शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

लोनीः दिनदहाड़े मिठाई विक्रेता की हत्या

मोमीन अहमद


गाजियाबाद। लोनी कोतवाली क्षेत्र के चिरोड़ी बाजार में दिनदहाड़े मिठाई विक्रेता को दुकान के अंदर गोली मारी। अस्पताल ले जाते समय मौत। व्यापारियों में आक्रोश, लगाया जाम। अधिकारियों के आश्वासन के बाद जाम खोला गया। लोनी कोतवाली क्षेत्र में चिरोड़ी मेन बाजार में राधेश्याम गर्ग की गर्ग स्वीट्स के नाम से हलवाई की दुकान है। दोपहर 2:12 पर उनका बेटा मोनू उम्र 35 वर्ष दुकान पर ही था। उस समय दोनों कर भी दुकान पर काम कर रहे थे। दो बदमाश मोटरसाइकिल पर बिना नकाबपोश आए एवं दुकानदार मोनू के सीने में गोली मार दी मोनू को परिजनों द्वारा अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। राधेश्याम गर्ग गाजियाबाद परिवार के साथ रहते हैं। मोनू की मौत की खबर मिलते ही व्यापारियों में आक्रोश छा गया एवं बाजार को बंद कर जाम लगा दिया। लोनी कोतवाली लोनी बॉर्डर टोनिका सिटी टीला मोड़ थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और जाम खुलवाने का प्रयास किया लेकिन व्यापारी मानने को तैयार नहीं हुए लोनी क्षेत्राधिकारी भी व्यापारियों को समझाने का प्रयास करते रहे। एसपी देहात नीरज जादौन मौके पर पहुंचे और जाम खुलवाने का प्रयास किया। व्यापारियों की मांग थी कि बदमाशों को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार किया जाए प्रशासनिक अधिकारी के आश्वासन के बाद लगभग एक घंटा बाद व्यापारी मान गए और जाम खोल दिया। इस दौरान व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली व्यापारियों ने आरोप लगाया कि आए दिन चिरोड़ी में रंगदारी के मामले आते रहे हैं। व्यापारियों का पलायन हो चुका है। अगर रंगदारी नहीं रुकी तो जो वैश्य वर्ग के व्यापारी बचे हैं जल्द ही पलायन कर जाएंगे।


पति पर लगा पत्नी की हत्या का आरोप

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र के बंथला नहर पर शुक्रवार सुबह 6:00 बजे एक लगभग 32 वर्षीय महिला की डेड बॉडी मिलने से सनसनी फैल गई। महिला के गले में निशान था। आनन-फानन में लोनी बॉर्डर थाना प्रभारी ज्ञानेश्वर बौद्ध एवं सेवा धाम पुलिस चौकी इंचार्ज आशुतोष तरार मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। लगभग 1 घंटे बाद महिला का पति संजीत निवासी राहुल गार्डन लोनी बॉर्डर पुलिस के अनुसार नाटकीय ढंग में पत्नी की तलाश करता हुआ सेवाधाम पुलिस चौकी पहुंचा और महिला की शिनाख्त अपनी पत्नी कल्पना कोर के रूप में की। संजीत ने बताया कि उसकी पत्नी रात 9:00 बजे से गायब थी एवं घर में रखे ₹45000 एवं जेवरात किसी बाबा को देने के लिए घर से चली गई है। मृतक के भाई महेश कुमार ने बताया कि उसकी बहन की संजीत के साथ प्रेम विवाह हुआ था। शादी के बाद से ही लगातार पत्नी को मारता पीटता था। संजीत ने ही कल्पना कौर को मारकर नाटक रचा है। पुलिस ने मृतका के भाई महेश कुमार की तहरीर पर 302 का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


सीएम के नाम आरटीओ को सौंपा ज्ञापन

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। यूपी बस ट्रेवल्स एसोसिएशन के आह्वान पर आज गाज़ियाबाद बस ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आरटीओ कार्यालय गाज़ियाबाद पर धरना प्रदर्शन किया गया तथा इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी संभागीय परिवहन अधिकारी (RTO) को सौंपा गया।


इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदरपाल चौधरी ने बताया कि कोविड 19 के कारण स्कूल, कॉलेज, फैक्ट्री, टूरिस्ट रूट से बसों का संचालन बंद है। हमारी सभी बसें 22 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगने के बाद से ही खड़ी हैं। जिससे हमारी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। बैंको की किस्तें भी बकाया हैं। हकीकत यह है कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोग अपने परिवार का भरण पोषण करने भी असमर्थ है।


उन्होंने बताया कि इन सब के बावजूद भी सरकार हमसे रोड टैक्स की मांग कर रही है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड आदि राज्यों ने रोड टैक्स माफ कर दिया है। एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि सभी गाड़ियों का 6 माह का कर माफ किया जाए और फिटनेस की अवधि 6 माह की जाए। प्रदर्शन के दौरान अध्यक्ष सुंदरपाल चौधरी, दिनेश अग्रवाल, संजीव नागर, अनिल सागर, जिले सिंह, तेजपाल त्यागी, संदीप त्यागी, आनंद चौधरी, हरीश कुमार, विनोद शर्मा, प्रमोद कुमार, मोहम्मद असलम, जराफ़त अली, जय प्रकाश आदि मौजूद रहे।            


मेयर ने निर्माण कार्य का उद्घाटन किया

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। ट्रांस हिंडन क्षेत्र के वार्ड 72 वैशाली क्षेत्र में सड़कों के सुधार काम शुरू हुआ।  यहाँ रहने वाले पिछले काफी समय से खराब सड़कों की शिकायत कर रहे थे।  मेयर आशा शर्मा ने वैशाली सेक्टर-1 में गुरुद्वारे से इलाहाबाद बैंक के दोनों तरफ रोड के सुधार कार्य का उद्घाटन नारियल फोड़कर तथा मिठाई बांट कर किया । इस अवसर पर क्षेत्रीय पार्षद एवं सदस्य नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य मनोज गोयल ने भी मौजूद थे।


अवस्थापना निधि द्वारा कराया जा रहा कार्य 


वार्ड 72 के पार्षद व नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य मनोज गोयल ने बताया कि यह विकास कार्य अवस्थापना निधि द्वारा कराया जा रहा है जिसकी लागत लगभग 50 लाख है। यह कार्य एक सप्ताह में पूरा होना है। इस मौके पर भाजपा नेता अवधेश कटिहार, शुभम सिंह, के एल शर्मा, प्रहलाद सिंह, शिव शंकर उपाध्याय, श्याम सुंदर सिंह, मंगल सिंह साजवान, सरदार राजेंद्र सिंह, वीरेंद्र यादव, देव सिंह साजवान, विमला भट्ट, प्रार्थना जुयाल, विमला चौधरी, पिंकी राजपूत, पुष्पा, रेशमा साजवान, आनंद सिंह पवार, बीएस चौहान, रघुवीर सिंह रावत, मेहरबान सिंह, दीवान सिंह रजवाड़, एसपी तिवारी, राजू, राजेश तिवारी, गोपाल कृष्ण गोयल, देवी दयाल, वासुदेव प्रताप थपलियाल, रामप्रकाश, उमेश सिंह, शेर सिंह शर्मा, राहुल गोयल, सनी, अनिल कुमार, मास्टर प्रदीप शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।


कोरोना के प्रति किया जागरूक


लॉक डाउन के बीच सड़क के सुधार कार्य का उद्घाटन करने के दौरान मेयर आशा शर्मा द्वारा ईश्वर से प्रार्थना की गई कि कोई कोरोना वायरस से पीड़ित ना हो और यह आपदा जल्द हमारे देश और संसार से दूर हो जाए। सभी को कोरोना वायरस की वजह से दो गज की दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने, अपने हाथों को बार-बार धोने के बारे में भी बताया गया।


गाजियाबाद में फिर सक्रिय हुए भूमाफिया

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। ट्रांस हिंडन क्षेत्र में अर्थला गाँव की सरकारी जमीन पर कुछ भू माफियाओं द्वारा अवैध कब्जे का मामला फिर से ज़ोर पकड़ता जा रहा है।  शिवसेना के प्रदेश उप प्रमुख महेश आहूजा ने आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया है जिसमें भूमाफियाओं और उन्हें तथाकथित रूप से संरक्षण देने वाले कुछ पार्षदों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।


महेश आहूजा ने बताया कि ग्राम अर्थला खसरा नम्बर 1445,1446 पर स्थित सरकारी भूमि और झील में भराव करके अनाधिकृत रूप से प्लाट काट कर बेचने वाले भू-माफियाओं अली रजा, उसके भाइयों तथा अन्य सहयोगियों के विरुद्ध थाना साहिबाबाद में मुकदमा पंजीकृत है।


शिवसेना प्रदेश उप प्रमुख के मुताबिक ये भू-माफिया आज तक फरार चल रहे हैं तथा अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। जब भी कोई सरकारी टीम अवैध मकानों को धवस्त करने पहुंचती है, ये लोग महिलाओं को आगे करके कार्यवाही का विरोध करने लगते हैं जिस कारण ध्वस्तीकरण का कार्यवाही पूरी नहीं हो पाती है। दिनांक 09.07.2020 को भी इन भू-माफियाओं ने इसी प्रकार विरोध कराकर कार्यवाही में रुकावट डाली और अवैध निर्माणों को पूरी तरह ध्वस्त नहीं करने दिया।


इन्हीं भूमाफ़ियों के कारण जिला प्रशासन एनजीटी के अर्थला झील की जमीन से अवैध कब्जा हटाने का आदेश का भी पालन नही कर पा रहा है। भू-माफिया अली रजा व इसके साथी अन्य जगहों पर भी सरकारी जमीनों पर कब्जा करके उसको बेचने का कार्य करते हैं। अगर इनकी सही जांच की जाये तो बहुत बड़ा भू-माफिया प्रकरण सामने आएगा अगर इनकी जांच कराई गई तो मालूम होगा कि यह व्यक्ति कब्जे करके व अवैध कार्य करके आज यह करोड़ों रूपयों व भूमि का मालिक बन गए हैं। ऐसे भू-माफिया जिसने करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन बेची है लोगों के साथ धोखाधड़ी की है पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये ।


उन्होंने बताया कि भू-माफिया अली रजा के द्वारा शमशान घाट हिण्डन नदी पर वर्ष 2012 में लकडी व्यापारियों के साथ धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की मूल्य की लकडी के घोटाले का मुख्य आरोपी है जिससे हिन्दू समाज में बहुत रोष है, जिसकी शिकायत जिलाधिकारी पत्र सं0-1404/दि0-डीएम/2013 है। शिवसेना, गाजियाबाद इस प्रकार के भू-माफिया व असामाजिक तत्वों की गतिविधियों का घोर विरोध कर रोष प्रकट करती है तथा प्रशासन से मांग करती है कि अली रजा और उसके साथियों के विरुद्ध जांच कर एन्टी भू-माफिया नियम के तहत संपत्ति जब्त कर कुर्की की सख्त कानूनी कार्यवाही की जाये । ज्ञापन देने वालों में राजू गौतम, कपिल, सचिन, राकेश, सोमपाल, सचिन, देवेंद्र छतवाल, और सुरेंद्र चांदना आदि शामिल थे।


पथ विक्रेताओं को नहीं मिला कोई ऋण

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। कोरोना के चलते लगाए लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर पड़ते प्रभाव को कम करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी-बड़ी योजनाओं और आर्थिक पैकेजों का ऐलान किया था।  उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश वासियों की आर्थिक मदद के लिए कई योजनाएँ शुरू की थीं।  ऐसी ही एक योजना के अंतर्गत गरीब ठेला-पटरी लगाने वालों को प्रधानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के अंतर्गत 10-10 हजार रुपए का ऋण दिया जाना था।


हालांकि योगी आदित्यनाथ ने इस योजना की घोषणा 16 मई को ही कर दी थी, मगर सरकारी बाबुओं की लेट लतीफी और लाल फीताशाही के चलते गाज़ियाबाद में अभी तक किसी भी ठेला पटरी वाले को इस योजना का लाभ नहीं मिला है।


योजना के आवेदन से लेकर पैसे खाते में पहुँचने तक की प्रक्रिया और शर्तें इतनी जटिल है कि अब गरीब व्यापारियों ने पैसा मिलने की आस हो छोड़ दी है।  ठेला-पटरी वालों को सबसे पहली दिक्कत लोन का फार्म भरने में ही आ रही है।  योजना के लिए कम पढ़े लिखे व्यापारियों को ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा जो की अँग्रेजी में ही है।  लोन मिलने के बाद उन्हें अपना सारा व्यापार डिजिटल माध्यम से ही करना होगा। सभी प्रक्रियाएँ पूरी करने के बाद अगर बैंक उन्हें लोन देने के लिए राजी भी हो जाता है तो ठेला-पटरी वालों को लोन के रूप में केवल 10 हजार रुपया ही मिलेगा और यह पैसा उन्हें 1 साल के भीतर लौटना होगा।


2453 ही हैं आवेदनकर्ता


जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के परियोजना अधिकारी पवन कुमार शर्मा ने बताया कि अभी तक 2453 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 1500 के फार्म बैंकों को भेज दिए हैं। अनपढ़ और कंप्यूटर नहीं जानने वाले ठेला-पटरी वालों की मदद के लिए 8 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है और उम्मीद है कि जल्द ही सभी आवेदनकर्ताओं को लोन मिल जाएगा।


गाज़ियाबाद में हैं केवल 11.5 हज़ार पथ विक्रेता


गाज़ियाबाद की सड़कों और बाज़ारों में गुजरने वाले हर व्यक्ति की शिकायत है कि ठेला-पटरी वाले सड़कें घेर कर खड़े रहते हैं। मगर आपको जान कर आश्चर्य होगा कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार गाज़ियाबाद नगर निगम क्षेत्र में केवल 23,262 पथ विक्रेता ही हैं।  इनमें से भी लगभग 11.50 हज़ार ठेला-पटरी वाले डूडा में पंजीकृत हैं।


संक्रमण फैलने की रफ्तार में आई कमी

विशाल दत्त


गाजियाबाद। बीते 24 घंटों में गाज़ियाबाद जिले में कोरोना के 179 नए मरीजों की पहचान हुई है, 74 मरीज ठीक हुए हैं, एक व्यक्ति की मौत हुई है और अब जनपद में 1497 सक्रिय मरीज हैं। गुरुवार को जुड़े नए संक्रमितों में सीबीआई के 12 कांस्टेबल शामिल हैं।  बृहस्पतिवार को जिला प्रशासन को जिन 1500 व्यक्तियों की रिपोर्ट मिली है उनमें से केवल 179 ही पॉज़िटिव हैं। इसका मतलब है कि संक्रमण फैलने की रफ्तार में कमी आई है।


हालांकि सिर्फ एक दिन की रिपोर्ट के आधार पर ऐसा कहना गलत होगा लेकिन मजबूरी है कि जिला स्वास्थ्य विभाग आंकड़े उपलब्ध नहीं करा रहा है।  स्वास्थ्य विभाग के हालात देखकर यह भी संभव है कि खुद स्वास्थ्य विभाग के पास ही सटीक जानकारी नहीं हो।


पुराने सैंपल होते हैं बुलेटिन का आधार


दरअसल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़े पुराने सैंपल्स की रिपोर्ट पर आधारित होते हैं। सरकारी लैब्स से सैंपल के नतीजे आने में 2-3 दिन का समय लगता है।  बहुत से मामलों में यह इंतज़ार 7-8 दिन का भी हो सकता है। आसान भाषा में कहें तो गुरुवार को जिन 179 नए संक्रमितों की पहचान हुई है, उनके सैंपल संभवतः सोमवार या मंगलवार को लिए गए होंगे। यही कारण है कि राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या कितनी है। न ही हम यह कह सकते हैं कि आज जो सैंपल लिए गए थे, उनमें से कितने पॉज़िटिव हैं और कितने नेगेटिवे।


प्रोटोकॉल के तहत सैंपल लेने के बाद संदिग्ध मरीज को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया जाता है और परिवार के अन्य सदस्यों के भी सैंपल लेकर उन्हें सेल्फ क्वारंटाइन के आदेश दिए जाते हैं। अगर नगर निगम या स्वास्थ्य विभाग मेहरबान हुआ तो 6-7 दिन बाद इलाके को सैनिटाइज़ किया जाता है, वरना आपकी रक्षा के लिए ऊपर वाला तो है ही। 


पोर्टल पर नहीं अपलोड हुई हैं 17 हजार रिपोर्ट्स


कोरोना रिपोर्ट्स के प्रति जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि नेगेटिव रिपोर्ट्स और कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके लोगों की 17 हज़ार से भी अधिक रिपोर्ट्स अभी तक सर्वर पर अपलोड नहीं हुई हैं। जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय के आदेश पर अब यह ज़िम्मेदारी लखनऊ से भेजे गए एसीएमओ डॉ राजेश गुप्ता को सौंपी गई है। उनके सहयोग के लिए एडीएम एलए के नेतृत्व में सीएमओ कार्यालय में एक अलग कंट्रोल रूम बनाया गया है।


क्या है इस समस्या का इलाज


आजकल आपको मुहल्ले में कपड़ों पर इस्तरी करने वाले से लेकर मंत्रियों के तथाकथित प्रतिनिधियों तक हर व्यक्ति सलाह देता ही नज़र आता है। ऐसे में यदि हम भी प्रशासन को कुछ सलाह दे दें तो इसमें कोई हर्ज नहीं होगा।  लेकिन हमारी सलाह पिछले 30 वर्षों के प्राइवेट सेक्टर में काम के अनुभव पर आधारित होगी। 


हम जिले में तैनात सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के अनुभव या योग्यता पर सवाल नहीं कर रहे हैं मगर हमें इस सत्य को भी स्वीकारना होगा कि बरसों से सरकारी तंत्र में काम करने के बाद उनके काम करने का एक पैटर्न बन गया है जिसे महामारी के समय में अचानक बदलना संभव नहीं है।


जिला प्रशासन को चाहिए कि वह कोविड डाटा मैनेजमेंट के लिए या तो किसी निजी कंपनी को ठेका दे या फिर किसी तकनीकी रूप से सक्षम अधिकारी के नेतृत्व में 20-25 डाटा एंट्री करने वालों की एक टीम गठित की जाए। इन डाटा एंट्री करने वालों को अल्पकालिक संविदा के आधार पर रखा जा सकता है। जिले में सरकारी खर्च से चल रही उन दर्जनों स्वयं सेवी संस्थाओं की भी मदद ली जा सकती है जिनके कर्ता धर्ता सिर्फ हाथों में गुलदस्ता लिए अधिकारियों के आसपास फोटो खिंचवाते नजर आते हैं।   हो सकता है कि रेकॉर्ड को अपडेट करने में 7-8 दिन का समय लगे, लेकिन एक बार रेकॉर्ड अपडेट होने के बाद उसमें हर दिन की एंट्री जोड़ना कोई बड़ी बात नहीं होगी।           


चौकी प्रभारी के कारनामे से खूनी संघर्ष

जमीनी विवाद में अनसुलझे सल्लाहपुर चौकी इंचार्ज के कारनामें से खूनी संघर्ष की बढ़ी संभावना


जमीनी विवाद में एफ आई आर दर्ज कराने गई महिला व उसका पति लापता


लापता महिला व उसके पति की जताई जा रही हत्या की आशंका


कौशाम्बी। जमीन कब्जा करने के मंसूबे से पीड़ित परिवार के ऊपर आरोपी बारंबार प्राणघातक हमले कर रहे हैं लेकिन आरोपियों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही ना होने से आरोपियों का मनोबल सातवे आसमान पर पहुंच गया है। जिसका खामियाजा पीड़ित परिवार भुगतने के लिए मजबूर है। पुरामुफ्ती थाना क्षेत्र के सल्लाहपुर चौकी अन्तर्गत अहमदपुर पावन गांव में शुकरू शर्मा व उसके इकलौते पुत्र दीपक शर्मा को जान से मारकर उसके हिस्से की जमीन उनके पट्टीदार कब्जा कर लेना चाहते हैं। इसी मंसूबे के साथ उनके ऊपर कई बार प्राणघातक हमले भी कर चुके हैं। जिसकी शिकायत लेकर पीड़ित परिवार थाना व चौकी के चक्कर लगाता रहा लेकिन उसकी सुनवाई कही भी नहीं हुई।


शुकरू शर्मा का आरोप है कि सल्लाहपुर चौकी इंचार्ज की सह पर आरोपियों के बुलंद हौसले के साथ एक बार फिर 12 जुलाई को आरोपियों ने रात नौ बजे उसके ऊपर व इकलौते पुत्र दीपक शर्मा के ऊपर लाठी - डंडा व लोहे की रॉड से प्राणघातक हमला कर दिए जिसमें पिता और पुत्र को गंभीर चोटें आई


उसके पश्चात दीपक और उसकी पत्नी रात 10 बजे एफ आई आर दर्ज कराने गए और रास्ते से ही लापता हो गए हैं। काफी खोजबीन के बावजूद बेटे और बहु की सुरागरसी नहीं हो सकी है। परिजनों ने विरोधियों के द्वारा हत्या की आशंका जताई है। इसके पहले भी चौकी क्षेत्र में तीन माह के अंदर जमीनी विवाद के चलते दो हत्याएं हो चुकी है  सल्लाहपुर चौकी इंचार्ज की लापरवाही उजागर करने के लिए इतना ही पर्याप्त है।


मिली जानकारी के अनुसार अहमदपुर पावन गांव में हरिश्चंद्र शर्मा, रामजी शर्मा व लालजी शर्मा पुत्र स्व शुकरू प्रसाद शर्मा, पिता शुकरू शर्मा के गुजर जाने के बाद तीनों भाइयों में जमीन का खानगी बटवारा के दौरान काफी दिनों से विवाद उत्पन्न हो रहा है। इसी दौरान हरिश्चंद्र शर्मा व उसके पुत्र दीपक शर्मा को जान से मारकर उनकी जमीन हड़प लेने के मंसूबे से लाल जी शर्मा व रामजी शर्मा के द्वारा कई बार लाठी - डंडा व लोहे की रॉड से प्राणघातक हमला किया गया।


जब पीड़ित थाना चौकी पहुंचता तो पीड़ित को डरा धमकाकर वापस कर दिया जाता तो कभी दबाव बनाकर जबरन सुलह करवा दिया जाता जिससे विरोधियों का मनोबल बढ़ता गया और आए दिन जमीन को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहे थे एक बार फिर 12 जुलाई को विरोधियों के द्वारा शुक्ररू शर्मा के ऊपर लाठी - डंडा एवं लोहे की राड से प्राणघातक हमला कर दिया गया जिसमें पीड़ित के सिर और पैर में गंभीर चोटें आई है एफ आई आर  दर्ज कराने गया पीड़ित आज भी लापता है पीड़ित पिता ने आरोपियों के खिलाफ हत्या की आशंका जताई है खबर लिखे जाने तक आरोपियों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही नहीं की गई।


राजकुमार 


फर्जी शादी, धोखाधड़ी करने वाले अरेस्ट

कौशाम्बी। फर्जी शादी कराने के नाम पर धोखाधड़ी कर रुपये ऐंठने वाले गिरोह का पश्चिम शरीरा पुलिस ने किया खुलासा।थानाध्यक्ष पश्चिम शरीरा राजेश सिंह एवं एसओजी प्रभारी सर्वेश सिंह के नेतृत्व में घटना का हुआ अनावरण। पुलिस ने 06 अभियुक्तो को किया गिरफ्तार।धोखाधड़ी में 03 महिलाये भी थी शामिल।आरोपी अंतर्राज्यीय एवं प्रदेश के लोगो को लड़कियों की फ़ोटो दिखाकर शादी कराने का देते थे झांसा।धोखाधड़ी कर लोगो से ऐंठते थे लंबी रकम।एसपी अभिनन्दन ने घटना के अनावरण हेतु लगाई थी स्पेशल टीम।आरोपी के विरुद्ध मुदकमा हुआ दर्ज।पुलिस अभिरक्षा में भेजा गया जेल।पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के मामला।


गब्बर सिंह 


दर-दर भटकने को मजबूर गुर्जर परिवार

दर-दर भटकने को विवश गुज्जर परिवार। न्याय को तरसे


रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। करतूत वन विभाग की, दर-दर भटकने को विवश गुज्जर परिवार। एक जून 2020 की शाम कोटद्वार लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत शुक्रो नदी के कम पार्ट नंबर-2 में रहने वाले चार गुज्जर परिवारों के घरों में वन विभाग द्वारा बिना पूर्व सूचना दिए गुर्जरों के घरों में तोड़फोड़ कर आग के हवाले कर उन्हें बेघर कर दिया था। जिसकी सूचना जब 2 जून 2020 को लालपुर की पार्षद लीला कंडवाल को मिली तो वह गुर्जर परिवारों को लेकर पहले तो कोटद्वार रेंज के रेंजर्स गुज्जरों की शिकायत लेकर ऑफिस पहुंची, जहां रेंजर शर्मा द्वारा पार्षद महिला के साथ अभद्र भाषा का व्यवहार कर गुर्जरों सहित प्रांगण में प्रवेश नहीं करने दिया गया था।इसके बाद पार्षद गुज्जर परिवारों को लेकर थाने पहुंच कर वन विभाग के खिलाफ गुर्जरों के उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंची थी। तबसे गुर्जर परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों महिलाओं और बुजुर्गों को लेकर बेलाडाट के समीप वन निगम के समीप खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक के टेंटों मे रहने को विवश हैं। वन विभाग लैंसडाउन की कठोरता और आत्त्याचार यही नहीं थमा। उसके बाद वन कर्मियों ने बेघर गुज्जरों की बहु बेटियों से मारपीट और दुर्रव्यवहार तक किया।


लेकिन कोटद्वार पुलिस डेढ माह गुजर जाने के बाद भी हवा मे हाथ पैर चला रही है। वन विभाग का कहना है कि, गुर्जर उनके वन क्षेत्र मे वर्षों से अवैध रूप मे रह रहे हैं। लेकिन वन विभाग अपने झूठ के जाल मे स्वयं फंसता नजर आ रहा है। क्योंकि जिन गुर्जर परिवारों को वन विभाग अवैध ढंग से रहना बता रहा है वे गुर्जर परिवार 1975 से पहले से लैन्सडाउन वन प्रभाग मे रहते आ रहे हैं। जिसका प्रमाण वन विभाग द्वारा काटी गई वे रसीद हैं जो वन क्षेत्र मे वन गुर्जरों को उनके जानवरों के आधार पर काटी जाती हैं। वैसे तो वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस सम्बंध मे जांच शुरू तो की है। लेकिन डेढ माह गुजरने के बावजूद गूर्जरों के परिवारों के लिए बरसात के मौसम मे अस्थायी तौर पर ही सही सुरक्षित ठिकाना तो कर दिया होता। शायद आत्याचार करनेवाले वन कर्मचारियों के घर मे महिलाएं और बच्चे नही रहते इसलिए वे इतने कठोर हो चुके हैं।जंगल मे प्रकृति से न सीख लेकर हिंसक पशुओं से सीख ले रहे हैं।


अमेरिका के बाद भारत में सर्वाधिक जांच

वाशिंगटन डीसी। कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए सर्वाधिक 4.2 करोड़ नमूनों की जांच अमेरिका ने की है, इसके बाद सर्वाधिक 1.2 करोड़ नमूनों की जांच भारत में हुई है। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी।


व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कायले मैकनेनी ने बताया कि कोरोना वायरस की जांच के संबंध में, हमने 4.2 करोड़ से अधिक नमूनों की जांच की है। इसके बाद सर्वाधिक 1.2 करोड़ नमूनों की जांच भारत में हुई है। जांच के मामले में हम पूरे विश्व में सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड जांच करने का ट्रंप प्रशासन का कदम पूर्ववर्ती प्रशासन द्वारा उठाए कदमों के ठीक विपरीत है।             


गर्भस्थ शिशु के लिए भेदभाव घातक

वाशिंगटन। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव की बात बेहद आम है लेकिन अगर यह भेदभाव गर्भवती महिला कर्मचारी के गर्भस्थ शिशु के लिए घातक साबित हो तो यह निश्चित ही चिंता का विषय है। जर्नल ऑफ एप्लाइड साइकोलॉजी में इस माह प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट ‘एग्जामिंनिंग द इफेक्ट्स ऑफ पर्सिव्ड प्रेग्नेंसी डिस्क्रिमिनेशन ऑन मदर एंड बेबी हेल्थ’ के मुताबिक कार्यस्थल पर बॉस के भेदभाव भरे बर्ताव से दुखी महिला कर्मचारी के बच्चे पर इसका गंभीर असर पड़ता है।


ऐसी महिला कर्मचारी तनावग्रस्त होती हैं तथा शिशु को जन्म देने के बाद अक्सर निराशा से घिर जाती हैं। इन महिला कर्मचारियों के बच्चे भी अक्सर नौ माह के निश्चित समय से पहले पैदा होते हैं और जन्म के समय उनका वजन कम होता है। इस शोध को अमेरिका के फ्लोरिडा के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने किया है। इस शोध के दौरान 250 से अधिक गर्भवती महिला कर्मचारियों से उनकी गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद जानकारी जुटायी गयी। शोध में शामिल इन महिलाओं ने कहा कि कार्यस्थल पर उनकी गर्भावस्था को लेकर भेदभावपूर्ण बर्ताव होता है। भेदभाव किसी भी रूप में हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को सामाजिक दूरी , नकारात्मक रुढ़िवादिता या अभद्र व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। कुछ अच्छे प्रबंधक या बॉस गर्भवती महिलाओं पर काम का दबाव कम बनाते हैं और उन्हें कम काम देते हैं लेकिन गर्भवती महिलाओं पर अक्सर इसका विपरीत असर पड़ता है। उनके लिए कम काम देना भेदभाव और उनके काम पर उंगली उठाने जैसा होता है।                                     

दिल्ली में 'एक्यूआई' 391 पर दर्ज किया गया

दिल्ली में 'एक्यूआई' 391 पर दर्ज किया गया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर इलाके में प्रतिबंध के बावजूद जमीन से...