गुरुवार, 11 जून 2020
युवक ने खाया जहरीला पदार्थ, कराया भर्ती
वांछित अभियुक्त को किया गिरफ्तार
ट्रक ने मारी टक्कर, दो बच्चों की मौत
करोड़ों की कमाई करने वाला गुनहगार
राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त
नई दिल्ली। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद फरोख्त का खेल शुरु हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर समर्थन के बदले कुछ विधायकों को 25 करोड़ रूपए प्रलोभन देने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि खरीद फरोख्त के लिए जयपुर में करोड़ों-अरबों रुपए ट्रांसफर हो रहे हैं। ये पैसे कौन भेज रहा है। विधायकों को एडवांस देने की बातें हो रही हैं. यहां पर खुला खेल हो रहा है। इसीलिए महेश जोशी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे विधायक बहुत समझदार हैं, वे समझ गए। उन्हें खूब लोभ लालच देने की कोशिश की गई, लेकिन यह हिंदुस्तान का एकमात्र राज्य है, जहां एक पैसे का सौदा नहीं होता। यह इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा। मुझे गर्व है कि मैं ऐसी धरती का मुख्यमंत्री हूं, जिसके लाल बिना सौदे के बिना लोभ लालच के सरकार का साथ देते हैं। महेश जोशी ने एसीबी के महानिदेशक को भेजी शिकायत में कहा है कि अति विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी हमारे विधायकों व हमारा समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों को भारी प्रलोभन देकर राज्य की लोकतांत्रिक तौर से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव की तीन सीटों पर चुनाव होना है।
एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि शिकायत पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है और इसकी जांच होगी।
चिंताः संक्रमण के मुंह में धकेली दिल्ली
अनिल अनूप
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली परमाणु बम पर बैठी है, जो कभी भी फट सकता है। दिल्ली में 31 जुलाई तक कोरोना के 5.5 लाख संक्रमित मरीज हो सकते हैं। 15 जुलाई तक 2.25 लाख संक्रमित होने का आकलन है। यह खुलासा दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तब किया, जब वह उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली आपदा प्रबंधन बैठक में शिरकत के बाद सार्वजनिक हुए थे। उपराज्यपाल के साथ उनके कुछ संवादों का ब्योरा भी उन्होंने दिया। कमोबेश इस स्तर पर संवैधानिक शख्सियत झूठ नहीं बोल सकती, क्योंकि पलट कार्रवाई के लिए संविधान उपस्थित है। उपराज्यपाल ने अस्पतालों पर केजरीवाल सरकार के फैसले को ‘संविधान-विरोधी’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया, लेकिन कोई वैकल्पिक आकलन नहीं दिया कि यदि दिल्ली में संक्रमण की विस्फोटक स्थितियां पैदा होती हैं, जिनके आसार अब पूरे लगते हैं, तो दिल्ली सरकार क्या करेगी? कोई भी उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री देश और उसके नागरिकों से बड़ा और महत्त्वपूर्ण नहीं हो सकता। पदेन सुविधाएं और गरिमा संविधान के कारण नसीब होती हैं। उसी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 आम नागरिक के मौलिक अधिकारों की व्याख्या करते हैं। कोई उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री उसे लांघ नहीं सकता। यदि उप मुख्यमंत्री के एक सवाल पर, कोरोना वायरस की संभावित भयावह स्थितियों के संदर्भ में, उपराज्यपाल जवाब देते हैं-‘देखते हैं’, तो फिर कहा जा सकता है कि व्यवस्था के संचालकों और सूत्रधारों ने देश की राजधानी तक को ‘रामभरोसे’ छोड़ दिया है। दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन का ताजा आकलन है कि कोरोना महामारी ‘बदतर’ होती जा रही है। दिल्ली में ही कोरोना के मरीज 31,000 को पार कर चुके हैं और मौतें भी 900 से अधिक हो चुकी हैं। विश्लेषण ऐसे भी सामने आए हैं कि यदि कोरोना संक्रमण की गति और उसका विस्तार यही रहे, तो देश में 26 जून तक पांच लाख, 11 जुलाई तक 10 लाख और 28 जुलाई तक 20 लाख संक्रमित मरीज होंगे। क्या उन्हें संभालने और उचित इलाज मुहैया कराने के बंदोबस्त किए गए हैं? देश के औसत आदमी को डराने की मंशा हमारी नहीं है, लेकिन विस्फोटक हालात के प्रति आगाह जरूर कर रहे हैं। आश्चर्य है कि ऐसे चेतावनीपूर्ण हालात के बावजूद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और कोरोना महामारी से संबद्ध अधिकारी ‘सामुदायिक संक्रमण’ की हकीकत मानने को सहमत नहीं हैं, लिहाजा उपराज्यपाल वाली आपदा प्रबंधन की बैठक में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की ही नहीं गई। अजीब विरोधाभासी समीकरण हैं कि दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने ‘सामुदायिक संक्रमण’ की बात कही है, लेकिन उपराज्यपाल और केंद्र सरकार इसे नकार रहे हैं। आखिर केंद्र इसे स्वीकार कैसे सकता है? मोदी सरकार की फजीहत होगी और लगातार सवाल पूछे जाएंगे कि इतने लंबे लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण इस हद तक कैसे फैल गया कि संभावित आंकड़े दहशत पैदा कर रहे हैं और सामुदायिक संक्रमण की बहस छिड़ गई है? यह भी बेनकाब हो जाएगा कि 24 मार्च के बाद क्या किया गया। मुद्दों से भटकाने के लिए दूसरे कौन से मुद्दे पैदा किए गए। अब देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी चर्चा छिड़ सकती है। हम जीडीपी का मात्र दो फीसदी भी स्वास्थ्य पर खर्च नहीं कर पाते हैं। कितनी आबादी पर कितने अस्पताल हैं, कितने डॉक्टर और दूसरे कर्मी हैं, यह आंकड़ा भी बेहद शर्मनाक है। अब चर्चा यहां तक सुगबुगाने लगी है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ‘राष्ट्रीयकरण’ किया जाए। एक छोटा-सा देश क्यूबा इसका उदाहरण माना जा रहा है, जहां एक भी निजी अस्पताल नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में भारत विश्व में 145वें स्थान पर है। बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार सरीखे पड़ोसी देशों की स्थितियां हमसे बेहतर हैं। बहरहाल कोरोना बार-बार करवट बदल रहा है। वह बहुत तेजी से फैलने वाला वायरस है। गर्मी, सर्दी, गीलापन, सूखा और मरुस्थल सरीखी जलवायु और मौसम का इस पर प्रभाव नहीं दिखा है, लिहाजा यह विकराल रूप धारण करता जा रहा है। मुंबई के आंकड़े चीन के वुहान शहर को पार कर 51,000 से अधिक हो गए हैं। क्या अब यह ‘कोरोना राजधानी’ होगी? भारत में कोरोना का कहर कुछ शहरों तक ज्यादा सिमटा है। अब जून के अंत और जुलाई में क्या होगा, वह यथार्थ भी स्पष्ट हो जाएगा। उसके बाद ही हम कह सकेंगे कि भारत में कोरोना वायरस का समापन किस कदर होगा?
दिल्ली के सैकड़ों अध्यापक हुए संक्रमित
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षक भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। दिल्ली नगर निगम द्वारा जारी डाटा के अनुसार अब तक नगर निगम के 100 से ज्यादा सरकारी शिक्षक कोरोना के शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा 50 और शिक्षक भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. ये वैसे शिक्षक हैं, जिनकी ड्यूटी इस वक्त स्कूलों में राशन बांटने या फिर दूसरे प्रशासनिक कार्यों में लगी थी।
4 शिक्षकों की मौत
दुखद बात यह है कि अब तक 4 शिक्षक कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना से मौत का शिकार बने शिक्षकों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का ऐलान भी किया था। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक के बाद एक शिक्षक कोरोना के शिकार होते जा रहे हैं और हमारे कई साथी अब तक मौत के मुंह में समा चुके हैं।
एक करोड़ मुआवजे की मांग
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जिन शिक्षकों की कोरोना के कारण मौत हुई है उन्हें 1 करोड़ रुपये का मुआवजा फौरन ही दिया जाए। इसके अतिरिक्त बाकी शिक्षकों की ड्यूटी कुछ इस प्रकार की जाए जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा कम से कम हो और उनके बचाव के लिए पीपीई किट, मास्क और अन्य साधन उपलब्ध कराए जाएं।बता दें कि दिल्ली में इस वक्त हजारों शिक्षक करुणा से बचाव की ड्यूटी में काम कर रहे हैं। इनमें से कई शिक्षक राशन बांटने की ड्यूटी में है तो कई शेल्टर होम और आइसोलेशन सेंटर पर भी ड्यूटी कर रहे हैं।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आज तक से बात करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार में शिक्षकों की जान जोखिम में है। एक के बाद एक शिक्षक संक्रमित हो रहे हैं और कई शिक्षकों की जान जा चुकी है। ऐसे में सरकार को तुरंत ही सख्त कदम उठाना चाहिए नहीं तो हमारे देश के भविष्य निर्माता खुद संकट में पड़ जाएंगे। आदेश गुप्ता ने फौरन ही मृतक शिक्षकों के परिवार वालों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग केजरीवाल सरकार से की है।
8 दिन बाद अस्पताल से ही मिला शव
8 दिन से लापता कोरोना मरीज की लाश अस्पताल के बाथरूम में पड़ी थी, किसी को खबर तक नहींं
कविता गर्ग
जलगांव। देश में एक ओर जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, वहीं कई जगहों पर अस्पतालों की लापरवाही का मामला भी सामने आ रहा है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के जलगांव सिविल अस्पताल में देखने को मिला है. पिछले 8 दिनों से जिस कोरोना पॉजिटिव मरीज के अस्पताल से लापता होने की बात कही जा रही थी उसका शव आज उसी अस्पताल के एक बाथरूम से बरामद किया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
जानकारी के मुताबिक 80 साल की बुजुर्ग को कुछ दिन पहले भुसावल रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां बुजुर्ग की हालत बिगड़ने पर 1 जून को उन्हें जलगांव के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में पाया गया कि बुजुर्ग को कोरोना है. इस घटना के दूसरे ही दिन यानी 2 जून को बुजुर्ग महिला अस्पताल से कहीं गायब हो गईं. काफी ढूंढने के बाद भी जब बुजुर्ग का कुछ भी पता नहीं चला तो थाने में महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
बताया जाता है कि आज सुबह किसी ने जानकारी दी कि एक बुजुर्ग महिला का शव अस्पताल के बाथरूम में पड़ा है। बुजुर्ग को देखने से पता चला कि जिसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी वह महिला पिछले 8 दिनों से बाथरूम में पड़ी थी और किसी को इसकी खबर तक नहीं थी। जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने कहा कि यह अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। अस्पताल के बाथरूम को हर दिन साफ किया जाता है। ऐसे में किसी की भी नजर पिछले 8 दिनों से बुजुर्ग पर नहीं पड़ी। जिलाधिकारी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
फॉरेस्ट रेंजर, गार्ड के पदों पर भर्ती
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। छत्तीसगढ़ वन विभाग भर्ती 2020 (CG फॉरेस्ट गार्ड भर्ती 2020) के तहत 178 फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर नियुक्ति की जाएगी। अगर आप भी वन विभाग में नौकरी करने के इच्छुक हैं तो आवेदन कर सकते हैं।
पदों की संख्या
फॉरेस्ट रेंजर- 157 पद
असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड – 21 पद
शैक्षिक योग्यता
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को 12वीं यानी इंटरमीडिएट परीक्षा PCB यानी साइंस स्ट्रीम में पास होना चाहिए और कृषि, वनस्पति विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, भूविज्ञान आदि किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए. बता दें कि चयनित उम्मीदवारों की पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में ही होगी।
आयु सीमा
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार की उम्र 21 से 30 वर्ष (अन्य राज्य) और 21 से 40 वर्ष (छत्तीसगढ़) निर्धारित है. बता दें कि आयु की गणना 01.01.2020 के आधार पर की जाएगी।
आवेदन शुल्क
छत्तीसगढ़ के एससी/ एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए 300 रुपये आवेदन शुल्क निर्धारित है जबकि अन्य सभी उम्मीदवारों को 400 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा।
कैसे होगा चयन?
फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा।
आवेदन और परीक्षा की तिथि
ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि- 16 जून 2020
आवेदन की अंतिम तिथि- 15 जुलाई 2020
ऑनलाइन सुधार की तिथि- 18 से 24 जुलाई 2020
लिखित परीक्षा की तिथि- 20 सितंबर 2020
कितनी मिलेगी सैलरी?
फॉरेस्ट रेंजर के 157 पदों पर चयनित उम्मीदवारों को 38100 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा जबकि असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के 21 पदों पर चयनित उम्मीदवारों को 56100 रुपये प्रति माह वेतन मिलेगा। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करके आधिकारिक नोटिफिकेशन देख सकते हैं।
चिकित्सकों ने इस्तीफे की धमकी दी
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के दो हॉस्पिटल के डॉक्टर और हेल्थ वर्कर सैलरी न मिलने से काफी नाराज हैं। इन्होंने इसका तत्काल भुगतान न होने पर इस्तीफे की धमकी भी दी है। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ‘नो पे नो वर्क’ की मांग के साथ चिट्ठी लिखी है। साथ ही अपनी समस्या बताते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। आरडीए का कहना है कि उनकी मांग न मानने की स्थिति में वो इस्तीफा भी दे सकते हैं। इस तरह की मांग दिल्ली के दरियागंज इलाके में स्थित कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और हिन्दू राव हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने की है। बता दें कि यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब दिल्ली कोरोना संक्रमण से बुरी तरह से जूझ रहा है।
3 महीने से नहीं हुआ सैलरी का भुगतान
कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के आरडीए ने एडिशनल एमएस को लिखी अपनी चिट्ठी में रेजिडेंट डॉक्टर के बकाए वेतन के मामले में ध्यान आकर्षित कराया है। साथ ही एक साथ इस्तीफा देनो या ‘नो पे नो वर्क’ की भी बात कही है। इसमें लिखा है कि रेजिडेंट डॉक्टर को पिछले 3 महीनों से सैलरी का भुगतान नहीं हुआ है। वे कोरोना महामारी के संकट के दौरान अपने और अपने परिवार की जिंदगी को दांव पर लगाकर काम कर रहे हैं। सैलरी न मिलने के कारण उन्हें अपने घर का किराया देने, ट्रैवलिंग में होने वाले खर्च और जरूरत के सामान खरीदने तक में समस्या हो रही है।
आरडीए का कहना है कि हम पैसों के बिना काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बकाए सैलरी के जल्द भुगतान की मांग की है। साथ ही कहा है कि अगर सैलरी का भुगतान 16 जून तक नहीं होगा तो उन्हें सामूहिक इस्तीफा देना पड़ सकता है।
डॉक्टरों ने मांगी 4 महीने की बकाया सैलरी
राजधानी के मलकागंज में स्थित हिन्दू राव हॉस्पिटल और एनडीएमएमसी के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोशिसशन ने 4 महीनों की सैलरी के भुगतान की मांग की है। हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को 30 मई को लिखी चिट्ठी में बकाए सैलरी के भुगतान के संबंध में ध्यान आकर्षित कराया गया है।
इस संबंध में आरडीए का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आरडीए ने यह भी कहा है कि हमें लग रहा है कि हमारी बातें अनसुनी कर दी जा रही हैं। आरडीए ने 18 जून तक के बकाए सैलरी के भुगतान की मांग की है। इस चिट्ठी में आरडीए की तरफ से लिखा गया है कि हम आपको असहाय होकर यह सूचना दे रहे हैं कि रेजिडेंट ‘नो पे नो वर्क’ के नियम पर काम करने का निर्णय ले रहे हैं। साथ ही वेतन भुगतान न होने की स्थिति में सामूहिक इस्तीफे की बात भी कही गई है।
आठवीं पास के लिए राजस्थान में भर्ती
जयपुर। लॉकडाउन के बीच प्रदेश के बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए राजस्थान पुलिस ने होमगार्ड की नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली है। इसके लिए आधिकारिक तौर पर नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। 8वीं पास उम्मीदवार इस नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके चयन के दौरान किसी भी तरह की लिखित परीक्षा नहीं होगी। इसके लिए पात्र आवेदक 10 जून से लेकर 9 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस बार 2500 पोस्ट के लिए ये आवेदन निकाला गया है। गौरतलब है कि इस भर्ती के लिए आवेदन पहले भी आए थे। लेकिन इसकी प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है।
आयु सीमा
इन पदों के लिए अप्लाई करने वाले आवेदक की उम्र 18 साल से लेकर 35 साल तक होनी चाहिए. राजस्थान होम गार्ड भर्ती के अंतर्गत चयनितों को हर दिन 693/- रुपए वेतन दिया जाएगा। इसके लिए जनरल और ओबीसी कैटेगरी में आने वाले आवेदकों को एप्लीकेशन फीस के तौर पर 200 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। जबकि एससी, एसटी, ईडब्लूएस और एमबीसी वर्ग में आने वाले उम्मीदवारों को 175 रुपए का भुगतान करना होगा। कैंडिडेट के सेलेक्शन का आधार केवल फिजिकल टेस्ट होगा।
जो भी उम्मीदवार इसके लिए अप्लाई करना चाहते हैं उन्हें ऑफिशियल वेबसाइट http://home.rajasthan.gov.in/ पर लॉगइन कर आवेदन प्रक्रिया को पूरा करना होगा. आवेदन 10 जून से 9 जुलाई, 2020 के बीच की जा सकती है.
साल 1946 में हुई थी भारत में शुरुआत
भारत में होम गार्डस स्वैच्छिक बल के तौर पर जाना जाता है. इसकी पहली बार दिसंबर 1946 में शुरुआत हुई थी. ताकि पुलिस को वे अशांति और सांप्रदायिक दंगों को नियंत्रित करने में मदद कर सके. इसके बाद इसको देश के कई राज्यों ने अपनाया. आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रदेश में कुल संख्या 30, 714 है. इनमें से 21,770 शहरी होम गार्ड हैं. जबकि 6280 ग्रामीण होम गार्ड हैं। इसके लिए 2,664 जवान बॉर्डर होम गार्ड के तौर पर तैनात हैं। वेबसाइट के अनुसार, संगठन राज्य के योग्य युवाओं की भर्ती करता है और साथ ही उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, अनुशासन और निस्वार्थ सेवा की भावना पैदा करने की कोशिश करता है।
रंगपुरी 'कहानी'
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