कानपुर। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के एक और सहयोगी शिवम दुबे को गिरफ्तार कर लिया है। विकास दुबे ने 3 जुलाई को बिकरू गांव में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।
शुक्रवार, 24 जुलाई 2020
गैंगस्टर विकास दुबे का 1 और साथी अरेस्ट
अवैध कारोबार पर पुलिस का शिकंजा
थाना प्रभारी सिखेड़ा वीरेन्द्र कसाना व उनकी टीम ने बेहतरीन कार्यशैली का नमूना पेश करते हुए दो गुड वर्को को दिया अंजाम
तस्लीम बेनकाब
मुज़फ्फरनगर। एसएसपी अभिषेक यादव के कुशल मार्ग निर्देशन में व पुलिस अधीक्षक नगर सतपाल आंतिल के नेतृत्व में थाना प्रभारी सिखेड़ा वीरेन्द्र कसाना ने बेहतरीन कार्यशैली का नमूना दिखाते हुए आज भी दो गुड वर्को को अंजाम दिया। कि एसएसपी अभिषेक यादव के द्वारा अपराधियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया हुआ है जिसपर सभी थाना प्रभारियों को आदेशित किया हुआ है की कोई भी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अवैध कारोबार ना करें तथा ऐसे अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए।आज इसी क्रम में थानाप्रभारी सिखेड़ा वीरेंद्र कसाना व उनकी टीम ने किसी घटना को अंजाम देने की फिराक में एक आरोपी को बंदूक सहित गिरफ्तार किया तो वही दूसरी गुड वर्क को अंजाम देते हुए एक मुदमे मे चले आ रहें आरोपी को सिखेड़ा चौराहे से किया गिरफ्तार। सिखेड़ा थानाप्रभारी वीरेंद्र कसाना को मुखबिर खास की सूचना मिली की गय्यूर पुत्र हनीफ निवासी बिहारी मंसुरपुर रोड मास्टर समीम के बाग में अवैध देशी बन्दूक लिये घूम रहा और कोई भी घटना को अंजाम दे सकता है तो सिखेड़ा थानाप्रभारी ने एक टीम गठित कर मुखबिर खास की बताई जगह पर पहुच कर आरोपी की घेराबंदी कर पकड़ लिया, सिखेड़ा पुलिस पूछताछ की तो आरोपी ने अपना नाम गय्यूर पुत्र शमीम निवासी बिहारी बताया इसके पास से एक देशी बन्दूक एक जिन्दा कारतूस एक खोखा भी पुलिस ने बरमाद किया हैं,सिखेड़ा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर भेजा जेल तो वही दूसरी सफ़लता में सिखेड़ा पुलिस ने संबंधित अभियुक्त जयपाल पुत्र बलदेव निवासी बहेड़ा अस्सा थाना सिखेडा को सिखेड़ा चौराहे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
740 लोगों की मौत, 49,310 संक्रमित
अकाशुं उपाध्याय
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण के बढ़ते मामलों की रफ्तार रोजाना बढ़ती ही जा रही है। भारत में बीते 24 घंटे के भीतर सबसे अधिक 49 हजार से ज्यादा मामले आए हैं। यह आंकड़ा अब तक का सर्वाधिक है। 24 जुलाई की सुबह तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस संक्रमण के 49,310 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही अब देश में कुल दर्ज मरीज़ों की संख्या 12.87 लाख के पार हो गई है। इतना ही नहीं, पिछले 24 घंटों में 740 लोगों की मौतें भी हुई हैं। इसी के साथ अब तक हुई कुल मौतों का आंकड़ा 30 हजार के पार पहुंच गया है। अभी तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 30,601 हो गया है।
देश मे कोरोना के अब तक कुल 12,87,945 पॉजिटिव मामले आ चुके हैं। जबकि ठीक होने वालों की संख्या 8,17,209 तक पहुंच गई है। रिकवरी रेट की बात करें तो अब मामले 63.45% तक रिकवर हो रहे हैं। जबकि पॉजिटिविटी रेट 13.97% है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार 22 जुलाई तक टेस्ट किए गए कोरोनावायरस (COVID-19) सैंपलों की कुल संख्या 1,54,28,170 है, जिसमें 3,52,801 सैंपलों का टेस्ट बीते 24 घंटे में किया गया।
फिलहाल पूरे देश में पांच राज्य ऐसे हैं जहां पर मामले सर्वाधिक आ रहे हैं, जिनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और यूपी है। महाराष्ट्र में 9,895, आंध्र प्रदेश में 7,998, तमिलनाडु में 6,472, कर्नाटक में 5,030 और उत्तर प्रदेश में 2,516 हैं। वहीं, कोरोनावायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या की बात करें तो महाराष्ट्र में 298, कर्नाटक में 97, तमिलनाडु में 88, आंध्र प्रदेश में 61 और पश्चिम बंगाल में 34 है।
19 सितंबर से आईपीएल की शुरुआत
नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग यानी आइपीएल के 13वें सीजन को लेकर आधिकारिक ऐलान हो गया है। आइपीएल के चेयरमैन बृजेश पटेल ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है कि आइपीएल 2020 कब और कहां खेला जाएगा। आइपीएल के चेयरमैन की मानें तो पूरा टूर्नामेंट संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में खेला जाएगा। बृजेश पटेल ने ये भी बताया है कि आइपीएल की शुरुआत 19 सितंबर से होगी, जबकि फाइनल मुकाबला 8 नवंबर को खेला जाएगा। आईपीएल के चेयरमैन बृजेश पटेल ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ को बताया है कि इंडियन प्रीमियर लीग 2020 की शुरुआत 19 सितंबर से होगी, जबकि फाइनल मुकाबला 8 नवंबर को खेला जाएगा। बीसीसीआइ ने आइपीएल के 13वें सीजन के आयोजन के लिए यूएई की तीन जगहों को फाइनल किया है, जिनमें दुबई, अबुधाबी और शारजाह हैं। इन्हीं तीन जगहों पर आईपीएल के सभी मुकाबले खेले जाएंगे, क्योंकि भारत में कोरोना वायरस महामारी काबू में नहीं है।
बता दें कि आइपीएल 2020 का आगाज 29 मार्च से होना था, लेकिन उससे पहले भारत में कोरोना वायरस के मामले सामने आ गए थे। ऐसे में बीसीसीआइ ने लीग को पहले 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित किया था, लेकिन 16 अप्रैल को बीसीसीआइ ने इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया था। हालांकि, एक समय ऐसा लग रहा था कि आइपीएल का आयोजन इस साल नहीं हो पाएगा, क्योंकि बीसीसीआइ के पास कोई विंडो नहीं बची थी, लेकिन दो बड़े टूर्नामेंट स्थगित होने से आइपीएल को विंडो मिल गई।
दरअसल, पहले एशिया कप और फिर आइसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2020 के स्थगित होने के बाद बीसीसीआइ को दुनिया की सबसे महंगी टी20 लीग के आयोजन के लिए सितंबर-नवंबर की विंडो मिल गई, क्योंकि पहले सितंबर में एशिया कप होना था और फिर अक्टूबर-नवंबर में टी20 वर्ल्ड कप का आयोजन होना था, लेकिन इस साल के लिए ये टूर्नामेंट कैंसिल हो गए हैं।
भव्यता को ध्यान में रखकर होगा सौंदर्यकरण
मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन सौन्दर्यकरण कुम्भ की भव्यता को ध्यान में रखते हुए ही किया जाएगा
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कुम्भ मेला 2021 को लेकर अखाड़ा परिषद और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बुधवार को देहरादून में हुई बैठक के बाद हरिद्वार पहुचे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने पत्रकारों से वार्ता की और बैठक में लिए गए विभिन्न निर्णयों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री के साथ कुंभ मेले को लेकर हुई अखाड़ा परिषद की इस अहम बैठक में कई मुद्दों पर संतो के साथ चर्चा की गई और कुम्भ मेले के कार्यो को लेकर निर्णय भी लिया गया।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बताया कि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बैठक के दौरान चर्चा कर तय किया गया कि, कुम्भ मेला 2021 अपने तय समय पर होगा। सरकार द्वारा अखाड़ो में होने वाले स्थाई कार्यो की पहली किश्त सरकार द्वारा जारी की जाएगी। कुम्भ मेला 2021 के दौरान बैरागी कैम्प में बैरागियों की तीन अणियों को दी जानी वाली जमीन पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। मां मनसा देवी की पहाड़ी का ट्रीटमेंट किया जाएगा। ताकि आने वाले कुम्भ मेले में किसी प्रकार की समस्या सामने ना आए। मुख्यमंत्री के साथ बैठक में हरिद्वार के सौन्दर्यकरण को लेकर भी चर्चा की गयी। जिस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि, हरिद्वार का सौन्दर्यकरण कुम्भ की भव्यता को ध्यान में रखते हुए ही किया जाएगा। इसके लिए भी सरकार द्वारा कार्य किए जा रहें है।
मुख्यमंत्री के साथ कुंभ से पहले अखाड़ा परिषद की इस अहम बैठक में कुम्भ मेले के कई मुद्दों पर चर्चा की गई। जहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कुंभ मेला 2021 में तय समय पर होने की बात कही तो वही मुख्यमंत्री द्वारा भी कुंभ मेले को लेकर संतो को कई आश्वासन दिए गए है। अब देखना होगा कि, आगामी 2021 कुंभ मेले का कितना सफल आयोजन राज्य सरकार द्वारा कराया जाता है।
पायलट पक्ष की याचिका को सही माना
जयपुर। राजस्थान के सियासी घमासान पर हाई कोर्ट का फैसला आ गया है। हाई कोर्ट ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों की याचिका को सही माना। साथ ही स्पीकर द्वारा जारी नोटिस पर स्टे लगा दिया है। यानी स्पीकर द्वारा जारी नोटिस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं होगी। अब पक्ष चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। हालांकि हाई कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य घोषित करने या नहीं करने वाले बिंदू पर कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। अब माना जा रहा है कि पूरे मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
इससे पहले हाई कोर्ट ने सचिन पायलट गुट के पृथ्वीराज मीणा की वह याचिका स्वीकार कर ली है, जिसमें उन्होंने पूरे मामले में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाने की मांग की थी। वहीं इससे पहले दायर याचिका में राजस्थान विधानसभी स्पीकर सीपी जोशी के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें बागी विधायकों को नोटिस जारी किया गया है। ये सभी विधायक पिछले दिनों कांग्रेस विधायक दल की बैठक में उपस्थित नहीं हुए थे। अशोक गहलोत सरकार का आरोप है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक भाजपा के साथ मिलकर सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।
हाई कोर्ट के फैसले से पहले अशोक गहलोत का बड़ा दावा: राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इशारों पर राजस्थान में जनता की चुनी सरकार को गिराने की कोशिश हो रहा है, लेकिन हमारे पास बहुमत है। हम जल्द ही विधानसभा का सत्र बुलाएंगे और बहुमत साबित करेंगे। कहा जा रहा है कि यदि हाई कोर्ट का फैसला सचिन पायलट गुट के समर्थन में आता है तो गहलोत के लिए मुश्किल बन सकती है। भाजपा का दावा है कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। सुप्रीम कोर्ट से मिला था झटका: इससे पहले राजस्थान स्पीकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। इस तरह स्पीकर और कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से तो झटका लगा है।
सार्वजनिक सूचना
सर्वजनिक सूचना
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है। मैं संजय पुत्र स्वः राज सिंह, निवासी ए-91 गली नंबर 3, संगम विहार, लोनी गाजियाबाद, के द्वारा आज दिनांक 23 जुलाई 2020 को अपनी पुत्री सोनिया से सभी प्रकार के संबंध विच्छेद करता हूं। मेरी चल-अचल सभी प्रकार की संपत्तियों से सोनिया का आज के बाद किसी प्रकार कोई संबंध नहीं है। आज के बाद सोनी के द्वारा किसी भी कृत्य की जिम्मेदार स्वयं सोनिया रहेगी। मेरा सोनिया से सभी प्रकार संबंध खत्म माना जाए।
प्रशासक सुमेधा पर कार्रवाई की मांग
राणा ओबराय
हरियाणा महिला आयोग की सोनाली-सुल्तान प्रकरण मामले में मार्केटिंग बोर्ड की प्रशासक सुमेधा कटारिया व अन्य अधिकारियों पर कार्यवाही की सिफारिश
हिसार। हरियाणा राज्य महिला आयोग की उच्च स्तरीय कमेटी ने सोनाली-सुल्तान प्रकरण में जांच रिपोर्ट सीएम व कृषि मंत्री को भेज दी है। इसमें कृषि मार्केटिंग बोर्ड की प्रशासक सुमेधा कटारिया के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश की गई है। 45 दिन में जांच रिपोर्ट तैयार की गई है। आयोग की चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन ने रिपोर्ट में दावा किया है कि सुमेधा कटारिया ने हिसार मार्केट कमेटी के सचिव सुल्तान सिंह के खिलाफ विभागीय एक्शन नहीं लिया। उन्हें तुरंत प्रभाव से निलंबित करने या फिर चार्ज लेने के लिए कहा गया था, लेकिन अधिकारी ने आयोग की बातों को गंभीरता से नहीं लिया। आयोग ने हिसार डीसी पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है। हिसार डीसी से सचिव संबंधित सत्यापित दस्तावेज मांगे थे, पर उपलब्ध नहीं कराए गए। आयोग ने कहा कि सचिव के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत भी एफआईआर होनी चाहिए।
गिरफ्तार व सस्पेंड भी किए जाएं सचिव सुल्तान
रिपोर्ट के अनुसार,सचिव सुल्तान सिंह ने आयोग के सामने पक्ष रखा था। उन्होंने जो दस्तावेज पेश किए, उनमें छेड़छाड़ मिली। कहीं ओवरराइटिंग तो कहीं कटिंग थी। गलत दस्तावेज पेश कर गुमराह करने का प्रयास किया गया। इसलिए सेवा नियमावली के अनुसार सचिव को निलंबित करना चाहिए। 5 जून को सोनाली फौगाट की शिकायत पर सुल्तान सिंह पर केस दर्ज हुआ था। उस मामले में तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए।
पत्रकारों पर दर्ज मामले की घोर निंदा
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज मीडिया ग्रुप भी वरिष्ठ पत्रकार जगजीत सिंह दर्दी के ऊपर हुए दर्ज मामले की करता है घोर निंदा!
चण्डीगढ़। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार जगजीत सिंह दर्द के ऊपर पंजाब सरकार द्वारा किए गए मुकदमे की राष्ट्रीय खोज ग्रुप घोर निंदा करता है। राष्ट्रीय खोज ग्रुप के सभी सदस्यों ने वरिष्ठ पत्रकार जगजीत सिंह दर्दी के ऊपर हुए दर्ज मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा सरकार पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए कोई ना कोई षड्यंत्र रचती रहती है। चण्डीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार एवं हरियाणा साहित्य अकेडमी हरियाणा सरकार के पूर्व वाईस चेयरमैन राणा ओबराय ने कहा यदि पंजाब सरकार ने दुर्भावना से मुकदमा दर्ज किया है तो इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। राणा ओबराय ने कहा पत्रकार समाज का आईना होते हैं। यदि पत्रकारों की आवाज को दबाया जाएगा तो पत्रकार आम आदमी की आवाज को उठाने में असमर्थ हो जाएंगे। इसलिए पंजाब सरकार को चाहिए सही कार्यवाही करके जगजीत दर्दी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करें!
अधिवक्ताः राखी खरीदने का रुपया नहीं
आईटीआई महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने सीएम को भेजा पत्र 5 माह का वेतन अप्राप्त राखी खरीदने के लिए पैसे नहीं "
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुत से आईटीआई के मेहमान प्रवक्ताओं का मार्च से लेकर जुलाई तक का वेतन उनके प्राचार्यो द्वारा रोका गया है। ऐसे में वहां कार्य कर रहे महिला मेहमान प्रवक्ताओं को राखी जैसे पावन पर्व पर अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई खरीदने के लिए आथिर्क समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपनी इन्हीं आथिर्क समस्याओं को ध्यान आकर्षित कराने के लिए महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने सीएम को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि हम सब बहनों को वेतन नहीं मिलने के कारण हम सब अपने भाइयों और साथ ही साथ आपके लिए भी राखी खरीदने में असमर्थ है। परन्तु भूपेश भैय्या आप अपने भाई होने का फर्ज निभाते हुए हम सब बहनो को उपहार स्वरूप हमारे 5 माह का लंबित वेतन दिलवाये, ताकि हम सब बहने आपके लिए और अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई खरीद सके। इस संबंध में कांकेर सासंद माननीय श्री मोहन मंडावी द्वारा संचालनालय रोजगार एवं विभाग को पत्र भी लिखा गया था। जिसके जवाब में श्री मोती राम खुटे अवर सचिव द्वारा कहा गया कि संचालनालय का कार्य मेहमान प्रवक्ताओं के लिए बजट जारी करने का होता है और सभी संस्थाओं को वेतन के लिए बजट दे दिया गया है। अब रही मेहमान प्रवक्ताओं के वेतन की तो मेहमान प्रवक्ताओं की नियुक्ति और वेतन देने का अधिकार संस्था प्रमुख और नोडल अधिकारी का होता है, इस संबंध में संचालनालय की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रहती। उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि मेहमान प्रवक्ताओं का वेतन संस्था प्रमुखों और नोडल अधिकारीयों द्वारा रोका जा रहा है। अंत में महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने कहा कि सीएम माननीय श्री भूपेश भैय्या से हम सब बहनों को पूरा विश्वास और उम्मीद है कि वो इस संबंध में जल्द ही उचित कदम उठायेंगे ताकि हम सब बहनो को हमारा पूरा वेतन मिल सके।
25 जुलाई को करें कालसर्प दोष निवारण
नागपंचमी 25 जुलाई पर करें कालसर्प दोष का निवारण
-मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्,
विश्व में भारत ही एकमात्र देश है जहां पृथ्वी, समुद्र, नदियों, वृक्षों, ग्रहों, देवताओं आदि की पूजा तो होती ही है। परंतु आदिकाल से पशु पक्षियों के संरक्षण, पर्यावरण एवं प्राकतिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से उनकी पूजा भी की जाती है। इसके लिए लगभग हर पशु पक्षी को किसी न किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है ताकि देवों के साथ साथ उनकी भी रक्षा होती रहे।
गाय को तो पूज्यनीय माना ही गया है, परंतु भगवान कृष्ण का इससे अटूट संबंध भी जोड़ा गया है।
बैल-शिवजी का वाहन, शेर-दुर्गाजी का वाहन, मोर- कार्तीकेय , चूहा-गणेशजी, सर्प-शिवजी के गले में एवं विष्णुजी की शैय़्या के रुप में रहता है। हंस-देवी सरस्वती का, उल्लू-देवी लक्ष्मी का वाहन भैंसा-यमराज का।
इसी श्रृंखला में नाग पंचमी पर नागों की पूजा का पारंपरिक विधान है।
नाग पंचमी का पर्व 25 जुलाई को मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों (नाग देवताओं) को पूजने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं। सांप के भय एवं सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है। इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।
नाग पंचमी का मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ- 14:33 (24 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि समाप्ति- 12:01 (25 जुलाई 2020)
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त- 05:38:42 बजे से 08:22:11 बजे तक
अवधि - 2 घंटे 43 मिनट
नाग पंचमी - महत्व
1. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
2. ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता।
3. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. यह पर्व सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं।
5. इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। पौराणिक काल से ही नागों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
गुप्त धन की रक्षा
शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण यह माना जाता है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करना चाहिए।
नाग पंचमी से जुडी कुछ कथाएं व मान्यताएँ
1. हिन्दू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थी। मान्यता यह है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, परन्तु उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थी, जिनका ताल्लुक नाग वंश से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया।
2. पुराणों के मतानुसार सर्पों के दो प्रकार बताए गए हैं— दिव्य और भौम। दिव्य सर्प वासुकि और तक्षक आदि हैं। इन्हें पृथ्वी का बोझ उठाने वाला और प्रज्ज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी बताया गया है। वे अगर कुपित हो जाएँ तो फुफकार और दृष्टिमात्र से सम्पूर्ण जगत को दग्ध कर सकते हैं। इनके डसने की भी कोई दवा नहीं बताई गई है। परन्तु जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं, जिनकी दाढ़ों में विष होता है तथा जो मनुष्य को काटते हैं उनकी संख्या अस्सी बताई गई है।
3. अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापदम, शंखपाल और कुलिक— इन आठ नागों को सभी नागों में श्रेष्ठ बताया गया है। इन नागों में से दो नाग ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वैश्य और दो शूद्र हैं। अनन्त और कुलिक— ब्राह्मण, वासुकि और शंखपाल— क्षत्रिय, तक्षक और महापदम— वैश्य, व पदम और कर्कोटक को शुद्र बताया गया है।
4. पौराणिक कथानुसार जन्मजेय जो अर्जुन के पौत्र और परीक्षित के पुत्र थे, उन्होंने सर्पों से बदला लेने व नाग वंश के विनाश हेतु एक नाग यज्ञ किया क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था। जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी और तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया। मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और इस दिन. अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस नाग पंचमी की पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश का डर भी दूर होता है। आइए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा विधि।
- नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
- चतुर्थी के दिन एक बार भोजन कर पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
- पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति बनाकर इसे लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें।
- हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें।
- कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें।
- पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
- अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
कालसर्प दोष क्या है व कुंडली में कैसे बनता है कालसर्प दोष?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण फिर काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।
काल सर्प योग उपाय-
विशेषज्ञों काल सर्प योग के असभ्य प्रभाव को कम करने के उपाय बताएं है। उनमें से कुछ नीचे बताये गये है-
ओम नमः शिवाय का जप करने या रोजाना कम से कम 108 बार महामृत्युजंय जप को करने से इस योग के खराब प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
नाग देवता की पूजा करना या नाग पंचमी को व्रत करना प्रभावी रहता है।
धातु से बनी हुई नाग और नागिन की जोड़ी नदी या एक मंदिर में चढ़ाना भी अच्छा परिणाम दिखाता है।
इस योग के साथ हर व्यक्ति दिए गए प्रभावों और लक्षणों से ग्रस्त नहीं होता है। यह सब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। ऐसे अन्य उपाय भी हैं जो आप किसी विशेषज्ञ या पुजारी से जान सकते है। इस दोष का जल्दी से जल्दी उपाय करने का सुझाव दिया जाता है।
नागपंचमी के दिन किए जाने वाले कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं जिनके करने से कालसर्प दोष शिथिल होता है-
1. नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
2. नारियल पर ऐसा ही जोड़ा बनाकर मौली से लपेटकर जल में बहाएं।
3. सपेरे से नाग या जोड़ा पैसे देकर जंगल में स्वतंत्र करें।
4. किसी ऐसे शिव मंदिर में, जहां शिवजी पर नाग नहीं हों, वहां प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
5. चंदन की लकड़ी के बने 7 मौली प्रत्येक बुधवार या शनिवार शिव मंदिर में चढ़ाएं।
6. शिवजी को चंदन तथा चंदन का इत्र चढ़ाएं तथा नित्य स्वयं लगाएं।
7. नागपंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा पुताई करवाएं।
8. निम्न मंत्रों के जप-हवन करें या करवाएं।
(अ) 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय'
(ब) 'ॐ नागदेवतायै नम:' या नागपंचमी मंत्र 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।'
(9) शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक करवाएं।
(10) अपने वजन के बराबर कोयले पानी में बहाएं।
छात्रों के भविष्य के साथ सरकार का खिलवाड़
दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक अध्यापकों की व्यवस्था जिंदा रखकर लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है सरकार ;डॉ. अनिल कुमार मीणा
अकाशुं उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग 5000 एडहॉक अध्यापक पढ़ाते हैं लेकिन उनकी लेकिन प्रत्येक 4 महीने बाद जॉइनिंग को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन असंवेदनशील रवैया अपनाता रहता है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने स्थाई नियुक्ति तक किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश जारी किया था| लेकिन प्रशासन बार बार शैक्षणिक कैलेंडर बदलना, परीक्षा तिथियों को आगे बढ़ाना, ऑन लाईन परीक्षा लेने पर अड़े रहने की जिद्द तदर्थ शिक्षकों के लिए कोरोना संकट के समय तनाव को बढ़ाने, उनके लिए रोजी रोटी का संकट के साथ साथ उनके रोजगार पर भी गम्भीर प्रभाव डाल रहा है। एडहॉक अध्यापकों ने प्रशासन की शोषण करने की मानसिकता के खिलाफ अनेक आंदोलन किए लेकिन सफलता नहीं मिली |
एडहॉक अध्यापकों के आंदोलन की असफलता के कारण
वह नियमित नहीं है हर 4 महीने बाद विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज के प्राचार्य के रहमों करम पर जिंदा रहना पड़ता है| उन्हीं के बनाए हुए विधान एवं नियमों के अनुसार उनको चलना पड़ता है| जब कॉलेज के प्रशासन की मानसिक शोषण की पराकाष्ठा चरमोत्कर्ष सीमा पर पहुंच जाता है तब तदर्थ अध्यापक पर बेदखल होने की तलवार लटकने लग जाती है, उस असहाय वक्त पर वह आंदोलन भागीदार बनने के लिए मजबूर हो जाता है| और जैसे ही उनके निजी फायदे पूरे हो जाते हैं वह अपने आप को आंदोलन से दूर कर देता है | कुछ एडहॉक अध्यापक कॉलेज प्रशासन की नजरों में अच्छा बने रहने एवं भविष्य में नियमित होने का सहयोग लेने के लिए आंदोलन से दूरी बनाकर रखते हैं समय-समय पर जिसका दुष्परिणाम यही होता है कि वह भी खतरों की तलवारों से नहीं बच पाता | दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समय-समय पर स्क्रीनिंग लिस्ट आउट करने का खेल खेला जाता है |जिसके कारण तदर्थ अध्यापक सब कुछ भूल कर साक्षात्कार में अपना नाम डलवाने, अपने को नियमित करवाने के जुगाड़ में लग जाता है और वह पूरी तरह से आंदोलन से दूरियां बना देता है| विश्वविद्यालय में अध्यापकों के हितों की रक्षा के लिए कई संगठन बने हुए हैं जो समय समय पर अध्यापकों के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ते हैं| जब जब आंदोलन बुलंदियों पर होता है तब तक संगठनों के हित आपस में टकराने से संगठन के लोग अपने आप को धीरे आंदोलन से दूर कर लेते हैं जिसका नुकसान एडहॉक अध्यापकों को उठाना पड़ता है|
असफलता का कारण यह भी माना जाता है कि आंदोलन के लिए जो रोड मैप तदर्थ अध्यापक तैयार करते हैं उसे टूटा नजरअंदाज करके अपने बनाए हुए रोड मैप के अनुसार चलता है| जब जब आंदोलन सरकार को दिखाने के लिए अपने चरम पर होता है उसी वक्त डूटा अपने महत्वकांक्षी मुद्दों के साथ प्रशासन से समझौता कर लेता है | दूरगामी परिणाम यह होता है कि ना डूटा की मांग पूरी हो पाती है और ना ही एडहॉक अध्यापकों की समस्याओं का समाधान होता है | जिसका दुष्परिणाम सबको खाली बेबस हाथों से लौटना पड़ता है फिर से उस आंदोलन को ऊंचाइयों पर पहुंचाना और सभी का विश्वास जीत पाना एक चुनौती बन जाता है | जब-जब अध्यापकों को नियमित करने की मांग ऊंचाइयों पर होती है तब तब प्रशासन रोस्टर के मुद्दे पर उलझा कर रख देता है| यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया जाता है सामान्य वर्ग की सीट आरक्षित वर्ग में बदल गई है और आरक्षित वर्ग की सीट सामान्य वर्ग में बदल गई है| ऐसे माहौल में एडहॉक अध्यापक नियमित होने की लड़ाई को छोड़कर तदर्थ अध्यापक बने रहने की लड़ाई लड़ने लग जाता है|
आखिर सरकार एडहॉक अध्यापकों को नियमित नहीं करने के पीछे मंशा क्या है:-सरकार को ऐसा लगता है कि शिक्षण संस्थानों को चलाने के लिए नियमित अध्यापकों को पर जितना खर्च किया जाता है शायद उससे बहुत कम मात्रा में एडहॉक अध्यापकों पर खर्च करके संस्थाएं आराम से चलाई जा सकती है।
एडहॉक शिक्षकों को अतिरिक्त सेवायें में नहीं देनी पड़ती |
सरकार के कदम निजीकरण की तरफ बढ़ने के कारण भी उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को सरकारी नौकरियों से वंचित रखना चाहती है। सरकार तदर्थ अध्यापकों के मुद्दों पर उलझा कर दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से कार्यरत नियमित अध्यापकों की पदोन्नति करने से बचना चाहती है| अर्थात कम खर्चे पर विश्वविद्यालय चलाना चाहती है | सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए धीरे-धीरे सरकारी संस्थाओं को कमजोर करने का काम कर रही है| केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी निजीकरण के द्वार खुल जाए |
एडहॉक अध्यापकों को नियमित करना क्यों जरूरी है:-
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष 300 अध्यापक सेवानिवृत्त होते हैं | पिछले 13 सालों का हिसाब लगाएं 3900 रिक्त पद सृजित होते हैं| 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ओबीसी वर्ग के विस्तार के लिए विश्वविद्यालय में 2000 नए पद सृजित किए थे| दूसरे किश्त के तहत 2010 से थे, उन्हें पिछले साल 2019 में यूजीसी ने भरने के लिए निर्देश जारी किए थे उसे अभी तक नहीं भर पाए | इस साल 300 सीटें मिलेंगी सेवानिवृत्ति के कारण बनाया गया, विश्वविद्यालय ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) विस्तार योजना के तहत लगभग 2000 पदों की उम्मीद है।इस तरह से कुल रिक्त सर्जित पद 10200 बनते हैं जिनको सरकार ने पिछले 13 सालों में 1400 नियुक्तियां करने का साहस जुटा पाई है| फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय में 8800 पद खाली हैं जिनको भरने एवं फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के पास 3500 से अधिक सहायक अध्यापकों की विलंबित पदोन्नति के मामलों को पूरा करने के लिए लगभग 10-15 साल लगेंगे |
दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से पढ़ाने वाले अध्यापकों को कई बार उस मंजर को भी सामना करना पड़ा जिन छात्रों को उन्होंने अध्यापन करवाया एडहॉक के साक्षात्कार के समय उनको भी साथ-साथ इंटरव्यू का सामना करना पड़ा | कई कॉलेजों में ऐसी परिस्थितियां भी आई जिनको पढ़ाया वहीं पढ़ाने वाले तदर्थ अध्यापक का साक्षात्कार ले रहा था| तदर्थ अध्यापक प्रशासन की व्यवस्था के कारण अपने आप को नियमित नहीं पाता है और उसको अंदर ही अंदर अपनी योग्यता पर अनेक प्रश्न चिन्ह खड़ा होते हुए पाता है | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की दिशानिर्देशों को पूरा करने वाले, लंबे समय से पढ़ा रहे एडहॉक अध्यापक रहते हुए कई अध्यापक सेवानिवृत्त हो गए| कई अध्यापक मानसिक उत्पीड़न के कारण आत्महत्या के शिकार हो गए| यह भी माना जाता है मझधार में लटके हुए अध्यापक एवं मानसिक उत्पीड़नता के कारण जितना अच्छा कर सकते थे उतना अच्छा नहीं कर पा रहे हैं|
दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ अध्यापकों की दुर्दशा को देखते हुए मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार ने 5 दिसंबर को नियमित होने तक बने रहने का कानून पास किया| दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमानवीयता का परिचय देते हुए कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी में भी तदर्थ अध्यापकों की सैलरी पर रोक लगा दी | इस परिस्थिति में वह अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं कर पा रहा है| प्रशासन समय-समय पर परेशान करने के लिए अनेक हथकंडे अपनाता रहता है | इसलिए विश्वविद्यालय में शिक्षा के माहौल को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक राजनीति से बचाने के लिए एडहॉक अध्यापकों का नियमित करना जरूरी है|
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