावरण की सुरक्षा था। उनका जन्म 9 जनवरी, 1927 को उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था। सुंदरलाल ने 13 वर्ष की उम्र में राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1956 में शादी होने के बाद राजनीतिक जीवन से उन्होंने संन्यास ले लिया।

उसके बाद उन्होंने गांव में रहने का फैसला किया और पहाड़ियों में एक आश्रम खोला। बाद में उन्होंने टिहरी के आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया। पर्यावरण सुरक्षा के लिए 1970 में शुरू हुआ आंदोलन पूरे भारत में फैलने लगा। चिपको आंदोलन उसी का एक हिस्सा था। गढ़वाल हिमालय में पेड़ों के काटने को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन बढ़ रहे थे। सुंदरलाल बहुगुणा ने गौरा देवी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी। 26 मार्च, 1974 को चमोली जिले की ग्रामीण महिलाएं उस समय पेड़ से चिपककर खड़ी हो गईं जब ठेकेदार के आदमी पेड़ काटने के लिए आए। यह विरोध प्रदर्शन तुरंत पूरे देश में फैल गया।

1980 की शुरुआत में बहुगुणा ने हिमालय की 5,000 किलोमीटर की यात्रा की। उन्होंने यात्रा के दौरान गांवों का दौरा किया और लोगों के बीच पर्यावरण सुरक्षा का संदेश फैलाया। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भेंट की और इंदिरा गांधी से 15 सालों तक के लिए पेड़ों के काटने पर रोक लगाने का आग्रह किया। इसके बाद पेड़ों के काटने पर 15 साल के लिए रोक लगा दी गई। सुंदरलाल बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था। एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था। टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा। उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया। टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वह हिमालय में होटलों के बनने और लग्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे। महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं।

ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या-5,500 तक पहुंचीं

अकांशु उपाध्याय       

नई दिल्ली। देश में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। हालांकि, कुछ मरीज जो कोरोना पर काबू पा चुके हैं। उनमें म्यूकोर्मिकोसिस पाया गया है। ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या 5,500 तक पहुंच गई है। यह बीमारी अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है। 

इससे यह भी पता चलता है कि ब्लैक फंगस अब सीधे दिमाग पर हमला कर रहा है। गुजरात के सूरत में यह अपनी तरह का पहला मामला है। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था में चिंता बढ़ गई है। सूरत में एक 23 वर्षीय व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हुआ था। युवक ने समय पर इलाज कराकर कोरोना पर काबू पा लिया।

लेकिन फिर उन्हें ब्लैक फंगस म्यूकोर्मिकोसिस हो गया। अब तक ब्लैक फंगस फेफड़ों और आंखों को खतरे में डाल रहा था। लेकिन अब ब्लैक फंगस सीधे दिमाग तक पहुंच गया है। इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्होंने इस प्रकार फंगस को देखा। डॉक्टरों ने मरीजों से ज्यादा सतर्क रहने की अपील की है। क्योंकि ब्लैक फंगस सीधे दिमाग में पहुंच गया है। मरीजों का एमआरआई स्कैन होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दिमाग में ब्लैक फंगस के पहुंचने की जानकारी व्यक्ति को चक्कर आने या बेहोश होने के बाद ही समझ आती है। डॉक्टरों ने कहा कि ब्लैक फंगस सूरत के एक युवक के दिमाग में खून के जरिए पहुंचा होगा। विशेष रूप से इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशानिर्देशों में भी चक्कर आना या सिर में सूजन का उल्लेख नहीं है।

वैज्ञानिकों ने उगाया दुनिया का सबसे महंगा मशरूम

श्रीराम मौर्य          

गांधीनगर। गुजरात के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे महंगा मशरूम उगा लिया है। कोर्डीकेप्स मिलिटर्स के इस मशरूम में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, सूजन रोधी, कैंसर रोधी, मलेरिया रोधी, थकान रोधी, एचआईवी रोधी और एंटी वायरल गुण हैं। सेहत के लिए बेहद गुणकारी यह मशरूम शरीर में ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद भी करता है। इस मशरूम की 1 किलो मात्रा की कीमत करीब 1.50 लाख रुपए है। कच्छ के गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डिजर्ट इकोलोजी के वैज्ञानिकों ने कोर्डीकेप्स मिलिटर्स को 90 दिनों के अंदर लैब के नियंत्रित वातारण में उगाया। उन्‍होंने 35 जार में इस मशरूम को उगाया है। पता चला है कि मशरूम की इस प्रजाति का इस्‍तेमाल चीन और तिब्बत की प्राकृतिक दवाइयों में लंबे समय से होता रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक संस्थान के डायरेक्टर वी.विजय कुमार ने बताया, ‘मशरूम की कोर्डीकेप्स मिलिटर्स प्रजाति को हिमालयीन सोना कहा जाता है। इसका सेवन करने से सेहत को कई लाभ होते हैं। साथ ही यह कई बीमारियों को रोकने में बहुत मददगार है।’ यह मशरूम शरीर में ट्यूमर को होने से रोकता है और यदि ट्यूमर हो जाए तो उसके आकार को कम करने में मदद करता है। शुरुआती अध्ययन में पता चला है कि इस मशरूम का अर्क महत्वपूर्ण नतीजे दे सकता है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्तिकेयन ने बताते हैं, ‘लोगों पर मेडिकल ट्रायल करने के लिए नियामक मंजूरी मांगी गई है। हम इस मशरूम का अतिरिक्त प्रभाव प्रोस्टेट कैंसर पर भी खोज रहे हैं। हालांकि, कोविड-19 महामारी के चलते इसमें देरी हो गई है।’ वैज्ञानिकों की योजना है कि वे भारतीय परिस्थिति में इस प्रजाति के कैंसर रोधी और एंटी वायरल गुणों की जांच करें। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में इसे उपयोगी पाने के बाद संस्थान ने अब कारोबारियों को इसका प्रशिक्षण देने का फैसला किया है। ताकि इस मशरूम की खेती की जा सके। वैसे तो लैब में इस मशरूम की खेती के एक हफ्ते के प्रशिक्षण का शुल्‍क एक लाख रुपये है। लेकिन संस्थान सामान्य शुल्क पर प्रशिक्षण देगा। बता दें कि इस रिसर्च टीम में निरमा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिगना शाह और गाइड वैज्ञानिक जी जयंती भी शामिल थे।

भारत को 8 करोड़ वैक्सीन देगा, पहले भी मदद की

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। भारत में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच अमेरिका की तरफ से भारत को कोरोना टीके की आठ करोड़ डोज देने की खबर है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सरकार अमेरिका से संपर्क में है, लेकिन अभी तक भारत को मिलने वाली डोज़ की जानकारी नहीं है। भारत को आठ में से छह करोड़ वैक्सीन देने की मांग उठ चुकी है।

अन्य देशों से टीके की खरीद के बारे में विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से अमेरिका समेत अन्य देशों से टीके की खरीद के बारे में सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा, ''हमने उन खबरों को देखा है जिसमें अमेरिकी सरकार ने दूसरे देशों को कुछ मात्रा में टीके उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है लेकिन इस बारे में हमारे पास अभी और जानकारी नहीं है।''
हालांकि उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी उद्यमों के साथ टीकों की खरीद और बाद में देश में उसके उत्पादन की संभावना के बारे में बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक बार टीके खरीद या उत्पादन के माध्यम से उपलब्ध हो जाते हैं। तब इससे देश में टीके की उपलब्धता की स्थिति मतबूत होगी। उन्होंने कहा, ''विदेशों से जो भी टीके खरीदे जायेंगे, वे हमारे नियामक दिशानिर्देशों के तहत होने की जरूरत है। जहां तक हमारी जानकारी है कि अमेरिका ने भी संकेत दिया है कि उसकी ओर से दूसरे देशों को भेजे जाने वाले टीके उत्पाद गुणवत्ता संबंधी संघीय खाद्य और दवा प्रशासन की मंजूरी के अनुरूप होगी।''
भारत को 40 देशों से सहयोग की पेशकश की गई- सरकार
विदेश सचिव ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए अमेरिका, रूस, यूरोप, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएई, खाड़ी देशों, पड़ोसी देशों सहित 40 देशों से सहयोग की पेशकश की गई है। उन्होंने कहा था कि भारत महामारी को लेकर इस बात पर जोर देता रहा है कि इससे निपटने और इसे रोकने के लिए सामूहिक पहल की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा था कि जब महामारी शुरू हुई थी। तब भारत ने दुनिया के देशों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल सहित अन्य आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की थी और यहां तक कि रेमडेसिविर दवा भी दी थी और अब दुनिया के देश भारत को सहयोग देने के लिए आगे आ रहे हैं।

वायरस ने हमारे अपनों को छीना, श्रद्धांजलि अर्पित

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वाराणसी के डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं काशी का एक सेवक होने के नाते हर एक काशीवासी का हृदय से धन्यवाद देता हूं। विशेष रूप से हमारे डॉक्टर्स, नर्सेज, वार्ड बॉयज और एम्बुलेंस ड्राइवर्स ने जो काम किया है, वो वाकई सराहनीय है।
संबोधन के दौरान भावुक होते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ''इस वायरस ने हमारे कई अपनों को हमसे छीना है। मैं उन सभी लोगों को अपनी श्रद्धांजलि देता हूं, उनके परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त करता हूं।' 
उन्होंने कहा कि ''कोरोना की दूसरी लहर में हमें कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है। इस बार संक्रमण दर भी पहले से कई गुना ज्यादा है। मरीजों को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ रहा है। इससे हमारे स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव पड़ा है।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में हमें कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है। इस बार संक्रमण दर भी पहले से कई गुना ज्यादा है, मरीजों को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ रहा है। इससे हमारे स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव पड़ा है।
पीएम मोदी ने वाराणसी के डॉक्टरों से बात करते हुए कहा कि हमने वाराणसी में कोविड को कंट्रोल करने में सफलता पाई है, लेकिन अभी फोकस वाराणसी और पूर्वांचल के गांवों को बचाने पर होना चाहिए। पीएम मोदी ने इस दौरान नया मंत्र दिया कि अब हमें जहां बीमार, वहीं उपचार के मंत्र को फॉलो करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपके तप से, और हम सबके साझा प्रयासों से महामारी के इस हमले को आपने काफी हद तक संभाला है। लेकिन अभी संतोष का समय नहीं है, हमें अभी एक लंबी लड़ाई लड़नी है। अभी हमें बनारस और पूर्वांचल के ग्रामीण इलाकों पर भी बहुत ध्यान देना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब हमारा नया मंत्र है ‘जहां बीमार वहीं उपचार’। इस सिद्धांत पर माइक्रो-कंटेनमेंट जोन बनाकर जिस तरह आप शहर एवं गावों में घर घर दवाएं बांट रहे हैं, ये बहुत अच्छी पहल है। इस अभियान को ग्रामीण इलाकों में जितना हो सके, उतना व्यापक करना है।

ओली के 7 मंत्रियों को बर्खास्त करने का आदेश

हरिओम उपाध्याय   
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को एक ही दिन में दो बड़ें झटके लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से ओली सरकार के 7 मंत्रियों को बर्खास्त करने का आदेश देने के कुछ ही घंटे के बाद ओली को दूसरा बड़ा झटका लगा है। ओली सरकार में गृह मंत्री रहे राम बहादुर थापा को राष्ट्रीय सभा के चुनाव में पराजय मिली है। दल बदलने के कारण थापा की संसद सदस्यता चली गई थी जिसके बाद रिक्त स्थान पर आज गुरुवार को दोबारा मतदान हुआ था। संसद के उच्च सदन राष्ट्रीय सभा के लिए हुए मतदान में गृह मंत्री थापा को ओली की पार्टी के बागी उम्मीद्वार ने पराजित कर दिया है। नेपाल के उच्च सदन में प्रदेश के विधायक और पालिका के मेयर और उपमेयर मतदाता होते हैं। सबसे अधिक मत सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में होने के बावजूद गृह मंत्री को उनकी ही पार्टी के बागी उम्मीदवार खिमलाल देवकोटा ने पराजित कर दिया है।
'ईश्वर' शब्द नहीं बोलने पर हुआ था विवाद
इससे पहले पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री केपी ओली विवादों में आ गए थे। शुक्रवार को केपी शर्मा ओली ने बतौर नेपाल के प्रधानमंत्री तीसरी बार शपथ ली थी। लेकिन इस दौरान उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार-चार याचिकाएं दायर कर दी गईं। केपी ओली ने शुक्रवार को हुए शपथ समारोह में शपथ लेने के दौरान 'ईश्वर' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने जब ईश्वर, देश और लोगों का जिक्र किया तो उनकी बातों को दोहराते हुए पीएम ओली ने 'ईश्वर' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।
राष्ट्रपति की तरफ से दो बार 'ईश्वर' शब्द का इस्तेमाल हुआ लेकिन पीएम ओली ने एक बार भी उसको नहीं बोला। लोगों की नजर में यह राष्ट्रपति और उनके पद का अपमान था। इसी वजह से कई लोगों ने उनके इस शपथ को ही अवैध करार दे दिया और मांग करने लगे कि उन्हें फिर से शपथ दिलवाई जाए। हालांकि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से केपी ओली को खासी राहत मिली। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अभी के लिए वो इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश जारी नहीं करने जा रहे हैं।

साल में 'कोवाक्सिन' की 20 करोड़ खुराक बनायेगें

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली।कोरोना वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक ने गुजरात के अंकलेश्वर में चिरोन बेहरिंग वैक्सीन (भारत बायोटेक की पूर्ण स्वामित्व सहायक कंपनी) में कोवाक्सिन के लिए अतिरिक्त विनिर्माण क्षमताओं को तुरंत बढ़ाने की घोषणा की है। भारत बायोटेक की ओर से जारी बयान में यह बताया गया है कि कंपनी अपने गुजरात प्लांट के साथ 1 साल के अंदर 'कोवाक्सिन' की 20 करोड़ खुराक बनाने जा रही है और इसके लिए अलग-अलग जगहों पर बहुत तेजी से काम हो रहा है। भारत बायोटेक ने कहा कि टीका के क्षेत्र में क्रांति आने वाली है और इसके लिए अतिरिक्त लैब्स की भी व्यवस्था की जा रही है।भारत बायोटेक ने गुरुवार को कहा कि देश में टीकों की कमी को पूरा करने के लिए उसने गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस(GMP) नियमों के तहत हर साल कोवैक्सीन की 20 करोड़ डोज उत्पादन करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत अंकलेश्वर में कोवाक्सीन का उत्पादन 2021 की चौथी तिमाही से शुरू होगा।
भारत बायोटेक को एक और सफलता
बता दें कि बीते मंगलवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि भारत बायोटेक अब 2-18 वर्ष की आयु वर्ग के लिए टीके का परीक्षण करेगी। कंपनी को इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से चरण दो और तीन के परीक्षण की मंजूरी मिल गई है। वीके पॉल ने कहा कि अगले 10-12 दिनों में इसके क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएंगे।
कंपनी ने मांगी थी अनुमति
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 विषय विशेषज्ञ समिति ने 11 मई को भारत बायोटेक द्वारा किए गए उस आवेदन पर विचार-विमर्श किया, जिसमें उसके कोवाक्सीन टीके की दो साल से 18 साल के बच्चों में सुरक्षा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने समेत अन्य चीजों का आकलन करने के लिए परीक्षण के दूसरे/तीसरे चरण की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। वहीं अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से भी अनुमति मिल गई जिससे ट्रायल का रास्ता साफ हो गया।

लालू की दूसरी बेटी रोहिणी राजनीति में सक्रिय हुई

अविनाश श्रीवास्तव  

पटना। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती के बाद उनकी एक और पुत्री रोहिणी आचार्य बिहार की राजनीति में काफी सक्रियता दिखा रही हैं। हाल के दिनों में उन्‍होंने ट्विटर पर अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी है। ऐसे तो उनका यह अकाउंट वैसे तो नवंबर 2017 से है। लेकिन इस पर राजनीतिक सक्रियता पिछले कुछ महीनों से अधिक है। पहले पिता लालू प्रसाद की रिहाई के लिए ट्विटर पर रोजा रखने का ऐलान, फिर एक के बाद एक बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी पर ताबड़तोड़ हमले। स्पष्ट है कि रोहिणी के इस ट्वटिर हैंडल से ज्‍यादातर टिप्‍पणियां पूरी तरह राजनीतिक होती हैं। 'सुशील मोदी को थूर देंगे', हाल में ही रोहिणी का ट्विटर पर दिए गए इस बयान ने काफी सुर्खियां बटोरीं।

रोहिणी आचार्य का यह ट्विटर अकाउंट फिलहाल अनवेरिफाइड है। इस अकाउंट पर रोहिणी की जो प्रोफाइल तस्‍वीर लगी है, उसमें खुद के अलावा उन्‍होंने अपने पिता लालू यादव और छोटे भाई तेजस्‍वी यादव की तस्‍वीर लगा रखी है। उनकी प्रोफाइल तस्‍वीर के साथ जो बैज लगा है, उसमें 'युवा संकल्‍प, तेजस्‍वी विकल्‍प' लिखा हुआ है। यानी यह साफ है कि तेजस्वी यादव को आगे रखकर ही उनकी राजनीति आगे बढ़ने वाली है. सवाल यह है कि आखिर तेजस्वी के साथ उनकी पॉलिटिक्स किस रास्ते आगे बढ़ सकती है।
लालू परिवार के छठे सदस्य की राजनीति में होगी एंट्री!
बता दें कि लालू फैमिली में कई सदस्य पहले से राजनीति में बेहद सक्रिय हैं। स्वयं लालू प्रसाद यादव एवं पूर्व सीएम राबड़ी देवी के अलावा बड़ी बेटी मीसा भारती, बड़ा बेटा तेज प्रताप यादव और छोटा बेटा तेजस्वी यादव बिहार की सियासत को साध रहे हैं। अब लालू परिवार की छठी सदस्य भी राजनीति में आने को आतुर हैं। हालांकि, लालू परिवार में भी गाहे-बगाहे सियासी खटपट की बातें सामने आती रहती हैं। तेजप्रताप-तेजस्वी के बीच खींचतान के साथ ही मीसा भारती की महत्वाकांक्षा भी कई बार जाहिर हो चुकी है। अब रोहिणी कि ख्वाहिश के साथ राजनीति में एंट्री कर रही हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। 
पहली बार राजनीतिक सुर्खियों में आईं रोहिणी।
रोहिणी के राजनीति में आने की चर्चा इसलिए भी तेज है, क्योंकि सबसे पहले उनका नाम खुलकर तब सामने आया था जब वर्ष 2016 में तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम थे। उसी दौर में तेजस्वी का नाम बेनामी संपत्ति मामले में सामने आया था। उस वक्त यह खबर भी सामने आई थी कि लालू परिवार तेजस्वी को हटाने पर विचार कर रहा है और उनकी जगह रोहिणी आचार्य को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसकी वजह यह भी थी कि तब मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार का भी नाम इसी मामले में आया था। जाहिर है ऐसे में मीसा भारती के नाम की चर्चा हो भी नहीं सकती थी। लालू की रिहाई को रोजा रखने का ऐलान कर चर्चा में आईं।
हालांकि तब भी आधिकारिक तौर पर रोहिणी का नाम सामने नहीं आया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़ा और भाजपा के साथ सरकार बन गई। तब रोहिणी पर हो रही चर्चा भी वहीं थम गई। हाल में चारा घोटाले में जेल जाने के बाद से लालू यादव की बेटी रोहिणी ने अपनी सक्रियता ट्विटर पर दिखाई और अपने पिता लालू प्रसाद यादव की रिहाई के लिए आवाज बुलंद करती रहीं। सबसे अधिक चर्चा तब हुई जब उन्होंने पिता की रिहाई के लिए रोजा रखने का ऐलान किया। इसके बाद तो वह अक्सर बिहार से संबंधित हर मुद्दे पर अपनी राय रखती हैं।
डॉ रोहिणी आचार्य के निशाने पर अक्सर रहते हैं ये नेता
रोहिणी के ट्विटर अकाउंट को देखें तो उनके निशाने पर न सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रहते हैं। गृहमंत्री अमित शाह के अलावा उन्होंने सुशील मोदी पर भी बेहद तीखी टिप्पणियां की हैं। बक्‍सर में गंगा में मिलीं लाशों को लेकर एक्‍ट्रेस कंगना रानौत को भी उन्होंने आंख की अंधी और दिमाग के पैदल बताया था। विशेष तौर पर नजर देने की बात यह भी है कि लालू की बड़ी बेटी व राज्‍यसभा सांसद मीसा भारती उतनी सक्रिय नहीं दिख रही हैं और न ही उनका ट्विटर अकाउंट ही ज्यादा एक्टिव है।

मुठभेड़: सुरक्षाबलों ने 13 नक्सलियों को मार गिराया

सुनील चौबे  

गढ़चिरौली। मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 13 नक्सलियों को मार गिराया है। गढ़चिरौली डीआईजी संदीप पाटिल ने इसकी पुष्टि की है। 6 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं।

बता दें छत्तीसगढ़ सीमा से लगे गढ़चिरौली में भारी संंख्या में नक्सलियों के जुटने की सूचना पर फोर्स ने दबिश दी। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ अब भी जारी है। गढ़चिरौली के एटापल्ली के पयडी-कोटमी जंगल में ये एनकाउंटर चल रहा है। गढ़चिरौली एसपी ने इसकी पुष्टि की है। बताया जा रहा है फोर्स ने पूरे इलाके से नक्सलियों का सफाया कर दिया है। नक्सलियों का मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

सोने के दामो में 4 दिनों में तीसरी बार गिरावट दर्ज

कविता गर्ग   

नई दिल्ली। वैश्विक दरों में गिरावट के बीच आज भारत में सोने की कीमतों पर दबाव रहा। शुक्रवार को एमसीएक्स (MCX) पर सोने की कीमतों में चार दिनों में तीसरी गिरावट देखी गई है। इसी के साथ सोना वायदा 0.4% गिरकर ₹48358 प्रति 10 ग्राम पर आ गया. चांदी वायदा 0.8% गिरकर 71,748 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। विश्लेषकों का कहना है कि इस सप्ताह क्रिप्टोकरेंसी में अधिक उतार-चढ़ाव ने निचले स्तर पर सोने का समर्थन किया है। वहीं, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार होने से इंटरनेशनल स्पॉट प्राइस में कमी आई है जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी नजर आ रहा है।

जानिए अपने शहर में सोने के भाव

देश की राजधानी दिल्ली में आज 22 कैरेट सोने के दाम 350 रुपए बढ़कर 46,000 रुपये प्रति 10 ग्राम चल रहा है। जबकि 24 कैरेट सोने के दाम 47,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल पर है। सोने की कीमतें टैक्स की वजह से अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग लेवल पर होती है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 22 कैरेट सोने के दाम 46,000 रुपये प्रति 10 ग्राम और 24 कैरेट सोने के दाम 50,160 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं। पुणे में 22 कैरेट सोने के भाव 46,000 रुपये प्रति 10 ग्राम और 24 कैरेट सोने के दाम 47,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं। नागपुर में 22 कैरेट सोने के दाम 46,000 रुपये प्रति 10 ग्राम और 24 कैरेट सोने के भाव 47,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं। चेन्नई में 22 कैरेट सोने के दाम 45,980 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं और 24 कैरेट सोने के दाम 50,160 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं। लखनऊ में 22 कैरेट सोने के दाम 46,930 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं और 24 कैरेट सोने के दाम 50,830 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं।

सोने में है निवेश का शानदार मौका

सोना निवेश के लिए एक सुरक्षित आइटम है. किसी भी संकट के समय निवेशक सोने की ओर ज्यादा तवज्जो देते हैं। निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ जा रहे हैं, जो आने वाले महीनों में इसकी कीमतों में तेजी का कारण बनेगा। कोरोना वायरस सोने की कीमतों में तेजी का एक कारण हो सकता है। हाल ही में सामने एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले महीनों में कोरोना की तीसरी लहर भी आएगी। एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले समय में सोना 50 हजार पार करेगा इसलिए निवेश के लिहाज से यह उचित समय है।

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